अंतरंग हमसफ़र भाग 050

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परम् सुंदरी का प्रभाव.
2.5k words
5
251
00

Part 50 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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अंतरंग हमसफ़र भाग 49 में पढ़ा:

उसके पेट का साफ़ चौड़ा मैदान अभी भी उसके छोटी-सी गाउन के ऊपरी हिस्से से छिपा हुआ था, इतने सुंदर सांचे में ढले हुए मैं, जो, लिली के सुदृढ़ स्तनों को देख रहा था, तो ऐसा लग रहा था कि वे कभी भी दूध से नहीं भरे थे और जिनके गुलाब की कली और अंगूर जैसे निप्पल बच्चों के चेरी होंठों से कभी नहीं चूसे गए थे । वह बिकुल किसी अप्सरा की तरह लग रही थी मैंने सोचा मुझे उसके सुंदर अंगो की और बारीकी से जांच करनी चाहिए। मुझे लगा यदि वह पूरी नग्न हों तो ये करना आसान होगा, कमर के पास एक छोटे से हिस्से को छोड़कर वह लगभग नग्न ही थी मैंने धीरे से, ये ध्यान रखते हुए की उसकी नींद में खलल न पड़े, उसके छोटे से गाउन का वह हिस्सा जो उसकी पेट और कमर के नीचे के हिस्से को छुपाये हुए था उसे हटाना होगा इसलिए मैंने उसकी कमर के ऊपर पड़े गाउन का हिस्सा जो अभी भी उसकी कमर पर था उसे धीरे से हटा दिया।

उत्साह से कांपते हुए हाथ से मैंने ऐसा किया! लो! मेरी अप्सरा लगभग उतनी ही नग्न हो गयी जितनी वह पैदा होते समय थी!

आपने मेरी कहानी " अंतरंग हमसफ़र-- 1 से 47" में अब तक पढ़ा:

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।

उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया अब मेरा लंड लिली की कुंवारी चूत के बिल्कुल सामने था। उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया, जबकि उस समय मैं भी उसकी स्वादिष्ट योनी में घुसने के लिए उतना ही उत्सुक तेज़ था। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा । मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।

कुछ देर बाद मैं उठा तो मैंने देखा हुमा भी नींद की आगोश में थी और पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा।

अब आगे:-

सुंदरता का रोमांच और उत्तेजना से ग़ज़ब का मेल है और नग्न सुंदरता तो जैसे आग में घी डालने का काम करती है । मैंने उसे नग्न देखने के लिए उसके गाउन को खोल कर पेट से हटा दिया था, लेकिन इससे पहले कि मेरी नज़र ऊँची हो, जिस प्रकार चिड़िया उसके सामने खुले हुए सुहावने चारे के जाल में फँस जाती है, उसी प्रकार मेरी आँखें उस शानदार हलके सुनहरी बालों की जाली में उलझी गयी, झाडी में उगते हुए नयी उगी हुई घास की कोपलों जैसे नरम रोये जो ताजगी, सुंदरता और जो काम इच्छा को उत्तेजित करने लगे, वह उस समय प्रेम की देवी लग रही थी। मुझे आनंद के इस सुंदर क्षेत्र को देख आनंद आया। उसके कितने बड़े भरे होंठ थे जिन्हे उसने कितनी मधुरता से संभाला है। कितने सुंदर सुनहरे रोये जो इसे चूमते हुए प्यार करते थे और त्वचा की सफेदी को सुनहरी बना रहे थे, जिनकी तह ने उस गहरी और परिपूर्ण रेखा का निर्माण किया कुदरत द्वारा किया गया था। और उस शानदार पहाड़ी की ढलान कितनी दिव्य थी, बिलकुल छोटी से पठार की तरह जो उसकी जांघों के बीच गहरी घाटी तक गयी और उस चमकते हुए प्रेम कुटी में समाप्त हो गयी जिसमें प्रेम छिपा हुआ था और जिसमे प्रसन्नता, आनद और मजो का खजाना भरा हुआ था जिसे वह हर्ष के अतिरेक के साथ अपने प्रेमी पर खुले मन से लुटाती है और उसके हर्षित आनंद को गर्म लावे के रूप में अपने प्रेमी को प्रदान करती है।

