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Click hereमैं बोला "रूबीना ये चूचियाँ इतनी मोटी कैसे हो गयीं?"
वो बोली "बच्चे के लिए दूध आता है इसलिए मोटी हो गयीं।"
मैं बोला "मुझे भी पिला दो थोड़ा दूध।"
वो बोली "पहले इसको तो पिला दूं। फिर तुम्हें भी पिला दूंगी।"
फिर मैंने पूछा "हमें चुदाई किये हुए कितना समय हो गया?"
वो बोली "आखिरी बार उस वाले घर में ही की थी।" नजमा और आसिफा के आने से पहले।
मैंने कहा "मुझे भी उस दिन के बाद चूत नहीं मिली।"
बाजी बोली "राबिया की तो चोद लेता तू?"
मैं बोला "कैसे चोदता, सब मुझसे नफ़रत करते थे।"
वो बोली "हाँ भाई, सबने ही ग़लत समझा। अब देखना उन सब को मजबूरी क्या होती है ये समझ आ जाएगा और नजमा बाजी की तो मोटी गांड से खून निकलना है।"
फिर वह बोली "छोड़ो, आओ मेरा भी मन है चुदाई का।" चलो आओ।
मैंने नीचे एक चादर बिछा दी। अपने कपड़े उतार कर लंड हाथ में पकड़ लिया तो बाजी ने भी अपना कमीज और सलवार उतार दी।
उन्होंने चोली और पैंटी नहीं पहनी थी। मैंने बाजी को लेटने को बोला तो वह लेट गई। मैंने उनके ऊपर लेट कर चुदाई शुरू कर दी।
बाजी आज कुछ नई लग रही थी। उन्होंने मुझे कमर से पकड़ लिया और अपनी गांड उठाकर ज़ोर जोर धक्के लगाने लगी।
अगर मैं धक्के न भी लगाता तो भी वह अकेली ही मुझे चोद सकती थी। काफ़ी देर तक हम दोनों चुदाई का मज़ा लेते रहे क्योंकि हमारे लंड और चूत का मिलन बहुत अरसे के बाद हुआ था।
काफी देर तक धक्कापेल चुदाई चलती रही। बाजी ने अपने मन की सारी कसर निकाली। मैंने भी लंड का लावा लगभग तीन चार बार निकाला और मैं पूरी तरह से थक गया। फिर हम आखिरी बार में एक साथ झड़े और सो गये।
इस तरह से रूबीना बाजी के साथ मेरा चुदाई का प्रोग्राम चलता रहा और हम दोनों ख़ुशी खुशी रहे। हम उस किराए के कमरे में दो महीने रहे और रोज़ चुदाई की।
लगभग दो महीने घर से बाहर कमरे में रहने से मैं परिवार से दूर रहा।
एक दिन नजमा बाजी मुझे दुकान पर मिलने आयीं और घर वापस आने को बोलीं तो मैंने मना कर दिया।
मैं नाराजगी और गुस्से में बोला " आपको मेरी क्या ज़रूरत है, मैं बेकार हूँ।
बाजी ने मुझे काफ़ी बात सुनाई और समझाया मगर मैं नहीं माना।
वो थक हारकर चली गई।
अगले दिन सुबह मैं दुकान पर आने के लिए तैयार था तो आसिफा बाजी अपनी बेटी को गोद में ले कर आईं।
हम दोनों बाजी को देख कर खुश हुए।
बाजी ने खैरियत पूछी।
फिर बाजी बोली "इमरान यक़ीन नहीं होता कि तूने और रुबीना ने एक बच्चा पैदा कर लिया और परिवार की तरह रहते हो।"
मैंने कहा "बाजी, मगर अम्मी और नजमा बाजी को ये हराम लगता है, वह कहाँ हमें जीने दे रहे हैं। यहाँ आने के बाद भी चैन से नहीं रहने देते।"
बाजी बोली "घर में तुम्हारे आने के बाद से सब उल्टा ही-ही रहा है, नजमा बाजी इसलिए गुस्सा है।"
मैंने कहा "बाजी आओ, हमारे साथ रहो। जब दोनों को कोई दिक्कत नहीं तो आपको क्या है?"
वो बोली "वो सब तो ठीक है मगर मेरी बेटी भी है।"
इस पर रूबीना बोली " बाजी, वह हमारी भी बेटी है।
ये कहकर आसिफा बाजी की गोद में से उनकी बेटी को रूबीना ने ले लिया और खिलाने लगी। "
तभी बाजी मेरी चारपाई पर आ गई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली "चलो हम सब मान लेंगे कि रुबीना और तुम साथ रह लेना, मगर घर वापस आ जाओ।"
मैंने इसका कोई जवाब नहीं दिया और चुप रहना ही ठीक समझा।
आसिफा बोली "जवानी में तो सबके लंड और चूत में उफान आता है।"
बाजी के मुंह से सुनकर मैं ये हैरान-सा हो गया।
वो मेरे लंड की ओर देखने की कोशिश कर रही थी। शायद जीजा के लंड को याद कर रही थी वो।
मुझे लगा आसिफा भी चुदाई चाहती है।
एक दिन रूबीना हमारी बच्ची को लेकर अस्पताल गयी थी।
उसी दिन आसिफा कमरे पर आ गयी।
वो उसी दिन की तरह लंड चूत और चुदाई वाली घटनाओं की बातें करने लगी।
मेरा लंड खड़ा हो गया और आसिफा ने उसको पकड़ लिया। वह मेरे लंड को निकालकर चूसने लगी।
मैं भी जोश में आ गया और मैंने उसको बेड पर लिटाकर नंगी कर लिया।
उसकी टांगों को खोला और लंड उसकी चूत में दे दिया। मैं पहली बार बड़ी बहन की चुदाई कर रहा था।
मैंने उसको 20 मिनट तक चोदा और फिर उसकी चूत में झड़ गया।
मेरे लंड से चुदकर आसिफा खुश हो गयी।
उसके बाद उसको भी मेरे लंड की आदत लग गयी। इस तरह मेरे परिवार में तीन बहनों की चुदाई मैंने की।
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