अंतरंग हमसफ़र भाग 041

Story Info
हुमा के साथ मस्तिया जारी हैं.
1.9k words
5
239
00

Part 41 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

अंतरंग हमसफ़र भाग 40-में पढ़ा

"एक घंटे बाद सब त्यार हो कर बस में बैठ कर मथुरा के लिए निकल गए और घर में केवल मैं हुमा और रोज़ी रह गए। उनके जाते ही उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा और मैं खींचता हुआ उसके पास पहुँचा और हमारे होंठ जुड़ गए। मैंने एक ही झटके में हुमा को बिस्तर पर पटक कर उसके कपडे लगभग फाड़ते हुए उतार दिए और एक ही झटके में जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा लंड उसकी चुत में जड़ तक घुसा दिया और तब तक तेज-तेज धक्के मारता रहा जब तक दोनों झड़ नहीं गए। फिर उस दिन दोपहर के भोजन तक हमने घर के हर कोने में एक दुसरे को चूमते रहे।"

आपने मेरी कहानी " अंतरंग हमसफ़र-- 40" में पढ़ा:

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना।

अब आगे।

तो प्रीती ने पुछा फिर इसके बाद आपने अपने हुमा के साथ में क्या-क्या किया।

मैंने बोलै प्रीती जब सब चले गए तो उनके जाते ही मैं और प्रीती एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे। फिर रोज़ी मेरे पास आयी और मुझे बताया कि हुमा ने अपना नाश्ता नहीं किया है क्योंकि वह नाश्ते के समय खाने की इच्छुक नहीं थी। मैं उसके साथ गया और हमारे दोपहर के भोजन के लिए कुछ चीजों का चयन किया॥ इसमें बहुत सारे फल हैं, कटे हुए पके हुए आम, अंगूर केले और स्ट्रॉबेरी के साथ अन्य विदेशी फल, चॉकलेट, केक, दूध के शेक और शहद, भारतीय मिठाईया, और साथ में रोज़ी ने हमारे लिए विशेष रूप से जो हलवा बनाया था ले लिया।

मैंने हुमा को अपने दोपहर के भोजन का आनंद लेने के लिए कहा, लेकिन उसने कहा कि वह भूखी नहीं है। तो मैंने उसे खाने के लिए फल दिए, लेकिन उसने वह भी नहीं खाया, इसलिए मैंने कहा कि मुझे तुम्हें खिलाने दो। मैंने उससे आँखें बंद करने के लिए कहा और अगर वह आंखों को खोलेगी तो उसे दंडित किया जाएगा। उसे फिर उसे वह बस्तु प्लेट भर के खानी व पड़ेगी, जिसको खाने की वह पहली बार में अनिच्छुक थी। हुमा ने इस योजना पर कुछ ज़्यादा उत्साह नहीं दिखाया और बोली मैं बहुत कम ही खाती हूँ। मैंने कहा अच्छा दोनों मिल कर खाते हैं और मुझ पर भरोसा करो। वह बोली मैंने तो आपको आपने सब कुछ सौंप दिया है आप पर भरोसा नहीं करूंगी तो कहाँ जाऊँगी। तो मैंने उसे ठोस मिल्क शेक पीने को दिया जो उसने बहुत थोड़ा-सा पिया और बोली बस। मैं ज़्यादा दूध नहीं पीती।

इस बात पर मैंने उसके ओंठ को चूमा और उसके मुंह में मेरे मुंह से एक अंगूर पारित कर दिया। और उसने उसे पकड़ा एक दंश खाने के बाद बाक़ी हिस्सा वापस मेरे मुंह में धकेल दिया और बोली अच्छा जैसा आप कहो। तो यह अनुमान लगाते हुए कि मैं उसे खाने पिलाने की योजना को कैसे पूरा करने जा रहा हूँ, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।

मैंने एक आम का टुकड़ा अपने होंठों में लिया और उसके मुँह में धकेल दिया। उसने थोड़ी मात्रा में खा लिया और वापस मेरे मुँह में आधा घुसाने की कोशिश की लेकिन मैंने उसे वापस कर दिया। उसने उसे पूरा खा लिया और मैंने एक और टुकड़ा दिया तो उसने वह पूरा मेरे मुँह में धकेल दिया जिसे मैंने भी खा लिया और उसने फिर मुझसे कहा। तुम ऐसे मेरी आदत खराब कर दोगे।

मैंने उससे कहा कि मेरे प्यार तुम हो ही बिगाड़ने लायक और आप इस सप्ताह में बिगड़ जाने के लिए तैयार रहें। इसके बाद मैंने उसे बहुत सारे स्ट्रॉबेरी, अंगूर और फिर तरबूज और अन्य फल दिए।

