Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereअपनी बहन की ये भरपूर अंगड़ाई देख कर ज़ाहिद भी मदहोशी में अपने लंड को पकड़ कर मचल उठा और वह अपनी पॅंट की पॉकेट में हाथ डाल कर पॅंट में खड़े अपने मोटे लंड से खेलने लगा।
कुछ देर शेषे के सामने अपने जिस्म का अच्छी तरह से दीदार करने के बाद शाज़िया अपने पलंग पर आ गई।
पलंग पर लेट कर उस ने अपनी जवानी को बिस्तर की चादर से ढँक लिया और हाथ बढ़ा कर कमरे में जलती लाइट को बंद कर दिया।
बहन की जवानी का शो ख़तम हो चुका था। इसीलिए ज़ाहिद भी चलता हुआ अपने कमरे में दाखिल हुआ।
ज़ाहिद का लंड अपनी बहन के बदन के नज़ारे से फुल मस्ती में आया हुआ था।
अपनी कमरे में आते साथ ही ज़ाहिद भी अपने कपड़े तब्दील कर के अपने बिस्तर पर लेट गया।
मगर अपनी बहन की जवानी का ताज़ा-ताज़ा नज़ारा देख कर आज नींद उस की आँखों से कोसो दूर भाग चुकी थी।
ज़ाहिद अपनी आँखे बंद किए अपने बिस्तर पर लेटा अपनी बहन के बारे में सोच-सोच कर गरम हो रहा था।और उस के हाथ उस की शलवार में खड़े उस के लंड पर आहिस्ता-आहिस्ता फिसल रहे थे।
"ओह शाज़िया क्या मस्त मम्मे हैं तुम्हारे और क्या शानदार टाइट चूत हो गी तुम्हारी, हाईईईईईईई! , काश तुम मेरी सग़ी बहन ना होतीईईईईइ!" । ज़ाहिद अपने लंड से खेलते हुए अपनी बहन के जिस्म को ज़हन में ला कर उस के नाम की मूठ लगा रहा था।
ज़ाहिद को समझ नहीं आ रही थी।कि उस की बहन इतना ज़्यादा गरम और प्यासी होने के बावजूद अभी तक उस के साथ चुदाई के लिए क्यों रज़ा मंद नहीं हो रही थी।
ज़ाहिद काफ़ी देर तक इसी सोच में गुम रहा। कि वह किस तरह कुछ ऐसा करे कि उस की बहन गरम हो कर अपने ही आप एक पके हुए फल की तरह उस की झोली में आन गिरे।
ये सोचते सोचे ज़ाहिद को ख़्याल आया। कि क्यों ना वह आज रात की तरीकी में अपनी बहन के कमरे में जा कर एक बार फिर अपनी किस्मेत आज़माई करे।
"अगर तो शाज़िया आराम से चुदवाने पर राज़ी हो गई तो ठीक, वरना आज जबर्जस्ती उसे चोद कर ज़रूर अपनी और उस के प्यासे जिस्म की प्यास बुझा लूँगा" ज़ाहिद ने अपनी दिल ही दिल में ये फ़ैसला कर लिया।
(ज़ाहिद के लिए अपनी बहन के अंदर से लॉक हुए रूम में दाखिल होना कोई मुश्किल बात नहीं थी। इस की वज़ह ये थी।कि जिस आदमी से ज़ाहिद ने ये मकान खरीदा था। उस ने इस घर के सारे कमरों में ऐसे लॉक लगवाए थे। जिन को बाहर से चाभी लगा कर भी खोला जा सकता था।और मकान बेचते वक़्त उस ने ज़ाहिद को घर के सारे कमरों की कीस भी दे दी थी।)
साथ साथ ज़ाहिद को ये भी पता था। कि इन दिनो उस की अम्मी रज़िया बीबी को ब्लड प्रेशर ज़ियादा हो जाने की वज़ह से सकून के लिए डॉक्टर ने स्लीपिंग टॅबलेट का इस्तेमाल भी शुरू करवा दिया है। जिस वज़ह से एक दफ़ा सोने के बाद रज़िया बीबी को दूसरी सुबह तक कोई होश नहीं रहता था।
इसीलिए ज़ाहिद इस बात से निश्चिंत था।कि रात के इस पहर अपने भाई को अपने कमरे में देख कर अगर शाज़िया ने शोर भी मचाया। तो नींद की गोली के असर की वज़ह से उस की अम्मी का जाग जाना बहुत मुश्किल बात होती।
