अंतरंग हमसफ़र भाग 053

Story Info
भाग्यशाली.
2.4k words
5
288
00
Story does not have any tags

Part 53 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

अंतरंग हमसफ़र भाग 52 में पढ़ा:

मैंने धीरे-धीरे एक एक इंच करते हुए पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और आगे पीछे करने लगा। मैंने उसकी टाँगें उठायी हुई थीं और अपना लंड उसकी चूत में डाला हुआ था। लिली की आँखें बंद थीं और वह भरपूर मज़ा ले रही थी। कुछ देर बाद मैं डिसचार्ज होने लगा और मुझे ये डर था कि अगर मैं अंदर डिसचार्ज हो जाऊँगा तो ये प्रेगनेंट हो जायेगी। सो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी पेट पर डिसचार्ज हो गया।

जब उसने मुझे बाहर डिसचार्ज होते देखा तो मुझसे पूछा कि लंड बाहर क्यों निकाला है? मैंने यही जवाब दिया कि मैं उसको प्रेगनेंट नहीं करना चाहता। इस पर उसने मुझे सीने से लगा कर बहुत किस किया और मेरी इस बात पर खुश हुई और कहा कि अब आगे कभी बाहर नहीं डिसचार्ज होना मैं दवाई ले लूंगी ।

फिर हम तीनों ने रात का खाना खाया मैंने उस रात हुमा और लिली को आठ बार अलग-अलग स्टाईल से चोदा। मुझे उनके साथ हर बार एक नया ही मज़ा आया।

आपने मेरी कहानी " अंतरंग हमसफ़र-- 1 से 52" में अब तक पढ़ा:

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।

उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया और उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा। मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।

कुछ देर बाद मैं उठा तो मैंने देखा हुमा भी नींद की आगोश में थी और पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा। मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने नहीं ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया! मेरा लंड एक बार फिर झड़ने के बाद कठोर ही रहा और उसे देख लिली थोड़ा आश्चर्यचकित हुई और मैंने उसने अपने ऊपर आने के लिए उत्साहित किया। हुमा भी घण्टे की आवाज़ से जग गयी थी और मुझे ढूँढते हुए लिली के कमरे में पता नहीं कब आ गयी थी लिली की चुदाई देखने के बाद हुमा भी मेरे साथ चिपक गयी। फिर मैंने हुमा और लिली की रात भर चुदाई की।

अब आगे:-

रात भर चुदाई करने के बाद तीनो थककर चिपक कर सो गए और दोपहर के आसपास लिली ने मुझे जगाया और जब मैं उठा तो मैंने देखा लिली पिछली रात को उसने मेरी बाँहों में जो मजे चखे थे वह उसके आनंद से भरी हुई थी। लिली ने मुझे चूमा और बोली 'दीपक! तुमने कल मुझे लड़की से औरत बना दिया है!' उसने हर्षित मुस्कान लिए हुए उत्साह के साथ कहा, और फिर उसने मेरे खड़े लंड की तरफ़ देखा और उसे सहलाने लगी और फिर बोली मुझे नहीं पता था कि मैं इसे इतनी बुरी तरह से चाहती थी! '' लंड उसका स्पर्श पाकर फिर कठोर हो रहा था। हुमा अब भी नंगी मेरे साथ चिपकी हुई सो रही थी और बहुत प्यारी लग रही थी।

तो फिर मैंने लिली को दबोच लिया और उसे चूमने लगा, कुछ देर बाद वह बोली दीपक, मेरी बहन मिली आ रही है और हमें उसका स्वागत करने हवाई अड्डे तक जाना होगा फिर उसने मुझे तैयार होने के लिए कहा। मैं तरोताजा हो गया, थोड़ा चाय नाश्ता किया और हमने उसकी कार से हवाई अड्डे के लिए प्रस्थान किया।

रास्ते में उसने बताया कि उसने अपनी बहन मिली को मेरे बारे में सब बता दिया है और वह आपके बारे में सुनने के बाद बहुत उत्साहित है।

एक बार जब हमने राजमार्ग को छुआ और एयरपोर्ट की तरफ़ बढे तो लिली ने मुझसे कहा: 'अब, दीपक, मैं आपसे कुछ गंभीर बात करना चाहती हूँ।'

'अरे वाह! अब मैंने क्या कर दिया! ' मैं होैरान होकर बोला। लिली हंस पड़ी। उसने जवाब दिया, 'आपने जो किया है, ये उसके बारे में नहीं है, बल्कि आपको जो करना है, उसके बारे में मैं बात करना चाहती हूँ। अब दीपक, अच्छे लड़के की तरह वादा करो कि जैसा हम चाहते हैं वैसा ही तुम करोगेl'

लिली बोली हाँ! हम सब!