लेकिन तभी मैंने देखा एक छोटी-सी रूबी टिप उन अति सुंदर होंठों की ऊपरी बैठक के पास बाहर निकल रही है? वह रूबी टिप हिली फिर छुप गयी फिर निकली और फिर धड़कने लगी। ओह लगता है कि वह सपना देख रही है! लिली अपने मुड़े हुए पैर को उस फैलाए हुए पैर की ओर थोड़ा बंद कर लेती है! यह उसकी सबसे संवेदनशील भगशेफ है! तीव्र काम इच्छा के विचारों से उत्तेजित हो यह भगशेफ कठोर हुई और अधिक से अधिक बढ़ी और एक उत्तेजित तने की तरह छोटे झटके में हिलने लगी । अध्भुत दृश्य था ये । मेरी काम उत्तेजना ये दृश्य देख बढ़ने लगी और मेरा लिंग कठोर हो गया

मैंने सोई हुई सुंदरता की मूर्ति लिली के शांत मुस्कुराते और प्यारे चेहरे को देखा, उसके होंठ हिल गए और उसका मुंह मोती के दांतों को दिखाते हुए थोड़ा खुल गया! उसकी छाती फैलती दिख रही थी, उसके स्तन सूज गए थे, वे ऊपर उठे और उससे कहीं अधिक तेजी से गिरे और वैसे हो गए जैसे वे प्यार के इस सपने के पूरा होने या होने से पहले थे। आह! उसके बूब्स हिल रहे थे! उसकी गुलाब की कलियाँ सूज गयी और प्यार करने बाले की निगरानी करते हुए उसके प्रत्येक चूचक अपने ही पहाड़ के बर्फीले सिरे पर बैठे एक उत्सुक प्रहरी की तरह उसके चूचक खड़े हो गए और उसकी बाट जोहने लगे जो इस सपने देखने वाली लिली के ऊपर नरम, तेज और गर्म आक्रमण करेगा। पर ये प्रहरी रक्षा करने के लिए नहीं खड़े हुए थे ये आमंत्रण दे रहे थे। निश्चित तौर पर ये उस आक्रमण करता से पहले मिले हुए थे । और उसकी आहट मिलने से सजग हो गए थे ।

फिर से उसकी जाँघें एक दूसरे पर सट गयी। स्वर्ग! फिर से वे उत्साहित, हिलती-डुलती, उछलती-कूदती और वास्तव में छलांग लगाती हुई प्यार के उस गर्म आश्रय को दिखाने के लिए खुली। उसकी चमकदार रूबी क्लिट स्पष्ट रूप से उस मर्दाना साथी को महसूस करने का प्रयास कर रही है जिसका लिली आकर्षक सपने देख रही थी। मैंने सोचा क्यों न इस सपने को एक मीठी वास्तविकता में बदल दिया जाए?

उसके चमकते छिद्र में खोजने के लिए, मैंने संकोच नहीं किया और इससे पहले कि वह जाग जाए, तेजी से कपड़े उतार एक पल में मैं उस सुबह की तरह नग्न हो गया, और सोचने लगा कि क्या मैं वास्तव में इस सो रही लड़की में अंदर प्रवेश कर पाऊँगा, तो मैं धीरे से उसके बगल से उसकी जांघ पर चढ़ गया और उसके बीच घुटनों के बीच मैंने अपने हाथों पर अपने आप को सहारा दिया, उसके प्रत्येक तरफ़ एक और अपने पैरों को पीछे की ओर खींचकर, मेरी नज़र उस प्यारी और जलती हुई योनि पर टिकी हुई थी जिस पर आक्रमण करना चाहता था। मैंने अपने शरीर को तब तक नीचे किया जब तक कि मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने नहीं ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया!

