अम्मी बनी सास 002

Story Info
बहन शाज़िया की कहानी
1.1k words
3.91
343
00

Part 2 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

एक दिन जब ज़ाहिद अपनी ड्यूटी पर ही था। कि उस को ये मनहूस ख़बर मिली कि उस का छोटा भाई ज़मान हेरोइन के नशे की ओवर डोज की वज़ह से इंतिकाल कर गया है।

ज़ाहिद और उस की पूरी फॅमिली के लिए यह एक क़ीमत खेज ख़बर थी। वह लोग तो अभी अपने वालिद की मौत का ग़म ही नहीं भुला पाए थे कि यह हादसा हो गया।

भाई की मौत का दुख तो ज़ाहिद को बहुत हुआ। मगर फिर भी जैसे तैसे कर के ज़ाहिद ने अपने आप को संभाला और कुछ दिन के शोक के बाद वह दुबारा अपनी ज़िंदगी में मसगूल हो गया।

जिंदगी फिर आहिस्ता-आहिस्ता अपनी डगर पर चल पड़ी और इस तरह दो साल मज़ीद गुज़र गये।

इस दौरान रज़िया बीबी की कोशिश और ख़्वाहिश थी कि ज़ाहिद और शाज़िया की शादी हो जाय।

इस मकसद के लिए रज़िया ने मोहल्ले की एक रिश्ता करवाने वाली औरत से बात कर रखी थी।

जिस ने शाज़िया के लिए कुछ रिश्ते रज़िया बीबी को दिखाए. मगर शाज़िया ने अपनी अम्मी को शादी से इनकार कर दिया।

असल में शाज़िया चाहती थी कि उस की शादी से पहले उस की छोटी बहनों की शादी हो जाए।

शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी ने उस को समझाया कि बेटी हमारे समाज में बड़ी बेटी को घर में बिठा कर छोटी बेटियों को नहीं ब्याहा जाता। मगर शाज़िया अपनी ज़िद पर अड़ी रही।

अपनी बेहन शाज़िया की तरह ज़ाहिद भी यह ही चाहता था। कि उस की अपनी शादी से पहले उस की बहनों की शादी हो तो उस के बाद ही वह अपनी बीवी को ब्याह कर अपना घर बसाए गा।

वैसे भी वक़्त के साथ-साथ ज़ाहिद को भी पोलीस का रंग चढ़ गया था और अब वह पहले की निसबत ज़ेहनी तौर पर एक बदला हुआ इंसान था।

अपनी पोलीस की नोकरी के दौरान ज़ाहिद ना सिर्फ़ थोड़ी बहुत रिश्वत लेने लगा बल्कि उस ने चन्द तवायफो से अपने ताल्लुक़ात बना लिए थे।

जिस की वज़ह से उस के लंड की ज़रूरते गाहे ब गाहे पूरी हो रही थीं। इस लिए उसे अभी शादी की कोई जल्दी नहीं महसूस हो रही थी।

आख़िरकार ज़ाहिद और शाज़िया की माँ को उन की ज़िद के आगे हार माननी पड़ी और उस ने कुछ मुनासिब रिश्ते देख कर अपनी दोनों छोटी बेटिओं की शादियाँ कर दीं।

छोटी बहनों की शादी के बाद शाज़िया की अम्मी ने उस को शादी के लिए ज़ोर देना शुरू कर दिया और फिर अगले साल जब शाज़िया की उम्र 27 साल हुई तो उस की शादी भी कर दी गई।

शाज़िया की शादी से फारिग होने के बाद रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद को शादी करने का कहा।

हाला कि ज़ाहिद अब 29 साल का हो चुका था । मगर अब भी पहले की तरह उस का अब भी वह ही जवाब था "कि अम्मी अभी क्या जल्दी है" ।

असल में बात ये थी कि अब ज़ाहिद के दिलो-दिमाग़ में यह सोच हावी हो गई थी कि"जब रोज़ ताज़ा दूध बाहर से मिल जाता है तो घर में भैंस पालने की क्या ज़रूरत है" ।

इसी लिए वह हर दफ़ा अपनी अम्मी की उस की शादी की फरमाइश पर टाल मटोल कर देता था।

उधर शादी के पहले कुछ महीने तो शाज़िया के साथ उस के शोहर और सुसराल वालों का रवईया अच्छा ही रहा।

मगर फिर आहिस्ता-आहिस्ता शाज़िया के सुसराल वालों का लालचीपन सामने आने लगा और उन्हो ने बहाने-बहाने से हर दूसरे तीसरे महीने शाज़िया और उस के घर वालों से पैसों का मुतालबा करना शुरू कर दिया।

अपना घर बचाने की खातिर पहले पाहिल तो शाज़िया अपने सुसराल वालों की यह ज़रूरत किसी ना किसी तरह पूरी करती रही।

और फिर जब रोज़ रोज की इस फरमाइश से तंग आ कर शाज़िया ने इनकार करना शुरू किया। तो शाज़िया की सास ने उस के शोहर से कह कर शाज़िया को पिटवाना शुरू कर दिया।

