लूसी मेरी प्यारी पहली कुंवारी 12

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लूसी दुल्हन बन मेरे कमरे में आयी.
5.1k words
4.67
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Part 10 of the 17 part series

Updated 06/10/2023
Created 12/06/2020
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परिचय:

मैं आमिर, मैंने अपनी बीवियों और सालियों को लूसी के साथ अपनी पहली चुदाई की कहानी सुनाई l ये कहानी उसी कहानी का अभिन्न अंग है l

यह मेरी पहले सेक्स की कहानी है जो मैंने अपनी पत्नी और सालियो को मेरे पूर्व यौन जीवन के बारे में जानने की इच्छा करने पर सुनाई थी।

लूसी मेरी प्यारी पहली कुंवारी 01-03 में आपने पढ़ा मैं आपने पढ़ा मैं कैसे और कहाँ लूसी से मिला मैंने जेन के प्रति अपने प्यार का इज़हार किया जिसे उन्होंने स्वीकार किया और हमने एक गहरा चुम्बन कियाl मैंने जेन को लूसी के साथ मेरे घर में रहने आने के लिए निमंत्रित कियाl फिर जैसा मेरे अम्मी अब्बी चाहते थे सुश्री जेन मुझे प्रशिक्षण दे और मेरे व्यक्तित्व को विकसित कर देl उसके बाद सुश्री जेन, लूसी और डायना मेरे घर आ गयीl मैं और लूसी घूमने निकले और वहाँ मैंने लूसी को पहली बार किश कियाl

फिर वापसी पर जेन के कमरे के आगे से गुजरते हुए मैंने जेन को कपडे बढ़ते हुए देखा और हम दोनों नग्न हो चुंबन, करने लगे तभी लूसी ने आकर हमे चाय के लिए आवाज़ दीl मैंने जेन से मिल कर चुदाई का कार्यक्रम तय कियाl सबसे पहली लुसी था फिर जेन और आख़िर में डायना के कौमर्य भांग करने का क्रम बनाया गया। उसके बाद मैंने कहा जेन मैं चाहता हूँ ये दोनों लड़किया मेरे प्रति सदा उसी तरह से समर्पित रहे जैसे वह आपको समर्पित है तो श्री जेन ने उसमे मदद करने का आश्वासन दिया l

जेन ने एक छोटा से नाटक खेला लूसी और डायना के साथ और उन्हें मेरे प्रति समर्प्रित रहने के लिए प्रेरित कर दिया तो दोनों लड़कियों ने सदा मेरे आज्ञाकारी रहने का वादा कर दिया। फिर मैंने लूसी के साथ उत्तेजक चुंबन और आलिंगन किया। जेन ने हम तीनो को बताया सेक्स क्या है? कैसे होता है l

उसके बाद सब अपने कमरे में चले गए तो मैं सुश्री जाने के कमरे में गया और उसने मेरा लंड का माप लिया और मैंने चुदाई का पहला सबक किस करना सीखा और उसके स्तनो से खेला

(लूसी मेरी प्यारी पहली कुंवारी भाग 1-11) l

अब आगे

सुबह जब वह अपने कमरे से बाहर निकली और इंद्रधनुष के सातरंगो के अप्रत्याशित नज़ारे ने उसका स्वागत किया। उसके कमरे के बाहर लॉबी के फ़र्श पर रंगबिरंगे फूल बिछे हुए थे और वह गलियारे में इस तरह के पुष्प प्रदर्शन पर आश्चर्यचकित हो रंग बिरंगे फूलो के बीच में चली गयी।

'लुसी रुको तुम जहाँ हो वही रुको!' मैंने उसे पुकारा, तो वह अपने आस पास देखने लगीl

' फर्श पर बिखरे इन फूलो को देख कर बोली बैंगनी गहरा नीला हरा पीले लाल गुलाबी, संत्री और सफ़ेद वह रंगो को पहचान कर बोल रही थी। ओह ये फूल कितने सुन्दर हैl

मेरे पैरों के नीचे कुचल गए फूलों की परवाह किए बिना मैं पहले से ही उसकी ओर बढ़ रहा था और इस सुन्दर दृश्य की सुंदरता से स्पष्ट रूप से अछूता था। मैंने आगे हो कर उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया, तुम अपने पैरों में क्या पहन रही हो? ' मैंने पुछा।

