अंतरंग हमसफ़र भाग 047

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लिली ने सम्भोग का नया तरीका सिखाया.
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Part 47 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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अंतरंग हमसफ़र भाग 46-में पढ़ा:

लिली बोली आप एक शानदार लंड के मालिक औ और एक अच्छे चोदू हो और इसमें आपकी कोई गलती नहीं है! ओह! आप जानते हो कि यह कैसे करना है! कोई भी व्यक्ति उस तरह से चुदाई नहीं करता, जब तक उसे सिखाया न गया हो!

"नहीं" मैंने कहा, मेरी बाहों में उसे दबाकर और उसके गहरे लाल रंग का होंठो को चूमा, "मैंने इस तरह का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है और न ही इसमें अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया हूँ । हाँ, जहाँ तक बात है चुंबन की! मैंने कुछ अच्छे चुम्बन पीछे कुछ दिनों में देखे हैं और मैंने हमेशा उनका यथासंभव अभ्यास करने की कोशिश की है!"

आपने मेरी कहानी " अंतरंग हमसफ़र-- 1 से 45" में अब तक पढ़ा:

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।

उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, "आह! हाय! ओह! ओह! ओह! मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने इस अवसर आका फायदा उठाने के लिए हिम्मत करते हुए उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके स्पर्श और उसकी सुंदरता ने मुझ पर अपना प्रभाव दिखाएँ।

लिली का रूप इतना विशुद्ध रूप से परिपूर्ण था, उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे।

मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, जो उसकी योनि के होठों से काफ़ी इंच-डेढ़ इंच दूर था। मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया अब मेरा लंड लिली की कुंवारी चूत के बिल्कुल सामने था। उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया, जबकि उस समय मैं भी उसकी स्वादिष्ट योनी में घुसने के लिए उतना ही उत्सुक तेज़ था। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया।

अब आगे:-

मैंने लिली की चुत में लंड धीरे-धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे गति बढ़ाता गया । इससे मुझे और लिली को मज़ा आने लगा। मेरे हर शॉट के साथ लिली की आह-आह की सिसकियाँ गूंजने लगी। उस ने आँखे बंद कर लीं। लिली की कुंवारी चुत मुझे मिलेगी ये तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था और फिर उसकी चुत बहुत ही कसी गरम और करारी थी। जाने कब मेरे धक्को में तेज़ी आ गई. हम दोनों को ही पता ना चला लेकिन अब लिली को दर्द नहीं केवल मज़ा और सरूर आ रहा था।

"आह!" उसने कहा। " मुझे ऐसा लगा! आप किसी भी पुरुष की तुलना में पैर का अंगूठा और एड़ी वाली चुदाई बेहतर कर पाएंगे और मैं ये कहने की हिम्मत इसलिए कर सकती हूँ क्योंकि मैंने अपनी बहन को बहुत सारे पुरुषो के साथ देखा है और मेरा दावा है आपके पास अभी तक इतनी महिलाओं नहीं रही होंगी जितने पुरुषो के साथ मैंने अपनी बहन को देखा है!

मैं- पैर की अंगुली-एड़ी से आपका क्या मतलब है, लिली!

लिली: ओह! क्या आप ये नहीं जानते? आप इसे किसी भी गति से कर सकते हैं! और शानदार! एड़ी और पैर की अंगुली वाली चुदाई में प्रत्येक स्ट्रोक को बहुत शुरुआत में शुरू करना होता है और इसे बहुत अंत में समाप्त करना है।

मैं: वह कैसे लिली?

लिली: अभी मुझे एक लंबा स्ट्रोक दो! "

मैनें यही किया। मैं तब तक पीछे हुआ और लंड को बाहर निकाल लिया जब तक कि मेरे लंड उसकी चूत के छिद्र से बाहर नहीं आ गया और फिर धीरे से लेकिन मजबूती से उसे अंदर जितना दूर और जितना गहरा हो सकता था ले गया और फिर मैंने उसके पेट पर आराम किया।

"आअह्ह्ह," वह कराही,

लिली: बस! इसी तरह आप इसमें लगभग लंड बाहर निकालते हैं, लेकिन पूरा नहीं निकालते और उस समय आप अपने पंजो पर हो जाते हैं और एड़ी बिस्तर से उठ जाती है और फिर पूरे ज़ोर से लंड को आगे धकेल देते हैं और तब तक नहीं रुकते हैं जब तक पूरा लंड अंदर जा कर लंडमुड योनि की आखरी दीवार से नहीं जा टकराता और आपके कूल्हे योनि और अंडकोष नितम्बो से तेजी नहीं टकरा जाते हैं और आपकी एड़ी अब सतह के समान्तर स्पाट हो जाती है!

