विधुत प्रभा - चमकती हुई बिजली 02

Story Info
दुल्हन की छोटी बहन के साथ.
2.1k words
4
550
00

Part 2 of the 2 part series

Updated 06/10/2023
Created 02/23/2021
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इस कहानी में मैं आपको एक स्वभाव से चिड़चिड़ी दबंग और लड़ाकू पर बहुत सुन्दर विद्युत् प्रभा जिनसे मैंने अभिसार किया के बारे में बता रहा हूँ। विधुत प्रभा कुंवारी थी और उसके भाई की शादी मेरे अब्बू के दोस्त बंसल अंकल की बड़ी बेटी रीमा से हो रही थी और इसमें कुछ और पात्र भी हैंl आनंद लीजिये।

जन्नत की 72 हूरो की कहानी अलग से चलती रहेगी।

बंसल अंकल विद्युत् प्रभा के स्वाभाव के बारे में बताते हुए रुआंसे हो गएl

फिर बंसल अंकल हाथ जोड़ते हुए बोले आमिर बेटा ज़्यादा क्या कहूँ तुम ख़ुद ही देख लेना, अब-अब मोहतरमा आ रही, सब इंतज़ाम पहले ही देखने अगर तुम्हे कुछ भला बुरा कह दे तो बुरा मत मानना। उसके लिए मैं अभी से माफ़ी मांगता हूँ तुम तो जानते हो इन मामलो में उनको तो हम कुछ कह ही नहीं सकते।

मैंने उनके हाथ पकडे और बोला अंकल आप बिलकुल चिंता मत करे आपको मुझसे कोई शिकायत नहीं होगी।

अंकल बोले तुम आ गए हो तो आज मैं और तुम्हारी आंटी रीमा के मामा को भात (शादी) का न्योता देने जा रहे हैं और कल सुबह आएंगे तब तक ये लड़किया तुम्हारा ख़्याल रखेगीl कुछ चाहिए हो तो रिया को बता देनाl

मैंने कहाः चिंता मत करो अंकल सब ठीक होगा।

अंकल आंटी चले गए थेl शाम के समय रीया मेरे पास आयी। उस समय मैं नीचे ड्राइंग रूम में अकेला आँखे बंद किये हुए लेटा हुआ था और लूसी रसोई में थी रुखसाना रीमा के साथ दो घंटो में आएँगी बोल कर गयी थीl

अचानक बंसल अंकल विद्युत् प्रभा के स्वाभाव के बाजरे में बताते हुए रुआंसे हो गएl

फिर बंसल अंकल हाथ जोड़ते हुए बोले आमिर बेटा ज़्यादा क्या कहूँ तुम ख़ुद ही देख लेना, अब-अब मोहतरमा आ रही, सब इंतज़ाम पहले ही देखने अगर तुम्हे कुछ भला बुरा कह दे तो बुरा मत मानना। उसके लिए मैं अभी से माफ़ी मांगता हूँ तुम तो जानते हो इन मामलो में उनको तो हम कुछ कह ही नहीं सकते।

मैंने उनके हाथ पकडे और बोला अंकल आप बिलकुल चिंता मत करे आपको मुझसे कोई शिकायत नहीं होगी।

अंकल बोले तुम आ गए हो तो आज मैं और तुम्हारी आंटी रीमा के मामा को भात (शादी) का न्योता देने जा रहे हैं और कल सुबह आएंगे तब तक ये लड़किया तुम्हारा ख़्याल रखेगी कुछ चाहिए हो तो रिया को बता देनाl

मैंने कहाः चिंता मत करो अंकल सब ठीक होगा।

अंकल आंटी चले गए थेl शाम के समय रीया मेरे पास आयी। उस समय मैं नीचे ड्राइंग रूम में अकेला आँखे बंद किये हुए लेटा हुआ था और लूसी रसोई में थी रुखसाना रीमा के साथ दो घंटो में आएँगी बोल कर गयी थीl

रिया आई और मेरी ओर ध्यान से देखने लगी, मैं लेटा हुआ था और सोने की एक्टिंग करने लगा। एक डेढ़ मिनट मुझे ध्यान से देखने के बाद जब उसे यक़ीन हो गया कि मैं गहरी नींद में सो रहा था तो वह मेरे पास अधलेटी हो गयी। उसने अपने हाथ पर जो मेरा हाथ थामे था, चादर डाल दी और चादर के नीचे मेरे हाथ की उँगलियों को एक के बाद एक करके चूमने लगी।

