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Click hereअंतरंग हमसफ़र भाग 45-में पढ़ा:
फिर लिली ने मुझ से बिस्तर पर आने और मुझ से चोदने का बार-बार अनुरोध किया और चुदाई का आनंद लेने के लिए भीख मांगी। तब मैंने उसके उत्तेजित भगशेफ को दांतो से कुतरते हुए उसकी जांघो और उसकी नाभि को चूमा और नाभि में अपनी जीभ घुसा दी और फिर एक दुसरे पर झपटते हुए, हम बिस्तर पर लुढ़क गए, उसके हाथ ने मेरे लंड को पकड़ लिया।
एक और क्षण में मैं लिली के ऊपर, उसकी चौड़ी-खुली जाँघों के बीच और उसकी सुंदर छाती पर आराम कर रहा था। मेरे सीने के खिलाफ उसके खूबसूरत बूब्स को नरम और लोचदार महसूस किया! और उसके सख्त हो चुके गुलाबी चूचक मेरे सीने में गड़ गए।
आपने मेरी कहानी " अंतरंग हमसफ़र-- 1 से 45" में अब तक पढ़ा:
मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।
उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, "आह! हाय! ओह! ओह! ओह! मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने इस अवसर आका फायदा उठाने के लिए हिम्मत करते हुए उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके स्पर्श और उसकी सुंदरता ने मुझ पर अपना प्रभाव दिखाएँ।
लिली का रूप इतना विशुद्ध रूप से परिपूर्ण था, उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे।
मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, जो उसकी योनि के होठों से काफ़ी इंच-डेढ़ इंच दूर था। मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।
अब आगे:-
जब मैं उसकी योनि को चाट रहा था और अपनी ऊँगली से उसकीयोनि ने घुसाने का प्रयास कर रहा था तो मैंने मह्सूस किया उसकी योनी बहुत टाइट थी। मैंने उससे पुछा की क्या वह कुंवारी है?
"मेरे प्रिय दीपक! आपके लिए कुंवारी तो मुझे होना ही चाहिए, क्योंकि मेरे पति का लिंग मुझे खुश करने के लिए बहुत छोटा है और मेरी योनि जितनी तंग है। मैं उसके लिंग को अपनी सुहागरात में भी महसूस नहीं कर पायी थी और मुझे लगता है अब आपकी ख़ुशी का गहना मुझे भर देगा!" मुझे चूमते हुए उत्तर दिया ।
हम बिस्तर पर लुढ़क गए, उसके तैयार हाथ ने मेरे लंड को पकड़ लिया और मैं उसके प्यारे शरीर पर चढ़ गया। मैं अब लिली के ऊपर, उसकी चौड़ी-खुली जाँघों के बीच और उसकी सुंदर छाती को अपने छाती से दबा कर मैंने अपने सीने के खिलाफ उसके खूबसूरत बूब्स को नरम और लोचदार महसूस किया! और उसके सख्त हो चुके गुलाबी चूचक मेरे सीने में गड़ गए। मैं उसके ओंठ चूसने लगा।
मेरा लंड जाकर उसकी योनि और भगनासा से टकराया उसकी हरकतें उसके शब्दों की तरह कामुक थीं। उसने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया अब मेरा लंड लिली की कुंवारी चूत के बिल्कुल सामने था। लिली ने हाथ बढ़ा के मेरे अंडकोशो को सहलाया और फिर लंड पकड़ा और अपनी चूत के लबो पर फैरने लगी। लिली की चूत केहल्का-सा अंदर मेरा गरम-गरम लंडमुंड जैसे ही लगा उस ने एक झरजरी-सी ली। मुझे भी इस में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं थोड़ा और झुक गया अब लिली ने मेरा लंड चूत की फांको के बीच ऊपर से नीचे फेरने लगी।इससे लिली की गीली-गीली चूत में गुदगुदी होने लगी।
