एक नौजवान के कारनामे 082

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अंगूठी की शक्तियों का पहला प्रयोग.
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Part 82 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 13

मानसिक नियंत्रण

मैंने अपनी जीभ उसकी योनि के भीतर घुसाने का प्रयास शुरू कर दिया और वह मादक सिसकियाँ भरने लगी थी और मेरे लंड को ज़ोर से अपने हाथ में दबाने लगी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ किसे पकड़ूँ और किसे छोड़ूँ। आखिरकार वह सोफे के बाजुओं को पकड़ कराहने लगी। मैं पूरी ताकत से उसके चूतड़ों को फैला ज़्यादा से ज़्यादा अपनी जीभ भीतर घुसाने का प्रयास करने लगा।

वो बस हाय-हाय करते हुए विनती करती हुई बोलने लगी-प्लीज छोड़ दो। पता नहीं मुझे क्या हो रहा है! मुझे लगा, मैं मर जाऊंगी। उसकी ये बात सुन कर मैं हैरान रह गया। वो तो उस वृद्ध हीरा की पत्नी थी जो मुझ से पहले उस अंगूठी का मालिक था। क्या उसके साथ में सम्भोग के दौरान कामिनी ने कभी भी ओर्गास्म का अनुभव नहीं किया है? क्या सच में अंगूठी के पास वह शक्तिया है जो वृद्ध और दिव्य पुरुष ने मुझे बतायी हैं।

मैंने कामिनी के मन में झांका और उसके सेक्स के इतिहास पर गया तो पता चला वह और उसकी तीनो बहने हीरा के मित्र स्वर्गीय मोती की बेटीया थी और उन सबका विवाह वृद्ध हीरा के साथ एक महीने पहले ही हुआ था वह भी तब जब विवाह के कुछ समय पहले हीरा की पत्नी और पुत्र का एक दुर्घटना में निधन हो गया था। उनके निधन के बाद से हीरा बहुत दुखी रहने लगा था।

उसी दुर्घटना में हीरा का मित्र मोती भी बुरी तरह से घायल हो गया था और कुछ दिन बाद मोती का भी निधन हो गया था। अपने निधन से पहले मोती ने अपनी हालत देख और हीरा का दुःख देख कर हीरा से अपनी चारो बेटियों से विवाह करने का वादा ले लिया था। जिसके कारण हीरा ने कामिनी और उसकी बहनों से विवाह तो कर लिया था पर हीरा को तो अपनी प्रिय पत्नी और पुत्र की मृत्यु के बाद वैराग्य हो गया था।पहले वह बिलकुल जवान दीखता था पर अपनी पत्नी और पुत्र के निधन के बाद उसका शरीर बहुत तेजी से ढल गया था।और उसने सिर्फ़ कामिनी के साथ ही सुहाग रात में चुदाई की थी इसीलिए कामिनी प्यासी थी और वह आकर्षित हो कर मेरे पास आ गयी थी।

फिर हीरा के साथ ये हादसा हो गया था।और वह अपने चारो पत्निया और बेटियाँ मुझे सौंप गया था। सब की सब बहुत सुंदर और सेक्सी। ये सोच कर ही मेरा लंड एक बार और तन कर तुनक गया।

उह अह्ह्ह करते हुए कामिनी ज़ोर जोर से कराह रही थी और बोली प्लीज रुको।मैं रुका नहीं और वह जितना मना करती, मैं उतना ही ज़ोर और ताकत लगाता। अब उसकी बेचैनी इतनी बढ़ गई कि वह पूरा ज़ोर लगा पलटकर सीधी हो गई और बोली।

वो बोली-प्लीज अब मत तड़पाओ अब जल्दी से मेरे अन्दर आ जाओ । वरना मैं ऐसे ही झड़ जाऊंगी।

उस पर मैंने कहा-हाँ झड़ जाओ । यही तो मैं भी चाहता हूँ, मुझे तुम्हें झड़ते हुए देखना है।

वो बड़े कामुक और लुभावने अंदाज़ में बोली-तो देख लेना।मना किसने किया है पर मुझे तुम्हारे लंड से झड़ना है मैंने भी उसके अंदाज़ में ही बोला-इतनी भी क्या जल्दी है जान। अभी तो पूरी रात बाक़ी है।

