अम्मी बनी सास 027

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लंड का चूत को सलाम आया.
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Part 27 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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शाज़िया उस वक़्त अपने कमरे में माजूद अपनी किसी सहेली से फ़ोन पर बात चीत में मसरूफ़ थी। इसीलिए उसे पता नहीं चला कि इस वक़्त उस का भाई अम्मी के पास बैठ कर उन से क्या बात कर रहा है।

"अम्मी ये खाला गुलशन किधर आई थी आज" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के पास सोफे पर बैठते हुए पूछा।

"बेटा वह तुम्हारी बहन शाज़िया के लिए एक रिश्ता ले कर आई है" रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद को एक फोटो पकड़ाते हुए बताया।

"खाला गुलशन का दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया, ये रिश्ता लाई है वह शाज़िया के लिए" ज़ाहिद ने अम्मी की दी हुई फोटो को देख कर गुस्से में कहा।

"हाँ बेटा ये ही रिश्ता लाई है गुलशन और तुम्हारी बहन ने फोटो देखे बिना ही शादी की रज़ा मंदी भी दे दी है" रज़िया बीबी ने अपने बेटे को जवाब दिया।

अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद के जज़्बात पर तो जैसे बिजली-सी टूट पड़ी।

"क्याआआ, इस आदमी को इस उम्र में रिश्ते की नही, बल्कि मौत के फरिश्ते की ज़रूरत है अम्मी" ज़ाहिद ने अम्मी की दिखाई हुई फोटो को गुस्से में आ कर फाड़ते हुए कहा।

जिस आदमी का रिश्ता गुलशन खाला शाज़िया के लिए लाई थी। वह आदमी असल में शाज़िया के मरहूम अब्बू की उम्र का था।

"अम्मी ये शाज़िया के साथ ज़ुल्म है, आप उस को समझाएँ प्लीज़" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से कहा।

"बेटा मुझे तो ख़ुद समझ नहीं आ रही, इस से पहले तो शाज़िया हर आने वाले रिश्ते में कोई ना कोई नुक्स निकाल रही थी और आज इस आदमी की तस्वीर को देखे बिना ही शादी की हामी भी भर चुकी है, मेरी तो ये लड़की सुनती नहीं तुम ही इस को समझाओ ज़ाहिद" रज़िया बीबी ने अपने बेटे से कहा।

अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद फॉरन समझ गया। कि उस की कल वाली हरकत की वज़ह से ही शाज़िया अब शादी कर के जल्द अज जल्द इस घर और उस से दूर हो जाना चाहती है।

"अच्छा अम्मी में ख़ुद बात करूँगा शाज़िया से" ज़ाहिद ने अम्मी को जवाब दिया।

"लो तुम बैठो में ज़रा नहा लूँ" रज़िया बीबी अपने बेटे को सोफे पर ही बैठा छोड़ कर अपने कमरे में चली गई.

ज़ाहिद अम्मी के जाने के बाद बैठा कुछ देर टीवी देखता रहा। थोड़ी देर बाद उसे प्यास महसूस हुई तो वह उठ कर किचन की तरफ़ चला आया।

ज़ाहिद ज्यों ही किचन में दाखिल हुआ उसे सामने अपनी बहन शाज़िया किचन में काम करती नज़र आई।

अपनी बहन को किचन में अकेला देख कर ज़ाहिद की बाछे ही खिल गईं। उस ने फॉरन मूड कर अपनी अम्मी के कमरे के दरवाज़े का जायज़ा लिया। तो उस को अम्मी के कमरे का दरवाज़ा बंद नज़र आया।

ज़ाहिद समझ गया कि उस की अम्मी अपने कमरे के अटेच बाथरूम में नहाने के लिए जा चुकी हैं।

इसीलिए हस्बे आदत उन्होने अपने कमरे के बाहर वाला दरवाज़ा भी बंद कर दिया है।

ज़ाहिद अब निश्चित हो गया। कि कल की तरह आज भी अब उस के पास अपनी बहन से मस्ती करने का कुछ टाइम है।