अयाहआअहह! आह्म्म्म्मम।" लिली के मुँह से बाक़ायदा सिसकियाँ निकलने लगी।
और उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया, जबकि उस समय मैं भी उसकी स्वादिष्ट योनी में घुसने के लिए उतना ही उत्सुक तेज़ था। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया। लिली ने बड़ी ही मुश्किल से अपनी चीख अपने होंठो में दबाई लेकिन फिर भी ज़रा-सी निकल ही ग!. अया! आह! अह्ह्ह्ह! " लिली के मुँह से निकला वह दर्द से मरी जा रही थी।
मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था जब किसी लड़की ने ख़ुद से अपनि योनि में मेरा लंड घुसा लिया हो । मैंने भी लंड को थोड़ा नीचे को दबा कर अपने कूल्हे नीचे धकेल दिए। मेरे बदन में लहरे-सी उठने लगीं और एक नया-सा सरूर आने लगा मेरी किस्सिंग में जोश-सा आ गया और मैंने लिली के पूरे चहरे को चूमना शुरू कर दिया। फिर उस के कानो पर आया और गर्दन पर और फिर दोनों हाथ में लिली के मम्मे पकड़ लीं और उस के लेफ्ट निपल को मुँह में ले कर चूसने लगा और ज़ुबान उस पर फैरने लगा। लिली के दोनों निपल्स हार्ड हो कर खड़े हो गये थे। मेरी ज़ुबान उस के निपल के गिर्द गोल-गोल घूम रही थी और वह मज़े की दुनियाँ में आँखे बंद किए उड़ रही थी। मैं दीवानो की तरह अब उस की मम्मों को चूस रहा था, काट रहा था और दोनों हाथो से ज़ोर-ज़ोर से सहला भी रहा था।
अब मैं आहिस्ता-आहिस्ता अपने मोटे लंबे लंड को लिली की चूत में अंदर करने लगा। लिली अपना सिर इधेर उधेर मारने लगी। उस ने आँखे ज़ोर से बंद कर लीं थीं और टाँगो को बंद केरने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी टाँगों के बीच में था।
बास्स्स! अया आह अह्ह्ह्ह! "लिली बोली" रूको।" मुझे बहुत दर्द हो रहा है तुम्हारा बहुत बड़ा है ।
मे लिली की बात सुन वहीं रुक गया। उसकी तेज़-तेज़ साँसे ले रही थीं। उस के मम्मे उस के सीने पर पूरी तरहा फूल और पिचक रहे थे।
यह तुम्हारा पहला मौका है इसलिए दर्द दे रहा है। अभी मज़ा आएगा। अब कुछ नहीं होगा। पहली बार होता है । ये बर्दाश्त कर लो तो समझो बहुत मज़ा आए गा, ज़रा-सी देर और।" मैंने लिली के बालो में हाथ फेरते हुए उस बोला तो लिली बोली मुझे मालूम है और लिली मेरे होंठो को चूमने लगी।
इतने में उसका दर्द कुछ कम हो गया। उसे किस्सिंग का मज़ा आने लगा उसकी योनि कितनी नरम थी और उस पकड़ मज़बूत महसूस हुई, इंच दर इंच मैंने अपने लंड की धीरे-धीरे उसमें दफनाया, जब तक कि मेरा लंड उसकी योनि के खिलाफ जाम नहीं हो गया, पहले मेरे अंडे लटक गए फिर जैसे-जैसे लंडअंदर गया उसके प्यारे सफेद नितम्बो के साथ चिपक गए। मैं आगे नहीं जा सका।
और अपनी चूत में फँसे हुए मेरे लंड का भी मज़ा लेते उसने ज़रा-सा अपनी गाँड को उठाया। मैं समझ गया कि यही टाइम है और मैंने ज़ोर का झटका दिया कि मेरा पूरा लंड लिली की चूत में घुस गया और मेरी हल्की-हल्की झांटें सिमरन की रोयें जैसी जनता वाले साफ़ सुथरे प्यूबिक एरिया से जा लगीं और मैं वहीं रुक गया। मुझे महसूस हो रहा था कि मेरा लंड किसी टाइट से शिकंजे में फँस गया है। लिली के मुँह से निकली हुई चीख मेरे मुँह में ही रह गई. वह अपना सर ज़ोर से दाई बाईं करने लगी। उस की आँखों से आँसू निकलने लगे। उसे महसूस हो रहा था कि जैसे उस की चूत में आग लग गई हो कोई दहकता हुआ लोहे का रोड उसकी चूत के अंदर घुसा दिया गया हो। मैं उस को चूमते हुए हाथो से लिली के मम्मों को दबा रहा था ।
