औलाद की चाह 056

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परिधान
1.8k words
4.33
204
00

Part 57 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
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औलाद की चाह

CHAPTER 6-पांचवा दिन

तैयारी

परिधान'

Update 4

गोपाल टेलर--मैडम, फिर से आपसे मुलाकात हो गयी।

मैं भी मुस्कुरा दी और उससे अंदर आने को कहा। उसके साथ मंगल की बजाय एक छोटा लड़का था।

गोपाल टेलर--आप कैसी हैं मैडम?

"ठीक हूँ। उम्मीद है आपके हाल भी ठीक होंगे।"

गोपाल टेलर--मैडम, अब इस उमर में तबीयत ठीक नहीं रहती है। दो दिन पहले ही मुझे बुखार था, पर अब ठीक हूँ।

"अच्छा!"

गोपाल टेलर--मेरे आने के बारे में गुरुजी ने आपको बताया होगा।

"हाँ गोपालजी। पर ये कौन है?"

मैंने उस लड़के की तरफ़ इशारा किया।

गोपाल टेलर--असल में मैंने नाप लेने के लिए मंगल को ले जाना बंद कर दिया है। ये लड़का सिलाई सीख रहा है और नाप लेने में मेरी मदद करता है।

ये सुनकर मुझे बड़ी राहत हुई की मंगल यहाँ नहीं आएगा। मेरे चेहरे पर राहत के भाव देखकर गोपालजी ने उलझन भरी निगाहों से मुझे देखा। मैंने जल्दी से बात संभाल ली।

"आप जैसे एक्सपर्ट के साथ ये लड़का जल्दी सीख जाएगा।"

गोपालजी ने सर हिला दिया और मेरे बेड पर कॉपी और पेन्सिल रख दी। वह लड़का एक बैग लेकर बेड के पास खड़ा था।

गोपाल टेलर--ये बहुत ध्यान से सीखता है और बहुत सवाल करता है, जो की अच्छी बात है।

"लेकिन मंगल को क्या हुआ?"

मुझे ये सवाल पूछने की कोई ज़रूरत नहीं थी क्यूंकी इससे कुछ ऐसी बातें हुई जिनकी वज़ह से मुझे इस 60 बरस के बुड्ढे के सामने असहज महसूस हुआ।

गोपाल टेलर--क्या बताऊँ मैडम।

वो थोड़ा रुका और उस लड़के से बोला।

गोपाल टेलर--दीपक बेटा, मेरे लिए एक ग्लास पानी ले आओ।

दीपक--जी अभी लाया।

दीपक कमरे से बाहर चला गया और गोपालजी मेरे पास आया।

गोपाल टेलर--मैडम, ये बात मैं दीपक के सामने नहीं बताना चाहता था। आख़िर मंगल मेरा भाई है।

अब मेरी उत्सुकता बढ़ने लगी थी।

"लेकिन हुआ क्या?"

गोपाल टेलर--मैडम, हम अपने डिस्ट्रीब्यूटर को कपड़े देने पिछले हफ्ते शहर गये थे। उसने हमें बताया की एक धनी महिला है जो उसकी दुकान में आती रहती है, उसे कुछ मॉडर्न ड्रेस सिलवानी है और उसने ख़ास तौर पर कहा है कि टेलर बड़ी उमर का ही होना चाहिए। तो हुआ ये की मेरे डिस्ट्रीब्यूटर ने मुझे उसके घर भेज दिया। मंगल भी मेरे साथ था। जब हम उसके घर पहुँचे तो पहले तो वह औरत मंगल के सामने नाप देने में हिचकिचा रही थी फिर बाद में मान गयी। लेकिन जानती हो उस सुअर ने क्या किया?