मैं फिर हैरान होते हुए बोला हम! 'बेशक अगर मैं कर सकता हूँ तो ज़रूर!' मुझे क्या करना है?-कुछ बहुत गंभीर या बहुत मुश्किल है क्या? '

लिली हँसी। 'दीपक, तुम बहुत मजाकिया हो! हाँ, यह बहुत गंभीर है और यह मुश्किल भी हो सकता है! मैं इसे बहुत स्पष्ट रूप से कहने जा रही हूँ क्योंकि यह सबसे आसान और तेज़ तरीक़ा होगा आपको बताने का! दीपक, हम सब, ध्यान देना! मेरे बहन मिलि के सहित, आपको चाहते हैं । आप हमे भरपूर प्यार कीजिये l यहीं मेरे घर पर!'

'क्या!' मैंने आश्चर्य से उसे घूरते हुए कहा?

'यह बिल्कुल सच है, प्रिय दीपक!' लिली ने हल्के से फुसफुसाते हुए उत्तर दिया, ' यही तो हम चाहते हैं कि आप हमे चोदे। अब सुनो! आपको पता ही होगा आप अपने परिवार की परम्परा के अनुसार अगले कुछ दिनों में पढ़ाई के लिए लंदन जा रहे हैं। मिलि आपकी वीज़ा औपचारिकताओं और कागजो को पूरा करने में आपकी सहायता करेगी। मिली मेरी बड़ी बहन है और वह तलाकशुदा है और मेरी माँ और तुम्हारी माँ बचपन की गहरी सहेलिया हैं। आर आप उसी के लिए मेरे पास आये थे, और आपकी वीसा के लिए के लिए दूतावास में अगले हफ्ते का समय मिला है।

फिर लिली ने कहा, 'मेरे प्रेमी! मैं तुम्हें बुरी तरह से चाहती थी,! लेकिन मेरा विवाह अन्यत्र हो गया और जब मेरे पति से मेरे को सम्भोग सुख नहीं मिला तो मैं उसे छोड़ना चाहती थी. ओह, इतनी बुरी तरह से उसके बाद तुम्हे चाहने लगी थी की मैं चाहती थी की या तो तुम मेरे पास आ जाओ या फिर मैं तुम्हारे पास जा कर अपना प्रेम निवेदन करू। और फिर जिस क्षण मैंने हुमा से तुम्हारे बारे में सुना कि तुम यहाँ कागजात लेकर आ रहे हो, अचानक एक विचार मेरे मन में आया।'

लिली आगे बोली 'जैसा कि आप जानते हैं, दीपक, मेरी बहन मिलि हालांकि मुझसे बड़ी है फिर भी वह युवा है और उसका आपने विवाह के कुछ दिन बाद ही तलाक हो गया था और मेरा स्वभाव उसके जैसा ही गर्म है और मुझे पता है कि वह रात को बिस्तर पर अकेले सोने से कितनी नफ़रत करती है! और वह भी तुमसे प्यार करती है।'

तो मैंने उसे तुरंत फ़ोन मिलाया और फुसफुसाते हुए उसे बताया "मिलि देखो, दीपक यहाँ आने वाला है-है और हम उसे साझा कर लेते हैं!"

लिली की ये बात सुन कर मैंने लिली की ओर देखा और वह एक स्कूली छात्रा की तरह शरमा गई। लिली ने मेरी और देखते हुए कहा कि मैं फिर से अपनी बहन मिली से फुसफुसाई-"मिली, तुम्हें पता है कि तुम उसे बहुत चाहती होl"

मैं लिली की तरफ़ ही देख रहा था उसने मेरी तरफ़ देखा और वह फिर से गहराई से शरमा गई-"आओ, मिली डार्लिंग, मेरे साथ दीपक को मेरे साथ साझा करो!" और मैंने उसे फ़ोन पर चुंबन किया और मिली भी फुसफुसाते हुए मुझ से बोली " लिली तुम बहुत अच्छी हो मेरी जान-मेरा कितना ख़्याल रखती हो! अगर दीपक इसके लिए त्यार है तो ऐसा ही करेंगे ।"

तो लिली बोली मैं मिली से बोली मिली आप चिंता मत करो ऐसा ही होगा और आप जल्दी से मेरे पास आ जाओ! " तो दीपक अब आप क्या कहते हैं? '

'लिली, मैं क्या कह सकता हूँ मैं विस्मय में खो गया हूँ!' मैं ठिठक गया और कार को मैंने ब्रेक लगा दी।

'मैं आपको सच बता रही हूँ, दीपक,' उसने जवाब दिया, वह अब काफ़ी गंभीरता से बोल रही थी और मुझे सीधे मेरी आंखों में देख रही थी। 'दीपक क्या आप मिली को नहीं कहेंगे, आप क्या करेंगे?'

लिली की ये बात सुन कर मेरा लंड उत्तेजना से बिलकुल तन गया।

'बिल्कुल नहीं, मेरी प्रिय लिली!' मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उत्तर दिया-'मैं अपने आप को पूरी तरह से आपको समर्पित करता हूँ और आपकी सेवा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ूंगा!'

