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Click hereसुबह नहा धो कर शाज़िया ने रिज़वान (ज़ाहिद) का दिया हुआ गिफ्ट निकाल कर पहनना चाहा। तो पता चला कि उस का वह बॅग जिस में उस ने रिज़वान (ज़ाहिद) का दिया हुआ गिफ्ट रखा है। वह उस के कमरे में नहीं है।
शाज़िया ने नंगी हालत में ही अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और दरवाज़े की ऑर से किचन में काम करती हुई अपनी अम्मी रज़िया बीबी को आवाज़ दी "अम्मी मेरा स्कूल वाला बॅग नहीं मिल रहा" ।
"बेटी वह तो मैने कल अपनी अलमारी में रखा था" रज़िया बीबी ने किचन से ही जवाब दिया।
"अम्मी वह मुझे चाहिए, क्या आप मुझे वह बॅग निकाल कर पकड़ा दो गी प्लीज़" शाज़िया ने दरवाज़े की ओट से अपनी अम्मी से दरख़्वास्त की।
"शाज़िया बेटा मुझे सुबह से उस अलमारी की चाभी नहीं मिल रही, पता नहीं में कहाँ रख कर भूल गईं हूँ" अम्मी का जवाब शाज़िया के कानों में पड़ा।
"उफफफफफफफफफफफ्फ़! ये अम्मी ने किया? अब में रिज़वान (ज़ाहिद) से क्या कहूँगी!" शाज़िया ने गुस्से में अपने कमरे को ज़ोर से पटकते हुए अपने-अपने से कहा।
हस्बे मामूल शाज़िया को आज भी अपने स्कूल से देर हो रही थी।
इसीलिए उस ने जल्दी में एक दूसरे कलर का ब्रा और पैंटी पहना।
और फिर कपड़े पहन कर जल्दी-जल्दी नाश्ता किया और स्कूल को रवाना हो गई।
नीलोफर ने अपनी छुट्टी का शाज़िया को कल ही बता दिया था। इस ले गुज़शता रात की तरह शाज़िया के लिए ये दिन भी नीलोफर के बिना बहुत और बच्चेदानी से ही गुज़ारा।
फिर दोपहर को ज्यों ही स्कूल से छुट्टी हुई तो शाज़िया ने रिक्शा लिया और अपनी सहेली के घर की तरफ़ चल पड़ी।
रास्ते में उस ने अपनी अम्मी को फ़ोन पर बता दिया कि वह अपनी सहेली के घर जा रही है और इसीलिए कुछ देर ठहर कर घर वापिस आएगी।
उधर ज़ाहिद का दिल भी आज अपने किसी काम में नहीं लग रहा था।
वो सारा दिन पोलीस चोकी के पास अपने किराए के मकान में बैठा हुआ। अपने लंड से खेलता और दोपहर के 3 बजने का इंतिज़ार करता रहा।
जब इंतज़ार करते-करते उस को सबर ना हुआ तो वह अपनी मोटर साइकल ले कर नीलोफर के घर की तरफ़ निकल गया।और वह नीलोफर के बताए हुए वक़्त से थोड़ा पहले ही नीलोफर के घर पहुँच गया।
"तुम तो काफ़ी जल्दी आ गये, क्यों सबर नहीं हो रहा" नीलोफर ने ज़ाहिद को अपने ड्रॉयिंग रूम में बैठा कर दरवाज़े का परदा उस के आगे करते हुए पूछा।
"हाँ यार तुम्हारी सहेली से मुलाकात की ख़ुशी में आज तो वक़्त ही गुज़ारना मुहाल हो रहा है" ज़ाहिद ने नीलोफर को जवाब दिया।
इतनी देर में दूसरी तरफ़ शाज़िया भी नीलोफर के घर के दरवाज़े की बेल बजा कर घर के बाहर इंतिज़ार करने लगी।
"तुम बैठो में देखती हूँ कौन आया है" बेल की आवाज़ सुन कर नीलोफर ड्राइंग रूम से बाहर निकली और ड्राइंग रूम के दरवाजे को बाहर से कुण्डी लगा दी। ताकि उस के साथ ज़ाहिद कहीं बाहर ही ना आ जाय।
थोड़ी देर बाद नीलोफर ने ज्यूँ ही अपने घर का दरवाज़ा खोला शाज़िया अंदर दाखिल हुई।
"हाई बानू बहुत तैयारी कर के आई हो लगता है अपने होने वाले यार पर बिजलियाँ गिराने का इरादा है आज" नीलोफर ने सरगोशी के अंदाज़ में शाज़िया से कहा।
और शाज़िया को उस के बाज़ू से पकड़ कर तकरीबन खैंचती हुई अपने बेड रूम में ले आई।