उम्म्ह... अहह... हय... याह... उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था, तनाव के कारण मेरा लिंग जैसे फटने की कगार पर था। मैं रिया के हाथ का स्पंदन महसूस कर सकता था पर मैंने अपनी ओर से कोई हरकत नहीं की।

करीब 15 मिनट के बाद रिया ने ऐसा करना बंद किया।

उसका मेरी ओर वाला हाथ मतलब बायाँ हाथ उसके सिर के पास सिरहाने पर ही पड़ा था। मेरा मुंह रिया की ओर ही था और मेरा और रिया का फ़ासला ज़्यादा से ज़्यादा एक फुट का रहा होगा।

अचानक मैंने अपने बायें हाथ को रिया पर रख दिया... मेरा दिल पसलियों में धाड़-धाड़ बज़ रहा था।

कोई हरकत नहीं। । ना मेरी ओर से... ना रिया की ओर से l

मैंने चुपके से मेरी बाजु उसकी गर्दन के नीचे से उसके परले कंधे तक पहुँच गई। उसने अपने हाथ से अपने दाएँ कंधे के पास टटोल कर देखा तो मेरा दायाँ हाथ उसके हाथ में आ गया।

जैसे ही रिया के हाथ की उंगलियाँ मेरे हाथ से टच हुई, मैंने उस का हाथ ज़ोर से पकड़ लिया।

पहले तो रिया ने दो-चार पल अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन जल्दी ही मेरा हाथ कस के पकड़ लिया।

मुझे तो दो जहान् की खुशियाँ मिल गई जैसे... मानो सारी कायनात ठहर गई हो!

मैं अपने ही दिल की धड़कन बड़ी साफ़-साफ़ सुन रहा था।

फिर रिया ने मेरा बायाँ हाथ अपने बाए उरोज़ पर रख दिया उसके बाद के बाद रिया ने अपना हाथ मेरे हाथ से उठा लिया और जैसे मुझे मनमानी करने की इज़ाज़त दे दी।

मैं रिया के उरोज़ की नरमी और गर्मी दोनों को अपने हाथ में महसूस कर रहा था।

धीरे धीरे मैंने अपनी उँगलियों को रिया के उरोज़ पर ज़ुम्बिश देनी शुरू की। रीया का उरोज़ बहुत नर्म-सा था, मैं उस पर बहुत नरमी से उंगलियाँ चला रहा था।

अचानक एक जगह हल्की-सी कुछ सख़्त-सी मालूम पड़ी। हल्का-सा टटोलने पर पता पड़ा कि यह उरोज़ का निप्पल है।

जैसे ही मेरा हाथ निप्पल को लगा, वह और ज़्यादा टाईट और बड़ा हो कर ख़डा हो गया। मैंने अपना हाथ रिया के सूट का ऊपर वाला एक बटन खोल कर, अंदर से हौले से रीया के उरोज़ पर रखा तो रीया के पूरे ज़िस्म में झुरझुरी की एक लहर-सी दौड़ गई जिसे मैंने स्पष्टत महसूस किया।

रिया की गर्म तेज़ साँसें मैं अपनी कलाई पर महसूस कर रहा था। रिया के उरोज़ के कठोर निप्पल का स्पर्श मैं अपनी हथेली के ठीक बीचों बीच महसूस कर पा रहा था।

धीरे से मैंने अपनी पाँचों उंगलियाँ उरोज़ के साथ-साथ ऊपर उठानी शुरू की और अंत में निप्पल उँगलियों के बीच में आ गया जिसे मैंने हलके से दबाया।

रिया के मुख से शाश्वत आनन्द की 'आह' की हल्की-सी सिसकारी प्रफुटित हुई। जल्दी ही मैंने अपना हाथ दूसरे उरोज़ की ओर सरकाया l

दूर वाला उरोज़ थोड़ा दूर पड़ रहा था तो रिया बिना कहे ख़ुद ही सरक कर मेरीऔर ख़िसक आई।

अब ठीक था। मैंने अपना हाथ ऊपर से ही परले उरोज़ पर ऱखा और उरोज़ को थोड़ा-सा दबाया। प्रिय के मुंह से बहुत ही हलकी-सी 'सी... सी' की सिसकारी निकली।