'मैं अपने सैंडल की तलाश कर रही हूँ!' वह बोली और मैं बोला लेकिन आप तो फूलों पर खड़ी हो। '

'ओह।' लुसी ने सिर हिलाया, जब उसने अपने पैरो की तरफ़ देखा। 'मुझे नहीं पता था lll लेकिन फूल बहुत सुंदर हैं।'

'यह आपका दिन है और मुझे इसे फूलों से शुरू करने से बेहतर कोई और तरीक़ा नहीं समझ आया।' आपको बहुत-बहुत बधाई इस दिन कीl

वो बोली मेरा नहीं ये हमारा दिन है और आपको भी बधाई आमिर आज आपकी प्रेमिका सदा के लिए आपकी होने वाली हैl

उसने वहाँ शर्माते हुए और साथ ही बहुत भावुक हो कर सीधे-सीधे बोली, आमिर सच में आप मुझे इतना प्यार करते हो। मैंने ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोचा था मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ और मुझ से लिपट गयी मैंने उसे धीरे से किस कियाl मैंने उसे अपने दोनों हाथो में उठा लिया मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था और दूसरा उसकी टांगो परl

मैं उसे अपने कमरे में ले गया, उसके खूबसूरत लंबे बाल उसकी कमर तक गिर रहे थे और सूरज की रोशनी में बेहद पॉलिश की हुई प्लैटिनम जैसी चमक रहे थे और उसकी बड़ी-बड़ी आँखें पलकें झपक रही थीं। जैसे ही मैंने उसे उठाया, सदमे और प्यार से भरा मैं यही सोच रहा था कि फूलों के उस समुद्र में उसकी उस दिन की पहली झलक मैं कभी नहीं भूलूंगा। मैं सुंदर फूलों पर थोड़ी-सी सावधानी के साथ धीरे-धीरे चला। वह संवेदनशील थीl यह मेरा कर्तव्य था कि मैं उसकी देखभाल करूँ, उसकी देख-रेख करूँ, वह अब मेरी सुरक्षा में थी। इस तरह की ज़िम्मेदारी की भार मेरे कंधों पर एक पड़ गया था मुझ पर इससे पहले कोई ख़ास जिम्मेदारी कभी नहीं रही थी।

मैंने ख़ुद को बताया मैं लूसी ले लिए ज़िम्मेदार होना चाहता था। मैं चाहता था ये पल उसे हमेशा याद रहे क्योंकि वह मेरा पहला प्रेमीका थी और मैं सोच रहा था लूसी जैसी कोई नहीं होगी, क्योंकि वह फूलों के बीच मनमोहक लग रही थी। मैं सोच रहा था वह कितनी मासूम और प्यारी है। मैंने निश्चय किया कि मैं आज का दिन उसके लिए विशेष बनाना चाहता हूँ।

दिन के दौरान कागजात तैयार किये गये और मेरे, सुश्री जेन, लूसी और डायना द्वारा उन पर विधिवत हस्ताक्षर किए गएl जहाँ तीनो ने ख़ुद को मेरे सामने आत्मसमर्पण करने के लिए सहमति व्यक्त की और अपने पूरे जीवन के लिए मेरे साथ बनी रहने का वादा किया और बदले उन तीनो देखभाल करने का वादा किया गया।

सुहागरात स्त्री-पुरुष के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है। यह वह रात है जब कोई अपने दांपत्य जीवन की सुन्दर इमारत खड़ी कर सकता है

सेक्स से सम्बन्धित किताबों को कोई भी पुरुष या स्त्री पढ़़ते हैं तो उनका भी शरीर गुदगुदाने लगता है। किताब पढ़़ने के बाद ख्याल आता है कि सुहागरात क्या होता है? इस दिन क्या करना चाहिए? कैसे करना चाहिए? सुहागरात के बारे में सोचते ही शरीर में कामवासना की उत्तेजना भी बढ़ने लगती है। इस प्रकार की किताबें पढ़़कर या फिल्मे देखकर स्त्री-पुरुष के मन में सुहागरात के रंगीन सपने आने लगते हैं। और लड़किया ख़ास तौर पर सुहागरात के रंगीन सपनो वाली रात के सपने बुनने लगती है और इस रात का इंतज़ार करती हैं उनके सपनो का राज कुमार उन्हें ले जाएगा और उन प्यार करेगा ।

