एक नौजवान के कारनामे 054

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सुपर संडे-इज़हार.
1.2k words
5
182
00

Part 54 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली-मेरी पड़ोसन

PART-19

सुपर संडे-इज़हार

"अच्छा बहुत अच्छा," मैं बोला, " अब तुम एक समझदार लड़की की तरह वर्ताव कर रही हो। अब रोना बंद करो आँसुओं को पूछो और मेरे पास यहाँ आओ।

ईशा धीरे-धीरे कड़ी हुई और मेरे पास आयी उसके आँसू अभी भी उसकी लाल हो चुकी आँखों से छलक रहे थे। मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और मैंने हाथ बढ़ा कर उसके आंसू पूंछेl

"यहाँ खड़ी रहो," मैंने आदेश दिया, "सीधे मेरे सामने।" मैंने अपने पैर फैलाए और उसे अपने पास खींच लिया। मेरे हाथ उसके स्तनों पर चले गए और मैंने फिर से सुंदर गोल स्तनों को खींचा, जिससे वे अपनी खुली पोशाक से पूरे बाहर निकल आये। शर्म के मारे ईशा ने अपनी आँखें बंद करके अपना सिर घुमा लिया और धीरे से मुझ से दूर हो गई। उसे अपने सौंदर्य के इस प्रदर्शन पर उसे बहुत शर्म आ रही थी।

मैं बोलै ईशा तुम क्या कर रही हो और मैंने फिर उसकी पतली कमर में एक हाथ डालते हुआ, अपने पास मौजूद उस अनमोल सौंदर्य के खजाने वाली लड़की को अपने पास खींचा। इस बार उसने कोई विरोध नहीं किया। उसने अपनी भुजाओं से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की और अपने हाथो से अपने स्तनों के कस कर ढक लिया। उसके स्तन उसकी मुट्ठियाँ में दब गए लेकिन जब मेरा गर्म हाथ उसके जांघो को सहलाने लगा तो उसके पैर अकड़ने लगे, तो उसने वापिस पीछे हटने का प्रयास किया।

"नहीं, ईशा," मैंने कहा, "मेरा सब्र अब ख़त्म हो रहा है। अब, ध्यान में रखना अगर मेरा धैर्य समाप्त हो गया है, तो इसका कुछ गंभीर परिणाम होगा। मेरे करीब खड़ी रहो और मुझे इस खूबसूरती का आनंद लेने दो।" वह पीछे तो नहीं हटी पर फिर कुछ सोच कर ईशा विरोध करते हुए बोली लेकिन कल आप ही कह रहे थे। मैंने जीतु के साथ जो भी किया वह उचित नहीं किया है। ऐसे काम से मुझे और मेरे परिवार को बदनामी और दुखो से सिवा कुछ नहीं मिलेगा और अब आप मेरे साथ वही करना चाहते हैं।

मैंने कहा उस समय में और आज बहुत अंतर है एक तो तुम ये सब उस आवारा जीतू के साथ कर रही थी, जो किसी भी तरह से तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की का साथ पाने योग्य नहीं है और तुम्हारी जांच करने के बाद मुझे ज्ञात हो गया है, तुम इस आनद का कुछ मज़ा ले चुकी हो।

और फिर मैंने तुम्हारे स्कूल के आइडेंटिटी कार्ड में पढ़ा है कि तुम जीव विज्ञानं की छात्रा हो और निश्चित रूप से डॉक्टर बनना चाहती हो, पर शायद तुम्हारे चाचा इसके लिए तुम्हारा ख़र्चा न उठा पाए तो तुम डॉक्टर नहीं बन पाओगी. और इसमें मैं तुम्हारी मदद करूंगा। तुम्हे कॉलेज में एडमिशन दिलवाने और तुम्हारी पढाई का पूरा ख़र्च उठाने में मैं तुम्हारी मदद करूंगा और इस दुनिया में मुफ्त में कुछ भी नहीं मिलता हैl इसके बदले में तुम मुझे अपना प्यार दो मैंने उसे एक नया प्रस्ताव दिया मैं तुम तब से प्यार करता हूँl जब मैंने तुम्हे पहली बार देखा था और तुम्हे पाना चाहता था।

मैंने उसे कहा "ईशा आपने एक बार पहले ही जीतू के साथ इस आनंद का थोड़ा-सा स्वाद चख लिया है। अब मैं आपको उन अध्भुत उल्लासपूर्ण प्रसन्नताओ, मजो और आनद का-का पूरा स्वाद चखाउंगा जिनके बारे में शायद आपने सुना भी नहीं होगा और मेरी बाहों में इस क्रिया में उत्साहपूर्ण आनंद की वह संवेदनाओं आपको शीग्र ही मिलेंगी, जिसके बाद आप मेरे इनके बिना रह नहीं पाओगी। आप मेरे साथ कामुक आनंद के समुद्र में तैरोगी। आप अपने मधुर शरीर को मेरे सान्निध्य में ले जाने के हर समय उत्सुक रहोगी और हम दोनों अपनी तीव्र भावनाओं को साझा करते हुए इस स्वादिष्ट आनंद का लाभ लेते रहेंगे।"