उसके बाद मैंने-मैंने वैसे ही एक शॉट लगाया ऑटो वह बोली ये बेहतर है और फिर मैं दुबारा शुरू हो गया।

हाँ. हाँ. हाअँ. और. तेज़-तेज़. हा. हा-हा. आ. आ, हहाायी. ऊओ. आह. प्रिय. आह. ओह्ह. चोदो. हहान. और तेज़।" हर झटके के साथ लिली के मुँह से एक लफ्ज़ निकल रहा था।

मैं लिली पर गिर गया और हाथ उसके स्तनों पर ले गया, उसके होंठ चूसने लगा। अब धक्कों में काफ़ी तेज़ी आ गयी थी। मेरा लंड लिली की गीली चूत में आराम से आ जा रहा था। मेरे हर झटके में मेरे बाल लिली की चूत को छू जाते थे। मेरे अंडकोषलिली के कूल्हों को छू जाते। दोनों पसीने में नहा गये थे जिस से कमरे में फूच-फूच की आवाज़े आ रही थीं। लिली अभी मजे में अपने कूल्हे अब ऊपर उठा-उठा कर मेरे स्ट्रोक से लय मिला कर चुदवा रही थी। दोनों मस्ती में चूर एक दूसरे को ख़ूब जोश से चोद रहे थे।

मेरा हर धक्का वह ब्याज के साथ लौटा रही थी, मेरे हर ताकतवर धक्के के साथ वह उतना ही जोश के साथ अपने कुल्हे और नितम्भ आगे पीछे करने लगी जीसे मेरा इंजन को उसकी चरम जड़ में समा जाता था! और उसकी योनि साथ-साथ संकुचन भी कर रही थी ।

जल्द ही अब वह बारी-बारी उत्कर्ष पर पहुँच कर झड़ रही थी! मैंने एक सत्र के दौरान एक महिला के तेरह या चौदह बार झड़ने के बारे में सुना था, लेकिन यह लिली तो शुरू से अंत तक और कुछ नहीं कर रही थी लेकिन, यह तब तक नहीं हुआ था जब तक मैं अति रोमांचित, उग्र, उत्साही हो कर लगभग हिंसक छोटे-छोटे शॉट नहीं लगाने लगा था। हम दोनों ने अद्भुत मजे का अनुभव किया । वह लगभग चीख पड़ी! मुझे गले से लगा लिया! और उसने मेरे लंड को जलमग्न कर दिया, उसने मेरे मुँह को अपने हाथ से पकड़ लिया और जहाँ तक वह कर सकती थी, अपनी जीभ उसमें मारी, मेरे तालू को छूकर और अपनी गर्म साँस को मेरे मुँह में डाल दिया, इस बीच उसका पूरा शरीर सिर से एड़ी तक सचमुच उस जबरदस्त उत्तेजना से कांप गया!

मैं भी चरम के काफ़ी नज़दीक ही था और लगभग तैयार था और फिर उसने महसूस किया कि मेरे वीर्य की बहुत तेज़ गर्म धाराएँ उसकी योनि के सबसे गहरे हिस्से के खिलाफ बहुत तेज प्रहार कर रही हैं जैसे मैंने कभी इससे पहले उत्सर्जन न किया हो!