विवाह के बाद जब दुल्हन को अपने घर लाते हैं तो वह उस समय अपने घर परिवार को छोड़कर आती है और आम तौर पर पति के घर पर उसके लिए सभी व्यक्ति अपरिचित होते हैं, यहाँ तक के खुद पति-पत्नी भी अधिकतर अपरिचित होते हैं।

हालाँकि आजकल भारत में भी लव मैरिज का चलन बढ़ गया है और आज कल लड़का लड़की शादी से पहले थोड़ा बहुत एक दुसरे को मिल कर घूम फिर लेते है रोमांस भी कर लेते है फिर भी ज्यादातर एक दुसरे के लिए अपरिचित ही होते हैं. दुल्हन पति को अपना समझती है क्योंकि उसके साथ उसका निकाह हुआ है। जब उन्हें पहली बार एक दूसरे के करीब आने का मौका मिलता है तो वे एक-दूसरे को न केवल समझ परख लेते हैं बल्कि एक-दूसरे के प्रति मन से समर्पित भी हो जाते हैं।

हमारे देश में दुल्हा-दुल्हन की पहली रात के मिलन को अधिकतर एकांत में करवाया जाता है, इसको ही सुहागरात कहते हैं।

पति-पत्नी की यह पहली रात उनके दाम्पत्य और विवाहिक जीवन के भविष्य का निर्माण करता है। सुहागरात में पति-पत्नी का यह पहला मिलन शारीरिक ही न होकर मानसिक और आत्मिक भी होता है। इस अवसर पर दो अनजान व्यक्तियों के शरीरों का ही नहीं बल्कि आत्माओं भी मिलन होता है। जो दो आत्माएँ अब तक अलग थीं, इस रात को पहली बार एक हो जाती हैं।

सुहागरात में पुरुष को चाहिए कि वह इस बात गुरुमंत्र की तरह याद रखें कि शादी की रात कभी भी महत्वहीन नहीं होती, छोटी से छोटी बात सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित कर सकती है। शादी की रात को पुरुष किस प्रकार व्यवहार करे, यह अधिकार उसी के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि प्रत्येक के लिए इस अवसर की परिस्थितियाँअलग अलग होती हैं।

विवाह के दिन नजदीक आते ही कुछ युवा स्त्री-पुरुष परेशान होने लगते हैं। बहुत से पुरुष तो अपने मन में यह सोचते हैं कि सुहागरात को मैं अपनी पत्नी को संतुष्ट कर पाऊँगा या नहीं? मैं अपनी पत्नी को अच्छा लगूंगा या नहीं? क्या वह मुझे पूरी तरह से अपना पायेगी या नहीं? वे यह भी सोचकर परेशान होते हैं कि यदि मैं सुहागरात को अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाया तो उसे जिंदगी भर पत्नी के ताने सुनने पड़ सकते हैं। यदि इस रात को मेरे लिंग में उत्थान नहीं आया या मैं जल्दी ही स्खलित हो गया तो पत्नी से सिर उठाकर बात नहीं कर पाऊँगा।

वह यह भी सोच-सोचकर भयभीत रहता है कि यदि पत्नी इस कारण से मुझे छोड़कर चली गई तो मैं घर वालों तथा समाज के सामने क्या मुँह दिखाऊँगा। इस प्रकार के लक्षण सिर्फ अनपढ़़ों में ही नहीं, पढ़़े-लिखे पुरुषों में भी दिखाई देते हैं। इस रात को लेकर केवल पुरुष ही नहीं परेशान रहते बल्कि स्त्री भी इससे भयभीत रहती है।

सुहागरात से पहले पुरुषों के मन में भी कई प्रकार की बातें चलती रहती हैं लेकिन उसके मन में स्त्री की अपेक्षा कुछ कम संकोच तथा भावनाएँ होती हैं क्योंकि उसके लिए सभी परिवार वाले जाने पहचाने होते हैं जबकि स्त्री सभी से अनजान होती है।