ईशा अब तुम ध्यान से मेरी तरफ़ देखो और ध्यान से सुनो ये मैं तुम्हे आखिरी बार बोल रहा हूँ । अब या तो तुम मेरा प्रताव स्वीकार कर मेरे पास आओगी या फिर अपनी पैंटी उठा कर बाहर चली जाओगी, पर उस से पहले ये देख लो ताकि तुम्हे ये नदाजा लग जाए की मेरा प्रस्ताव ठुकरा कर तुम किन मजो और आंनद के अनुभवों से वंचित रह जाओगी । जो तुम्हे मेरे साथ मिल सकते हैं और जिनके बारे में तुम ने श्याद ना तो सुना हो न ही देखा हो और ना ही पढ़ा हो वैसे भी तुम्हे किसी की तो होना ही है, तो वह कोई मैं होना चाहता हूँ।

ये बोल कर मैंने अपनी टांगो को थोड़ा खोला और अपनी ज़िप को नीचे कर उसे अपने अंडरवियर के नीचे अपने लंड के उभार की एक झलक दिखाई और उसे बोला तुमने जीतू के लंड का उभार कल देखा था और जिसके बाद तुमने अपनी आँखे बंद कर ली थी। अब इस उभार कर देख कर अंदाजा कर लो तुम क्या खो रही हो। अगर मुझे स्वीकार करोगी तो तुम्हे क्या मिलेगा और मैं तुम्हे किसी भी हाल में खोना नहीं चाहता था और मुझे लग रहा था इस तरह तुम मुझे मिल सकती हो। इसलिए ही मैंने ये सब किया था। तुम्हे कोई तकलीफ हो ये तो बिलकुल भी नहीं देख सकूंगा, इसलिए कल क्या हुआ ये किसी से भी नहीं कहूंगा पर ये तुम्हारे लिए बेहतर होगा अगर तुम उस आवारा जीतू से दूर रहो, क्योंकि उसके साथ तुम्हे दुःख के सिवा कुछ नहीं मिलेगा और वह किसी भी तरह से तुम्हारे लायक नहीं है।

मेरी वज़ह से जो तुम्हे दुःख हुआ है। आशा है तुम मुझे उसके लिए माफ़ कर दोगी। ये सिर्फ़ मेरे मन में जो तुम्हारे प्रति प्यार है जो मैं ये सब कह रहा हूँ।

ईशा ने आश्चर्य और ख़ुशी की भावनाओं के साथ मेरे इस प्रस्ताव को सुना। मेरे लंड के उभार के नज़ारे और मेरी बातो ने उसकी गर्म कामुक भावनाओ को जगा दिया। उसका डर गायब हो गया उसने मेरे साथ मिलने वाले आंनद की कल्पना की और उसे वह कहानिया याद आयी जो उसने अपने साहेर्लियो से उनके यौन अनुभवों के बारे में सुना था। उसे मेरे उभार के देख कर अंदाजा हुआ की मेरा लंड निश्चित रूप से उसकी सभी सहेलियों के साथियो के लंड से लम्बा मज़बूत और बड़ा था और फिर मैं उसका भार उठाने में सक्षम था और उसे बहुत प्यार भी करता था। ये सब सोच कर वह मुस्कुरायी और अब उसने मेरे साथ खेल खेलना का निर्णय लिया वह कुछ नहीं बोली।

वो मुड़ी और मुस्कुराती हुई दूसरी मेज जहाँ पर उसकी पेंटी पड़ी थी उस तरफ़ बढ़ गयी। मेरा दिल मेरे मुँह तक आ गया की मेरी पूरी मेहनत के बाद भी ये मछली मेरे जाल से निकल गयी थी और अब कभी भी मैं इस से नहीं मिल पाऊँगा। वह मेज के पास पहुँच कर पीछे की और मुड़ी और मुझे देखने लगी और गंभीरता से कुछ सोचने लगी, तो मैंने अपनी बाहे फैला कर उसे मेरे पास आने का निमंत्रण दिया, पर वह फिर वापिस अपनी पैंटी की तरफ़ मुड़ गयी, और नीचे झुकी तो मुझे लगा अब ये पैंटी उठा कर बाहर चली जायेगी और मैंने सर नीचे झुका लिया। तभी उसके चलने की आवाज़ आयी तो मैंने देखा उसने पैंटी अपने मुँह में पकड़ी हुए थी और उसका मुँह मेरी तरफ़ था और वह बड़े शरारती तरीके से मुस्कुरा रही। मैं उछला और उसकी तरफ़ लपका और उसे बाहों में भर लिया और फिर उसकी पैंटी को अपने मुँह में लिया और उसे बाहो मिलकर गोल घूमने लगा और फिर पता नहीं पैंटी कब नीचे कहाँ गिर गयी फिर उसके गुलाबी होंठो पर एक लम्बा गर्म चुम्बन किया।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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