अम्मी बनी सास 026

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सोहबत का असर.
2k words
4.33
248
00

Part 26 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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मगर शाज़िया ने अपने होंठो को अपने भाई के होंठो से बचाने के लिए अपना मुँह ज्यों ही मोड़ा तो ज़ाहिद के होन्ट शाज़िया की राइट गाल के ऊपेर जा चिपकेl और ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया के गाल को ऐसे चूमने लगाl जैसे कोई इंसान किसी मासूम बच्चे को प्यार करता हैl

इस से पहले तक तो शाज़िया ये समझ रही थीl कि जो कुछ भी हुआ वो सिर्फ़ और सिर्फ़ उस की सहेली नीलोफर का किया धरा थाl मगर अब भाई की इस हरकत ने उस के होश और हाथों के तोते ही जैसे उड़ा दिएl

"भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई! आप ये किया गुनाह कर रहे हैं,बहन हूँ में आप की,और आप की इज़्ज़त हूँ में" शाज़िया अपने भाई की इस हरकत और बातों से बोखला कर रह गईl और उस ने अपने आप को भाई की क़ैद से छूटने की कॉसिश करते हुए कहाl

"उफफफफफफफफ्फ़! मेरी बहन ये गुनाह सवाब की बात नहीl ये दो जवान प्यासे जिस्मो की ज़रूरत का मामला है, मुझे पता है कि तुम्हारी इस जवानी को एक मोटे तगड़े लंड की ज़रूरत हैl जब कि मेरे मोटे लंड को तुम जैसी एक प्यासी औरत की चूत की तलब,अगर तुम मेरा साथ दो तो हम दोनो एक दूसरे की प्यास को बुझा सकते हैं और इस तरह घर की इज़्ज़त घर में ही महफूज़ रहे गी मेरी जान" अपनी बहन से बे शर्मी से इतने गंदे इलफ़ाज़ बोलते हुए ज़ाहिद का हाथ अब आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन की टाँगों के दरमियाँ आयाl और उस ने अपनी बहन की फूली ही चूत को शलवार के उपर से अपनी मुट्ठी में काबू कर के सहलाना शुरू कर दियाl

शाज़िया की चूत इतनी गरम थीl कि अपनी बहन की चूत पर हाथ रखते ही ज़ाहिद को यूँ महसूस हुआ जैसे उस ने किसी तेज आग वाली भट्टी में हाथ डाल दिया होl और उस भट्टी से निकलते हुए गरम आग के शोले उस के हाथ की उंगलियो को जला कर भसम कर देंगेl

उधर अपने भाई के हाथ को अपनी फुद्दि के ऊपर पा कर शाज़िया के मुँह से भी "हाईईईईईईईईईईईईईईईई!"एक सिसकारी निकलते निकलते रह गईl

"भाई छोड़ दो मुझे, अपनी ही बहन के साथ इस किस्म की घटिया हरकत से आप को शरम आनी चाहिए,आप जानते नही कि आप को इस हरकत का कितना गुनाह हो गा" शाज़िया ने ज़ाहिद की बाहों में मचलते हुए कहाl

"इस का जवाब जवानी को प्यार करने से अगर गुनाह मिलता है तो मिलने दो मेरी जान" ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात को अन सुनी करते हुए उस के गालों पर अपने होन्ट दुबारा चिस्पान किया और शाज़िया के जिस्म को और ज़ोर से कस कर अपने करीब कर लियाl

अपनी बहन को यूँ अपने इस कदर करीब करने से शाज़िया के मोटे और नरम मम्मे ज़ाहिद की सख़्त और चौड़ी छाती में जज़्ब हो गयेl

जब कि नीचे से ज़ाहिद का लंड उस की शलवार के अंदर से ही शाज़िया के पेट से रगड़ खाने लगाl

अपने भाई की बाहों में क़ैद होने से शाज़िया को अपने सगे भाई का फन फनाता और लोहे की राड जैसे सख़्त लंड को अपने पेट से पहली दफ़ा टकराता हुए महसूस कर के शाज़िया को बहुत घबराहट होने लगीl

ये वो ही लंड थाl जिस को देख कर शाज़िया की चूत कुछ दिन पहले इतनी गरम हुई थीl कि उस ने जोशे जज़्बात में आ कर उस लंड की फोटो को अपनी प्यासी फुद्दि पर रगड़ रगड़ कर अपनी फुद्दि का पानी छोड़ दिया थाl

मगर आज अपने भाई की बाहों में क़ैद शाज़िया को इस लंड के इतने करीब हो कर बहुत शरम महसूस होने लगी थीl और वो अपने भाई की बाहों के घेरे को तोड़ कर उस से दूर भाग जाना चाहती थीl

अपनी बहन के भारी जिस्म को अपनी बाहों की क़ैद में जकड़े जकड़े ज़ाहिद ने अपने हाथ को शाज़िया के पेट के ऊपर से ले करl उस की कमीज़ के ऊपर से ही अपनी बहन के मोटे और भारी मम्मे को पहली बार अपनी मुट्ठी में जकड़ा और उसे दबाने लगाl

शाज़िया का मम्मा इतना बड़ा थाl कि वो ज़ाहिद के हाथ में नही समा पा रहा थाl

ज़ाहिद ने आज तक इतने बड़े मम्मे को अपने हाथ में ले कर कभी नही दबाया थाl इसीलिए आज पहली बार अपनी बहन की जवान छाती को अपने हाथ से मसल्ते हुए वो जोश और मज़े से बे हाल होने लगाl

शाज़िया के मम्मो और चूत को किसी मर्द का हाथ लगे तकरीबन दो साल होने को थेl इसीलिए उसे अपने ऊपर काबू पाना मुश्किल हो रहा थाl

इस से पहले कि वो भी जज़्बात की रौ में बह कर अपने भाई के साथ हम बिस्तरी के गुनाह पर आमादा हो जातीl

वो जल्द अज जल्द अपने आप को अपने भाई से दूर करने का सोच कर अपने बचाव के लिए अपने हाथ पैर मार रही थीl

इसीलिए शाज़िया ने अपने आप को अपने भाई की बाजुओं की क़ैद से निकालने की नाकाम कॉसिश करते हुआ कहा ""ये क्या कर रहे हैं आप भाईl l आप होश में आइए, में बहन हूँ आप की, खुदा के लिए मुझे छोड़ दो,ये ग़लत है भाई"l

ज़ाहिद ने शाज़िया को अपने सीने के साथ मज़ीद सख्ती से भींचते और अपनी बहन की गर्देन पर चूमते कहा "आआअहह!, शाज़िया बहन तो तुम हो, मगर में इस से पहले ये नही जानता था कि इतनी गरम भी होl मैने इस से पहले कई दफ़ा सोचा तो ज़रूर था, मगर कभी तुम को छूने की हिम्मत नही पड़ी, लेकिन जो काम नीलोफर ने किया उस के बाद अब में खुल कर अपने जज़्बात का इज़हार तुम से करना चाहता हूँ मेरी बहन!

(ज़ाहिद ये बात ब खूबी जानता थाl कि उस की बहन शाज़िया जवानी की आग में जल रही हैl लेकिन अपने ही सगे भाई से चुदवाने के लिए वो झिझक रही हैl और ज़ाहिद को मालूम थाl कि अपनी बहन की ये झिझक दूर करने के लिए उसे शुरू में शाज़िया के साथ थोड़ी ज़ोर ज़बरदस्ती करनी पड़े गीl )

इसी लिए अपनी बात ख़तम करते ही ज़ाहिद ने अपना जिस्म को थोड़ा नीचे झुकायाl साथ ही अपने दोनो हाथों से अपनी बहन के भारी चुतड़ों को अपने हाथों में कसते हुएl उस ने अपने जिस्म को एक दम से ऊपर की तरफ उठायाl