बहुत से पुरुष तो यह भी सोचते हैं कि हमारे द्वारा की गई सेक्स क्रिया से हमें शारीरिक संतुष्टि तो हो जाती है, इसलिए स्त्री को भी अवश्य ही संतुष्टि मिल जाती होगी। मैं आपको यह बताना चाहटी हूँ कि इस प्रकार के विचार बिल्कुल गलत होते हैं, क्योंकि बहुत से पुरुष सेक्स के मामले में अज्ञानी होते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि वे इस रात को अपनी पत्नी को सम्भोग करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं कर पाते हैं। जब स्त्री में स्वयं को आनन्द देने वाला उन्माद नहीं उत्पन्न होता तब तक वह सेक्स के लिए तैयार नहीं हो सकती। उसमें सेक्स उत्तेजना जगाने के लिए पुरुष फॉर प्ले की क्रिया उसके साथ कर सकता है।

बहुत से पुरुष तो यह सोचते हैं कि यदि स्त्री सेक्स की दृष्टि से ठंडी तथा स्वभाव से ही उत्साहहीन है अथवा उसमें पुरुष के प्रति प्रेम का अभाव है तो वह उसमें उत्तेजना उत्पन्न नहीं हो सकती है। कुछ मूर्ख पति तो यह भी कल्पना कर लेते हैं कि विवाह से पहले इसका किसी के साथ सम्बन्ध बन चुका है तभी यह मुझसे सम्भोग क्रिया ठीक से नहीं कर पा रही है। ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि जब आप ही उन्हें ठीक प्रकार से सेक्स करने के लिए तैयार नहीं कर पा रहे हैं तो उसमें उनका क्या दोष।

बहुत से पुरुष अपनी सेक्स अज्ञानता के कारण से सुहागरात में जब वह बलपूर्वक वैवाहिक अधिकार प्राप्त करना चाहता है तो स्त्री उसके इस व्यवहार से मन ही मन दुःखी हो जाती है, बल्कि सम्भोग करते हुए भी सम्भोग का वास्तविक आनन्द नहीं उठा पाती।

सम्भोग क्रिया में स्त्री की दशा, सोच तथा भावना

लोग प्रत्यक्ष रूप से कहें या न कहें लेकिन यह सत्य है कि कम से कम 50 प्रतिशत लड़कियों को शादी से पहले ही सेक्स क्रिया के बारे में पता नहीं रहता है। लेकिन हम आपको यह बताना चाहते हैं कि माना कुछ लड़कियों को सेक्स क्रिया के बारे में अपने सहेलियों से, किताबों से, फिल्मों से तथा कई प्रकार के संचार माध्यमों से इसके बारे में पता अवश्य लग जाता है। लेकिन इसके बारे में उसे पूर्ण रूप से तभी जानकारी मिल पाती है जब वह खुद सेक्स करके देखती है। जब विवाह हो जाने के बाद स्त्री के साथ पति सम्भोग क्रिया करने की कोशिश करता है तभी स्त्री इसके बारे में ठीक प्रकार से जान पाती है कि यह क्या चीज होती है।

जब पति अपनी पत्नी से छेड़छाड़ करता है तो उसे अस्वाभाविक प्रतीत होता है क्योंकि चाहे उसकी कामवासना तेज भी हो जाए तभी वह इस रात को अपनी उत्तेजना को रोकने की पूरी कोशिश करती है, वह सोचती है कि मैं जिसे अब तक सुरक्षित रख पाई हूँ उसे मैं पहली रात ही किसी को कैसे सौंप सकती हूँ। इसलिए वह अपने पति को दो-चार बार मना करती है लेकिन जब पति पूरी कोशिश करता है तो वह उत्तेजित इसलिए हो जाती है कि यह भूख ही ऐसी है जो कुछ देर तो बर्दाश्त किया जा सकता है लेकिन ज्यादा देर तक नहीं।

