अम्मी बनी सास 003

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होटेल पर रेड
1.1k words
4.11
293
00

Part 3 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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ज़ाहिद कमरे में बैठा हुआ अपनी पिछली ज़िन्दगी की पुरानी यादों में ही गुम था। कि इतने में एक सिपाही ने आ कर उसे ख़बर दी। के उन के थाने को मतलूब एक इश्तहारी मुजरिम (पोलीस वांटेड क्रिमिनल) दीना सिटी में बने अल कौसेर होटेल में इस वक़्त एक गश्ती के साथ रंग रेलियों में मसरूफ़ है।

(अल कौसेर दीना सिटी का एक बदनामी ज़माना होटल है। जिस में काफ़ी लोग रुंडी बाज़ी के लिए आते और अपना शौक पूरा करते हैं।)

यह ख़बर सुनते ही ज़ाहिद ने चन्द कोन्सेतबलेस को साथ लिया और अल कौसेर होटेल पर रेड करने चल निकला।

क़ानून के मुताबिक़ तो ज़ाहिद को दीना सिटी के लोकल पोलीस स्टेशन को रेड से पहले इत्तिला करना लाज़िमी था।

मगर हमारे मुल्क में आम लोग क़ानून की पेरवाह नहीं करते।जब कि ज़ाहिद तो ख़ुद क़ानून था और "क़ानून अँधा होता है"

इस लिए ज़ाहिद ने डाइरेक्ट ख़ुद ही जा कर होटेल में छापा मारा और अपने मतलोबा बंदे को गिरफ्तार कर लिया।

अल कौसेर जैसे होटलो के मालिक अपना काम चलाने के लिए वैसे तो हर महीने लोकल पोलीस को मन्थली (रिश्वत) देते हैं।मगर इस के बावजूद कभी-कभी पोलीस वाले एक्सट्रा पैसो के लिए अपनी करवाई डाल लेते हैं।

कुछ ऐसा ही उस रोज़ भी हुआ।

ज़ाहिद के साथ आए हुए पोलीस वालों ने अपना मुलज़िम पकड़ने के बाद होटेल के बाक़ी कमरों में भी घुसना शुरू कर दिया। ता कि वह कुछ और लोगों को भी शराब और शबाब के साथ पकड़ कर अपने लिए भी कुछ माल पानी बना सके.

बाकी पोलीस वालों की तरह एएसआइ ज़ाहिद ने भी होटेल के कमरों की तलाशी लेने का सोचा और इस लिए वह एक कमरे के दरवाज़े पर जा पहुँचा।

कमरे में दाखिल होने से पहले ज़ाहिद ने कमरे के अंदर के मंज़र का जायज़ा लेना मुनासिब समझा। जिस के लिए वह दरवाज़े के बाहर खड़ा हो कर थोड़ा झुका और दरवाज़े के की होल से आँख लगा कर अंदर झाँकना शुरू कर दिया।

ज़ाहिद ने अंदर देखा कि एक 25, 26 साल की उमर का लड़का कमरे के बेड पर नंगा लेटा हुआ है।

और एक 26, 27 साला निहायत ही खूबसूरत लड़की उस आदमी के लंड को अपनी चूत में डाले ज़ोर-ज़ोर से ऊपर नीचे हो कर अपनी फुद्दि की प्यास बुझा रही थी।

ज़ाहिद यह मंज़र देख कर समझ गया कि आज उस की भी दिहाड़ी अच्छी लग जाएगी क्योंकि उस का शिकार अंदर माजूद है।

इस लिए उस ने ऊपर खड़े होते हुए दरवाज़े पर ज़ोर से लात मारी तो कमरे का कमज़ोर लॉक टूट गया और दरवाज़ा खुलता चला गया।

ज्यों ही ज़ाहिद कमरे का दरवाज़ा तोड़ते हुए कमरे के अंदर ज़बरदस्ती दाखिल हुआ। तो उसे देख कर उन दोनों लड़का और लड़की के होश उड़ गये।

और साथ ही लड़के के लंड पर बैठी हुई लड़की एक दम से चीख मार कर उस लड़के के उपर से उतरी और बिस्तर पर लेट कर बिस्तर की चादर को अपने गिर्द लपेट लिया।

ज़ाहिद को देखते ही उस लड़की की आँखों में हैरत और शाना साइ की एक लहर-सी दौड़ गई.