और हम लगभग तुरंत एक पारस्परिक उत्सर्जन में तैर गए, हम दोनों लगभग ख़ुशी से झूम उठे; यह केवल कुछ मिनट तक चला; मेरे उत्तेजित लंड पर उसकी योनि की सिलवटों की धड़कन और सिकुड़न ने मुझे नए सिरे से प्रयास करने के लिए जगाया और मैंने पूछा उसे ऐसा लगा? तो लिली ने कहा कि अरे आप बड़े ज़ालिम हो, लेकिन प्यारे और-और मस्त हो, चोदो मुझे और चोदो और वह कामुकता से भरी अपने होठों को दांतो से सहलाती हुई दिखाई दी।

मैं पीछे हट गया और मैंने लंड को बाहर निकाला लंड उसके रस खून और मेरे वीर्य से सना हुआ था मैंने बिस्तर के पास पड़े हुए रुमाल से लंड और योनि के अंदर बाहर और जांघो पर लगे खून को साफ़ किया।

अब मेरी इस प्यारी अप्सरा ने तुरंत मेरे उस हिस्से और उसके उपांगों की सबसे सूक्ष्म परीक्षा शुरू कर दी, जिसने उसे बहुत मजे दिए थे। उसके अनुसार, मेरा सब कुछ बिल्कुल सही था और उसने आज तक बहुत सारे पुरुषो को अपनेी बहन के साथ नग्न देखा था और उसके निरीक्षण में इतना शानदार और सुंदर लंड नहीं आया था और इतने सुंदर, संतुलित पत्थर जैसे मेरे अंडकोषों थे ने उसे विशेष रूप से प्रसन्न किया! और अब वह इनकी मालकिन थी! मेरे अंडकोषों के बारे में उसने कहा कि वे इतने बड़े हैं और उसे यक़ीन था कि वे वीर्य से भरे हुए हैं और उसने मुझसे कहा, उसका इरादा था, इससे पहले कि वह मुझे यहाँ से प्रस्थान करने के लिए अनुमति दे वह इन्हे खाली कर देना चाहती थी ।

इस पहले अभियान ने-ने बस हमारी भूख को बढ़ा दिया था और एक दूसरे के आकर्षण की सूक्ष्म परीक्षा के साथ और भी अधिक उत्तेजित होकर, हम फिर से गिर गए और एक और कामुक लड़ाई की स्वादिष्ट पीड़ा में डूब गए! मेरे उसे पहली बार चोदने में लगभग दो बज गए थे । अब मुझे की कोई जल्दी नहीं थी क्योंकि हुमा तो चली गयी थी और लिली भी अकेली थी और अब लिली जैसी शानदार स्त्री मेरे पास थी और हम दोनों अब और की लालसा रखते थे। मैं ताजा, युवा, मजबूत, जोरदार था और अभी कुछ दिन से ही मैं इस सुखों से अवगत हुआ था और इनका आनंद लेना शुरू किया था। मुझे कोई आश्चर्य नहीं कि मेरा भाग्य बहुत अच्छा था और लिली जैसी प्रेमीका मुझ से प्रसन्न थी और उसने मेरे प्रदर्शन को एक शानदार दावत कहा था।

ऐसी कहावत है कि प्रेम भोजन की भूख को नष्ट कर देता है। शायद यह तब होता है जब किसी का प्यार नहीं मिलता है, लेकिन पाठको मेरा अनुभव है, कि मैं हुमा के साथं अपने सुबह के नाश्ते के बाद अपने टिफिन के लिए लालायित था। और लिली की योनि की मलाई चाटने और मुँह का रस पीने के लिए पाकर मैं वास्तव में बहुत खुश था, हालाँकि मैंने उस दिन महिला के साथ संसर्ग करते हुए ख़ुद को इतना फिट पहले कभी महसूस नहीं किया था और शारीरिक बल के इतने कम नुक़सान के साथ शायद मुझे इतना आनंद कभी नहीं मिला, परन्तु, मैं जिन गर्म कामकु लड़ाइयों से गुज़रा था और गर्म कामुक हवा के झोंके के प्रभाव से मेरा मुँह फिर सूखने लगा था ।

निःसंदेह मेरे नियमित छात्र जीवन के सयमित जीवन, नियमित व्यायाम, नियमित भोजन और इससे पहले बहुत कम सेक्स करने के कारण मेरी शक्ति संवर्धित थी जिससे से मैंने अपने को अंदर से बहुत मज़बूत महसूस किया था।

फिर लिली ने मेरे को कस के बाहों में ले लिया और मेरे फेस पर किस पर किस किए जा रही थी। अब हम दोनों लेट गये थे और मैं लिली के ऊपर था। दोनों एक दूसरे के होंठो को कस-कस के चूमने लगे।

लिली के होंठो पर अपनी जीभ चलाने लगा और लिली ने भी मुंह खोल दिया और अपनी जीभ निकाल के मेरी जीभ को चाटने लगी। ।मैंने अपनी पूरी जीभ लिली के मुंह में डाल दी। लिली मेरे दातों पर जीभ चलाने लगी।

मैं: ओह! लिली! ।मेरी जान! ।तेरी जीभ! और मुँह का रस बहुत मीठा है।

लिली: दीपक, एयेए! आपके होंठ बड़े रसीलें हैं। आपकी जीभ शरबत है। आआहह!