मैं बड़ी उत्सुकता से टेलर का मुँह देख रही थी और मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गयी थीं। मेरा चेहरा देखकर गोपालजी का उत्साह भी बढ़ गया और वह विस्तार से किस्सा सुनाने लगा।

गोपाल टेलर--मैडम, वह औरत पार्टी के लिए एक टाइट गाउन सिलवाना चाहती थी। जब मैं उसके नितंबों की नाप ले रहा था तो उसके कपड़ों के ऊपर से सही नाप नहीं आ पा रही थी, इसलिए मैंने उससे साड़ी उतारने के लिए कहा। पहले तो वह राज़ी नहीं हुई फिर अनिच्छा से तैयार हो गयी। मैंने उससे कहा, साड़ी को बस पेटीकोट के ऊपर उठा दो, उतारो मत ताकि उसको असहज ना लगे। लेकिन खड़ी होकर वह ठीक से साड़ी ऊपर नहीं कर सकी तो मैंने मंगल से मदद करने को कहा। मंगल ने उसकी साड़ी ऊपर उठा दी और उसके पीछे खड़ा हो गया। अब मैं उसके पेटीकोट के बाहर से नितंबों की नाप लेने लगा। जब मैं अपने हाथ पीछे उसके नितंबों पर ले गया तो, अब मैं क्या कहूँ मैडम, वह बदमाश मेरा भाई है, वह उस औरत की गांड में अपना लंड चुभो रहा था।

"क्या?"

मेरे मुँह से अपनेआप निकल पड़ा।

"आपका मतलब उसने अपना पैंट खोला और!"

गोपाल टेलर--नहीं नहीं मैडम, ये आप क्या कह रही हो। उसने सिर्फ़ अपने पैंट की ज़िप खोली और अपना।

मैंने जल्दी से अपना सर हिला दिया, ये जतलाने के लिए की मैं बखूबी समझती हूँ की अपने पैंट की ज़िप खोलकर एक मर्द क्या चीज बाहर निकालता है ताकि गोपालजी को मेरे सामने उस चीज का नाम ना लेना पड़े। फिर क्या हुआ ये जाने के लिए मेरी उत्सुकता बढ़ रही थी।

गोपाल टेलर--शायद उस औरत को पहले पता नहीं चला क्यूंकी ज़रूर उसने ये सोचा होगा की मंगल उसकी साड़ी को ऊपर करके पकड़े हुए है इसलिए उसकी अँगुलियाँ गांड पर छू रही होंगी। मंगल के व्यवहार से मुझे ऐसा झटका लगा की मेरी अँगुलियाँ काँपने लगीं। तभी उस औरत ने कहा की नितंबों पर थोड़ी ढीली नाप रखो क्यूंकी वह गाउन के अंदर पैंटी के बजाय अंडरपैंट पहनेगी और अगर गाउन नितंबों पर टाइट हुआ तो अंडरपैंट की शेप दिखेगी। मैं उसकी बात समझ गया और फिर से उसके नितंबों की नाप लेने लगा लेकिन अपने भाई की हरकत देखकर मैं टेंशन में आ गया था।

गोपालजी थोड़ा रुका और दरवाज़े की तरफ़ देखने लगा की कहीं दीपक वापस तो नहीं आ गया है। लेकिन वह अभी नहीं आया था। उस टेलर का ऐसा कामुक किस्सा सुनते-सुनते मेरी चूत में खुजली होने लगी थी लेकिन मैं उसके सामने खुज़ला नहीं सकती थी।

गोपाल टेलर--मैडम, उस दिन मंगल की हरकत देखकर मुझे बहुत हताशा हुई। ग्राहक से ऐसे व्यवहार किया जाता है? फिर मैं उस औरत के सामने बैठ गया और दोनों हाथ पीछे ले जाकर नितंबों की नाप लेने लगा तभी मंगल ने कहा की पंखे की हवा से मैडम का पेटीकोट उड़ रहा है इसलिए मैं पेटीकोट भी पकड़ लेता हूँ। उस मैडम को इसमें कोई परेशानी नहीं थी। मंगल को दो अंगुलियों से पेटीकोट का कपड़ा पकड़ना था ताकि वह उड़े ना। लेकिन उस बदमाश ने पेटीकोट को मैडम की गांड पर हथेली से दबा दिया।

