मैं, हेमा और श्वेता

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dono bahene apne apne ssecret ek doore se share karte hai
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मैं, हेमा और श्वेता

स्वीटसुधा 26

हेल्लो दोस्तों, कैसे है आप सब लोग। मैं हेमा नंदिनी एक और मज़ेदार अनुभव के साथ आपके समक्ष में।

तो आईये चलते है उस अनुभव की ओर। शशांक भैय्या की शादी निश्चय होगई थे। बड़ी माँ ने हमें 8, 10 दिन पहले आने को कही थी। हम सब बड़ी माँ के घर आए हुए है। उस समय मैं 22 साल की थी और डेढ़ साल पहले मेरी भी शादी हो चुकी थी। मेरी शादी कब और कैसे हुई है यह बाते मैं मेरे आगले एपिसोड में लिखूंगी फलहाल इस समय इस अनुभव् के साथ। मैं भी अपने पति से अनुमति लेकर आगयी थी। कैसे नहीं आती.. आखिर शशांक भय्या ही तो मेरे कुंवारीपन लिए थे। मेरी कुंवारी चूत को चोदने वाले पहले व्यक्ति है। इस अनुभव के लिए, इसी साइट पर ' मैं और शशांक भैय्या मैं' पढ़िए।

सुबह के 11 बाजे थे। शादी के काम जोर शोर से चल रहा था। उस दिन भी मेरी माँ, बड़ी माँ, और मौसी, और बाकि लोग, कुछ मारकेटिंग करने गए है। शशांक भैय्या अपने दोस्तों को कार्ड्स बाँटने गए है। शाम चार पांच बजे से पहले कोई वापस नहीं आनेवाले थे। घर में मैं और श्वेता ही रह गए थे। श्वेता शशांक भैय्या की छोटी बहन। वह मेरे से एक या डेड साल छोटी है। हम दोनों श्वेता की कमरे में बैठ कर बतिया रहे थे। हम दोनों नीचे कार्पेट पर ही बैठे थे। श्वेता मेरे सामने बैठी थी। उस समय वह उदा रंग की लेग्गिंग और सफ़ेद शर्ट पहनी थी। में साड़ी और ब्लाउज में थी।

हम इधर उधर के बातें कर रहे थे इतने मे "उफ़.. क्या गर्मी है" कहकर श्वेता ने अपने शर्ट के दो घुंडिया खोल दी। इस से उसे राहत नहीं मिली तो उसने एक और घुंडि भी खोलदी। श्वेता अपनी टाँगे घुटनों से मोड़ के बैठी थी जिस से उसके सुढैल नितम्ब और टाइट जंघे दिख रही थी। जांघो के बीच में उसका तिकोन का उभर भी साफ़ दिख रही थी। जैसे ही श्वेता ने अपनी शर्ट की घुंडियां खोली, "हाँ यहाँ तो बहुत गर्मी है" मैं कही और अपने ब्लाउज के दो हुक खोल्दिए। तीन घुंडिया खुल जाने से श्वेता के वजनी चूचियाँ जो सफ़ेद ब्रा के अंदर खैद है मुझे दिखने लगे। उसकी चूचियों का उभार और मुलायम त्वचा की ओर मैं आकर्षित हुई। मैं उसे ही एक टक देख रही थी।

"हेमा दी ऐसा क्या देख रहि हो?" श्वेता ने मुझ से पूछी।

"श्वेता इधर आना..." मैं उसे बुलाई तो वह मेरे पास आकर मेरे बगल में बैठ गयी। मैं उसके खुले गले के अंदर देख रही थी। "क्या है...?" श्वेता ने अपने आँखे उछाली।

में झट उसके शर्ट के अंदर हाथ डाली और उसकी उन्नत उरोजोको दबाने लगी....

"दी... तुम यह क्या कर रही हो? ममम.. छोड़ो..." वह मेरी जकड से छुड़ाने के लिए चट पटा रही थी।

"शशशश.." कह मैंने मेरे होंठ उसके होंठो पर रखी और उस मुलायम होंठो को चुभलाने लग गयी। मुझे तो लगा की श्वेता मुझे धकेलने वाली है..लेकिन सिर्फ एक ही मिनिट के अंदर वह अपना शरीर ढीला छोड़ दी और साथ ही साथ मेरे चुम्बन को जवाब भी देने लगी। कोई ऐसा पांच मिनिट हम एक दूसरेसे बंधे रहे। जब मैं अपने सांस निमन्त्रन में रखने रुकी तो वह बोली.." दीदी... यह क्या...?"

