एक नौजवान के कारनामे 018

Story Info
छत पर सारी रात​.
1.2k words
4.27
243
00

Part 18 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी-मेरी पड़ोसन

PART-13

छत पर सारी रात

फिर जब वह मेरे पास सब को सुला कर आयी तो मेरे हाथ में एक कंबल था और हम आपातकालीन सीढ़ियों का उपयोग करते हुए छत पर चले गए जो अन्यथा बहुत कम ही उपयोग की जाती थी।

मानवी ने मुस्कुराते हुए पूछा-इस मौसम में आपको यह कंबल कहाँ से मिला? इतनी ठंड नहीं है। मैंने कहा कि यह आज छत पर गद्दे के रूप में काम करेगा।

और हमने सुरक्षा के लिए छत के दरवाजे बंद कर दिए।

फिर मानवी और मैंने कंबल को छत के बीच में फैला दिया और सेक्स की तैयारी करने लगे।

मानवी ने मुझसे पूछा-क्या तुमने कभी खुले आसमान के नीचे सेक्स किया है?

मैंने कहा हाँ! और ऐसा लगता है कि आपने भी किया है।

मानवी ने कहा-हाँ, मैंने आपके साथ उस पार्क की पहाड़ी के ऊपर कई बार किया है।

मैं मुस्कुराया, उसे चूमा और कहा-आप वास्तव में बहुत स्मार्ट हो!

मैंने अपनी जींस की पैंट के साइड से एक ऑयल की बोतल निकाली।

तेल देखते ही मानवी ने गुस्से से भरी आँखों से मुझे घूर कर देखा। मनवी मेरी नियत समझ गई थी।

मैंने कहा-देखो, तुम्हें पता है कि पीछे से करने के लिए तेल की ज़रूरत होती है। लेकिन अगर आप बुरा न मानें तो मैं करूंगा।

मानवी ने कहा-इसे करने की कोशिश न करें तो बेहतर होगा! मैंने सुना है पीछे बहुत दर्द होता है और गांड वर्जिन है।

मैंने मुस्कुराते हुए कहा-आपने राजन के पापा को अपनी वर्जिनिटी दी है, आप मुझे अपनी कुंवारी गांड ही दे दीजिये!

मानवी ने कहा-हाँ, हम कोशिश कर सकते हैं। लेकिन आपको इसे बहुत धीरे-धीरे करना होगा और तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है मुझे बहुत दर्द देगा l

मैंने कहा-ठीक है और इसलिए इसमें बहुत मज़ा भी आयेगा-बेशक मैं बहुत धीरे-धीरे करूँगा। फिर शुरू करते हैं?

मानवी ने कहा-ठीक है। नीचे हर कोई गहरी नींद में है और सुबह देर से उठेंगे।

मैंने कहा-ठीक है। फिर अपने कपड़े उतारने लगा।

मैंने अपनी शर्ट उतारनी शुरू कर दी और मानवी ने भी अपने कपड़े उतार दिए।

अब मानवी केवल ब्रा पैंटी में रह गई थी और मैं सिर्फ़ अपने अंडरवियर में था।

छत परएक बड़ी लिह्य लगी हुई थी जिससे छत पर काफ़ी प्रकाश था, पूरी छत चमकीली थी।

मनवी ने अपनी ब्रा भी उतार दी। मैंने भी उसका और अपना अंडरवियर उतार दिया।

मानवी ने देखा कि मेरा लंड खड़ा होने लगा है। लेकिन यह अभी तक पूरा कड़क है हुआ था।

तब मानवी ने कहा-क्या हुआ? आज तुम्हारा खड़ा क्यों नहीं हुआ है?

मैंने कहा-सिर्फ़ तुम्हारे नर्म गुलाबी होंठ ही अब इसे खड़ा करेंगे!

मानवी ने कहा-सीधे बोलो, मेरा लंड चूसो। आप बहाने क्यों कर रहे हैं?

मैंने कहा-मानवी, प्लीज़ मेरा लंड चूसो।

मैं मानवी के सामने खड़ा था। मानवी मुस्करायी और उसने मेरे लंड की सहलाया और धीरे-धीरे चूमने लगी।

मैंने थोड़ी आह भरी और कहा-चूसो इसे पूरा।

माणवी ने अब बिना देर किए मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे अंदर लेती चली गई। मानवी जोर-जोर से लंड को चूसने लगी।

2 मिनट तक मानवी ने ख़ूब चूसा।

मैं बस अहह... अहह... ' कह कर सिसकता रहा। मेरा लंड पूरी तरह से सख्त हो चुका था और चुदाई के लिए तैयार था।

मानवी ने कहा-अब ठीक है, अभी शुरू करो।

मैंने उससे कहा-रुको, मैं तुम गीला कर दू।

और मैं अपनी पीठ परलेट गया और मानवी को 69 स्थिति में आने को कहा।

मानवी तुरंत उसी तरह से आ गई और अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और अपने मुंह में मेरा लंड ले लिया। उधर मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा।

अब मानवी को भी बहुत मज़ा आ रहा था। उम्म्म! उम्म्म... उम्म्म...उसे मेरा लंड चूसते हुए मज़ा आ रहा था। मेरे चाटने से उसकी चूत चिकनी और गीली हो गई थी।