आज शाज़िया वाकई ही बहुत अच्छी तरह से तैयार हो कर आई थी। इसीलिए वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
शाज़िया नीलोफर की बात सुन कर शरमा गई।
"लंड के" अलावा"में अभी खाने, पीने के लिए क्या पेश करूँ तुम को बानू" नीलोफर ने शाज़िया को अपने कमरे में रखे हुए सोफे पर बैठते, शरारती अंदाज़ में पूछा।
"बहुत खराब हो तुम नीलोफर, मुझे सख़्त प्यास लगी है पानी पिला दो प्लीज़" शाज़िया ने नीलोफर की बात पर हँसते हुए कहा।
"पिलाती हूँ तुम को पानी मगर उस से पहले में ये तो देख लूँ कि तुम्हारे मुँह की तरह तुम्हारी चूत भी किसी पानी के लिए प्यासी हो रही है कि नही" ये कहते हुए नीलोफर शाज़िया के पास ही सोफे पर बैठ गई।
नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया की पहले से ही गरम चूत अपना पानी छोड़ने लगी।
नीलोफर ने शाज़िया को अपनी बाहों में भरा और अपना हाथ शाज़िया की एलास्टिक वाली शलवार के अंदर से शाज़िया की फुद्दि में डाला। तो उस ने शाज़िया की चूत को बहुत ही गरम और पानी-पानी होता पाया।
"बानू तुम्हारी चूत तो अपने यार से मिलने से पहले ही इतना पानी छोड़ रही है। जब उस का लंड अपने अंदर लोगी तो तुम्हारा क्या हाल हो गा जान" नीलोफर ने अपनी उंगली को शाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर आहिस्ता-आहिस्ता फेरते हुए कहा।
नीलोफर के इस तरह करने से शाज़िया की साँसे मज़े से उखड़ने लगीं और उस की चूत ने और गरम हो कर नीलोफर की उंगली को अपने पानी से तर कर दिया।
"तुम बैठो में अभी तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ" नीलोफर ने कुछ मिनिट्स बाद शाज़िया की फुद्दि के पानी से भरी हुई अपनी उंगली को बाहर निकाला और शाज़िया के पास से उठ खड़ी हुई।
नीलोफर अपने बेड रूम से निकल कर फॉरन ड्रॉयिंग रूम में बैठे हुए एएसआइ ज़ाहिद के पास चली आई।
निलफोर ने ज़ाहिद के पास बैठते ही अपनी उंगली उस के मुँह में डाली और बोली, "मेरी उंगली पर मेरी सहेली की गरम और प्यासी चूत का पानी लगा हुआ है। इस को चूस कर उस की गर्मी का अंदाज़ा लगा सकते हो कि वह तुम्हारे लंड के लिए कितनी तड़प रही है।"
ज़ाहिद ने फॉरन अपने मुँह में डाली हुई नीलोफर की उंगली को चूसना शुरू कर दिया। उस को नीलोफर की उंगली पर लगे हुए नमकीन पानी का ज़ायक़ा बहुत ही अच्छा लगा और वह नीलोफर की उंगली को "शर्प शरप" कर के चाटने लगा।
"बस भी करो मेरी उंगली ही खा जाओ गे क्या" नीलोफर ने ज़ाहिद के मुँह से अपनी उंगली निकाली और उसे धकेल कर थोड़ा पीछे किया।
"वाकई ही तुम्हारी सहेली की चूत के पानी का ज़ायक़ा बहुत मस्त है" ज़ाहिद ने अपने होंठो पर ज़ुबान फेरते हुए कहा।
"अच्छा अब जल्द ही साजिदा की फुद्दि तुम को रियल में मिल जाए गी, दिल भर कर अपने होंठो और ज़ुबान की प्यास बुझा लेना, अब तुम मुझे बताओ कि तुम्हारा लंड कितना तड़प रहा है मेरी सहेली की प्यासी, गरम फुद्दि में जाने के लिए" नीलोफर ने ज़ाहिद की पॅंट की ज़िप खोल कर उस के खड़ा हुआ मोटा लंड बाहर निकालते हुए कहा।
ज़ाहिद के लंड को आज एक नई फुद्दि चोदने को मिल रही थी। इसीलिए वह आज पहले से भी ज़्यादा जोश में आते हुए सख़्त और तन चुका था।
