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Click hereनटवर--हाँ ये तो है । तुम थोड़ा-सा आगे को खिसक जाओ बस।
मैं जैसे ही सीट में आगे को खिसकी, वह मेरे पीछे सीट पर सिक्के ढूँढने लगा। इसी बहाने उसने स्कर्ट के बाहर से मेरे गोल नितंबों पर हाथ फिरा दिए और वह बेहूदा इंसान इतने पर ही नहीं रुका। बल्कि वह मेरे नितंबों के नीचे अँगुलियाँ घुसाने लगा जैसे कि वहाँ कोई सिक्का घुसा हो। एक बार तो मुझे उसकी अँगुलियाँ स्कर्ट और पैंटी के बाहर से अपने नितंबों के बीच की दरार में महसूस हुईl
"आउच!"
नटवर--क्या हुआ बेबी?
वो एकदम से सतर्क हो गया और अपनी अँगुलियाँ बाहर खींच ली।
"कुछ नहीं। सारे सिक्के मिल गये क्या?"
नटवर--बेबी, 5 के दो सिक्के नहीं मिल रहे।
मैं उसकी इस ढूँढ खोज से परेशान हो गयी थी और जल्द से जल्द इसे ख़त्म करना चाहती थी।
"ठीक है। मैं एक बार उठ रही हूँ। तुम पूरी सीट चेक कर लो।"
लेकिन इससे बात और भी बिगड़ गयी। जैसे ही मैंने सीट से अपने नितंब ऊपर को उठाए, रिक्शा ने एक टर्न लिया और मेरा संतुलन बिगड़ गया। नटवर एक हाथ से मेरे नीचे सीट पर सिक्के ढूँढ रहा था और दूसरे हाथ से अपनी गोद में मेरे स्कूल बैग को पकड़े हुआ था। जैसे ही मेरा संतुलन बिगड़ा, मैं उसके सीट पर रखे हाथ के ऊपर गिर गयी और मुझे सम्हालने के चक्कर में नटवर ने मेरी बायीं चूची को पकड़ लिया। जब तक मैं संभलती तब तक हमारे नौकर ने मेरे बदन को अच्छी तरह से दबा दिया था।
नटवर को कुछ ही पलों का वक़्त मिला था पर मैं हैरान हो गयी की उतने कम समय में ही उसके दाएँ हाथ ने मेरी गांड को अपनी हथेली में पकड़कर दबा दिया और बाएँ हाथ ने मेरी बायीं चूची को कसकर निचोड़ दिया। मैंने तुरंत उसके हाथ के ऊपर से उठने की कोशिश की और अपनी कमर ऊपर उठाई और अब नटवर ने सारी हदें पार कर दी।
नटवर--बेबी, ऐसा मत करो। तुम गिर जाओगी।
ऐसा कहते हुए उसने मुझे पकड़ने के बहाने से मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल दिया और मेरी पैंटी के बाहर से चूत को अंगुलियों से दबाने लगा। हालाँकि ये कुछ ही पल के लिए हुआ और उसने मेरे नितंबों को पकड़कर वापस सीट में बैठा दिया। उसके मेरे नितंबों को पकड़कर बैठाने से पीछे से मेरी स्कर्ट पैंटी के ऊपर तक उठी रही। मैं जल्दी से सीट में बैठ गयी पर मेरे बैठने तक उसने मेरे नितंबों को अपनी हथेलियों में पकड़े रखा।
मेरे ऊपरी बदन में भी उसकी गंदी हरकतें जारी रही। शुरू में गिरते समय उसने मेरी बायीं चूची को दबोच लिया था । फिर मैं संभली तो मैंने अपनी बायीं बाँह नीचे कर दी। अब उसका हाथ मेरी बाँह और बदन के बीच मेरी कांख में दब गया। उसका हाथ अभी भी मेरी बायीं चूची पर था और वह उसे अपनी हथेली में भरकर दबा रहा था। जब मैं सीट में बैठ गयी तो मैंने उसके हाथ को झटक दिया। मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया था। उसके मेरे बदन से छेड़छाड़ करने से मेरी चूची में और मेरी पैंटी में अजीब-सी सनसनाहट होने लगी थी।
नटवर--बेबी, मेरे दो सिक्के अभी भी नहीं मिले।
मैं उस नौकर की गंदी हरकतों से इतनी असहज और परेशान हो गयी थी की रास्ते भर उससे नहीं बोली। ऐसा लग रहा था कि अभी भी उसके हाथ मेरे बदन में घूम रहे हैं। जिस तरह उसने मेरी चूची और नितंबों को दबोचा और मेरी चूत को छुआ मुझे ऐसा मन हो रहा था कि उसे थप्पड़ मार दूँ। मैं सोचने लगी की मुझे ऐसे छूने की इसकी हिम्मत कैसे हुई. मुझे समझ आया की ये नौकर लोग ऐसे ही होते हैं और मौके का फायदा उठाने की ताक में रहते हैं। शर्मीली होने की वज़ह से मैं किसी से कुछ कह भी ना सकी।
कहानी जारी रहेगी