मैं उसे खिलाने के लिए एक चम्मच का उपयोग कर सकता था, लेकिन मैंने उसको ऐसे ही आने हाथ और मुँह से खिलाने का फ़ैसला किया। उसके और भी करीब चला गया। वह सचमुच मेरे हाथ और मुँह से खा रही थी। मैं उसे खिलाते हुए हर बार खाने और फलो के कुछ टुकड़े उसके स्तनों के बीच की जगह गिरा देता था।

उसने मेरे होंठो पर एक गहरा चुंबन दे दिया। मैं उसे मेरे हाथ और मेरे मुंह के साथ खिला रहा था, मैंने मुँह भर के एक ग्रास ले लिया और उसके मुंह में गहरे चुंबन में धक्का दे दिया। हमारे लार और भोजन का संयोजन हमें एक उन्माद में मिला, मैं उसे खिला और सान रहा था। उसके बड़े-बड़े गोल स्तन खाने से सान गए थे, और निप्पल उत्तेजना से उभर गए थे, जिन्हें मैंने मुँह में लेकर ख़ूब चूसा।

मैंने एक चाकलेट का पैकेट फाड़ा, चाकलेट को अपने मुँह में रखा और अपने मुंह को हुमा के मुंह के पास लाया! चाकलेट देख हुमा के मुंह में पानी आ गया और हुमा भी आगे बढ़ कर मेरे मुंह से चाकलेट खाने लगी। अब मैंने मुंह से सारी चाकलेट अपने और हुमा के मुंह पर लगा दी, मैं हुमा के मुंह पर लगी चाकलेट खाने लगा, हुमा भी मेरे मुंह पर लगी चाकलेट चाटने लगी, हमने चाट-चाट कर एक दूसरे का मुंह साफ़ किया।

मैंने उसे पीने के लिए कुछ मिल्क शेक दिया लेकिन उसने बहुत कम मात्रा में पिया और मुँह बनाते हुए बोली कि उसे दूध पसंद नहीं है। फिर मैंने केक के शहद ऊपर डाला और उसे अपने मुँह से खिलाया। जिसे हमने आधा-आधा खाया।

फिर मैंने एक छोटी-सी हरी मिर्च ली और हुमा के ओंठो को मिर्च से छुआ और फिर उसके मुँह में डाल दी। मुँह में मिर्ची के जाते ही वह ज़ोर से चिल्लाई! लेकिन उसने आँखें नहीं खोलीं। वह रोती चिलाती हुई बोल रही थी है जल गयी, मेरा मुँह जल गया मेरी जीभ जल गयी। उह! आह! मर गयी, उसने हरी मिर्च को इस डर से थूक नहीं दिया कि उसे ज़्यादा मिर्ची खानी पड़ सकती है और उसने मुझसे कुछ मीठा माँगा। मैंने उसे दूध का शेक दिया। जिसे उसने ख़ूब पीया और बोली मेरा मुँह और जीभ जल गयी और फिर मैंने उसे अपनी जीभ बाहर निकालने के लिए कहा। उसकी जीभ पर बहुत सारा शहद डाल। उसने कुछ राहत महसूस की। लेकिन शहद उसके चेहरे, स्तन और जाँघों पर फैल गया।

मैंने उसे गले लगाया और मेरे शरीर के खिलाफ उसे दबाया और परिणामस्वरूप कुछ शह्द मेरी छाती और जांघो पर लग गई।

मैंने उसके ओंठो को चूमना शुरू किया और फिर उसके चेहरे और स्तन पर लगे शहद को चाटा और फिर उसकी जांघों को भी चाटा और बोला अब आँखे खोल कर मुझे देखो उसने आँखे खोली और मुस्कुरायी उसकी मुस्कराहट बहुत भोली, मनमोहन और सुंदर थी।

हम फिर किस करने लग गए। बता नहीं, ये सब कितना कामुक था। मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था, मैं उसे देखता रहा।

मैंने शैम्पेन के दो गिलास बनाये और हम दोनों ने अपने सुखद और मजे के नाम पर एक जाम उठाया।

उसके बाद हुमा को मैं अपने हाथ से खाना खिला रहै था और हमने शैम्पेन के जाम उठाये।

मैंने शैम्पेन की बोतल को उठाया और उसके बूब्स पर दो बार उड़ेल दिए। उसने मुझे आश्चर्य से देखने लगी ये क्या कर रहे हो? वह मेरी हर हरकत देख रही थी।

मैं बस मुस्कुरा दिया और झुक कर चाटने लगा और उसके बाद मैं बस उसके स्तन और निप्पलों को चाटता और चूसता रहा। मैं बता सकता था कि वह उत्तेजित हो रही थी।