गोपालजी थोड़ा रुका। अबकी बार मैंने साड़ी एडजस्ट करने के बहाने बेशर्मी से अपनी चूत खुजा दी। गोपालजी ने ये देख लिया और मुस्कुराया। अब मेरे कान भी लाल होने लगे थे।

गोपाल टेलर--मैडम फिर क्या था, जैसे ही मंगल ने उस मैडम की गांड में पेटीकोट को हथेली से दबाया, वह औरत असहज दिखने लगी और फिर अगले एक मिनट में क्या हुआ मुझे नहीं मालूम पर मैंने चटाक की आवाज़ सुनी।

चटा$$$$$$$$$$क।

मंगल को थप्पड़ मारकर वह मैडम गुस्से से आग बबूला हो गयी और ख़ासकर उसके पैंट की खुली ज़िप देखकर। शुक्र था कि उस दिन उसका पति घर पर मौजूद नहीं था। वरना हम ज़रूर मार खाते। आप मेरी हालत समझो मैडम, इस उमर में इतनी बेइज़्ज़ती, इतनी शर्मिंदगी।

मंगल की इस लम्पट हरकत पर मैंने ना में सर हिलाकर अफ़सोस जताया।

गोपाल टेलर--मैडम, मैंने मंगल से पूरे एक दिन तक बात नहीं की। उस दिन से मैंने नाप लेने के लिए उस सूअर को साथ आने से मना कर दिया।

"बहुत अच्छा किया गोपालजी। इतना बदतमीज।"

गोपाल टेलर--मैडम, मैं आपसे माफी चाहता हूँ की उस दिन आपके ब्लाउज की नाप लेते समय मंगल भी मेरे साथ था। लेकिन सब उसके जैसे नहीं होते। असल में इसीलिए मैं इस नये लड़के को लाया हू।

तभी दीपक पानी का ग्लास लेकर कमरे में आ गया और गोपालजी चुप हो गया। गोपालजी पानी पीने लगा वैसे तो मेरा गला ज़्यादा सूख रहा था। पानी पीने के बाद गोपालजी ने बैग से सामान निकलना शुरू कर दिया।

गोपाल टेलर--मैडम, एक बात तो अच्छी हुई है।

"कौन-सी बात?"

गोपाल टेलर--मैडम, पिछली बार आपने अपनी समस्या बताई थी। तब समय नहीं था पर इस बार मैं उसे ठीक कर दूंगा।

मुझे तुरंत याद आ गया की मैंने इस बुड्ढे टेलर को अपनी पैंटी की समस्या बताई थी जो की अक्सर चलते समय मेरे नितम्बों के बीच की दरार में सिकुड़ जाती थी। शादी के बाद मेरे नितम्ब चौड़े हो गए थे और ये समस्या और भी बढ़ गयी थी। मैं चाहती थी की इस समस्या का हल निकले। मैंने अपने शहर के लोकल दुकानदार को भी ये समस्या बताई थी, जिसकी दुकान से मैं अक्सर अपने अंडर गारमेंट्स खरीदती थी और उसने ब्रांड चेंज करने को कहा। मैंने कई दूसरी कम्पनीज की ब्रांड चेंज करके देखि पर उससे कोई ख़ास फायदा नहीं हुआ। जब भी मैं किसी भीड़ भरी बस या बाज़ार में जाती थी तो किसी मर्द का हाथ मेरे नितम्बों पर लगता था तो मुझे बहुत उनकंफर्टबल फील होता था क्योंकि पैंटी तो नितम्बों पर होती नहीं थी। दूसरी बात ये थी की पैंटी के सिकुड़ने से मेरे चौड़े नितम्ब कुछ ज़्यादा ही हिलते थे। वैसे तो ये समस्या ऐसी थी की किसी से खुलकर बात भी नहीं कर सकती थी लेकिन गोपालजी बूढ़ा था और अनुभवी टेलर था इसीलिए मैंने उसे अपनी समस्या के बारे में बात करने में ज़्यादा संकोच नहीं किया। वैसे तो वहाँ पर दीपक भी था पर वह छोटा लड़का था इसलिए मैंने उसे नज़रंदाज़ कर दिया।