मैं: अह्ह्ह्ह! लिली! मैं तुम्हे खा जाऊँगा।

फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी।

फिर मैंने उसकी जीभ को चूसा। मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली और अपने हाथ से उसकी योनि को सहलाने लगा, तो उसका शरीर सिहरने लगा और वह झड़ने लगी और मेरे हाथो को उनके चुत गीली-गीली लगने लगी। उसके बाद मैंने अपने हाथो के उसके मोमे दबाने लगा और तभी उनका निप्पल मुझे कड़ा-सा महसूस हुआ तो मैंने अपनी उंगलियों से निप्पल को खींचा और बोला "आप सबसे सुन्दर, गोरी और मस्त माल हो। आपको देखकर तो कोई भी पागल हो जाये जैसे की मैं हूँ आपको मालूम नहीं है मेरी क्या हालत है। मेरे मन आपको देख बेकाबू हो गया है लिली की गोल-गोल बूब्स से भरी उसकी छाती और भरे-भरे गालों के साथ उसकी नशीली आंखें मुझे नशे में कर रही थी। मैं बोला आपके होठों की बनावट तो ऐसी थी, अगर कोई एक बार उनका रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले।"

मैं लिली पर चढ़ कर बेकरारी से चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट तक उसका लिप्स किस लेता रहा मैंने अपना हाथ उठाया और उनके बूब्स दबाने लगा, वह भी मेरा साथ देने लगी।

मै उसकी चुचियों को मसलने लगा और वह मादक आवाजें निकालने लगी, आह उह आह की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थी, फिर मैंने उनके मोमो को चूसना शुरू कर दिया उनके मोमो कड़क हो गए थे और चुच्चिया कह रही थी हमे ज़ोर से चूसो! मैंने चूचियों को दांतो से काटा लिली कराह उठी आह यह आह लिली कह रही थी धीरे-धीरे प्यार से चूसो सब तुम्हारा ही है उसके बूब्स अब लाल हो चुके थे फिर मैंने उनकी नाभि को चूमा अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी लिली मस्त हो गयी और मेरे सर अपने पेट पर दबाने लगी मैंने लिली के एक-एक अंग को चाट डाला और उनकी चूत पर हाथ फेरने लगा तो उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था। उनकी चूत गीली होने लगी मैंने छूट को सहलाया तो लिली बोली बहुत अच्छा लग रहा है बहुत आराम मिल रहा है । सस्स्सस्स हहा करती हुई मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी। अब वह सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वह अहाह, आहहह, आहहह कर रही थी। अब उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी। फिर उसने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।

फिर मैंने उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके दोनों पैरों को फैलाया और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब जब मेरे लंड का सुपड़ा ही उसकी चूत में गया तो वह ज़ोर से चिल्लाई। फिर मैंने उसके लिप्स पर किस करते हुए उसके मुँह को बंद किया और अपने धक्के लगाता गया। अब वह झटपटा रही थी और अपने बदन को इधर से उधर करने लगी। में धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था।

फिर में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया तो कुछ देर के बाद वह फिर से गर्म हो गई। फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया और मैंने पूछा कि मज़ा आ रहा है। फिर वह बोली कि हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है! हाईईईईई! म्‍म्म्मम! फिर कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वह पूरी मस्ती में थी और मस्ती में कराह रही थी अआह्ह्ह! आाइईई! और करो, बहुत मज़ा आ रहा है। और अपने कूल्हे मेरे चोदने के ताल से ताल मिला कर ऊपर नीचे हिला रही थी और नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर चिल्ला रही थी और बडबड़ा रही थी। आहहहहहह! और चोदो मेरी चूत को, आज मत छोड़ना, और फिर कुछ देर के बाद वह बोली हाए मेरे राजा में झड़ने वाली हूँ और फिर मैंने उसकी गांड पकड़कर अपनी स्पीड बढ़ा दी, तो वह भी कुछ देर के बाद झड़ गई और शांत पड़ गयी।