लिली ने मुझे प्यार से देखा और मैंने देखा कि उसकी आँखें भीगी हुई थीं। फ़िलहाल उसने धीरे से कहा, 'तुमने जो कहा उसके लिए शुक्रिया, मेरे सच्चे प्रेमी। मुझे यह सोचकर गर्व और ख़ुशी हो रही है कि आप मेरे अनुरोध पर मिली के साथ वही करेंगे जो आपने मेरे साथ इतनी मधुरता से किया है!' फिर एक विराम के बाद उसने हल्के स्वर में कहा, ' दीपक! आप तो जानते ही हो हर कर्म अपना प्रतिफल देता है तो एक प्यारी महिला के साथ ये विशेष कर्म आपको विशेष प्रतिफल अवश्य देगा क्योंकि जनाब मेरे बहन मिली बहुत ख़ास है।

लेकिन आप मुझे कैसे चाहती हैं आप मुझ से कब मिली थी? मैं पहले आप से या आपकी बहन से कभी मिला, ऐसा मुझे तो याद नहीं पड़ता।

लिली बोली जैसा की आप जानते ही हो आपकी माँ और हमारी माँ आपस में बचपन की सहेलिया है और ये भी सच है हम कभी आपस में नहीं मिले परन्तु आपको याद होगा आप आपने ननिहाल में एक शादी में आये थे अपनी मा के साथ वहीँ हमने आपको देखा और आपको चाहने लग गयी थी।

लेकिन मेरे उस इनाम का क्या हुआ जिसका आपने कल वादा किया था!' मैंने पूछ लिया। लिली आप मुझे ललचाने के लिए मुझे कुछ और संकेत भी दें सकती है!

ऐसा है तो यक़ीन रखिये कि इसके अतिरिक्त जब हम घर वापस पहुँचेंगे तो वहाँ आपको आपका इनाम भी मिल जाएगा। चलिए आपको बता ही देती हूँ आपका ख़ास इनाम हैं मेरी छोटी बहन एमी।

क्या आपकी छोटी बहन एमी भी!

'ओह! उसे तो हम बिना किसी कठिनाई के मनाने में कामयाब रहे!' लिली ने याद करते हुए मुस्कुराते हुए जवाब दिया। दीपक आप जानते नहीं हो कि अगर मिली चाहती है तो एमी उसके कहने पर कुछ भी कर सकती है। मैंने कल सुबह एमी को गुमसुम देख उसे पकड़ लिया और उससे कहा कि हम दोनों बहने उसके बारे में बहुत चिंतित हो रही हैं क्योंकि उसकी प्राकृतिक इच्छाएँ उसके स्वास्थ्य और रूप को प्रभावित करने लगी थीं। मेरी ये बात सुन कर एमी बुरी तरह सहम गई थी। तो फिर मैंने उसे अपनी गोद में खींचा और उसकी बाहों में लिया और उसे नम्रता से चूमा और प्यार से कहा: "मेरी प्रिय, बहन मेरी प्यारी छोटी-सी लड़की, दुनिया में एक आदमी जिससे तुम बेहद प्यार करती हो वह कुछ देर में यहीं आ रहा है!" मेरी बात सुन कर एमी शरमा गई और उसके दूध के जैसे गोरे गाल शर्म के मारे लाल हो गए।

"यदि आप उसके साथ अपना पहला सम्भोग करने के लिए सहमत हैं, तो दीदी और मैं आपके साथ रहेंगी और उसे हमें यहीं रोक लेंगी ताकि हम एक कमरे में एक साथ रह सकें जहाँ हम आपकी आपके पहले सम्भोग के समय देखभाल कर सकें! क्या आप सहमत हैं मेरी प्रिये?" बेचारी एमी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ-वह बुरी तरह हतप्रभ रह गई! मैंने मिली को फ़ोन मिला कर एमी की बात उससे करवाई तो मिली ने एमी के कानो में प्यार से फुसफुसाते हुए कहा। "हाँ कहो, प्रिय एमी!"

'धीरे-धीरेी एमी का जवाब आया: "यदि आप भी यही चाहती हैं, दी, हाँ!"' और हम दोनों ने एक दुसरे को चूमा और दोनों बहने गले मिली और मैंने भी लिली को चूमा।

लिली बोली अब तुम्हे हम तीनो बहने मिलेंगी। दीपक मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मेरी बहनें मिली सबसे बेहतरीन महिला हैं और एमी बहुत कमसिन है और दोनों मुझसे ज़्यादा खूबसूरत हैं। दीपक! तुम बहुत भाग्यशाली हो! '

अब मेरा बायाँ हाथ उसकी गोद में सरक गया और मैंने उसके प्रेम क्षेत्र को प्यार से दबा दिया तो उसने मुझे कोमलता से देखा। 'हाँ, मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ। तुम देखो मेरे पास पहले से ये खुशियों का खजाना है!' और फिर से मेरा हाथ सरक कर उसके योनि पर टिक गया। और जैसे कि यह किसी भी पुरुष के लिए पर्याप्त न हो आप मुझे दुनिया को सबसे बेहतरीन और सुंदर महिला में से एक और एक सबसे सुंदर और कमसिन लड़की से सम्भोग करने का मौका दे रही है! लिली डार्लिंग, मुझे समझ नहीं आ रहा की मैं आपको कैसे धन्यवाद दूं? '

मेरे लंड पर हाथ रखकर उसने कहा दीपक मुझे धन्यवाद देने के लिए तुम्हें पता होना चाहिए कि तुम्हें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous