अम्मी बनी सास 029

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मदहोश अंगड़ाई
1.1k words
3.91
315
00

Part 29 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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इस दौरान शाज़िया ने भी अपना स्कूल जाना दुबारा से शुरू कर दिया।

शाज़िया के स्कूल आने के बाद नीलोफर ने उस से बात करने की कोशिश की। मगर शाज़िया के दिल में नीलोफर के लिए गुस्सा अभी तक भरा हुआ था। इसीलिए शाज़िया ने नीलोफर को ज़रा भी घास ना डाली और उसे मुकम्मल नज़र अंदाज़ कर दिया।

शाज़िया का ये रवईया देख कर नीलोफर ने भी उस को तंग करना मुनासिब ना समझा।और शाज़िया से वक्ति तौर पर "कटाए तालूक" कर लिया।

स्कूल में नीलोफर को नज़र अंदाज़ करने के साथ-साथ शाज़िया ने अपने घर में रहते हुए अब अपने भाई के सामने आना पहले से भी बहुत कम कर दिया।

जब कि ज़ाहिद भी अपनी नोकरी की मसरूफ़ियत में मगन होने की वज़ह से अपनी बहन पर ज़्यादा ध्यान नहीं दे पाया।

ज़ाहिद के अपनी नोकरी के वापिस जाने के दो दिन बाद ही उस को अपनी जॉब प्रमोशन का लेटर मिला।

ज़ाहिद अब एएसआइ से एसआइ (सब इनस्पेक्टर) बन गया और उस के साथ ही उस को झेलम रिवर के किनारे पर क़ायम सीआइए स्टाफ (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन अथॉरिटी) का इंचार्ज पोस्ट कर दिया गया।

ज़ाहिद के लिए ये बहुत की ख़ुशी की ख़बर थी। क्योंकि एक तो ओहदा (पोस्ट) बढ़ा। ऊपर से सीआइए स्टाफ का इंचार्ज के तौर पर ज़ाहिद जैसे राशि पोलीस ऑफीसर के लिए अब माल कमाने के ज़्यादा मौके मॉयसर हो गये थे।

ज़ाहिद की अम्मी भी अपने बेटे की इस तरहकी पर बहुत खुश हुईं। ज़ाहिरी बात है कि जिस बेटे ने एएसआइ होते हुए उन की मौज करवा दीं थी। अब वह पहले से बड़ा ऑफीसर बन कर और ज़्यादा कमाऊ पुत्तर बन गया था।

किचन वाले वॉकये के ठीक एक हफ्ते बाद ज़ाहिद एक दिन रात गये जब अपनी ड्यूटी से वापिस घर लौटा। तो उस वक़्त घर में मुकम्मल खामोशी छाई हुई थी।

ज़ाहिद अपनी अम्मी के कमरे के पास से गुज़रते हुए उन के कमरे की बंद लाइट देख कर समझ गया।कि उस की अम्मी अब अपनी मस्त नींद के मज़े ले रहीं हैं।

अपने कमरे में जाते हुए जब वह अपनी बहन शाज़िया के क्मारे के पास से गुजरा तो उस को कमरे में रोशनी नज़र आई।

कमरे में से आती हुई रोशनी को देख कर ज़ाहिद की नज़र अपनी बहन के कमरे की खिड़की पर पड़ी।

कमरे की खिड़की पर एक हल्का-सा परदा पड़ा था और कमरे में लाइट ऑन होने की वज़ह से बाहर खड़े हुए इंसान हो कमरे का नज़ारा काफ़ी हद तक नज़र आता था।

ज़ाहिद ने देखा कि उस की बहन शाज़िया ना सिर्फ़ अभी तक जाग रही है। बल्कि वह अभी-अभी अपने बाथ रूम से निकल कर बेड रूम में दाखिल हो रही थी।

ज़ाहिद के देखते ही देखते शाज़िया अपने कमरे में पड़े हुए बड़े से ड्रेसिंग टेबल के सामने आन खड़ी हुई।

ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े हो कर शाज़िया ने अपनी दाई (राइट) टाँग को टेबल के सामने पड़े स्टूल पर रखा।तो ज़ाहिद को अंदाज़ा हुआ कि उस की बहन तो उस वक़्त सिर्फ़ अपनी कमीज़ में ही मलबूस है।

जब कि नीचे शलवार ना पहने होने की वज़ह से शाज़िया की मोटी मुलायम और गुदाज रान अपनी पूरी आबो ताब के साथ ज़ाहिद की भूकि और प्यासी आँखों के सामने नीम नंगी हो रही थी।

"हाईईईईईईईईईईई!" अपनी बहन की ये "सॉफ छुपाते भी नही, सामने आते भी नही" वाली अदा ज़ाहिद के दिल और लंड को घायल कर गई।