मैं उसे चोदता रहा और तेजी सेअपने उत्कर्ष की ओर बढ़ रहा था, उसने कहा, "हम इसे ज़्यादा देर तक कर इसका और अधिक आनंद ले सकते हैं आप अब मेरे शरीर पर बैठो, दीपक और मेरी छाती पर स्तनों के बीच अपनी सुंदर कड़े और लम्बे लंड को रखो।"

मैंने लंड बाहर निकाला और लंड को उसके निप्पलों से टकराया और स्तनों केर बीच की दरार में रख दिया । वह पहले तो लंड अपने हाथ से सहलाती रही और अपने दो स्तनों को उसके पास ला कर लंड को स्तनों के बीच में दबा दिया तो मैं भी लंड स्तनों के बीच आगे पीछे करने लगा ताकि मैं उनके बीच काम कर सकूं। यह एक और स्वादिष्ट विचार था, लेकिन उसने मुझे उत्साहित करने के अपने सभी तरीकों को समाप्त नहीं किया था।

उसका दूसरा हाथ उसकी जाँघ के बीच में गया और मुझे लगा कि वह अपने आप को सहलाएगी लेकिन यह केवल उसकी उंगली को गीला करने के लिए था, उसने मेरे नीचे के छेद को उसके साथ सहलाया।

उसने कहा, "अब मैं आपके ऊपर आना चाहती हूँ मेरा मतलब मुझे आप पर सवारी करना है और इसे यथासंभव लंबे समय तक चलाना है, तो आइए हम अपनी स्थिति को उलट देते हैं।"

मैं उनको चूमता रहा और उनके बूब्स को सहलाता रहा फिर में उनके नीचे और अब लिलि मेरे ऊपर थी। मेरे तनकर खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अंदर घुसा रही थी। में उसकी चूत की चमड़ी को अपने लंड की चमड़ी पर रगड़ते हुए देख रहा था और में आपको बता नहीं सकता कि मुझे उस समय कितना मज़ा आ रहा था। वह मेरे लंड पर धीरे से उठती और फिर नीचे बैठ जाती जिसकी वज़ह से लंड अंदर बाहर हो रहा था और वह ख़ुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थी और बहुत मज़े कर रही थी। सच में लिली बहुत मादक लग रही थे उनके रेशमी सुनहरी बाल चारो तरफ़ फ़ैल गए थे ।

मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर लिली का पूरा साथ दिया l मेरा लंड उनकी चूत के अंदर पूरा समां जाता था तो दोनों के आह निकलती थी ।फिर मेरे हाथ उनके बूब्स को मसलने लगे फिर मैं उनकी चूचियों को खींचने लगता था तो लिली सिहर कर सिसकने लगती थीl उसके बाद वह मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए। लिली मुझे बेकरारी से चूमने लगी और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी फिर वह तेजी से ऊपर नीचे होकर जम कर चुदाई करने लगी तो वह लगभग पच्चीस मिनट के लिए मेरे ऊपर सवार हुई और बीच-बीच में किश करने के लिए रुकी। और फिर हमारे शुक्राणु के एक शानदार प्रवाह में मिले।

लेकिन इसके अलावा, यह तथ्य था मेरी नई महिला साथी असाधारण रूप से सुंदर और कामोत्तेजक थी और इससे मुझमें जो कामुक उत्तेजना पैदा हुई है, वह निश्चित रूप से उस कारण के अनुपात में बहुत ज़्यादा थी जिसने इसे जन्म दिया था। भोजन के लिए अपनी भूख के बावजूद, मैं निश्चित रूप से बिस्तर पर उसके साथ रहा होता और उसकी हर्षित भुजाओं में आनंदित होता और उसे अपने मर्दाना जोश से भर देता, लेकिन उसने मुझे बताया कि वह हमेशा दोपहर में सोती थी और ख़ुद भूखी थी और मेरी शक्ति पर संदेह करते हुए, उसने चाहा कि मैं उस रात को उसकी प्यारी जांघों के बीच ख़र्च करने के लिए अपने बल के कुछ अच्छे हिस्से को बचा लू और आराम कर लू।

कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

आपका दीपक

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