एक नौजवान के कारनामे 010

Story Info
एक कप कॉफी
1.1k words
4.86
259
0

Part 10 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी-मेरी पड़ोसन

PART-5

मेरी दस्तक सुनकर मानवी भाभी ने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा कर मेरा स्वागत किया। मैं अंदर गया और सोफे पर जाकर बैठ गया। मैंने देखा कि मानवी सूती पारदर्शी साड़ी में पहने हुई थी और साड़ी के नीचे कुछ नहीं पहना था। उसने न तो कोई ब्रा / ब्लाउज पहना था और न ही पैंटी पहनी थी। उसके बड़े उभरे हुए स्तन साड़ी के पल्लू के नीचे दिख रहे थे जब वह चल रही थी, तो उसके बड़े स्तन और साथ ही बहुत चौड़े नितंबों की रूपरेखा और आकार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे। उसके कपडे देख कर मैंने अनुमान लगाया कि वह शायद स्नान करने के लिए बाथरूम जा रही थी।

"मनवी भाभी, अगर आप आपको तकलीफ न हो, तो क्या आप मुझे एक कप कॉफी दे सकती हैं?" मैंने अनुरोध किया।

"काका, इसमें तकलीफ की क्या बात है मुझे तो इसमें ख़ुशी होगी, अभी लीजिये। एक मिनट, मैं आपके लिए कॉफी तैयार कर देती हूँ, वास्तव में, मैं अभी स्नान करने के लिए बाथरूम जा रही थी।" मानवी ने एक मीठी आवाज़ में जवाब दिया।

जब वह रसोई में गई, मैं उसके मटकते हुए बड़े-बड़े नितम्बो और गांड को देखता रह गया उसकी साड़ी का एक हिस्सा उसकी गांड की दरार में कसकर चिपके हुए था और उसकी बड़ी गांड मुझे प्रमुख रूप से दिखाई दे रही थी जिससे तुरंत मेरा लंड खड़ा हो गया।

मुझे कॉफी परोसने के बाद, मनवी ने कहा, "काका, आप कॉफी पीजिये और मुझे स्नान के लिए केवल 10 मिनट लगेंगे और इस बीच, आप अख़बार पर नज़र डाल सकते हैं। मैं बस अभी आयी।" और फिर मनवी सेक्सी तरीके से छति हुई बाथरूम की तरफ़ चल पड़ी।

अपनी कॉफी ख़त्म करने के बाद, मैं अख़बार में तल्लीन हो गया, फिर मैंने बाथरूम के दरवाजे की चरमराहट की आवाज़ सुनी और मैंने देखा कि मानवी गीले बालों में गीली साड़ी में लिपटी एक मोटे तौलिये में अपने स्तन के हिस्से को ढँक कर बाथरूम से बाहर आ रही है। उसके गीले सिर से पंजों तक पानी की धार बह रही थी। बड़ा सेक्सी नज़ारा था पर मैंने अपनी नज़र हटा ली वरना मानवी भाभी को बुरा लगता।

तभी उसके गीले सिर से फ़र्श पर गिरते हुए पानी के कारण, मानवी का पैर फिसल गया और वह एक झटके के साथ ज़मीन पर गिर गई और शरीर पास में रखे पानी के टब से टकराया, जिससे टब उल्ट गया और पानी फ़र्श पर फैल गया और मैंने मानवी भाभी की चीख, ठप्प करके गिरने की आवाज़ और पानी का टब गिरने की जोरदार आवाज़ सुनी।

मैं अपनी जगह से उठा, उछला और घटनास्थल की ओर बढ़ा और पाया कि मानवी भाभी फ़र्श पर चित गिरी हुई थी। वह बेहोश हो गयी थी लेकिन सामान्य रूप से सांस ले रही थी। तुरंत, मैंने उसकी गीली साड़ी को उसके शरीर से हटा दिया और उसे नंगा कर उसे ध्यान से अपनी ओर घुमाया, अपने दोनों हाथों को उसके कांख के नीचे रखकर और दूसरा उसके जांघो के नीचे रखकर उसे एक बच्ची की तरह अपनी गोदी में उठा लिया और उसे उसके बेडरूम में ले गया।

मैंने उसे ध्यान से बिस्तर पर लिटाया और उसके नग्न शरीर को चादर से ढँक दिया। कुछ क्षणों के बाद, एक गिलास से पानी लेकर मैंने उसके चेहरे पर कुछ पानी छिड़का। कुछ सेकंड के बाद, मानवी भाभी ने अपनी चेतना वापस पा ली और धीरे से अपनी आँखें खोलीं।

मैं बिस्तर पर उसके सिर के पास बैठा हुआ था और उसके माथे पर ज़ोर से मालिश कर रहा था। उसने मेरी ओर देखा और पूछा, "मैं कहाँ हूँ? मेरे साथ क्या हुआ?"