मैं उसे कोई जवाब नहीं दी और उसका शर्ट उतार लगी। एक आध मिनिट के लिए वह 'वुहुं। .वुहुं' कही और साइलेंट हो गई। मैंने उसके शर्ट उतार दी और ब्रा खोलदी. अब उसके कबूतरिया मेरे आँखों के सामने नग्न थे। "ओह... श्वेता कितने सुन्दर है यह तेरे मस्तियाँ... कही और एक चुचूक को मुहं में दबायी। "उम्म्म...मा. दी..दीदी.. यह क्या कर रही हो..." कही और मेरे सर को अपने स्तनों पर दबाई। में एक के बाद एक करके उसके चुचुक को पी रहिथि .... और वह 'आहे..हो..ओह.." करके तड़पने लगी।

में उसके उरोजों से मेरे मुहं उठाई और उसे देखते पूछी.. अच्छा..लग रही है ना...!"

"उम्.. बहुत अच्छा.. उफ़.. लेकिंन यह क्या दीदी तुमने मुझे नंगा किया और तुम अभी भी कपड़ों में हो.." वह शिकायत भरे स्वर में बोली।

"मुझे तेरे देखने थे तो मैंने तुम्हारे कपडे उतारे, अगर अब तु मुझे देखना चाहते तो ..." में रुक गयी। मैं ऐसा बोलने की देरी थी की श्वेताने मेरी ब्लाउज, ब्रा उखाड फेंकी साथ ही साथ मेरी साड़ी बी खींच डाली। अब मई सिर्फ पेटीकोट और अंदर पैंटी में थी तो वह अभी भी लेग्गिंग्स और पैंटी थी। हम एक दुसरे को लालच भरी निगाहों से देख रहे थे।

में फिर से उसे अपने आगोश में ली और उस के होंठों को चूमने लागी और उसके मम्मों से खेलने लगी। श्वेता भी कुछ कम नहीं थी और उसने भी मेरे अंगों के साथ खिलवाड़ कर रही थी और मेरे चुम्बनों का जवाब भी दे रही थी। कुछ ही देर में हम दोनों गरमा गए और उसने मेरी पेटीकोट खींच कर खोल दि और पैंटी अंदर के मेरे उभर को अपने हाथोंसे जकड़ी। "ओय गन्दी लड़की क्या कर रही है..?'' मैं उसकी चूची मींजते और उसके माथे को चूमती पूछी!

"देख रही हूँ की दीदी की कैसी है... दिखादो न प्लीज.." वह मेरी पैंटी नीचे करने लगी। मैंने अपने नितम्ब ऊपर उठायी उसने मेरी पैंटी मेरी जांघोंसे खींच डाली। मेरे उभरे हुए बुर देखकर "वाह दीदी.. ममम.. कितना प्यारा नगीना है ..' कही और मेरी जाँघों के बीच अपने सर डालदी। इस से पहले मैं कुछ कह पाती या कर पाती श्वेता ने मेरी बुर को अपने ओठों के बीच किया और लगी चूसने। "आह..ससस..." कह कर मैं उसके सर को दोनों जाँघों मे दबायी।

वह मेरी बुर को कोई 8, 10 मोनित तक चुबलाती रही, अपन जीभ अंदर घुसेड़कर मेजू टंग फ़क करने लगी। उसके हरकतों से मैं गर्माने लगी और मेरी चूड़ी छूट में खुजली होने लागी। कुछ देर बाद वह रुकी मैं उसे मेरे ऊपर र खींचकर उसके लेग्गिंग्स अन्त्य के साथ खींच डाली। उसके सफ़ेद, मुलायम जाँघि के बीच उसकी मुनिया उभरी हुयी थी। किसे देख कर मेरे मुहं में फिर से पानी आगयाउर में बोली..'वाह श्वेता. इतना प्यारा है तुम्हारा.. काश मैं मर्द होती.. और उसे देखनेलगी।

"ऊँ ... मर्द होती तो क्या करती दीदी...?"

"इस नगीना को जी भर कर हमच कर चोद देता...और क्या..."

"छी दीदी.... । .. तुम कितनि गन्दी ही.. अगर तुम मर्द होतोतो तुम मुझे क्या लगती हो मलूम...?"

"क्या लगती हूँ...?" मैं उसकी चूची दबाते पूछी।

".... भैय्या लगते.. और भाई, बहन को नहीं चोदते ..." वह मुझे छेढ रही थी।

"क्यों नहीं... इतनी सुन्दर बहेन है तो, उसे चोदना ही होगा..."