ज़ाहिद के इस तरह करने से उस का मोटा सख़्त लंड उस की बहन की गुदाज रानों से रगड़ ख़ाता शाज़िया की गरम और प्यासी चूत से जा टकरायाl

"हाईईईईईईईईईई!" ज़ाहिद के लंड की अपनी बहन की प्यासी गरम फुद्दि से पहली मुलाकात होते ही दोनो बहन भाई के मुँह से आवाज़ निकलीl

ज़ाहिद अपनी बहन की चूत की गर्मी अपने लंड पर और शाजिया अपने भाई के मोटे ताज़े लंड की गर्मी अपनी चूत पर सॉफ तौर पर महसूस कर रही थीl

इस से पहले के ज़ाहिद कुछ और कहता या करता घर के दरवाज़े पर लगी डोर बेल बज गईl

ज़ाहिद समझ गया कि अम्मी वापिस आ चुकी हैंl इसीलिए अब शाज़िया को अपनी बाहों की क़ैद से आज़ाद करने के सिवा उस के पास कोई चारा नही थाl

ज़ाहिद ने अपनी बहन को अपने चुंगल से आज़ाद करने से पहले अपनी बहन के गुदाज गालों की एक बार फिर एक भर पूर चुम्मि लीl और शाज़िया को अपनी क़ैद से रिहाई दे कर खूद बाहर का दरवाज़ा खोलने चला गयाl

ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया को बहका कर अपने रास्ते पर लाना चाहता थाl और अपने मकसद को पाने के लिए आज वो अपना चारा फैंक चुका थाl

ज़ाहिद को अपनी किस्मत पर पूरा यकीन थाl कि उस के फैंके हुए चारे में उस की बहन एक मछली की तरह ज़रूर अटके गीl

अपने इन ही ख्यालो में मगन होते और अपने खड़े लंड को बड़ी मुश्किल से अपनी शलवार में बिताते ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के लिए घर का दरवाज़ा खोल दियाl

उधर ज़ाहिद के शाज़िया को छोड़ कर बाहर निकलने की देर थीl कि शाज़िया अपनी बिखरी सांसो को समेटती हुई जल्दी से अपने कमरे में चली आईl और कमरे के दरवाज़े की कुण्डी लगा कर बिस्तर पर गिरते हुए फूट फूट कर रोने लगीl

शाज़िया तो अपने भाई के सामने यूँ अचानक बेनकाब होने और अपना राज़ खुल जाने की वजह से पहले ही बहुत परेशान थीl मगर अभी अभी ज़ाहिद ने अपने हाथों,होंठो और अल्फ़ाज़ से अपनी जिस गंदी ख्वाइश का इज़हार अपनी बहन से खुलम खुल्ला कर दिया थाl उस ने शाज़िया को मज़ीद रंजीदा कर दिया थाl

अब वो बिस्तर पर लेट कर रोते रोते फिर उस वक्त को कोस रही थीl जिस वक्त उस के भाई ज़ाहिद की मुलाकात नीलोफर और उस के भाई से हुई थीl

क्यों कि शाजिया अब ये बात जान चुकी थीl कि जिस तरह एक आम इंसान किसी गंदे आदमी के साथ रह कर गंदा हो जाता है

बिल्कुल इस तरह उस का भाई ज़ाहिद भी नीलोफर और उस के भाई से मिलने के बाद उन के रंग में रंग चुका हैl

और अब वो भी नीलोफर और जमशेद की तरह गुनाह और सवाब की बात को हटा कर अपनी बहन की शलवार के नाडे को खोलने पर तूल चुका हैl

इस के साथ साथ शाज़िया इस बात पर भी सोचने लगीl कि कैसे आज उस के ना चाहने के बावजूद ज़ाहिद की छेड़खानी ने उस की जवानी के जज़्बात को गरम कर दिया थाl

शाज़िया ये बात अच्छी तरह जानती थीl कि आज के बाद उस के भाई का होसला पहले सी भी बढ़ जाएगाl और वो फिर मोका देख कर उस से अपनी गंदी ख्वाहिश का इज़हार ज़रूर करे गाl