मैं तो आपको यही बताना चाहूंगा कि सेक्स क्रिया का मजा तो तभी आता है, जब आग दोनों तरफ से लगी हो। यदि स्त्री सेक्स के लिए तैयार न हो तो उसके शरीर के अंदर सेक्स की उत्तेजना भरने की पूरी कोशिश करो और जब वह उत्तेजित हो जाए तभी उसके साथ सेक्स सम्बन्ध बनाएँ। जब आप उसे पूरी तरह से सेक्स के लिए तैयार कर लेंगे तो वह खुद ही अपने जिस्म को आपके हवाले कर देगी कि जो करना है मेरे साथ कर लो, मैं तो आपके लिए ही बनी हूँ।

जब पहली बार सेक्स क्रिया के दौरान पुरुष स्त्री की योनि में अपने लिंग को प्रवेश करता है तो उसे कुछ दर्द होता है लेकिन यह दर्द कुछ देर बाद उसी तरह से गायब हो जाता है जिस तरह से फूल को प्राप्त कर लेने पर कांटे का दर्द दूर हो जाता है। इसके बाद वह प्यार के साथ सहवास का सुख प्राप्त करने लगती है।

वैसे देखा जाए तो सुहागरात के दिन स्त्री के मन में भावनाओं का काफी ज्वर उठाता रहता है। वह अपने मन में होश संभालने से लेकर कोमल मृदुल भावनाओं को संजोती रहती है।

सुहागरात में सभी स्त्रियों में लज्जा की भावाना अधिक होती है। जिस कारण सेक्स क्रिया की बात तो दूर की बात है, आलिंगन, चुम्बन तथा स्तन आदि के स्पर्श में भी वह बाधक बनकर खड़ी हो जाती है।

उदाहारण के लिए कुछ स्त्रियाँ तो ऐसी होती हैं कि पति को प्रसन्नता से चुम्बन देती हैं तथा चुम्बन लेती हैं और खुशी से राजी-राजी पुरुष को अपने शरीर का स्पर्श ही नहीं करने देती बल्कि सारे शरीर को टटोलने की अनुमति भी दे देती हैं। कुछ स्त्रियाँ तो यह सोचकर अधिक भयभीत रहती हैं कि उसे अपने पति के सामने बिल्कुल नंगी होना पड़ेगा। स्त्री को कभी ऐसा नहीं करना चाहिए कि शुरू में ही अपने पति के सामने नंगी हो जाए क्योंकि ऐसा करने से पति के सामने ऐसी स्थिति हो जाएगी कि वह समझेगा कि यह तो बेशर्म औरत है।

कुछ स्त्रियाँ इस बात को भी पसन्द नहीं करती हैं कि पति उसके सामने एकदम से नंगा हो जाए। यदि किसी पुरुष के मन में यह चल रहा हो कि मैं एकदम से नंगा होकर पत्नी के योनि में लिंग डालकर घर्षण करूं तो ऐसा न करें क्योंकि ऐसा करने से हो सकता है कि आपके पत्नी को यह सब बुरा लगे। वह ऐसा इसलिए कर सकती है क्योंकि स्त्री कभी भी एकाएक उत्तेजित नहीं होती, उसे उत्तेजित करना पड़ता है।

बहुत से तो ऐसे भी पुरुष देखे गए हैं जिनको शादी करने से पहले यह भय लगा रहता है कि मैं विधिपूर्वक शारीरिक सम्बन्ध स्थापित कर पाऊँगा या नहीं? देखा जाए तो यह होना स्वाभावविक ही है क्योंकि बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सम्भोग से अद्वितीय और पूर्ण आनन्द प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए।

सुखमय वैवाहिक जीवन धन से, यौनांग की पुष्टता से या स्वास्थ्य से कभी भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यह वह अनमोल आनन्द होता है, जो केवल ज्ञान से ही प्राप्त किया जा सकता है।

भारत में बहुत जगह पर रात में ही विवाह कराया जाता है जिसके कारण से पति-पत्नी दोनों ही पहली रात को बहुत ज्यादा थक जाते हैं। इसके साथ ही वधू को अपने मां-बाप तथा परिवार वालों से बिछुड़ने का दुःख भी होता है। पति के घर पर उसे सभी लोग अन्जान लगते हैं क्योंकि वह अपना घर छोड़कर एक अजनबी परिवार में आई होती है। इस प्रकार के मानसिक विचारों से केवल ससुराल वाले ही मुक्ति दिला सकते हैं।

इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि मेहमानों की भीड़-भाड़ के कारण अन्य कार्यक्रम चाहे सारी रात चलते रहे, लेकिन परिवार वालों को यह ख्याल रखना चाहिए कि वर-वधू को अधिक से अधिक दस से ग्यारह बजे रात तक एकांत कमरे में भेज देना चाहिए।

परिवार वाले को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस कमरे में वर-वधू की सुहागरात हो, उस कमरे का चुनाव ठीक से करना चाहिए तथा उस कमरे को ठीक प्रकार से साफ-सुथरा रखना चाहिए। उनके कमरे को अधिकतर फूलों तथा रोमांटिक चित्रों से सजाना चाहिए।

सुहागरात के कमरे में अधिक सामान नहीं होना चाहिए। पलंग पर मुलायम बिस्तर बिछा होना चाहिए। उनके बिस्तर का चादर साफ सुथरी, बिना सिलवटों की बिछी हो, कम से कम दो तकिये हों तथा बिस्तर पर ताजे फूल बिखेर देना चाहिए। पलंग के पास ही छोटी टेबल पर ट्रे में मिठाई, इलायची तथा मेवा आदि सजाकर रख दें। इसके अतिरिक्त पानी और गिलास की व्यवस्था भी कर दें। कमरे में तेज रोशनी के साथ ही साथ हल्की रोशनी का प्रबंध करना चाहिए। वर तथा वधू के सभी प्रकार की जरूरत के समान तथा कपड़े उसी कमरे में रख देने चाहिए। यदि विवाह गर्मी के दिनों में हो तो कमरे में हवा तथा रोशनदान की व्यवस्था कर देनी चाहिए।

दुल्हन की सजावट

सुहागरात के कमरे की सजावट के अतिरिक्त दुल्हन तथा दूल्हे का भी इस दिन विशेष श्रृंगार करना चाहिए ताकि उनके मिलन में यौन सम्बन्ध ठीक प्रकार से हो। कभी-कभी तो बहुत से वर-वधू स्वयं की सजावट या तैयारी करने में लज्जा अनुभव करते हैं। हालांकि बाद में यह सम्बन्ध कार्य पति-पत्नी अपने आप करते हैं लेकिन पहली मिलन के रात को इन दोनों को एक तरह से जबर्दस्ती सुहागकक्ष में धकेलना पड़ता है।

इस दिन दिन दुल्हन की ननदों तथा जेठानियों को प्रथम मिलन के लिए सुहागकक्ष में पहुँचाने से पूर्व दुल्हन को स्नान कराएँ। श्रृंगार के बाद वधू को अवसर दें कि वह मेकअप में अपने विचारों के अनुसार थोड़ा बहुत संशोधन कर सके और अपनी सुन्दरता में चार चांद लगाएँ।

वधू को अपने वस्त्र खुद चुनने का मौका दें। आमतौर पर नववधुएँ शादी का जोड़ा पहनना ही अधिक पसन्द करती हैं तथा आवश्यक समझती हैं। उसे अपने मनपसन्द आभूषणों का प्रयोग भी करना चाहिए।

इस दिन पत्नी को चाहिए कि पति का आकर्षण प्राप्त करने के लिए कृत्रिम सुगंध का प्रयोग करें। सौन्दर्य प्रसाधनों के आभूषणों के बाद जो सबसे कीमती वस्तु होती है, वह इत्र है। रुई के छोटे से फोहे को इत्र में जरा सा भिगोकर शरीर के उन अंगों पर अवश्य लगा देना चाहिए, जैसे- जहाँ पति होठों से स्पर्श करता है, दोनों स्तनों का मध्यस्थल, ठोडी, नाभि, हथेलियों के आगे के भाग, गला, गाल, नाक के ऊपर का भाग, कमर तथा योनि के बाहरी भगोष्ठों तथा उसके आस-पास का भाग आदि।