"ना बाबा.. में तुमसे नहीं चुदवावुंगी" वह खिल खिलाकर हंसी और मेरेसे दूर भागने लगी। उसे पकड़ने मै भी उसके पीछे भागी। पाठकों को यद् रहे की हम दोनों बिलकुल नंगे है.. और नंगे हि घर में भाग रहे है। श्वेता की नितम्बों की थिरकन और उसकी वजनी चीचियों की लचकना जान लेवा था। वैसे मेरे भी चूचियां और चूतड़ बहुत ही मादक से हिल रहे थे। श्वेता आगे भाग रही थी, और मैं उसके पीछे पीछे। .. कोई तीन चार मिनिट वह मुझे पूरे घर में भगायी और आकर अपने कमरे में पलंग के पास हांफते ठहर गयी। मैं जाकर उसे पकड़ी और उसे बेड पर पीट के बल लिटादि।

वह मुझे देख कर हंसी और अपने पैरोंको चौड़ा की। में उसके पैरोंको मेरे कंधे पर किया और उसे चोदने लगा.. यानि कि मेरी बुर को उसके बुर पर मारने लगा..जैसा एक मर्द औरत को करता है। हम दोनों की फांके एक दूसरे से रगड़ने लगे।

"उम्म्म...ममा... दीदी.. आह..है.. तुमतो बिलकुल मर्द के जैस ही चोद रही हो' वह भी अपनी कमर उछलती बोली। मर्द ऐसे ही चोदते है ... यह बात तुझे कैसे पता तुमने किसी से चोदवाई क्या...?" मैं उसके चूची टीपते पूछी।

"छी। . दीदी.. कैसी बातें करती हो.. मैंने तो एक दो ब्लू फिल्म में देखिथी।

"अच्छा तो तू अभी तक चूदी नहीं..?" मैं उसे पूछी। उसकी चूत की फांके देख कर ही मैं समझ गयी है.. की वह चुदी है... "फिर यह क्या है..?" कहते मैंने अपनी बीच वाली ऊँगली पूरे का पूरा उसकी मादक बुर में घुसेड़ दी। मेरी पूरी ऊँगली उसकी गीलीबुर में समां गया।

'ह..हह ह। .' कह वह हंसी।

फिर उसके बाद हम दोनों वैसे ही थोड़ी देर अपनी अपनी गुप्तांगों से खेक्ते रहे और निढाल होंगे। पूरा १० मिनिट हम वाइस ही पड़े रहे। फिर उठे और बाथरूम जाकर साफ किये। जब वापस उसकी कमरे की ओर बढ़ रहे हे तो वह बोली "दीदी तुम चलो..लस्सी बनके लती हूँ" वह बोली..."चलो मैं भी तुहारे साथ देती हूँ कर कर में भी रसोई में घुस गयी। फिर श्वेता ने लस्सी बनायीं और हम दोनों अपने पाने ग्लासोन्मे लस्सी लिए फिर से कमरे में आगये।

आराम से पलंग के बैक रेस्ट को पीठ ठेका देकर आजु बाजू बैठे और एक पतला सा चादर ऊपर ओढ़कर लस्सी पीने लगे।

लस्सी पीनेके बाद गिलास बाजु में रख कर मैं श्वेता के उरोजों को दबती बोली "लगता है, शशांक भय्या इनसे खूब खिलवाड़ कर रहें है..देखो कैसे उभर आए है..." कह कर मैं उसके निप्पल को पिंच किया।

वह मेरी ओर चकित होकर देखि अरु बोली.. "दीदी क्या कह रहिहो...?"

"वही जो तुमने सुनाहै..." और अब की बार और जोर से चूची दबाई.."

"ससस...haaaa ... क्या बोल रही हो... शशांक मेरे भैय्या है..."

"मलूम है.. और यह भी मालूम है की भैय्या तुम्हे कर रहें है.. खुद भैय्या ने मुझे बताया की वह तुझे..." मैं बात पूरा नहीं की।

वह कुछ पल मेरी आँखों में देखती रही और धेरेसे बोली "...तो क्या भैय्या तुम्हे भी..." वह रुक गयी।

मैं एक मादक हंसी हंसकर एक आंख दबायी और पूछि "मज़ा आ रहा हैना भैय्या भैय्या कहते करवाने में। .. भैया से करवाने में..'

वह मुस्कराते अपने सर शर्म से झुकाते हिलाई।

"चल तेरी चुदाई की कहानी शुरू कर... कैसे और कब..."

"नहिं दीदी तुम बड़ी हो..पहले तुम..." वह मुझे चूमि. और फिर मैंने अपना किस्सा भैय्या से मेरी कैसे हुयी बताई और उस से पूछी! वह अपना चुदाई के बारे में जो बताई वह किस्सा में आपको अपने अगले एपिसोड में लिखूंगी। तब तक के लिए अलविदा.. शब्बा खैर.. इस अनुभव को एन्जॉय कीजिये और आपका कमेंट दीजिये।

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