अम्मी बनी सास 022

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तोहफा.
1.6k words
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Part 22 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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कुछ टाइम बाद जब जमशेद आ कर एएसआइ ज़ाहिद से मिला तो ज़ाहिद ने उसे एक पॅकेट देते हुए कहा कि यह अपनी बाजी को दे देना।

ज्यों ही जमशेद ज़ाहिद से वह पॅकेट ले कर रवाना हुआ तो ज़ाहिद ने एसएमएस के ज़रिए नीलोफर को साजिदा (शाज़िया) के गिफ्ट के मुतलक बता दिया।

नीलोफर उस वक़्त स्कूल में ही थी। उस ने अपने भाई जमशेद को फ़ोन किया कि वह ज़ाहिद का दिया हुआ पॅकेट उसे स्कूल में ही दे जाय।

अपने भाई से पॅकेट वसूल कर के नीलोफर शाज़िया के पास आई और उसे कहा।

नीलोफर: शाज़िया देख तेरे यार ने तुम्हारे लिए तोहफा भेजा है।

शाज़िया ने नीलोफर के हाथ से पॅकेट लिया और उसे अपने बारे पर्स में रखने लगी।

"दिखा तो सही तेरे लिए क्या तोहफा आया है मेरी जान" नीलोफर ने शाज़िया को पॅकेट पर्स में रखते देखा तो बोली।

"कुछ नहीं घर जा कर देखूँगी तो तुम को बता दूँगी" शाज़िया ने जान छुड़ाने की कोशिस की।

"मुझे तो इतने दिन से चोद्चोद कर मेरी फुद्दि का फुदा बनाने के बावजूद कभी कुछ गिफ्ट नहीं दिया और तेरी" ली"भी नहीं तो अभी से तोहफे शुरू, यार मुझे तो तुम से जलसी होने लगी है" नीलोफर ने हँसते हुए कहा।

नीलोफर की इस बात पर शाज़िया ने भी ज़ोर का क़हक़हा लगाया और इधर उधर देख कर उस ने पर्स में से पॅकेट निकाल कर नीलोफर के सामने खोला। तो सेक्सी ब्रेज़ियर और पैंटी देख कर नीलोफर बहुत खुश हुई.

उस ने दिल ही दिल में कहा "वाह ज़ाहिद ने तो अपनी बहन के लिए बहुत ही सेक्सी और रिवीलिंग क़िस्म का पैंटी और ब्रा का गिफ्ट भेजा है" ।

"यार ये तो बहुत सेक्सी और मस्त तोहफा है, तुम इस को ही पहन कर अपने यार से पहली मुलाकात करना" नीलोफर ने शाज़िया को छेड़ा।

"अच्छा देख लिए अब में वापिस इस को अपने पर्स में रख लूँ अगर इजाज़त हो तो" शाज़िया ने नीलोफर की बात पर मुस्कराते हुए कहा।

कुछ देर बाद उन की स्कूल से छुट्टी का टाइम हो गया और वह दोनों अपने-अपने घर चली आईं।

उस रात ज़ाहिद ने फिर शाज़िया को एसएमएस किया।

ज़ाहिद: मेरा तोहफा मिला।

शाज़िया: जी.

ज़ाहिद: कैसा लगा।

शाज़िया: अच्छा है।

ज़ाहिद: सर्फ अच्छा है,

"नही बहुत ही अच्छा है मुझे बहुत पसंद आया" शाज़िया ने जवाब लिखा।

"तो अभी पहन कर मुझे फोटो सेंड करो" ज़ाहिद ने मसेज किया।

"आज नहीं फिर कभी" शाज़िया अभी ज़ाहिद को तड़पाने के मूड में थी।

"अच्छा फिर वादा करो कि पहली मुलाकात पर ये ही पहन कर आओ गी" ज़ाहिद ने फरमाइश की।

"सोचूँगी" शाज़िया ने एक अदा से रिप्लाइ किया।

"अच्छा आप को एक बात बताऊ और फिर आप से एक सवाल पूछूँ" ज़ाहिद ने एसएमएस सेंड किया।

"एक तो आप सवाल बहुत पूछते हैं, अच्छा पूछो" शाज़िया ने रिप्लाइ किया।

"आप को बताना ये है कि मुझे शेव चूत बहुत पसंद है, और आप से पूछना ये है कि आप ने कूब अपनी फुद्दि शेव की थी" ज़ाहिद ने शाज़िया को एसएमएस सेंड किया।

शाज़िया ज़ाहिद का मसेज पढ़ कर मुस्कुराइ और जवाब लिखा "आज सुबह ही"

"उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ फिर तो आपकी चूत की स्किन बहुत नरम और मुलायम हो गी इस वक्त" ज़ाहिद ने मस्ती में आते हुए एसएमएस लिखा।

शाज़िया को ज़ाहिद के "उफफफफफफफफफ्फ़" के मसेज ने इतना गरम किया। कि उस की फुद्दि का पानी छूटने लगा। जिस से शाज़िया की चूत का बुरा हाल हो गया।

"फिर आप से कब आमने सामने मुलाकात हो गी?" ज़ाहिद ने शाज़िया से पूछा।

अच्छा में नीलोफर से कह देती हूँ, कल या परसों आप से मिल सकती हूँ, अगर आप और नीलोफर तैयार हों तो" शाज़िया ने जवाब लिखा।

ज़ाहिद: ठीक में कल नीलोफर से बात कर लूँगा ।

ज़ाहिद और शाज़िया दोनों अपने दिल ही दिल बहुत खुश हुए और फिर उन्होने जल्द मिलने का एक दूसरे से वादा कर के चॅट बंद कर दी।

ज़ाहिद शुरू-शुरू में वाकई ही नीलोफर की सहेली साजिदा (शाज़िया) से सिर्फ़ नीलोफर की तरह सिर्फ़ चुदाई के नाजायज़ ताल्लुक़ात क़ायम करना चाहता था।

मगर फिर आहिस्ता-आहिस्ता उस को शाज़िया इतनी पसंद आने लगी।कि वह उस को हमेशा-हमेशा के लिए अपने बिस्तर की ज़ीनत बनाने का फ़ैसला कर बैठा।

इस की वज़ह शायद ये थी। कि साजिदा का बदन ज़ाहिद को बिल्कुल अपनी बहन शाज़िया की तरह भरा-भरा नज़र आया था। इसी लिए ज़ाहिद को साजिदा (शाज़िया) पहली ही नज़र में बहुत भा गई थी।

क्यों कि वह जानता था। वह अगर चाहता भी तो उन दोनों बहन भाई के दरमियाँ कभी भी जमशेद और उस की बहन नीलोफर की तरह के ताल्लुक़ात क़ायम नहीं हो सकते थे।

इसीलिए इस सुरते हाल में अगर वह अपनी बहन शाज़िया को नहीं चोद सकता। तो क्यों ना एक ऐसी लड़की को अपनी महबूबा बना कर चोद ले। जो उस की बहन ना सही उस की बहन जैसा जिस्म तो रखती ही है।

दूसरे दिन शाज़िया ने जब स्कूल के फ्री पीरियड में अपनी सहेली से मुलाकात की। तो उस ने नीलोफर को आहिस्ता से कहा "यार में रिज़वान से मिलने को तैयार हूँ, तुम मुलाकात का वक़्त और जगह अरेंज कर-कर रिज़वान और मुझे बता दो"

"तो क्यू मिलवाऊँ तुम दोनों" लैला मजनू"को एक दूसरे के साथ" नीलोफर ने मुस्कुराते हुए शाज़िया से पूछा।

"जितना जल्द अज जल्द हो सके यार" शाज़िया ने नीलोफर को जवाब दिया।

"जल्द अज जल्द भी अगले हफ्ते से पहले मुलाकात नामुमकिन है जानू" नीलोफर ने शाज़िया को तंग करने के लिए जान बूझ कर थोड़ा लंबा टाइम बताया।

शाज़िया ने स्टाफ रूम में इधर उधर देख कर ये स्योर किया। कि उन के अलावा तो कोई और कमरे में मौजूद नहीं है और फिर ये बात कहते हुए उस ने नीलोफर के सामने ही अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि पर अपना हाथ तेज़ी से रगड़ा और बोली "उफफफफफफफफ्फ़, नही यार एक हफ़्ता तो बहुत ज़्यादा है, इस से पहले कुछ करो ना"

"अच्छा तो मेरी बन्नो की झिझक ख़तम होते ही अब मेरी सहेली की फुद्दि को अपने यार के लंड की इतनी शिद्दत से तलब हो गई कि अब उस के लिए इंतिज़ार मुहाल हो रहा है, इसे कहते हैं कि या तो मुर्दा बोले ना, अगर बोले तो फिर कफ़न ही फाड़ आए" नीलोफर ने शाज़िया की हालत को देख कर शरारती मुस्कान में उसे कहा।

"बकवास ना करो, एक तो ख़ुद मुझे इस क़िस्म की ग़लत राह पर डाला है और ऊपर से मुझ पर तंज़ करती हो" शाज़िया नीलोफर के मज़ाक पर झुंझला उठी।

"अच्छा कुछ करती हूँ में" कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया हो अपनी बाहों में भरा और दोनों सहेलियाँ खिल खिला कर हंस पड़ी।

एक तरफ़ शाज़िया उस वक़्त इसीलिए खुश थी। कि जल्द ही उस की मुलाकात उस के ख्वाबो के शहज़ादे से होने वाली थी।

जो उस की रूखी ज़िंदगी और प्यासी चूत में फिर से रोनक और स्वाद लेने वाला था।

जब कि दूसरी तरफ़ नीलोफर उस वक़्त इसीलिए हंस रही थी।कि आख़िर उस ने दोनों बहन भाई को अंजाने में एक दूसरे के नंगे जिस्म दिखा कर और एसएमएस के ज़रिए आधी मुलाकात करवा कर। उन में एक दूसरे के लिए गरमी और प्यास इतनी बढ़ा दी थी। कि अब जज़्बात के हाथों मजबूर हो कर वह दोनों ज़ना करने पर तूल गये थे।

फिर स्कूल से घर वापिस आ कर नीलोफर ने ज़ाहिद को फ़ोन मिलाया।

नीलोफर: किधर हो यार।

ज़ाहिद: पोलीस स्टेशन में।

नीलोफर: अच्छा कल मेरे घर आ सकते हो

ज़ाहिद: क्यों।

प्लास्टिक के लंड से ख़ुद भी तुम्हारी गान्ड मारनी है और अपने भाई के लंड से भी चुदवाना है तुम्हे"नीलोफर ने ज़ाहिद के" क्यों" के सवाल पर चिड़ते हुए कहा।

"इतना गुस्सा, आज लगता है अंगरों पर ही बैठी हो जान" ज़ाहिद ने नीलोफर को तपते लहजे में बोलते सुना तो हंसते हुए बोला।

"फुद्दि के, गुस्सा ना आए तो और क्या आए, एक तो मेरी चूत को लूट का माल समझ कर मुफ़्त में ही मज़े लेते हो और दूसरा जब नई फुद्दि से मिलाप करवाने जा रही हूँ तो पूछते हो" क्यों"गान्डु कहीं का" ज़ाहिद के हँसने पर नीलोफर को और गुस्सा आया और तो तड़प कर बोली।

ज़ाहिद समझ गया कि नीलोफर को उस का तोहफा ना मिलने का गुस्सा है।

"अच्छा बाबा ग़लती हो गई.अब की बार तुम्हारा गिफ्ट भी साथ ही दूँगा, अब गुस्सा थूक दो जानू" ज़ाहिद ने फ़ोन पर मिन्नत के अंदाज़ में नीलोफर से माफी माँगते हुए कहा।

"अच्छा कल मेरे सास और सुसर झेलम से बाहर जा रहे हैं, इसीलिए तुम कल दोपहर को ठीक 3 बजे मेरे घर आ जाना" नीलोफर ने ज़ाहिद से कहा।

"अच्छा जान में तो कल उड़ कर पहुँचुँगा तुम्हारे घर, यक़ीन करो में और मेरा लंड तुम्हारी सहेली की चूत के लिए बे क़रार हो रहे हैं" ज़ाहिद ने अपने लंड को पॅंट के ऊपर से रगड़ते हुए कहा।

"ठीक है फिर कल ही मुलाकात हो गी, वैसे मेरी सहेली की चूत भी तुम्हारे लंड के लिए इसी तरह तड़प रही है" नीलोफर ने ज़ाहिद को जवाब दिया।

उस के बाद नीलोफर ने शाज़िया को फ़ोन किया और बताया कि वह कल स्कूल से छुट्टी मारे गी।

फिर साथ ही साथ नीलोफर ने शाज़िया को अगली दोपहर फ़ोन पर पोने तीन (2.45 पीएम) उसे अपने घर आ कर रिज़वान (ज़ाहिद) से मिलने का टाइम दे दिया।

"ठीक है में कल स्कूल से छुट्टी के बाद सीधे तुम्हारे घर आ जाउन्गी" शाज़िया ने जब सुना कि कल उस की मुलाकात आख़िर कार उस के यार और चोदु से होने की घड़ी आयी है। तो वह खुश से उछल पड़ी।

वो रात अपने बिस्तर पर करवटें बदल-बदल कर शाज़िया ने किस तरह रात गुज़ारी।

ये वह ही जानती थी। या उस के बिस्तर की चादर पर पड़ी सलवटें जानती थी।

जारी रहेगी

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