शाज़िया सोचने लगी कि आज तो अम्मी के आ जाने की वजह से वो अपनी इज़्ज़त अपने ही भाई के हाथों बर्बाद होने से बचा पाई थीl

मगर उसे डर लग गया कि कहीं नीलोफर की तरह अगर वो भी बहक गईl तो अपनी जवानी के जज़्बात को अपने काबू में रखना उस के लिए फिर आसान ना रहेगाl

इस बात को सोचते सोचते शाज़िया ने अपने दिल में पक्का इरादा कर लियाl कि अब चाहे जैसा भी रिश्ता मिले वो अपनी अम्मी से कह कर जल्द अज जल्द अपनी शादी कर के इस घर और अपने भाई से दूर चली जाएगीl

दूसरे दिन सुबह जब ज़ाहिद अपने किसी काम के सिलसिले में घर से बाहर गयाl तो शाज़िया ने मौका देख कर अपनी अम्मी से बात कीl

शाज़िया: अम्मी आप खाला गुलशन से कहें कि मेरे लिए कोई रिश्ता तलाश करेl

(खाला गुलशन झेलम सिटी में ही एक रिश्ते करवाने वाली औरत थीl जो अपनी फीस ले कर लोगों के आपस में रिश्ते करवाती थी)

"बेटी गुलशन ने तो इस से पहले भी काफ़ी रिश्ते दिखाए हैंl मगर तुम को कोई रिश्ता पसंद ही नही आता" रज़िया बीबी ने अपनी बेटी की बात सुन कर जवाब दियाl

"अम्मी आप बस उन से बात करें,इस बार जो भी रिश्ता आया में हां कर दूंगी" शाजिया ने अपनी अम्मी की बात के जवाब में कहाl

रज़िया बीबी दो तीन दफ़ा रात की तन्हाई में अपनी बेटी को अपने जिस्म से खेलता और अपनी चूत की आग को ठंडा करते सुन चुकी थीl

इसीलिए वो अपनी बेटी की बात को सुन कर ये समझी कि शायद उस की बेटी के लिए अब एक मर्द के बगैर रहना मुहाल हो रहा हैl और वो अपने बदन की जिन्सी भूक के हाथों मजबूर हो कर किसी भी किस्म के मर्द से शादी के लिए रज़ा मंद हो चुकी हैl

मगर रज़िया ये हक़ीकत नही जान पाई थीl कि उस की बेटी असल में अपने जिस्म की भूक से नहीl बल्कि उस के अपने ही सगे बेटे के हाथों और लंड से दूर हो जाने के लिए ना सिर्फ़ रंडवे, बच्चो वाले बल्कि किसी बूढ़े आदमी के पल्ले बँधने पर भी तूल गई हैl

"अच्छा बेटी में आज ही गुलशन को फोन कर के उस से बात करती हूँ" रज़िया बीबी ने अपनी बेटी की बात मानते हुए कहाl

उसी दोपहर जब ज़ाहिद घर वापिस आयाl तो उस ने अपनी अम्मी और खाला गुलशन को ड्राइंग रूम में बैठ कर बातें करते देखाl

खाला गुलशन को अपनी अम्मी के साथ बैठा देख कर ज़ाहिद का माथा ठनकाl

ज़ाहिद अपने कमरे में जा कर सोचने लगाl कि उस ने तो अपनी अम्मी को अपनी शादी से अभी तक इनकार किया हुआ हैl तो फिर ये खाला गुलशन आज किस सिलसिले में अम्मी के पास बैठी हुई हैl

थोड़ी देर बाद जब ज़ाहिद ने खाला गुलशन को अपनी अम्मी से खुदा हाफ़िज़ कहते सुनाl तो ज़ाहिद अपने कमरे से निकल कर अपनी अम्मी के पास सोफे पर आन बैठा l

जारी रहेगी

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