एक नौजवान के कारनामे 015

Story Info
आशा से एक और मुलाकात ​.
1.3k words
4.14
208
00

Part 15 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी-मेरी पड़ोसन

PART-10

आशा से मुलाकात

कुछ दिन पहले ही मुझे मेरी पहले सेक्स की साथी रोज़ी और रूबी का फ़ोन आया ... उनकी कहानी मेरे अंतरंग हमसफ़र में आप पढ़ सकते है । यहाँ संक्षेप में बता देता हूँ जब मैं स्कूल की पढ़ाई ख़त्म कर आगे की पढाई के लिए लंदन चला गया और रोज़ी के पिता जी एक आयुर्वेदिक वैध थे और उसे आयुर्वेद में काफ़ी रूचि थी तो मैंने उसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की पढाई पूरी करने के लिए प्रेरित किया तो उसने आयुर्वेदिक डॉक्टर का कोर्स पूरा कर लिया था और रूबी ने नर्सिंग का कोर्स कर लिया था और एक ट्रेनेड दाई बन गयी थी । मोना ने टेलरिंग और फैशन का कोर्स कर लिया था और टीना ने सौंदर्य ट्रीटमेंट करने का कोर्स पूरा कर लिया था और अब वह सब मेरे पास आने को उत्सुक थी तो मैंने उन्हें कुछ दिन इंतज़ार करने को कहा ताकि मैं उनके लिए यहाँ समुचित व्यवस्था कर सकू l

मैंने एक प्रॉपर्टी एजेंट को कोई अच्छा बड़ा घर ढूँढने को कहा जहाँ उनके रहने और काम के लिए व्यवस्था हो जाए और साथ में वह मुझ से ज़्यादा दुर भी न हो ताकि मैं उन्हें सुविधा से मिल सकू l

जहाँ मैं रह रहा था उसके पड़ोस में एक बड़ा दो मंजिली बंगला था, जिसमें 2 भाइयों का संयुक्त परिवार रहता था। उन्होंने अलग होने का फ़ैसला किया लेकिन दोनों भाइयों में से किसी के पास इतना पैसा नहीं था कि वे बंगले को अपने पास रख सके इसलिए उन्होंने बंगले को बेचने का फ़ैसला किया।

वो परिवार छोटी-मोटी बीमारियों के लिए मेरे पास होम्योपैथिक दवाओं को लेने के लिए आते थे,। मैंने उनसे कभी कोई शुल्क नहीं लिया। उसी शाम को उस परिवार ने मुझे रात के खाने के लिए आमंत्रित किया, मुझे बंगला बहुत पसंद आया, इसके भूतल में एक बड़ा हॉल था, एक तहखाना और पहली मंज़िल पर बेड रूम थे, वही मुझे यह भी पता चला कि वे अपना बंगला बेच रहे हैं।

मैंने उस की क़ीमत की पूछताछ की। परिवार ने क़ीमत बताई लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें एक उपयुक्त खरीदार नहीं मिल रहा है । उन्हें तुरंत पैसे की ज़रूरत है क्योंकि दोनों भाइयों ने अलग-अलग घर खरीदने की योजना बनाई है, इसलिए वे तत्काल भुगतान के लिए छूट की पेशकश करने को तैयार थे। मैंने उन्हें बताया कि मेरी कंपनी ने सूरत में एक बंगला खरीदने की योजना बनाई है और मुझे एक उपयुक्त घर ढूँढने का काम सौंपा गया है। मैंने अपने प्रधान कार्यालय से अनुमति लेने के लिए उनसे एक या दो दिन प्रतीक्षा करने का अनुरोध किया।

परिवार ने मुझे बताया कि अगर मैं या मेरी कंपनी इस घर को खरीदने के इच्छुक हैं तो वे कुछ और छूट देंगे। वास्तव में मैं स्वयं और रोजी, रूबी मोना और टीना के लिए इस घर को खरीदने की योजना बना रहा था और अपनी कंपनी का उपयोग एक बहाने के रूप में कर रहा था। रात में ही मैंने उन्हें सौदे की पुष्टि कर दी और उन्हें एक उपयुक्त अग्रिम रुपए भी दे दिए और अंतिम भुगतान और शीर्षक के पंजीकरण के लिए 15 दिन का समय तय किया गया। बंगले में मेरे बेड रूम में एक सांझी दीवार थी । मैंने उनसे ये सौदा हमने ख़रीदा हैं ये बात गुप्त रखने का अनुरोध किया l

इसके बाद अगले दिन मैं बड़ौदा गया तो मेरा ओफिस का काम लगभग एक घंटे में ही पूरा हो गया और फिर मैंने सोनू के वापिस सूरत चलने को कहा l

सोनू ने कहा, सर, आपकी अनुमति से वह अपनी पत्नी से मिलने जाना चाहता है और मुझसे अनुरोध किया मैं भी उसके साथ चलूँ फिर कुछ देर बाद वापिस चलेंगे और सोनू ने मुझसे कहा कि हो सकता है सर आपको आशा की माँ का घर अपनी हैसियत अनुसार ठीक न लगे तो आप उसे इसके लिए माफ़ कर दीजियेगा । मैं तो ासः से मिलने को उत्सुक था ही मैंने इस अवसर को लपका और तुरंत उसके साथ आशा की माँ के घर जाने को तैयार हो गया।