मानवी ने कहा-अब बहुत हो गया, चलो चुदाई शुरू करते हैं।

वह पल्टी और-और लंड को पकड़ कर सीधा मेरे सख्त तने हुए लंड पर बैठ गयी और मैंने भी ऊपर को एक झटका मारा और मेरा पूरा लंड चूत में घुस गया और अपने रसदार गीले और फिसलते हुए लंड को मानवी के अंदर पूरा ठोक दिया और वह आआआहहहह करके चिल्लाई! धीरे करो।

माणवी के खुले बाल मेरे चेहरे की तरफ़ झूल रहे थे और हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख कर मुस्कुरा रहे थे।

अब मानवी ने मेरे लंड पर धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होना शुरू कर दिया।

धीरे-धीरे मानवी ने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी और अपना हाथ मेरी छाती पर रख कर चोदना शुरू कर दिया। मानवी के मुँह से आवाज़ आ रही थी... आह्ह्ह... अह्ह्ह... सी... स्काई... एससीईए... मानवी के बाल, बूब्स सब कुछ ऊपर-नीचे हिल रहे थे। मैंने भी अपने कूल्हों को उसके ताल के साथ ताल में हिलाने लगा। मेरे हाथ उसके बूब्स पर थे और उसके उभरे हुए निप्पलों को छेड़ रहे थे।

हमने लगभग 5 मिनट तक ऐसा ही किया। फिर मानवी थक कर आराम करने लगी। मेरा लंड चूत में था l

मैंने कहा-तुम कंबल पर लेट जाओ। मैं तुम्हें ऊपर से चोदूंगा।

मानवी अपनी जाँघों को फैला कर लेट गई। मैं सामने आया और मानवी को पूरा लंड उसकी चूत पर टिका दिया और हाथ को माणवी के स्तनों पर रख दिया और धीरे-धीरे पंप करना शुरू कर दिया।

मानवी को बहुत मज़ा आ रहा था।

फिर बिना देर किए मैंने स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी और लंड को तेजी से अंदर बाहर करना और फिर आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। मैं मानवी को चोदने लगा। मेरे लंड उसकी चूत में गहराई तक जा रहा था, मानवी को पूरा मज़ा आ रहा था।

हम दोनों खुले आसमान के नीचे जोर-जोर से कराह कर रहे थे, खुले आसमान में रोशनी के बीच हमारी चुदाई चल रही थी।

फिर थोड़ी देर के बाद जब मैं थक गया तो मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और बैठ गया।

मैंने कुछ लम्बी-लम्बी सांस ली और मैं मानवी को फिर से लंड डालने के लिए झुका और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा।

हाथ हटाते हुए मानवी ने कहा-वहाँ नहीं, इसे चूत में डालो और तेल की बोतल ले ली और मुझे देने से इनकार कर दिया l

मैंने कहा-प्लीज़ मानवी, प्लीज़ मुझे इजाज़त दीजिए।

मानवी ने कहा-नहीं यार, प्लीज नो-नो नो।

मैंने कहा-प्लीज़ मानवी बस एक बार!

मैं ऐसे बैठ गया मानो हड़ताल कर दी हो।

मानवी मुझे ऐसे बैठे देख मुस्कुरायी और मुझे चूमने लगी और मुझ से कहा-कृपया काका, मुझे चोदो। बीच में मत छोड़ो। ठीक है तुम पहले मेरी चूत को डॉगी स्टाइल में चोदो फिर हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं। मैंने उसे चूमा l

मैंने फिर उसे अपने पेट पर लिटा दिया और कूल्हों को उठा लिया और अपने डॉगी स्टाइल में उसके पीछे चला गया। वह तुरंत समझ गई और ख़ुद अपनी टांगो को और चूत को मेरे लिए खोल दिया और मैंने बिना किसी कठिनाई के उसमें प्रवेश किया। मुझे डॉगी स्टाइल में चोदना बहुत पसंद है; यह मुझे एक गहरी पहुँच प्रदान करता है और इसमें मैं छोटे से गांड के छेद को देख सकता हूँ और निश्चित रूप से, मैं उसे पंप करने के साथ उसकी गांड पीठ नितम्ब और स्तन को प्यार कर सकता हूँ। उसने अपने कूल्हों को कस कर पकड़ लिया और ज़ोर से पीछे की धक्का दिया और फिर दोनों एक साथ झड़ गए। मैं उस पर गिर गया और उसे चूमने लगा।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

Forbidden Ch. 01 Priya is Matthew's sister-in-law. Definitely out of bounds.in Incest/Taboo
Kamini - Life of Adultery Pt. 01 Future Father In Law and Daughter In Law First Escapade.in Incest/Taboo
समीर और उसकी माँ राधा - भाग 01 Incest+adultery+bdsm+hardcore+erotica.in Incest/Taboo
Summer of Indian Aunties Ch. 01 Indian nephew plans to spend summer at a lodge with aunts.in Incest/Taboo
Sexy Wife, Sexier Sister in Law Ch. 01 SIL and BIL desire each other without even knowing.in Incest/Taboo
More Stories