अपने जिस्म को चादर में छुपाने के बाद वह लड़की अभी तक ज़ाहिद को टकटकी बाँधे ऐसे देखे जा रही थी। जैसे वह ज़ाहिद को पहले से ही जानती हो।

ज़ाहिद ने इस से पहले कभी उस लड़की को या उस के साथी लड़के को नहीं देखा था। इस लिए उस ने इस बात पर कोई तवज्जो ना दी। क्योंकि वह जानता था। कि अक्सर ऐसे मोके पर पकड़े जाने वाले लोग पोलीस से अपनी जान छुड़ाने के लिए उन से कोई ना कोई ताल्लुक या रिश्तेदारी निकालने की कॉसिश करते ही हैं।

लड़की के साथ-साथ उस लड़के ने भी अपने तने हुए लंड पर एक दम हाथ रख कर उसे अपने हाथो से छुपाने की कोशिश करते हुए कहा"क्या बात है जनाब आप क्यों इस तरह हमारे कमरे में घुसे चले आए हैं"

ज़ाहिद: "वजह तुम को थाने (पोलीस स्टेशन) चल कर बताता हूँ, चलो उठो और जल्दी से कपड़े पहनो" ।

"थाने मगर क्यों जनाब" वह लड़का ज़ाहिद की बात सुन कर एक दम घबरा गया और साथ ही वह औरत भी ज़ाहिद की बात सुन कर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।

ज़ाहिद: "तुम्हे नहीं पता इस होटेल पर छापा पड़ा है, एक तो रंडी बाज़ी करते हो ऊपर से ड्रामे बाज़ी भी, चलो उठो जल्दी करो"

"जनाब आप को ग़लत फहमी हुई है हम तो मियाँ बीवी हैं" ।उस लड़के ने ज़ाहिद की बात सुन कर एक परे शान कुन लहजे में कहा।

ज़ाहिद: मियाँ बीवी हो, क्या तुम मुझे बच्चा समझते हो, उठते हो या इधर ही तुम्हारी चित्रोल स्टार्ट कर दूं, बेहन चोद" ।

ज़ाहिद की गाली सुन कर लड़का एक दम उठा और अपने बिखरे हुए कपड़े समेट कर पहनने लगा। जब कि लड़की अभी तक अपने जिस्म के गिर्द चादर लपेटे बिस्तर पर बैठी थी।

"चलो तुम भी उठ कर कपड़े पहन लो" एएसआइ ज़ाहिद ने लड़की को हुकुम दिया।

"अच्छा आप ज़रा बाहर जाए" लड़की ने बदस्तूर रोते हुए ज़ाहिद से दरख़्वास्त की।

ज़ाहिद: क्यों?

"मुझे आप के सामने कपड़े पहन ते शरम आती है" लड़की ने हिचकी लेते हुए कहा।

अपने यार के सामने कपड़े उतार कर नंगा होते शरम नहीं आई और मेरे सामने कपड़े पहनते हुए बिल्लो को शरम आती है, चलो नखरे मत करो और कपड़े पहनो वरना यूँ नंगा ही उठा कर थाने ले चलूँगा समझी" ज़ाहिद गुस्से में फूंकारा।

"मरते क्या ना करते" । ज़ाहिद के गुस्से को देख कर वह लड़की फॉरन उठी और फ़र्श पर पड़े अपने कपड़े उठा कर पहनने लगी।

ज़ाहिद ने उन दोनों के कपड़ों और हुलिए से यह बात नोट की कि उन दोनों का ताल्लुक किसी अच्छे और अमीर घराने से है।

वो दिल ही दिल में खुश होने लगा कि इन से अच्छा माल वसूल हो गा।

(पोलीस की शुरू-शुरू की नोकरी और अपने एएसआइ बनने से पहले, ज़ाहिद रिश्वत को एक लानत समझता था। मगर जब से वह एएसआइ बन कर थाने का इंचार्ज बना था।उस को पता चल गया कि अगर किसी थाने में पोस्ट शुदा थाने दार (पोलीस ऑफीसर) अपने लिए रिश्वत ना भी ले तो उस के ऊपर बैठे हुए ऑफिसर्स उस से हर हाल में अपना हिसा माँगते हैं।

इस वज़ह से हर पोलीस ऑफीसर जो किसी भी थाने में पोस्ट होना चाहता है। वह रिश्वत लेने पर मजबूर हो जाता है।

वैसे भी हमारे मुल्क में खुस किस्मती से वह ही बंदा शरीफ़ होता है जिसे कोई चान्स ना मिले और जिसे चान्स मिलता हैं वह हराम का माल लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ता।

इस लिए एएसआइ बनते ही ज़ाहिद भी सिस्टम का हिसा बन गया और उस ने भी हर केस में रिश्वत लेना शुरू कर दी)

कहानी जारी रहेगी

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