दुल्हन को अपना श्रृंगार करते समय एक बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए। वह यह है कि अपने भगोष्ठों और उसके आस-पास के बाल तथा बगल के बालों को साफ कर देना चाहिए ताकि पति को कोई भी परेशानी न हो। वैसे तो लड़कियों को चाहिए कि यह काम शादी के एक दो दिन पहले ही मायके में कर लें।

जब वधू का श्रृंगार हो जाए तो उसका सारा सामान सुहागरात के कमरे में रख देना चाहिए और इसके बाद दुल्हन की ननद और जेठानी को नई दुल्हन से मजाक करते हुए उसे सुहागरात के कमरे में ले जाना चाहिए तथा उसे सुहाग की सेज पर बैठा दें और खुद भी तब तक वहाँ पर रुककर बातें करते रहें जब तक वर उस कमरे में न आ जाए।

वर का श्रृंगार

विवाह में दुल्हन का श्रृंगार जिस तरह से महत्वपूर्ण होता है ठीक उसी प्रकार से दूल्हे का भी श्रृंगार करना जरूरी होता है। दूल्हे को सजाने का यह कार्य अधिकतर दूल्हे का जीजा या दोस्त आदि करते हैं। वर को स्नान करके तथा भोजन कराने के बाद ही उसे सजाना चाहिए।

दूल्हे को सजाने से पहले उसके चेहरे को साफ सुथरा बनाने वाला क्रीम पाउडर आदि का प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद बालों को अच्छे तरीके से संवारना चाहिए। दूल्हे को सजाने से पहले उसके दाढ़ी को साफ करना चाहिए। यदि दुल्हा मूँछ न रखना चाहता हो तो उसके मूँछ साफ कर देना चाहिए।

वर को सुहागरात के सेज पर ले जाने से पहले अच्छा सा कुर्ता या नाईट सूट पहन लेना चाहिए क्योंकि वधू की तरह शादी का जोड़ा इस समय आवश्यक नहीं होता, दूल्हे को सुहागरात के कमरे में ले जाते समय उसमें आत्मविश्वास जगाने वाली बातें करनी चाहिए जैसे कि वह बहुत सुन्दर और आकर्षक युवक लग रहा है।

दूल्हे के शरीर के भी कई भागों पर सुगंधित इत्र लगा देना चाहिए ताकि नई वधू उसके शरीर की महक से मंत्र-मुग्ध हो जाए। हो सके तो दूल्हे को माउथ फ्रेशनर का उपयोग कर लेना चाहिए। दूल्हे को सुहाग के कमरे में पहुँचाने की जिम्मेदारी भाभियों की होती है।

बहुत से दूल्हे को तो यह भी देखा गया है कि वह लज्जा के कारण से पहली मिलन के लिए आसानी से तैयार नहीं होता लेकिन उसके मन में दुल्हन से मिलने के लिए उत्सुक रहती है। कभी-कभी तो दूल्हे को अपने दोस्तों से बचकर भी सुहाग कमरे में जाते हुए देखा गया है।

इस समय में दुल्हन के साथ बैठी हुई स्त्रियों को जल्द ही कमरे से निकल जाना चाहिए क्योंकि दूल्हे को कमरे में प्रवेश करने के बाद भाभियों को दरवाजा बन्द करके बाहर से कुंडी लगा देनी चाहिए। ध्यान रहे कि कुंडी को कुछ देर बाद खोल देना चाहिए।

सुहागरात में पति-पत्नी की प्रतिक्रिया

आप स्त्री हो या पुरुष सुहागरात की पहली मुलाकात के समय एकांत कमरे में एक-दूसरे के सामने प्रस्तुत होते समय परेशानी होती है। इस समय में दुल्हा-दुल्हन को क्या करना होता है, इसके लिए उन्हें इसके बारे में अच्छी तरह से जानकारी ले लेना चाहिए ताकि अपने को एक-दूसरे के सामने प्रस्तुत होने पर परेशानी न हो।

जब सुहागरात के दिन दुल्हन कमरे में बैठी होती है उस समय जब दूल्हे को कमरे में भेजकर भाभियाँ बाहर से कुंडी लगा देती हैं तो दूल्हे को चाहिए कि कुंडी खुलवाने के लिए थोड़ा सा निवेदन करने के बाद स्वयं अंदर से दरवाजे का कुंडी अंदर से लगा दें।