ज़ाहिद का लंड अपनी बहन को किचन में अकेले देख कर फुल अपने जोबन पर आ गया।

ज़ाहिद ने आज भी शलवार कमीज़ पहनी हुई थी।मगर आज अपनी शलवार के नीचे उस ने अंडरवेार भी पहना हुआ था।

इस की वज़ह ये थी कि कल के वाकये के बाद ज़ाहिद को पता था ।कि अब मोका मिलते ही उस के हाथ उस की बहन के जिस्म से दुबारा ज़रूर छेड़ छाड़ करेगा।और इस सुरते हाल में उस का लंड खड़ा होना एक क़ुदरती अमल होता।

जिस बिना पर ज़ाहिद को डर था। कि कहीं आते जाते हुए उस की अम्मी की निगाह उस की शलवार में खड़े हुए लंड पर पड़ गई तो क़यामत हो जाएगी।

किचन में दाखिल होने से पहले ज़ाहिद ने अपने अंडरवेार में हाथ डाला और अंडरवेार में से अपने लंड को निकाल कर उसे अपनी शलवार में ही आज़ाद कर दिया। ता कि वह जी भर कर अपनी बहन के बदन से खेल कर उसे अपनी मौजूदगी और प्यास का अहसास दिला सके।

फिर वह आहिस्ता-आहिस्ता दबे पाँव चलता हुआ किचन में दाखिल हो गया।

शाज़िया अपने हाथ में छुरी पकड़े सब्ज़ी काटने में इतनी मसरूफ़ थी।कि उसे अपने भाई ज़ाहिद के किचन में आ कर अपने पीछे खड़े होने का पता ही ना चला।

ज़ाहिद शाज़िया के बिल्कुल पीछे खड़ा हो कर कमीज़ शलवार में मलबूस अपनी बहन के बहुत ही मोटे-मोटे भारी चुतड़ों को आँखे फाड़-फाड़ कर देखने लगा।

अपने भाई की मौजूदगी से बे ख़बर शाज़िया जब किचन में अपने काम में मसरूफ़ थी।तो उस के हिलने से पीछे उस की भारी गान्ड की मोटी गुदाज पहाड़ियाँ भी हल्के-हल्के हिल कर ज़ाहिद के लंड की गर्मी में और इज़ाफ़ा कर रही थी।

अपनी बहन की चौड़ी और उभरी हुई गान्ड के इतने करीब हो कर अब ज़ाहिद के लिए अपने आप को कंट्रोल करना मुस्किल हो रहा था।

उस की शलवार में से उस का लंड उठ-उठ कर झटके मारता हुआ ज़ाहिद को आगे बढ़ कर अपनी बहन की गान्ड में घुस्स जाने पर उकसा रहा था।

अपनी बहन के जिस्म की उँचाईयो और गहराइयों नापते-नापते हुए आख़िर ज़ाहिद के सबर का पैमाना लबरेज हो गया।

और उस ने आहिस्ता से एक क़दम बढ़ाते हुए अपना एक हाथ अपनी बहन शाज़िया की मोटी गान्ड पर रखा और दूसरे हाथ को उस ने आगे बढ़ा कर अपनी बहन की भारी तनी हुई छाती को अपने हाथ में काबू कर के मसलना शुरू कर दिया।

"हाईईईई में मर गई" ज्यों ही ज़ाहिद के हाथ शाज़िया की गान्ड और मम्मो से टकराए तो शाज़िया की डर के मारे चीख निकल गई और उस के हाथ में पकड़ी हुई छुरी, उस के हाथ से छूट कर किचन के फ़र्श पर जा गिरी।

ज़ाहिद जानता था कि बाथरूम में शवर लेती हुई उस की अम्मी को बाथरूम और कमरे का दरवाज़ा बंद होने की वज़ह से शाज़िया की चीख नहीं सुनाई देगी ।

इसीलिए ज़ाहिद ने शाज़िया की चीख की परवाह ना करते हुए उस के जिस्म के गिर्द अपने बाजुओं का घेरा मज़ीद तंग किया। जिस से ज़ाहिद पीछे से अपनी बहन के बदन से चिपकता चला गया।

ज़ाहिद के इस तरह चिपकने से ज़ाहिद का मोटा सख़्त लंड शाज़िया की गुदाज गान्ड की मोटी पहाड़ियों में से होता हुए उस की चूत से टच करने लगा।

आज भाई के लंड ने उस की शलवार में से दुबारा अपनी बहन की चूत को अपनी सलामी दी थी।

इंडियन मूवी वीर के गाने के असल बोल तो कुछ यूँ हैं,

दबी दबी साँसों में सुना था मेने, बोले बिना मेरा नाम आया।

पलकें झुकी और उठने लगी तो, हौले से उसका सलाम आया।

मगर ज़ाहिद के लंड ने जब अपनी बहन की मोटी गान्ड को छूते हुए उस की फूली हुई चूत को एक बार फिर से छुआ।तो ज़ाहिद के दिमाग़ में ये गाना कुछ इस तरह गूंजने लगा कि,

उठी उठी गान्ड में, से फिसलते हुए,

भाई के लंड का, बहन की चूत को सलाम आया।

ज्यों ही ज़ाहिद का लंड शाज़िया की मोटी रानों में से होता हुआ उस की फूली हुई चूत के होंठो से रगड़ा, शाज़िया के मुँह से एक "अहह" निकली और उस ने अपने आप को अपने भाई की क़ैद से छुड़ाने की कोशिस करते हुए कहा "क्या मुसीबत है भाई, आप क्यों मेरे पीछे पड़े हुए हैं"।

"मेरी जान तुम्हारा जिस्म मुझे एक पल चैन नहीं लेना दे रहा, तुम ही बताओ में क्या करूँ" ज़ाहिद ने अपने आप को हलके से शाज़िया के जिस्म से हटाया और फिर दुबारा तेज़ी के साथ आगे बढ़ा।

ज़ाहिद के इस तरह करने से उस का लंड शाज़िया की टाँगों के साथ रगड़ ख़ाता हुआ शाज़िया की गान्ड और फुद्दि दोनों से टच हुआ।

साथ ही साथ ज़ाहिद ने अपनी बहन की जवान, गुदाज और भारी छाती पर अपना हाथ दुबारा बढ़ा कर उसे एक बार फिर ज़ोर से मसला।

अपने भाई की इस हरकत से शाज़िया के बदन में एक सनसनी-सी दौड़ गई।

शाज़िया ने मज़े से बे हाल होते हुए अपने होंठो को सख्ती से एक दूसरे के साथ भींचा ता कि कहीं उस के मुँह से उस की सिसकारी ना फूट पड़े।

"आप अम्मी से कह कर अपने लिए एक बीवी का बन्दो बस्त करो, मुझे क्यों सता रहे हैं आप भाई" शाज़िया ने अपने भाई की बात का जवाब देते हुए कहा।

"हाँ में तो बात करूँ गा अम्मी से, मगर तुम ये बात याद रखो कि में तुम को एक बूढ़े आदमी से शादी की हरगिज़ इजाज़त नहीं दे सकता" ज़ाहिद ने अपनी बहन की गर्दन के पिछले हिस्से और उस के कान पर चुम्मियाँ देते हुए कहा।

"मुझे शादी के लिए आप की इजाज़त की ज़रूरत नही" शाज़िया ने अपनी गर्दन को अपने भाई के सामने से हटाने की कोशिस करते हुए भाई को जवाब दिया।

अपने भाई की बात सुन कर शाज़िया समझ गई. कि ज़ाहिद को अम्मी ने उस की दुबारा शादी वाली बात बता दी है।

"मुझे अपने नंगे जिस्म का दीदार करवा कर अपना आशिक़ बनाने के बाद, अब दूसरी शादी के लिए तुम को ना सिर्फ़ मेरी बल्कि मेरे लंड की भी इजाज़त चाहिए मेरी जान" ज़ाहिद ने अपनी बहन को एक सख़्त लहजे में अपना फ़ैसला सुनाते हुआ कहा।

भाई के लहजे में सख्ती को महसूस कर के शाज़िया ने भाई की बात का जवाब देना मुनासिब ना समझा और ख़ामोश हो गई।

जारी रहेगी

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