इतना कह कर मैंने उसकी जांघें फैला दी और फिर झुक कर उसकी योनि से अपना मुँह चिपका लिया।

कामिनी की हालत जो पहले ही ख़राब थी अब इतनी बुरी हो गई थी कि वह पहले तो मेरा सिर अपनी योनि से हटाने का प्रयास करने लगी। अपनी जांघें भी चिपकाना चाहती थी, मगर मेरा सिर बीच में था और अब वह बहुत अधिक व्याकुल होने लगी थी। पर जब उसने देखा वह मुझे हटा नहीं पा रही है तो उसने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से उंगलियों में उंगलियाँ फंसा मुझे कसके पकड़ लिया और अपने कूल्हे ऊपर उठा दिए जिससे मेरी जीभ और अंदर चली गयी और उसकी योनि आग उगल रही थी और ऐसा लग रहा था मानो योनि में कोई आग लगी हो और मैं चाट रहा था। बीच-बीच में उसके दाने को छेड़ता था तो वह पगला जाती थी और योनि से बराबर पानी रिस रहा था। मैं योनि के दाने को ज़ोर से काटता, तो वह हाय-हाय करती रह जाती। मैं कभी योनि के दोनों पंखुड़ियों को होंठों से पकड़ खींचता, कभी योनि की छेद में अपनी जीभ घुसाने लगता।

अब उससे और नहीं रहा जा रहा था। उसने फिर कहा-प्लीज मुझे छोड़ दो । उम्म्ह! । अहह! हय!! मैं झड़ रही हूँ।

इतना कहते ही वह अपने चूतड़ों को उचकाने लगी और उसका पूरा बदन ऐंठने लगा और उसने मेरे हाथ छोड़ दिए और तेज पिचकारी उसकी योनि से निकली।

उसकी जाँघे पकड़ मैं तेज़ी से योनि चाटने लगा। कामिनी झड़ गई थी और हल्का महसूस करने लगी थी।

वो अपने बदन को ढीला करते हुए उससे बोली-प्लीज अब रुक जाइए । थोड़ा सुस्ता लूँ मैं।

पर मैंने बोला-अभी तो शुरू हुआ है । इतनी जल्दी कैसे छोड़ दूं।

ये कह कर मैं फिर से उसकी योनि चाटने में लग गया। वह सुस्त पड़ गई थी, मैं उसकी योनि में अपनी बीच वाली उंगली घुसा कर उसे तेज़ी से अन्दर बाहर करते हुए मज़ा ले रहा था और मैंने योनि के दाने को मुँह में भरते हुए चूसना और काटना शुरू कर दिया।

थोड़ी ही देर में वह दुबारा गर्म हो गयी और मेरे लगातार चाटने से वह स्वयं अपनी जांघें चौड़ी कर मुहे अपनी योनि से खेलने देने लगी। थोड़ी देर में मैं योनि चाटते हुए हाथ ऊपर कर उस के स्तनों को मसलने लगा। मुझे और उसे बहुत आनन्द आ रहा था और वह मेरे ख़ुद अपने स्तन भी सहला रही थी।

मैं अपना हाथ उसके मुँह के पास ले आया और अपनी एक उंगली उसके मुँह में डाल दी। वह मेरी उंगली को चूसने लगी। अब मेरी एक उंगली योनि में चल रही थी दूसरी उसके मुँह में। बहुत कामुक और उत्तेजना से भरा पल लग रहा था।

थोड़ी देर मेरी जीभ उसकी योनि पर चली और वह कांपते हुए झड़ने लगी। इस बार फिर उसकी योनि ने ढेर सारा पानी छोड़ा और मेरा मुँह पूरा भीग गया और बिस्तर भी गीला हो गया।

थोड़ी देर के बाद मैंने सोचा अब ये लंड चूसे तो महज़ आ जाए और वह तुरंत मेरे मानसिक आदेश के अनुसार नीचे घुटनों के बल हो गई और लिंग को देखते हुए उसे हाथों में लेकर हिलाने लगी। मेरा लिंग तनतना रहा था और सच में बहुत मस्त आकार में था और लंबाई और मोटाई बढ़ गयी थी और किसी भी स्त्री को चरम सीमा तक पहुँचाने के लिए बड़ा मज़बूत दिख रहा था।