ये सब सोचते हुए ज़ाहिद अपने बिस्तर से उठ खड़ा हुआ।और अपने लंड को मसलता हुआ शाज़िया के कमारे की तरफ़ चला आया।
अपनी बहन के कमारे के बाहर कुछ देर खड़ा हो कर ज़ाहिद ने कमरे के अंदर किसी क़िस्म की हरकत की आवाज़ सुनने की कोशिश की। ता कि उसे अंदाज़ा हो सके कि वाकई ही शाज़िया सो भी चुकी है या नही।
जब ज़ाहिद ने अपनी तसल्ली कर ली। तो उस ने अपनी कमीज़ की पॉकेट से कमरे की चाभी निकाली और बहुत खामोशी और अहतियात से दरवाज़ा खोल कर बहन के कमरे में दाखिल हो गया।
ज़ाहिद ज्यों ही दबे पावं शाज़िया के कमरे में एंटर हुआ। तो सामने का नज़ारा देख कर उस का दिल और लंड दोनों ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगे।
शाज़िया अपने बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। उस की पतली शलवार उस की मोटी गुदाज गान्ड पर इस तरह कसी हुई थी। कि शलवार में से शाज़िया की भारी गान्ड की पहाड़ियाँ साफ़ तौर पर नज़र आ रही थी।
पेट के बल इस तरह लेटने की वज़ह से शाज़िया के चूतड़ो का उभार बहुत ही जान लेवा था।
बहन की गान्ड का ये नज़ारा देख कर ज़ाहिद की आँखें फटी रह गईं।
बाथरूम के बल्ब से आती हल्की रोशनी में शाज़िया की उठी हुई गान्ड को देख-देख कर ज़ाहिद का दिल और लंड अपनी पूरी मस्ती में आ चुका था।
आज रात ज़ाहिद अपनी बहन की जवानी का ज़ायक़ा चखने के पूरे मूड में था।
मगर अपनी बहन के बदन को छूने से पहले वह यक़ीन करना चाहता था। कि उस की बहन वाकई ही अपनी गहरी नींद में सो रही है कि नही।
क्यों कि ज़ाहिद को ये तो पता था। कि उस के हाथों की छेड़ छाड़ से शाज़िया उठ तो यक़ीनन जाएगी।
मगर वह ये ज़रूर चाहता था। कि शाज़िया उस वक़्त ही अपनी नींद से जागे जब उस की फुद्दि इतनी गरम हो चुकी हो। कि फिर उस के लिए अपने भाई के लंड को अपनी फुद्दि में लेने में कोई शरम महसूस ना हो।
इसीलिए ज़ाहिद ने अपनी बहन के गान्ड के पीछे खड़े हो कर शाज़िया को हल्के से पुकारा "शाज़िया, सो गयी क्या?" ।
जब शाज़िया ने कोई जवाब नहीं दिया। तो ज़ाहिद को यक़ीन हो गया कि शाज़िया पूर सकून नींद में डूबी हुई है।
अपनी बहन को सोता पा कर अब ज़ाहिद की हिम्मत बढ़ गयी।
अब ज़ाहिद से बिल्कुल सबर नहीं हो रहा था। इसीलिए उस ने अपना खेल शुरू कर दिया।
ज़ाहिद ने बहुत आहिस्ता से हाथ बढ़ा कर अपनी बहन के चूतड़ पर हाथ फेरना शुरू किया।
अपनी बहन की गोश्त से भरी गान्ड को छूते ही ज़ाहिद के दिल की धड़कन तेज़ होने लगी।
शाज़िया के भारी चूतड़ पर आहिस्ता-आहिस्ता हाथ फेरते हुए ज़ाहिद ने हल्के से अपनी एक उंगली को शाज़िया के चूतड़ो की दरार में फेरा।
लेकिन शाज़िया जिस पोज़िशन में सो रही थी। इस पोज़िशन में उस की गान्ड का सुराख शाज़िया की गान्ड की दोनों पहाड़ियों में डूबा हुआ था।इसीलिए चाहने के बावजूद ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड की मोरी को छू ना सका।
इस के बावजूद कि शाज़िया की गान्ड का सुर्ख ज़ाहिद की आँखों और हाथों से पोषीदा था।