उधर कमरे में शीशे के सामने खड़े हो कर शाज़िया ने अपनी मुलायम रानों पर एक नज़र दौड़ाई. तो उसे कुछ दिन पहले वाला वाकीया याद आ गया।जब उस के भाई ने पहली बार उस की गान्ड की पहाड़ी पर बड़े ज़ोर और जोश से काटा था।

एक हफ़्ता गुज़र जाने के बावजूद शाज़िया को अपने भाई के दाँतों की चुभन अपनी गान्ड की पहाड़ी पर महसूस हो रही थी।

शाज़िया ने अपना एक हाथ पीछे लेजा कर गैर इरादी तौर पर अपनी गान्ड के उपेर से अपनी कमीज़ का कोना उठाया और थोड़ी तिरछही हो कर शीशे में अपनी गान्ड को देखने लगी। कि कहीं उस के भाई के "काटने" (बाइट) का निशान अब भी उस की गान्ड की पहाड़ी पर बाक़ी तो नही।

अपनी बहन को यूँ अपनी गान्ड का जायज़ा लेता देख कर कमरे से बाहर खड़े ज़ाहिद के तो होश की उड़ गये और उस का लंड पहले से ज़्यादा रफ़्तार से उस की पॅंट में फ़न फनाने लगा।

फिर स्टूल पर अपनी टाँग को इसी स्टाइल में रख कर शाज़िया ने ड्रेसिंग टेबल से स्किन माय्स्चर क्रीम उठाई.और एक-एक कर के अपनी दोनों गुदाज रानों और लंबी-लंबी टाँगों पर क्रीम लगाने लगी।

"हाईईईईईई! शाज़िया मेरी जान अगर तुम मुझे इजाज़त दो, तो में अपने लंड की टोपी पर क्रीम लगा कर तुम्हारी मोटी राणू पर अपने लंड से मालिश कारों मेरी बहन" कमरे से बाहर खड़े ज़ाहिद ने अपनी बहन को अपनी गरम और मोटी रानों पर क्रीम से भरे हाथ फेरते देख कर गरम होते हुए कहा।

जब शाज़िया अपने काम से फारिग हुई तो उस ने बेड के ऊपर पड़ी अपनी शलवार को उठा कर पहन लिया।

और फिर से शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने जवान बदन का जायज़ा लेने में मसरूफ़ हो गई।

शाज़िया ये बात तो जानती थी कि उस का जिस्म मर्दो को अपनी तरफ़ खैंचता है।

मगर आज वह शीशे के सामने खड़े हो अपना बदन को देख कर ये सोचने लगी। कि देखूं तो सही कि उस के जिस्म में ऐसी क्या ख़ास बात है।कि और तो और उस का अपना सगा बड़ा भाई भी उस के जिस्म का आशिक़ हो गया है।

ज़ाहिद ने तलाक़ के बाद कभी अपनी बहन शाज़िया को इस तरह शीशे के सामने खड़ा होते नहीं देखा था।

इसीलिए आज अपनी बहन का इस तरह शीशे के सामने खड़े हो कर अपने जिस्म का जायज़ा लेने का मंज़र ज़ाहिद के लिए एक अनोखी बात थी।

इसीलिए वह अपने कमरे में जाने की बजाय शाज़िया के बेड रूम के बाहर ही रुक कर कमरे में खड़ी अपनी बहन को इश्तियाक से देखने लगा।

ज़ाहिद अपनी बहन की मचलती जवानी को देख कर मस्ती से बे क़रार हो रहा था।

आज ज़ाहिद को उस की बहन की जवानी एक अनोखा ही रस दे रही थी।

फिर ज़ाहिद के देखते ही देखते शाज़िया ने एक बहुत ही मदहोश अंगड़ाई ली।

शाज़िया की इस अंगड़ाई से उस के ब्रेज़ियर में क़ैद मोटे और बड़े मम्मे ऊपर की तरफ़ छलक उठे। तो ज़ाहिद अपनी बहन की इस मदहोश अदा से मज़ीद गरम और बे चैन हो गया।

रात की तरीकी में तंग शलवार कमीज़ में मलबूस शाज़िया की मदहोश करने वाली अंगड़ाई को देख कर किसी भी मर्द के लिए ख़ुद पर काबू रखना एक ना मुमकिन बात होती।

बिल्कुल ये ही हॉल ज़ाहिद का भी अपनी बहन के जवान बदन को देख कर उस वक़्त हो रहा था।

उस पर अपने ही घर के माल पर हाथ मारने की धुन तो नीलोफर पहले ही सवार करवा चुकी थी।

इसीलिए उसे रात के अंधेरे में अपनी बहन के बेड रूम के बाहर खड़े हो कर उस के जवान, प्यासे बदन को देख-देख कर अपनी आँखे सेकने में मज़ा आ रहा था।

जारी रहेगी

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