"आप फिसल गयी थी और गीले फ़र्श पर गिर गयी थी फिर आप कुछ पल के लिए बेहोश हो गयी थी। ये तो अच्छा हुआ मैं वही था नहीं तो पता नहीं आप कितनी देर वहाँ ऐसे ही पड़ी रहती। फिर मैं आपको यहाँ आपके बेडरूम में ले आया। आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, अब आप ठीक हैं," मैंने सहानुभूति और स्नेह भरे स्वर में जवाब दिया।

एक पल के लिए, मानवी भाभी चुप रहीं, फिर उन्होंने उठने की कोशिश की, लेकिन नहीं कर सकीं, उन्हें कमर के पीछे दर्द महसूस हुआ। उसने दर्द के साथ कहा, "ओह्ह ... काका, मुझे अपने शरीर के पिछले हिस्से में तेज दर्द महसूस हो रहा है।"

मैंने चिंताजनक लहजे में कहा, "भाभी रुको और उठने की कोशिश मत करो, मुझे कुछ प्राथमिक चिकित्सा-उपचार करने दो।"

यह कहकर मैं भाग कर अपने फ़्लैट में गया और फ्रिज से आइस क्यूब ट्रे, दर्द निवारक मरहम की एक ट्यूब और एक एंटीसेप्टिक ट्यूब के साथ लौटा। मैंने एक तौलिया में बर्फ को लापर कर आइस पैक बनाया। मानवी भाभी दर्द में थी। लेकिन वह मुझे सराहना और आभारी आँखों में देख रही थी।

मैंने कहा, "अब, भाभी, आप पेट के बल पट्ट लेट जाओ ताकि मैं इस आइस पैक को आपकी पीठ पर लगा सकूँ। ध्यान रहे, 10 मिनट तक ऐसा करने से आपके दर्द में कमी आएगी और फिर मैं दर्द निवारक मरहम लगा दूंगा जिससे आपको स्थायी रूप आराम मिल जाएगा।"

इस समय तक मानवी भाभी को पता चल चूका था कि मैंने पहले ही उनके कपड़े उतार दिए थे और मैं ही उनके नग्न शरीर को बिस्तर पर ले गया था। वह उस चादर के नीचे नग्न थी। वह बहुत घबरायी हुई थी और संकोच महसूस कर रही थी।

मैंने भाबी के चेहरे का अध्ययन किया और उसकी भावना को पढ़ा और गंभीर स्वर में कहा, "भाभी डरने, शर्म करने और संकोच करने की कोई आवश्यकता नहीं है। एक पल के लिए, आप मुझे एक डॉक्टर के रूप में सोचें। मैं जो करने जा रहा हूँ वह एक प्राथमिक उपचार है। जो एक डॉक्टर इन परिस्तितियों में दर्द से तत्काल राहत के लिए करता है।" आप जानती हैं न मैं एक डॉक्टर हूँ और भाभी डॉक्टर से कैसी शर्म?

मेरी शांत आवाज़ सुनने के बाद, मानवी भाभी ने घूमी और पेट के बल लेट गई, अपनी पूरी पीठ मेरे सामने नग्न थी।

"ओह्ह ... माई गॉड, क्या शानदार दृश्य है," मैंने सोचा, मैं अपनी ही आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था भाबी का सफेद शरीर अद्भुत था। जब मैंने उनकी साड़ी निकाली थी और उन्हें उठाया था तब मेरा इस और कुछ ध्यान नहीं गया था क्योंकि उस समय पर पूरा ध्यान भाभी को संभालने पर था पर अब इस नज़ारे ने मुझ पर जादू किया, भाबी के वसायुक्त बड़े-बड़े चूतड़ थे, जो गोल और दिल के आकार के थे और मेरा दिल वही खो गया था। उनके दोनों नितम्बो के बीच का विभाजन लम्बा और गहरा था। उसकी चूत का आंशिक हिंसा भी भाभी की गांड की दरार के नीचे से नज़र आ रहा था।

After all there is a saying "A Lot can happen over a cup of Coffee"

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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