लिंग सख्त हो गया था। थोड़ा और हिलाने से वह और थोड़ा सख्त हुआ और उसने लिंग को पकड़ कर हाथ से ऊपर नीचे किया, तो सुपारा खुलकर निकल आया। फिर उसने मेरे सुपारे पर अपनी ज़ुबान फिरानी शुरू कर दी। मुझे वाकयी बहुत आनन्द आने लगा और उसके चेहरे पर वासना की आग बढ़ती हुई दिखने लगी।

उसने पहले तो सुपारे को थूक से गीला कर दिया और सुपाड़े पर जीभ फिरानी शुरू की। लंड में का सुपारा ही सबसे अधिक संवेदनशील हिस्सा होता है। वह जीभ फिराने के साथ-साथ उसे अपने हाथ से हिला भी रही थी।

थोड़ी देर और चूसते हुए मेरा लिंग अब पूरी तरह से कड़क हो गया। वह पूरा मुँह में भर चूसते हुए जीभ से सुपारे को भी सहलाने लगी। लेकिन लिंग उसके मुँह में आधे से भी कम अंदर गया था।

उसके दिमाग़ में अब ये था कि कैसे मुझे इतना उत्तेजित हो जाए की अब मैं सीधा संभोग करने लगूँ इसलिए वह धीरे-धीरे लिंग को हिलाते हुए चूसने के बाद थोड़ी देर बाद लंड को तेज़ी से चूसना शुरू कर दिया और हाथ से भी तेजी से हिलाना शुरू कर दिया।

मैं आनन्द से भर गया और मजे से कराहने लगा। वह जितना अधिक चूस रही थी, उतना ही अधिक मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी।

मैंने जोश में आकर उसे अपने पास खींचा और उसकी जांघें फैला कर उसकी योनि अपने मुँह के ऊपर ले आया। मैं उसकी योनि को फिर से चाटने लगा और वह मेरा लंड चूस रही थी।

इधर वह मेरा लिंग चूस रही थी और मैं उसकी योनि में उंगली डाल चाट रहा था और वह एक हाथ से उसका लिंग हिला रही थी, दूसरे हाथ से मेरे अंडकोषों को सहला रही थी।

मैंने उसके योनि और गुदा द्वार के बीच वाले हिस्से की नसों को हल्के-हल्के दबाते हुए सहलाना शुरू कर दिया। इससे कामिनी इतना जोश में आ गया कि उसने लिंग को चूसना छोड़ दिया और बोली बस अब आ जाओ।

मैंने उसे अपने ऊपर से नीचे किया और फिर उसे सीधा लिटा कर टांगें पकड़ अपनी ओर खींचता हुआ कामिनी को पूरा फैला दिया। मेरा लिंग अब गर्म रोड जैसा हो गया था।

मैं उसके ऊपर जांघों के बीच आकर बोला-। अब तो और मज़ा आएगा तो जान अब चलें जन्नंत की सैर के लिए।

मैं उसे बिस्तर पर ले गया और उसे लिटा कर मैंने अपनी जीभ उसके स्तनों की ओर बढ़ा दी और उसके हाथ मेरे लंड पर पहुँच गए उसके हाथ ने मेरे स्पंदनशील खड़े हुए कड़े लंड को अपनी उत्तेजित और मेरे लंड के लिए व्यग्र योनि की तरफ़ खींच लिया।

जैसे ही मेरा लिंग का उसकी योनि के नम बाहरी होंठों से संपर्क हुआ, लंड ऊपर की ओर उसके भगशेफ की ओर बढ़ा, कामिनी ने मन ही मन सोचा "हे भगवान! मैं ये क्या कर रही हूँ?" पर जैसे ही लंड का संपर्क उसके भगशेफ से हुआ उसने महसूस किया बहुत अधिक शक्तिशाली वासना ने उसकी क्षीण प्रतिरोध पर कब्ज़ा कर लिया।