जब हम वहाँ पहुँचे तो आशा ने मेरा अभिवादन किया और उनकी माँ ने भी उनके घर आने के लिए मुझे धन्यवाद दिया। आशा भी मुझे देखकर भी बहुत खुश हुई, उसने शरमा कर मुझे देखा। मैंने कहा कि आशा की गर्भावस्था की ख़बर मिलने पर सोनू बहुत खुश है और उसने मुझे भी उसने आपसे मिलने के लिए मना लिया है। मैंने उसे बधाई दी और उसके लिए साथ ने लायी हुई मिठाई और फल और उपहार दिए।

आशा की माँ ने मुझसे दोपहर का भोजन वहीँ करने का अनुरोध किया लेकिन उस समय आशा माँ को नियमित जाँच के लिए अस्पताल जाना था। इसलिए मैंने अपनी सास के साथ अस्पताल जाने के लिए सोनू को कहा। आशा की माँ जल्दी से त्यार हुई, नए कपड़े पहने और प्रतिष्ठित कार की सवारी मिलने पर बहुत खुश हुई। । कुछ चाय और नाश्ते मुझे देने के बाद वे अस्पताल के लिए रवाना हो गए। उनके जाते ही मैंने आशा को गले लगा लिया और उसे चूमा और उसे फिर से बधाई दी और कहा मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है और उससे जल्द से जल्द सूरत के लिए वापस आने के लिए कहा।

आशा ने कहा कि उसकी माँ भी उसके साथ आएगी और उनका नौकर का कमरा बहुत छोटा है और उस कमरे में 3 व्यक्तियों को इकट्ठा रहना बहुत मुश्किल होगा इसलिए वह वापस लौटने में देरी कर रही है। मैंने आशा से कहा कि मैं जल्द ही इस समस्या का हल निकाल लूँगा। तब मैंने उसे फिर से चूमा और कहा आशा मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ। आशा ने कहा कि वह भी मेरे साथ सेक्स करना चाहती है लेकिन हमें इसे बहुत जल्दी से और माँ और सोनू के वापस करने से पहले करना होगा।

तो मैंने फटाक से उसकी साड़ी उतार दी और अपना खड़ा लंड आशा की चूत में खड़े खड़े ही घुसा दिया और जल्द ही हम दोनों चरमोत्कर्ष तक पहुँचे और झड़ गए। सेक्स के बाद हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किये और आशा ने खाना त्यार कर लिया। जब सोनू आशा की माँ वापिस ले आया तो लंच करने के बाद हम वापस सूरत आ गए।

न तो रूपाली और न ही बच्चों को मेरे और मानवी के गुप्त सम्बंधों के बारे में हमने कोई भी भनक नहीं पड़ने दी थी। लेकिन अब हमारे लिए नियमित सेक्स करना एक असंभव काम बन गया था। कई बार सुबह-सुबह जब मानवी भाभी मुझे चाय देने आती थी तो वह मेरे खड़े लंड की सवारी कर मुझे जगा लेती थी लेकिन यह हर दिन सुबह, या दिन के समय में संभव नहीं था । दिन में मैं कार्यालय ने होता था और घर पर रूपाली की उपस्थिति के कारण भी असंभव था। रात का समय प्रश्न से बाहर था क्योंकि यह हर किसी का ध्यान आकर्षित करता और हमारे रहस्यों के अनावरण होने का ख़तरा रात में बहुत ज़्यादा था। रविवार बहुत मुश्किल दिन था क्योंकि बच्चे पूरे दिन मौजूद रहते थे।

हाँ ऑफिस में दिन भर की मेहनत के बाद शाम को जब मैं मानवी भाभी के कंधों के चारों ओर हाथ दाल कर जब हम पार्क में चकार लगाने जाते थे तो मुझे यह हमेशा सुखद लगता था l

पार्क में शाम अधिक सुखद थी क्योंकि शाम को मौसम उपेक्षाकृत सुहाना हो जाता था और वहाँ काफ़ी हलचल रहती थी। बच्चों को यहाँ और वहाँ छोटे हॉकर्स के साथ उनकी पसंद की चीजें खरीदते हुए देखा जा सकता था। छोटे बच्चे पार्क में खेल रहे थे। पार्क में कई घास के मैदान और फूलों के बिस्तर थे। यह उन लोगों के लिए एक मार्ग था जो दौड़ना चाहते थे या दौड़ चाहते थे। पार्क के बीच में एक लंबा फव्वारा था। यह प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का स्थान था।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

story TAGS

Similar Stories

Coffee & Cream Dream Team A lucky photographer has it off with two women.in Group Sex
Adventures of Venkat Pt. 01 Young man has sexual relationship with aunts.in Novels and Novellas
Shurti's Afternoon's Alone Ch. 01 Horny housewife contacts salesmen for sex.in Loving Wives
Shyam, Savita Bhabi & Kajal Ch. 01 Indian sisters seduce the neighbor.in Erotic Couplings
The Wonderful Afternoon She still startles him with innovations in their sex life.in Erotic Couplings
More Stories