"वाह ये तो ऐसे अकड़ कर खड़ा है जैसे कोई फोजी बॉर्डर पर खड़ा होता है।"
नीलोफर ने कहते हुए अपना सर झुकाया और ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह में लेते हुए कहा।
"ओह" ज्यों ही नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह में लिया ज़ाहिद के मुँह से एक सिसकारी फूट गई।
नीलोफर ने कुछ देर गरम जोशी से ज़ाहिद के लंड को चूसा । तो ज़ाहिद के लंड से थोड़ा-सा पानी निकलने लगा।
नीलोफर समझ गई कि अगर उस ने थोड़ी देर और ज़ाहिद के लंड को चूसा तो वह उस के मुँह में ही फारिग हो जायगा।
इसीलिए नीलोफर रुक गई और ज़ाहिद के मोटे लंड को अपने मुँह से निकाल कर दुबारा अपने हाथ में पकड़ कर लंड की तरफ़ देखा।
ज़ाहिद के लंड की लंबाई पर नीलोफर के मुँह का काफ़ी सारा थूक लगा हुआ था।
जब कि उस के लंड की मोटी टोपी से उस का प्री कम (पानी) बूँद की शकल में हल्का-हल्का से निकल रहा था।
नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड के पानी पर अपनी उंगली फेर कर अपनी उंगली को ज़ाहिद के लंड की मनी से तर कर लिया।
"जिस तरह मैने मिलने से पहले ही अपनी सहेली की चूत का पानी तुम को टेस्ट करवाया है, उसी तरह अब में अपनी सहेली को पहले तुम्हारे लंड के पानी का ज़ायक़ा से टेस्ट करवा दूँ, ता कि तुम दोनों जब मिलो तो एक दूसरे के लिए बिल्कुल भी अजनबी ना रहो" कहते हुए नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड को दुबारा उस की पॅंट में क़ैद कर के ऊपर से ज़िप की कुण्डी लगा दी और किचन से पानी का ग्लास भर कर शाज़िया के पास चली आई।
कमारे में शाज़िया शिद्दत से नीलोफर के लोटने का इंतिज़ार कर रही थी।
"किधर रह गई थी तुम, मेरी तो प्यास की शिद्दत से जान ही निकली जा रही है नीलोफर" ज्यों ही शाज़िया ने नीलोफर को दरवाजे से अंदर आते देखा उस की जान में जान आई और उस ने अपनी सहेली से पूछा।
"मुँह खोलो में आज ख़ुद तुम को अपने हाथ से पानी पिलाती हूँ" नीलोफर ने शाज़िया के नज़दीक होते हुए कहा।
ज्यों ही शाज़िया ने अपना मुँह खोला, नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड के पानी से तर अपनी उंगली उस के मुँह में पूरी डाल दी और बोली"लो आज अपने यार के मोटे ताज़े लंड का पानी पी कर अपनी प्यास बुझाओ मेरी जान, क्या बताऊ तुम्हारी फुद्दि के लिए कितना तना हुआ है तुम्हारे यार का लंड।"
शाज़िया नीलोफर की बात सुन कर अपने होश-ओ-हवास जैसे खो बैठी। नीलोफर की उंगली पर लगे लंड के ताज़ा पानी के ज़ायक़े ने उसे इतना मस्त कर दिया कि उसे अपने मुँह और गले के खुशक होने का अहसास ही ना रहा।
शाज़िया ने बिना किसी झिझक के अपना मुँह खोला और ज़ाहिद की तरह वह भी नीलोफर की उंगली को चाट-चाट कर उंगली पर लगे हुए अपने सगे भाई के लंड के नमकीन पानी को सॉफ करते हुए अपने मुँह में उडेलने लगी।
"उम्म्म्मममममममम!" आज इतने अरसे बाद असली लंड के पानी को छू कर मज़ा ही आ गया है" शाज़िया ने नीलोफर की उंगली पर अपनी ज़ुबान रगड़ते हुए कहा।
नीलोफर खामोशी से खड़ी शाज़िया से अपनी उंगली चुस्वाती रही। वह चाहती थी कि शाज़िया ख़ूब अच्छी तरह से अपने भाई के लंड के पानी का स्वाद चख ले तो फिर वह उसे ज़ाहिद के पास ले जाय।
जारी रहेगी