मैंने अपना हाथ उठा कर धीरे अंदर सरकाया और परले उरोज़ पर कोमलता से हाथ धर दिया। परले उरोज़ का निप्पल अभी दबा दबा-सा था लेकिन जैसे ही मेरे हाथ ने निप्पल को छूआ, निप्पल ने सर उठाना शुरू कर दिया और एक सैकिंड में ही अभिमानी योद्धा गर्व से सर ऊंचा उठाये खड़ा हो गया।

अचानक मुझे लगा की मेरे परले हाथ की हथेली पर कुछ नरम-नरम, कुछ गरम-गरम-सा लग रहा है, देखा तो अपनी चादर के अंदर रिया मेरा हाथ बहुत शिद्दत से चूम रही थी, पूरे हाथ पर जीभ फ़िरा रही थी।

जल्दी ही रीया ने मेरे हाथ की उँगलियाँ एक-एक कर के अपने मुँह में डाल कर चूसनी शुरू कर दी। मैं रीया के होंठों की नरमी और उस की जीभ का नरम स्पर्श अपनी उँगलियों पर महसूस कर-कर के रोमांचित हो रहा था। मेरा लिंग 90 डिग्री पर चादर और पजामे का तंबू बनाये फौलाद-सा सख्त खड़ा था, मारे उत्तेज़ना के मेरे नलों में तेज़ दर्द हो रहा था। मैंने रीया का हाथ अपनी छाती पर रख कर ऊपर अपना हाथ रख दिया और रीया की साइड वाला हाथ चादर के अंदर से उसके चेहरे पर फेरने लगा। माथा, गाल, कान, आँखें, नाक, होंठ, ठुड्डी, गर्दन... धीरे-धीरे मेरा हाथ नीचे की ओर अग्रसर था और रीया की साँसें क्रमशः भारी होती जा रही थी और रीया मुझे रोक भी नहीं रही थी, लगता था कि रीया ख़ुद ऐसा चाह रही थी।

जैसे ही मेरा हाथ गर्दन के नीचे से होता हुआ रीया कंधे से होता हुआ रीया की छातियों तक पहुँचा तो मैं एक सुखद आश्चर्य से भर उठा। मेरा हाथ उरोज़ को छूते ही रीया के शरीर में वही परिचित झुनझुनाहट की लहर उठी।

उरोज़ का निप्पल हाथ में आते ही फूल कर सख़्त हो गया था, मैं अंगूठे और एक उंगली के बीच में निप्पल लेकर हल्के-हल्के मसलने लगा।

रीया का दायाँ हाथ मेरे हाथ के ऊपर रखा था, जहाँ-जहाँ उसे तीव्र आनन्द की अनुभूति होती, वहीं-वहीं उसका हाथ मेरे हाथ पर कस जाता। मेरा मन कर रहा था कि मैं रीया के उरोज़ों का अपने होंठों से रसपान करूँ लेकिन उस में अभी भयंकर ख़तरा था सो मैंने अपने मन पर काबू पाया और इसी खेल को आगे बढ़ाने में लग गया।

थोड़ी देर बाद मैं सीधा हुआ और फ़ौरन दोबारा रीया की ओर झुक कर मैंने रीया के माथे पर, आँखों पर, गालों पर, नाक पर, गर्दन पर, गर्दन के नीचे, सैंकड़ों चुम्बन जड़ दिए। रीया के दाएँ कान की लौ चुभलाते समय मैं रीया के मुंह से, आनंद के मारे निकलने वाली 'सी...सी... सीई... सीई... सीई... ई...ई...ई' की सिसकारियाँ साफ़-साफ़ सुन रहा था।

मैंने रीया के सूट के ऊपर के दो बटन खोल दिए और अपना हाथ अंदर सरकाया। रुई के समान नरम और कोमल दो गोलों ने जिन के सिरों पर अलग-अलग दो निप्पलों के ताज़ सजे थे, मेरे हाथ की उँगलियों का खड़े होकर स्वागत किया। क्या भावनात्मक क्षण थे! मेरा दिल करे कि दोनों कबूतरों को अपने सीने से लगा कर चुम्बनों से भर दूं, निप्पलों को इतना चूसूं... इतना चूसूं कि रीया के मुंह से आहें निकल जाएँ। यूं तो रीया के मुंह से आहें तो मेरे उसके उरोजों को छूने से पहले ही निकलना शुरू हो गई थी।

मैं सीधा हुआ और फ़ौरन रीया की ओर झुक कर मैंने रीया के माथे पर, आँखों पर, गालों पर, नाक पर, गर्दन पर, गर्दन के नीचे, सैंकड़ों चुम्बन जड़ दिए। रिया के दाएँ कान की लौ चुभलाते समय मैं रीया के मुंह से, आनंद के मारे निकलने वाली 'सी...सी... सीई... सीई... सीई... ई...ई...ई' की सिसकारियाँ साफ़-साफ़ सुन रहा था।

मैंने अपना दायाँ हाथ रीया के उरोजों से उठा कर रीया के बाएँ हाथ पर (जो मेरी छाती पर ही पड़ा था) रख दिया। रीया के हाथ को सहलाते-सहलाते मैंने रीया का हाथ उठा कर पजामे के ऊपर से ही अपने गर्म, तने हुए लिंग पर रख दिया।

रीया को जैसे 440 वाट का करंट लगा, उसने झट से अपना हाथ मेरे लिंग से उठाने की कोशिश की लेकिन उस के हाथ के ऊपर तो मेरा हाथ था, कैसे जाने देता?

दो एक पल की धींगामुश्ती के बाद रीया ने हार मान ली और मेरे लिंग पर से अपना हाथ हटाने की कोशिश छोड़ दी।

मैंने अपने हाथ से जो रीया का वह हाथ थामे था जिस की गिरफ़्त में मेरा गर्म, फौलाद-सा तना हुआ लिंग था, को दो पल के लिए अपने लिंग से हटाया और अपना पजामा अपनी जांघों से नीचे कर के वापिस अपना लिंग रीया को पकड़ा दिया। रीया के शरीर में फिर से वही जानी-पहचानी कंपकंपी की लहर उठी।

अब के रीया का हाथ ख़ुद ही लिंग की चमड़ी को आगे पीछे कर के मेरे लिंग से खेलने लगा, कभी वह शिशनमुंड पर उंगलिया फेरती, कभी लिंग की चमड़ी पीछे कर के शिशनमुंड को अपनी हथेली में भींचती, कभी मेरे अण्डकोषों को सहलाती।

ऊपर मेरे हाथों द्वारा रीया की छातियों का काम-मर्दन जारी था। धीरे-धीरे मैं अपना दायाँ हाथ रीया के पेट पर ले गया, नाईट सूट के अप्पर को पेट से ऊंचा करके मैंने रीया के पेट पर हल्के से हाथ फेरा और फिर से रीया के शरीर में वही जानी पहचानी कंपकंपी की लहर को महसूस किया, रीया का हाथ मेरे लिंग पर जोरों से कस गया।

मैं धीरे-धीरे अपना हाथ रीया के पेट पर घुमाता-घुमाता नाभि के आस पास ले गया, रीया के शरीर में रह-रह कर कंपन की लहरें उठ रही थी।

जैसे ही मेरा हाथ रीया के सूट के लोअर के नाड़े को टच हुआ, रीया ने अपने दाएँ हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया और मजबूती से मेरा हाथ ऊपर को खींचने लगी। मैंने जैसे-तैसे अपना हाथ छुड़ाया और फिर से दोबारा जैसे ही रीया के नाईट सूट के लोअर के नाड़े को छूआ, रीया की फिर वापिस वही प्रतिक्रिया हुई, उसने मजबूती से मेरा हाथ पकड़ कर वापिस ऊपर खींच लिया।

ऐसा लगता था कि रीया मुझे किसी क़ीमत पर अपना लोअर खोलने नहीं देगी। मजबूरी थी, प्यार था, लड़ाई नहीं जो ज़ोर जबरदस्ती करते, जो करना था खामोशी से और आपसी समझ बूझ से ही करना था।

मैंने रीया का हाथ उठा कर वापिस अपने लिंग पर रख दिया और अब की बार अपना हाथ चादर के अंदर पर उसके नाईट सूट के सूती लोअर बाहर से ही रीया की बाईं जांघ कर रख दिया।

उसने धीरे से पुछा आप की क्या चाहिए?

मैं बोलना तो चाहता था रिया पर पता नहीं कैसे मुँह से निकला रीमा शायद अल्लाह मिया ने कुछ प्लान कर रखा था मेरे लिए!

कहानी जारी रहेगी...

आपका आमिर खान हैदराबाद l

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