अब दूल्हे को चाहिए कि वह अपने सुहागसेज की तरफ आगे बढ़े। इसके बाद दुल्हन का कर्तव्य बनता है कि वह अपने पति का अभिवादन करने के लिए सेज से उतरने की कोशिश करे। इसके बाद दूल्हे को चाहिए कि वह अपनी पत्नी को बैठे रहने के लिए सहमति दें तथा इसके साथ ही थोड़े से फासले पर बैठ जाए।

इस समय में दुल्हन को चाहिए कि वह अपने मुखड़े को छिपाये लज्जा की प्रतिमूर्ति के सामान बैठी रहे क्योंकि लज्जा ही तो स्त्री की मान मर्यादा होती है। इस समय में दुल्हन के अंदर यह गुण होने आवश्यक है, जैसे- अदा, नखरे, भाव खाना तथा शर्मोहया आदि। हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि स्त्री के नाज तथा नखरे पर पुरुष दीवाना हो जाता है।

लेकिन स्त्रियों को इस समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पुरुष नखरों से निराश होकर उदास हो, उससे पूर्व ही समर्थन और सहमति स्वीकार कर लेना चाहिए अन्यथा नाज नखरों का आनन्द दुःख में बदल जाएगा। जब कोई स्त्री स्थायी रूप से नाज तथा नखरे करती है तो उसका पति उससे सेक्स करने के लिए कुछ हद तक विमुख हो जाता है।

अब दूल्हे को चाहिए कि वह दुल्हन का घूंघट धीरे-धीरे उठाए तथा मुँह दिखाई की रस्म को पूरा करते हुए कोई उपहार जैसे अंगूठी, चेन, हार आदि दुल्हन को देना चाहिए। इसके बाद पति को चाहिए कि वह पत्नी के साथ कुछ मीठी-मीठी बातें करते हुए परिचय बढ़ाए।

इसके बाद पति को चाहिए कि वह मेज पर पड़ी हुई जलपान सामग्री पलंग के पास ले आये। वैसे देखा जाए दाम्पत्य जीवन में खाना बनाना, खिलाना या परोसने का कर्तव्य पत्नी का बनता है लेकिन पहली रात के समय में पति को ही यह कर्तव्य करना चाहिए क्योंकि उस समय पत्नी बिल्कुल अनजान रहती है। इसलिए पति ही मिष्ठान आदि परोसता है।

पति को एक बात का ध्यान रखना चहिए कि पत्नी को मिष्ठान आदि का भोग कराते समय पत्नी को अपना परिचय दें तथा बढ़ाने की चेष्ठा बराबर करते रहनी चाहिए। पति को अपने परिवार के सदस्यों, रस्मों तथा रिवाजों को बताना चाहिए।

इसके बाद पति को चाहिए कि यदि अपना परिचय दुल्हन देने लगे तो उसकी बात को ध्यान से सुने या वह ऐसा न करें तो खुद ही उसे पूछना शुरू करना चाहिए और यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यदि वह अपने बारे में कुछ न बताना चाहे तो उसे मजबूर न करें और प्यार से बातें करें। इस समय में पत्नी का कर्तव्य यह बनता है कि वह लज्जा अनुभव न करके बराबर हिस्सा ले।

इस समय में पति को चाहिए कि पहली रात में अपनी पत्नी के हाथों को स्पर्श करे, इसके बाद उसके रूप की प्रशंसा करे, उसे अपने हंसमुख चेहरे तथा बातों से हंसाने की कोशिश करे। इसके बाद धीरे-धीरे जब पत्नी की शर्म कम होती जाये तो उसे आलिंगन तथा चुम्बन करे। यदि स्त्री प्रकाश के कारण संकोच कर रही है तो प्रकाश बन्द कर दे या बहुत हल्का प्रकाश कर दे।

वैसे देखा जाए तो विवाह के बाद पुरुष की लालसा रहती है कि जल्दी ही अपने जीवन साथी से मिलने का अवसर मिल जाए तो सेक्स क्रिया का आनन्द उठाये, यह उतावलापन तथा कल्पना हर पुरुष के मन में होता है।

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