मैंने अपना सिर बग़ल में घुमाया और नीचे की ओर उसकी चूत की तरफ़ बढ़ा। मैं उसकी चूत के होठों को नमी और शैंपेन की बूंदों जो उसकी चूत और जाँघों तक छिटक गई थी से चमकती हुई देख रहा था। मैं उसको चूमते हुए नीचे उसकी नाभि और यनि के आस पास चूमते हुए उसकी योनि को चूमा और फिर चाटने लगा। उसकी योनि के रस और शैम्पेन के मिले जुले रस का स्वाद अध्भुत था।

मैं उसकी गंध सूंघ का महसूस कर सकता हूँ उसका शरीर सम्भोग के लिए त्यार था क्योंकि ऐसे समय में दोनों के शरीर से एक ख़ास गंध निकलती है।

मेरे लिए यह गंध थी जारी रखने के लिए एक निमंत्रण थी और मैंने वही किया। मैंने उसकी योनि की गहराई में अपनी जीभ उतार दी और उसे चाटा। उसकी योनि की उंगलियों से खोलते हुए अपनी जीभ से योनि की गहराई की तहों को महसूस करते हुए उसकी कामुकता का नमकीन और शराब मिला तीखा स्वाद चखा।

मेरा हाथ उसके स्तन और उसके नितम्बो तक चला गया। मेरा हाथ और नीचे गया, दाएँ और बाएँ नितम्बो के बीच की दरार में होती हुई मेरी उंगलियाँ उसके गीलेपन की ओर बढ़ रही थीं। मैंने उसकी योनि में आगे से एक उंगली डाली, और उसकी योनि की संकरी दीवारी की दृढ़ता को महसूस किया। और उसके मुँह से मेरे लंड को निकालने से पहले उसे उत्तेजित करने के लिए उसकी योनि के दाने को सहलाना शुरू कर दिया।

मैं फिर उसकी चूत को चाटने लगा। मैंने हुमा को पीछे होने और मेरे लिए अपनी टाँगे फैलाने के लिए कहा। जो उसने किया, उसके अपने हाथो ने उसकी योनि के होंठों तक पहुँच कर, उन्हें अलग किया ताकि मैं अपने चेहरे को उसके अंदर और गहराई से डुबो सकूँ।

फिर वह बोली प्लीज दीपक! अब और मत तड़पाओ अब मेरे अंदर अपना लंड घुसा डालो और मुझे चोदो! कस कर ज़ोर से चोदो। प्लीज अब जल्दी करो। मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा। अब आ जाओ मेरे अंदर। वह गिड़गिड़ाने लगी।

मुझेलगा अब इसे और तड़पाना ठीक नहीं है और मेरा लंड भी फटने को हो रहा था। मैंने अपने लंड पर शैम्पेन की बोतल से थोड़ी-सी शराब में भिगोया और उसके छेद पर रख कर एक धक्का लगा दिया। । उसकी योनि अब कौमार्य के प्रतिरोध के बिना मेरे लंड का स्वागत किया और मेरा लंड उस ज़ोर दार धक्के के कारण उसकी योनि दीवारों से रगड़ खाता हुआ जड़ में समा गया।

हाय! उई माँ मर गई। । आह्ह्ह! उईईई! आह्ह! ऊओऊऊच! ऊउई! इम्म्मां! उम्म्ह्ह्ह!

वो बोली फाड़ ही डालोगे क्या। आराम से करो। वह बोली आराम से घुसाया करो फिर धीरे-धीरे स्पीड बढ़ा कर ज़ोर से किया करो। मैंने कहा अच्छा अब आराम से करूंगा और उसे किश किया। जिसका उसने गर्मजोशी से जवाब दिया। और फिर मेरी कमर चलने लगी और वह भी लये से लये मिला कर साथ देने लगी।

मेरे धक्को के गति और ताकत बढ़ती गयी और जल्द ही हम दोनों एक साथ चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए। मैंने योनि में ढेर सारी पिचकारियाँ मारी, और उसकी चूत ने भी संकुचन करते हुए मेरे लंड से मेरे वीर्य की एक-एक बूँद निचोड़ ली और मैं उसकी बाहो में समा कर उसके ऊपर ही लेट गया।

तो दोस्तों कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

आपका दीपक

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

story TAGS

Similar Stories

College Stud with Something to Hide Jess gets her way with campus hottie but unexpected results.in Anal
Welcome Home Gift Ch. 01 Lustful welcoming of a lover after a long business trip.in Erotic Couplings
Transforming Genevieve Ch. 01 Plain-looking college professor goes for a makeover.in Erotic Couplings
Sharing at the Cinema Part 2 of Jude & Annie's Erotic Adventure.in Group Sex
Letters from a Friend in Paris 01 An account of a sexually omnivorous photographer.in Letters & Transcripts
More Stories