कुछ देर में लिली का दर्द कम हुआ और वह कुछ संभल गई. उस ने एक ज़ोर की साँस ली और बोली, "आअहह तुम ने मुझे मार ही डाला था आराम से करो मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ ।"
और एक महिला के पास क्या है! मेरी हर हरकत से उसकी ख़ुशी का इज़हार हो गया! उसे सुनने के लिए आपने कल्पना की होगी कि यह पहली बार था जब उसकी इंद्रियाँ अपनी नींव से ही शक्तिशाली रूप से उत्तेजित हुई थीं! उसके हाथ कभी भी स्थिर नहीं थे, वे मेरे सिर के पीछे से मेरे शरीर की अंतरंग सीमा तक, जहाँ तक वे पहुँच सकते थे, मेरे ऊपर चल पड़े। वह आनंद देने और प्राप्त करने की कला में बिल्कुल पारंगत थी।
हम एक दूसरे की बाँहों में लेट गए; एक दूसरे की आँखों में कोमलता से टकटकी लगाए। हम पहले बोलने के लिए बहुत बेदम थे। मैं महसूस कर रहा था कि उसका पेट मेरे खिलाफ दब रहा है और उसकी धड़कती हुई योनि ने मेरे लंड को पकड़ लिया था, जैसे कि वह उसका हाथ हो और फिर उसकी योनि संकुचन करते हुए लंड को चूसने लगी!
मुझे पता था कि मेरे लंड ने कितनी टाइट योनि में प्रवेश कर कितनी डिग्री का आनंद लिया था! मुझे लगा कि वह फिट है! वह गले से लग गई! उसने मुझे अपनी बाहों में लगभग कुचल दिया और अपने पैरों को मेरी पीठ पर रख दिया, उसने मुझे अपने मोटे तौर पर दबाया।
मैंने उसके प्यारे से चेहरे को देखा और उसके सुंदर चेहरे को चूमने लगा और उसके ओंठो को पिया, उसके बदन जिसे मैंने अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था को सहलाया और दबाया और जिसकी कोमल और कामुक जांघों को मैंने घेर लिया मेरा! मैं कामना कर रहा था कि वह शांत हो जाए । वह मेरी लगातार, लालसा वीनस थी और मैंने लंबे समय की उसकी कामुक इच्छाओं के कारण उसे पा लिया था और उसकी बांहो में स्वर्ग का आनद महसूस कर रहा था इससे पहले कि मैं उसकी अतुलनीय फांक की चुदाई शुरू करता, मुझे अपने बारे में कोई धारणा नहीं थी। लेकिन मेरी हवादार कल्पनाएँ उसके यह कहने से दूर हो गईं।
"आप एक शान दार लंड के मालिक औ और एक अच्छे चोदू हो और इसमें आपकी कोई गलती नहीं है! ओह! आप जानते हो कि यह कैसे करना है! कोई भी व्यक्ति उस तरह से चुदाई नहीं करता, जब तक उसे सिखाया न गया हो!"
"नहीं" मैंने कहा, मेरी बाहों में उसे दबाकर और उसके गहरे लाल रंग का होंठो को चूमा, "मैंने इस तरह का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है और न ही इसमें अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया हूँ । हाँ जहाँ तक बात है चुंबन की! मैंने कुछ अच्छे चुम्बन पीछे कुछ दिनों में देखे हैं और मैंने हमेशा उनका यथासंभव अभ्यास करने की कोशिश की है!"
कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।
आपका दीपक