"हाँ, गोपालजी। मुझे लंबे समय से ये परेशानी है। और मैं बहुत असहज महसूस करती हूँ।"

गोपाल टेलर--मैं समझता हूँ मैडम। क्योंकि मैं पैंटी सिलता हूँ इसीलिये मुझे मालूम है कि समस्या कहाँ पर है। आपकी परेशानी ये है कि पैंटी नितम्बों से सिकुड़ जाती है। है न मैडम?

"हाँ, यही परेशानी है।"

गोपाल टेलर--आप कौन-सी ब्रांड की पैंटी पहनती हो?

"आजकल मैं 'डेज़ी' ब्रांड की यूज करती हूँ।"

गोपाल टेलर--'डेज़ी नार्मल'?

मैंने सर हिला दिया।

"कोई और वैरायटी भी है क्या इसमें?"

मुझे हैरानी हो रही थी की मई एक मर्द के साथ खुलकर अपने अंडर गारमेंट्स की बात कर रही थी, लेकिन मंगल के यहाँ न होने से मुझे झिझक नहीं हो रही थी। उस कमीने को तो मैं नहीं झेल सकती। दीपक चुपचाप हमारी बातें सुन रहा था।

गोपाल टेलर--हाँ मैडम। डेज़ी नार्मल, डेज़ी टीन और डेज़ी मेगा।

"लेकिन मैं तो सोचती थी की उनकी वैरायटी सिर्फ़ प्रिंट्स में है, नार्मल और फ्लोरल।"

गोपाल टेलर--मैडम, दुकानदार तो हमेशा उसी ब्रांड को ग्राहकों को दिखायेगा जिसमें उसे ज़्यादा कमीशन मिलेगा। लेकिन आपको वही लेनी चाहिए जो आपको सूट करे।

"लेकिन मुझे तो ये मालूम ही नहीं था। इनमें अंतर क्या है?"

गोपाल टेलर--मैडम जैसा की नाम से अंदाजा लग रहा है, डेज़ी नार्मल जो आप यूज करती हो वह नार्मल साइज की पैंटी है, इसमें नार्मल कट होते हैं। और डेज़ी टीन। ।

मैंने स्मार्ट बनने की कोशिश करते हुए गोपालजी की बात बीच में काट दी।

"टीनएजर लड़कियों के लिए। अच्छा ऐसा है नाम के अनुसार।"

गोपाल टेलर--नहीं मैडम, आपका अंदाज़ ग़लत है। डेज़ी टीन, टीनएजर लड़कियों के लिए नहीं है। नाम से साइज और पैंटी के कट्स का पता चलता है। ये पैंटी डेज़ी नार्मल से साइज में छोटी होती है और कट्स भी ऊँचे होते हैं। मैडम, आप भी डेज़ी टीन पहन सकती हो, टीनएजर से कोई मतलब नहीं है।

"ओह। अच्छा।"

गोपाल टेलर--असल में जब मेरे पास ऑर्डर्स आते हैं तो मुझे भी डिमांड के अनुसार अलग-अलग टाइप की पैंटी सिलनि पड़ती हैं जैसे कि नार्मल, टीन, मेगा, मिग। हर कंपनी अलग-अलग नाम रखती है।

मिग? ये क्या है? मैं अपने मन में सोचने लगी। लेकिन मुझे बड़ी ख़ुशी हुई की गोपालजी को इन सब चीज़ों की बहुत बारीकी से जानकारी है। अब मैं अपनी शर्म छोड़कर और भी खुलकर बात करने लगी।

"डेज़ी मेगा में क्या है?"

कहानी जारी रहेगी

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