मैं ख़ुद को उस पल में उसकी मासूमियत के साथ प्यार और विलासिता के उस आसन में प्रवेश करते हुए देख सकता था! मैंने महसूस किया उसकी योनि गीली थी और इतनी टाइट थी की लंड की चमड़ी और योनि की दीवारों के घर्षण के कारण मेरे लंडमुंड के ऊपर की चमड़ी मेरे लंड के झुनझुनी वाले सिर से पीछे हट रही है और लंड के चौड़े बैंगनी कंधो जैसी जगह के पीछे मुड़ कर इकठी हो गयी और लाल लंडमुंड उसकी योनि को चुंबन करते हुए उसकी योनि की पूरी गहराईयो में समा गया । एक पल के लिए मैंने उसके चेहरे की ओर देखा कि क्या उसे मेरे द्वारा की गयी इस घुसपैठ का कुछ आभास हुआ है? वह अभी भी एक कामुक सपने के उत्साह में सो रही थी। मैं धीरे-धीरे उसे और अधिक आनंद देने के लिए, थोड़ा-सा पीछे हटते हुए, आगे और आगे दबाव डाला।

अब लगभग पूरा लंड अंदर चला गया था, उसकी योनि प्रदेश के रोये मेरी आँखों से मेरे औजार के आखिरी इंच या इतने से भी कम को छुपा रही थी, हमारेयोनि प्रदेश के बाल आपस में मिले, मेरे अंडे उसके नितम्बो से छुए और वह हिली और जगने लगती है और उसकी आँखे थोड़ी-सी खुली!

एक पल में उसकी लगभग जंगली उत्सुक आँखे मेरी नज़रो से मिलीं, और मुझे देख उसकी आँखे ख़ुशी और स्नेही दुलार से चमक उठी और उसने अपने बाहे मेरे गले में डाल मेरे मुँह को अपने ओंठो के पास खींचा।

"आह! तो यह आप है?" वह कराही, "मैं तुम्हारा ही सपना देख रही थी! और तुमने मुझे इतने प्यार से जगा दिया!"

उसके बाद हमने कुछ देर गहरे और गर्म और लम्बे चुंबन किये, ओंठो से ओंठ और जीभ से जीभ मिले और लार का आदान प्रदान किया।

फिर दोनों ख़ुशी और थोड़े विस्मय के साथ तंग आलिंगन में लिपटे गले से गले फिर स्तन से स्तन, पेट, से पेट, मुँह के साथ मुँह मिले, जांघो से जाँघे, टांगो से टाँगे और पारो ने पैरो को दबाया और रगड़ा और हम ऐसे ही एक दुसरे के साथ खेलते रहे। शरीर के हर-हर हिस्से में हलचलें हुई और फिर पैर की अंगुली और एड़ी जैसा कि उसने कहा:, गर्म, तेज, रोमांचकारी चुदाई शुरू हुई जो पता नहीं कब तेज छोटी खुदाई में बदली और दोनों के कराहो के बीच में फिर प्यार के दो ज्वालामुखियों की धाराएँ एक साथ फूटी और उनका लावा बाढ़ की तरह पहाड़ी के ढलानों से नीचे बह गया।

तभी घडी में छे बजे का घंटा बजा। हमने लगभग पूरे एक घंटे गहन कार्यवाही की थी और मेरी आकर्षक सुंदरता लिली ने मेरे खड़े हुए लंड की एक बार फिर जांच की और उसने कहा, अध्भुत तुम्हारा लिंग और अंडकोष सच में अध्भुत हैं। अद्भुत, अद्भुत इसलिए क्योंकि तुम्हारे लिंग में थकान के कोई लक्षण नहीं थे और दूसरे में भी कोई कमी के कोई लक्षण नहीं थे।

उसने लंड को पकड़ा, सहलाया और फिर उत्तेजना से लाल लंडमुंड को चूमा फिर घुमा का एक तरफ़ और फिर घुमा कर दूसरी तरफ़ देखा "मुझे विश्वास नहीं है कि पुरुष का लिंग ऐसा भी हो सकता है!"

"क्यों आपको ऐसा क्यों लगता है?" मैंने हंसते हुए पूछा।

"क्योंकि यह तो हमेशा कठोर ही रहता है--क्या तुम्हारा लिंग हमेशा खड़ा रहता है?"

"ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं आपका दीवाना हूँ और ये आपकी योनि का आशिक हो गया है, मेरी प्रिय लिली, इसे बाहर निकालने के बाद हमेशा इसमें वापस आने की बहुत ज़्यादा जल्दी रहती है!"

" लेकिन मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा है! मैंने अपनी बहन को कई मर्दो के साथ सम्भोग करते हुए देखा है अन्य सभी पुरुष के लिंग एक बार सम्भोग के बाद और उनमे से ज्यादातर के दूसरी बार के बाद हमेशा नरम हो जाते हैं और आम तौर पर फिर से खड़े होने के लिए काफ़ी प्रयास करना पड़ता है, और वह भी तब जब उन्हें बहुत समय दिया जाए! लेकिन तुम्हारा तो बैठता ही नहीं है! मैंने कभी ऐसा देखा नहीं है मैं ऐसे किसी से कभी नहीं मिली! मैं देख सकती हूँ, इसमें से सारा रस निकालने के लिए मुझे बहुत मेहनत करनी होगी! इससे मुझे बहुत परेशानी होगी ।

"ओह! लेकिन मैं अपनी सबसे प्यारी और परम सुंदर प्रेमिका को आश्वस्त कर सकता हूँ कि सामान्य महिलाओं के साथ मैं वैसा ही हूँ जैसा आप उन पुरुषों का वर्णन कर रही हैं या जिन्हें आप ने देखा या जाना है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यह आपकी असाधारण सुंदरता ही है जिसने मुझ पर इतना शक्तिशाली प्रभाव डाला है!" मैं उसे चूमते हुए बोला "आइए!" मैंने अपनी बाँहों और जाँघों को खोलते हुए कहा। "आओ और मेरे ऊपर लेटो और मुझे एक लम्बा गहरा चुंबन करो!"

उसकी सुंदरता की प्रशंसा मैंने की, उसकी प्रसंसा जो मैंने की थी वह उसके योग्य थी, अपनी प्रशन्सा से उत्साहित, उसने ख़ुद को ख़ुशी के कराहते हुए मेरे ऊपर फेंक दिया और मेरी मर्दानगी उसकी योनि से टकराई और उसने टाँगे खोल कर उसका स्वागत किया और वह अपने पसंददीदा विश्राम स्थान में फिर से प्रवेश कर गयी ।

प्यार सेऔर बिल्ली की तरह चाटते हुए जोश से थोड़ा शब्दों को बड़बड़ाते हुए वह मुझे मधुर चुंबन करती रह, फिर मैंने उसे प्रस्ताव दिया कि वह अपनी जांघो को मेरी जांघो पर थोड़ा फैला कर मेरे ऊपर बैठ जाए।

"लिली मेरी जान! आ जाओ मेरे ऊपर बैठो" मैं कराहा! और मैं ने अपना हाथ उसके पेट के नीचे और उसकी जाँघों के बीच और अपनी लंड को उसकी धधकती हुई गुफा में खिसका दिया। मेरा लंड कुछ समय के लिए एक दम कड़ा, सुजा हुआ और जोश से धड़क रहा था, और राहत पाने के लिए दर्द हो रहा था। लिली में अपनी जाँघे मिलाई।

"इसे दबाओ निचोड़ेो, लिली! इसे निचोड़ो, प्रिये; आह! अच्छा! ऐसा करो! और करो, इससे मुझे बहुत मदद मिलेगी; तुम नहीं जानते कि मैं कैसे तड़प रहा हूँ, मेरी प्रिय इसे कस कर निचोड़ो, थोड़ा सा ऊपर-नीचे करो -ओह, बेबी, यह बहुत बढ़िया है!"

उसे बार बार चूमते हुए,अपने हाथो से उसके नितम्बों और स्तन को दबाते हुए धीरे-धीरे लिली के नीचे मेरी कमर ने अपना काम जारी रखा और इस रमणीय अनुभूति के कुछ क्षण लंबे मेरे लिए पर्याप्त थे। अचानक ऐंठन के साथ, अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए उसे अपने और खींचा और उसे अपने स्तन से चिपका कर उस सुंदर लड़की को पागलों की तरह चूमने लगा।

जारी रहेगी

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