मगर फिर भी ज़ाहिद ने हल्का से नीचे झुक कर अपना मुँह अपनी बहन की गान्ड के पीछे रखा और अपनी बहन की गान्ड की महक को अपनी सांसो में महसूस कर के अपने लंड से खेलने लगा।
बहन की गान्ड की खुसबू ने ज़ाहिद को इतना गरम कर दिया कि ज़ाहिद अब अपने होश हवास खो बैठा था।
ज़ाहिद के लंड में आग लग चुकी थी। उस की शलवार में उस का लौडा कसमसा रहा था।
ज़ाहिद ने अपनी शलवार का नाडा खोला और अपनी शलवार को पकड़ कर अपनी टाँगों से अलग कर के आधा नंगा हो गया और अपनी बहन की गुदाज गान्ड को देख कर अपने मोटे लंड की मूठ लगाने लगा।
ज़ाहिद अपने काम में मसरूफ़ था। के अचानक शाज़िया करवट बदलते हुए सीधी हो कर लेट गई।
शाज़िया के यूँ एक दम करवट लेने से मूठ लगाता ज़ाहिद डर गया। कि कहीं शाज़िया की अचानक आँख ही ना खुल जाए।
मगर जब ज़ाहिद ने देखा कि करवट बदलने के बावजूद शाज़िया की नींद से आँख नहीं खुली तो उसे सकून-सा आ गया।
ज़ाहिद अपनी बहन के बिस्तर के पास खड़ा हो कर बड़े ग़ौर और प्यारसे अपनी बहन का चेहरा देखने लगा।
शाज़िया सोते हुए बहुत ही मासूम और प्यारी लग रही थी। अपनी बहन के सोते हुए चेहरे की मासूमियत ज़ाहिद को पागल करने के लिए काफ़ी थी।
शाज़िया के चेहरे को देखते-देखते ज़ाहिद की नज़र अपनी बहन की भारी-भारी छातियों पर चला गई. जो कि शाज़िया के साँस लेने की वज़ह से उस के सीने की ताल से ताल मिलाते हुए बहुत दिलकश अंदाज़ में उपेर नीचे हो रही थी।
अपनी बहन की छातियो का ये दिल फ़रैब डॅन्स देख कर ज़ाहिद का लंड भी अपनी बहन की छातियों की तरह ज़ाहिद के हाथ में उछल कूद करने लगा।
उस के डिक के अंदर बैठा शैतान उसे बार-बार उकसा रहा था। कि वह क्यों देर कर रहा है। आज मोका है आगे बढ़ो और अपनी नींद में मदहोश बहन के बदन पर चढ़ कर चोद दो अपनी बहन को।
आज कुछ भी हो जाए ज़ाहिद इस मोके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था।
उस ने आहिस्ता-आहिस्ता अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की तनी हुई छाती पर रखा और उसे सहलाने लगा।
"उफफफफफफफफफफफ्फ़! 31 साल की होने के बावजूद मेरी बहन की चुचियाँ पत्थर की तरह सख़्त हैं, लगता है बहनोई ने मेरी बहन की छातियो का सही इस्तेमाल नहीं किया, इसी वज़ह से मोटी और भारी होने के बावजूद ये अभी तक ढीली नहीं पड़ी" ज़ाहिद ने अपनी बहन की छाती पर अपना हाथ फेरते हुए अपने आप से कहा।
ज़ाहिद अपनी बहन से इस तरह की छेड़ छाड़ तो दो दफ़ा पहले भी कर चुका था। इसीलिए आज उस का दिल इस किसम की हरकत से नहीं भर रहा था।
उस का दिल चाह रहा था।के आज जिस मकसद के लिए वह रात की टर्की में अपनी बहन के बेड रूम में घुसा है।वो मकसद अब ज़रूर पूरा करे और ज़ाहिरी-सी बात है वह मकसद था अपनी सग़ी बहन की चूत का "हसूल" ।
ज़ाहिद जानता था।कि इस का ये मकसद उस वक़्त तक नहीं पूरा हो सकता।जब तक वह अपनी सोई हुई बहन के जिस्म के ऊपर चढ़ कर उस की गरम फुद्दि से अपने जवान मोटे लंड को रगड़-रगड़ कर अपनी बहन की चूत को गीला ना कर दे।
ये ही सोचते हुए ज़ाहिद ने अपनी नींद में मदहोश बहन के जिस्म का जायज़ा लिया।
जारी रहेगी