शाज़िया लड़ झगड़ कर हर महीने या दूसरे महीने अपनी अम्मी के घर आने लगी और फिर रोज़ रोज की लड़ाई का नतीजा यह निकला कि उस के शोहर ने एक दिन उस को तलाक़ दे कर हमेशा-हमेशा के लिए शाज़िया को उस की अम्मी के घर भेज दिया और ख़ुद दूसरी शादी कर ली।

शाज़िया को तलाक़ मिलने पर कोई ज़्यादा ग़म ना महसूस हुआ।

इस की एक वज़ह यह थी कि वह ख़ुद भी रोज़ रोज की मार कुटाई से तंग आ चुकी थी। दूसरा वज़ह यह थी कि शाज़िया को शादी के दो सालों में कोई औलाद नहीं हुई. इस लिए उस को अपनी तलाक़ का ज़्यादा ग़म नहीं हुआ।क्योंकि अगर औलाद हो जाती तो फिर तलाक़ के बाद उस के लिए अपनी औलाद को पालना भी एक मसला होता।

रज़िया बीबी और ज़ाहिद को शाज़िया की तलाक़ का दुख तो बहुत हुआ। मगर वह भी इस बात को क़िस्मत का लिखा समझ कर सबर कर गये।

तलाक़ के बाद शाज़िया के लिए चन्द एक और रिश्ते आए. मगर जो भी रिश्ता आया वह या तो शाज़िया के भारी जिस्म और साँवले रंग की वज़ह से पहली दफ़ा के बाद दुबारा वापिस ना लोटा।

या वह मर्द पहली बीवी के होते हुए दूसरी शादी के ख्वाइश मंद थे। या फिर शाज़िया से काफ़ी उमर वाले रन्डवे थे। जिन के पहली बीवी से भी बच्चे उन के साथ ही थे।

हमारे मोहसरे में आज कल अच्छे और पढ़े लिखे लड़कों की कमी की बदोलत कम उम्र और कंवारी लड़कियों के रिश्ते बहुत मुश्किल से हो रहे हैं।

तो एक बड़ी उम्र की तलाक़ याफ़्ता लड़की जिस का जिस्म भी तोड़ा भारी हो और साथ में रंग भी थोड़ा सांवला हो तो उस के लिए कोई अच्छा रिश्ता आना बहुत ही ख़ुशनसीबी की बात होती।

क्योंकि पहली शादी का तजुर्बा शाज़िया के लिए अच्छा नहीं था। इस लिए वह नहीं चाहती थी कि किसी बच्चो वाले या बुरे आदमी से शादी कर के वह एक नई मुसीबत अपने गले में डाल ले।

इसी लिए इन हालात में शाज़िया ने अपनी अम्मी से कह दिया कि अब वह दुबारा शादी नहीं करेगी।

शाज़िया की अम्मी ने अपनी बेटी को उस के फ़ैसला बदलने की बहुत कॉसिश की मगर शाज़िया अपनी बात पर अड़ी रही। तो उस की अम्मी ने भी उस की ज़िद के आगे हर मान कर खामोशी इख्तियार कर ली।

चूँकि शाज़िया ने अपनी शादी के बाद भी अपनी नोकरी नहीं छोड़ी थी। इस लिए उस ने दुबारा शादी का ख़्याल अपने दिल से निकाल कर अपने आप को अपनी जॉब में मसरूफ़ कर लिया।

अब शाज़िया की उम्र 30 साल हो चुकी थी और उस को तलाक़ हुए भी एक साल का अरसा बीत चुका था।

इस एक साल के दौरान शाज़िया पहले जैसे नहीं रही थी। तलाक़ के दुख ने उस को पहले से ज़्यादा संजीदा और अपने आप से लापरवाह बना दिया था।

वो शादी से पहले भी अपने उपर ज़्यादा ध्यान नहीं देती थी। मगर तलाक़ के बाद तो वह बस एक ज़िंदा लाश की तरह अपनी ज़िन्दगी बसर कर रही थी।

अपनी बहन शाज़िया की इस हालत का ज़ाहिद को भी अहसास और अंदाज़ा था। मगर वह यह समझ नहीं पा रहा था कि वह कैसे अपनी बहन की उदासी को ख़तम करे।

कहानी जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

Daddy's Little Princess Father finds solace in his daughter after his wife passed.in Incest/Taboo
खानदानी निकाह 01 मेरे खानदानी निकाह मेरी कजिन के साथ 01in Loving Wives
Yasmin-Sexiest Sister Seduces How my hot older (adopted)sister satiated her nymphomania.in Incest/Taboo
Mumtaz-Best-Friend's Muslim Mom How my Best-Friend convinced me to fuck his Mother.in Incest/Taboo
Dee and I Begin a Live-In Remembering the time when sexy cuz Dee and I finally move in.in Incest/Taboo
More Stories