ओह्ह्ह्हह ह्ह्ह्हआयईई वह ज़ोर से कराह उठी तब मैं उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूमते हुए अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने लिंग को उसकी योनि के द्वार की दिशा देने लगा। मेरा सुपारा योनि के छेद में मुझे महसूस हुआ, तो उसकी सांस रुकती-सी महसूस हुई. इसी वक़्त पर मैंने अपना लिंग का सुपाड़ा हल्के से धकेल कर योनि पर दबाब दिया। जैसे ही लंड ने उसकी योनी के प्रवेश द्वार को खोला तो मैंने फिर हल्का-सा दबाब दिया और मेरे लिंगमुंड ने उसकी आंतरिक प्रवेश द्वार को अलग कर दिया । लंड का सुपारा अंदर दर प्रवेश कर गया और ऐसा करते ही लंड उसकी योनि की मखमली कोमलता में आ गया। योनि के भीतरी भाग से संपर्क से मेरा लंड उसके योनि स्राव के साथ लेपित हो गया और फिर जब लंड उसके भगशेफ को दुबारा छुआ तो उसकी पूरी योनि में आग लग गयी।

फिर मैं धीरे-धीरे लिंग आगे को सरकाता हुआ योनि में घुसाने लगा।उसकी योनि पहले से इतनी गीली थी कि मुझे कोई परेशानी नहीं हो रही थी। पर चुकी वह अभी तक एक ही बारी चुदी थी इसलिए अभी बिलकुल नयी जैसी टाइट थी । पर मेरा लंड बहुत सख्त था इसलिए और मुझे अंदेशा हो रहा था कि उसे थोड़ा दर्द होने वाला है। मेरा लिंग आधा घुस चुका था कि तभी मैंने वापस सुपाड़े तक लिंग बाहर खींच लिया और पूरी ताकत लगा कर उसने ऐसा धक्का मारा कि वह चीख पड़ी।

ओह्ह्ह! मर गयी।आराम से करो।इतना दर्द तो पहली बार सुहाग रात को भी नहीं हुआ था जितना अब हुआ है।

वो अपनी टांगें बिस्तर पर पटकने लगी और दर्द से छटपटाने लगी। वह सिर पटकने लगी। उसे इतनी ज़ोर दर्द हुआ उसे पेट में ऐसा लगा कि उसके अंदर जैसे कुछ बहुत सख्त और गर्म-गर्म है जो धड़क रहा है वह अभी संभल भी नहीं पाई थी कि मैंने एक उसी तरह के लगातार तीन छार धक्के मार कर अपना लिंग उसकी योनि के अंतिम छोर तक पेला और उसके ऊपर रुक गया।अब उसकी योनि की मांसपेशिया मेरे लंड के आकार और लम्बाई के लिए समायोजित हो रही थी, मांसपेशिया खींच रही थी इसलिए दर्द होना ही था ।

वो दर्द से छटपटा भी नहीं कर पा रही थी । क्योंकि मैंने उसे अपनी पूरी ताकत से पकड़ रखा था। उसकी सांस जैसे रुक-सी गई थी और मुँह से आवाज़ भी नहीं निकल पा रही थी क्योंकि मुँह में मेरे ओंठ उसके ओंठो को चूस रहे थे।बस गु गऊ की अव्वज आ रही थी । वह दर्द के कारण अपने पैर घुटनों से मोड़ जांघें चिपकाने जैसे करने लगी और उसकी आँखे बंद थी।

मं उसे तड़पता हुआ देखता रहा और कुछ समय के बाद जब उसने आंखें खोलीं, तो उसने मेरी और देखा और पाया मैं उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था। उसके निचले हिस्से में योनि से लेकर पेट में नाभि के पास दर्द था, पर अब कम हो रहा था।

वो सुबकते हुए बोली-छोड़ो मुझे, हटो मेरे ऊपर से । बेरहम इंसान, मुझे मार डालना चाहते हो तुम तो आराम से नहीं कर सकते, और ऊपर से मुस्कुरा रहे हो।

पर मैंने उसके हाथों को और ज़ोर से दबाया और धीरे-धीरे लिंग अन्दर बाहर करता हुआ बोला-दर्द में ही तो मज़ा है कामिनी! अभी ये दर्द तुम्हें ख़ुद मजेदार लगने लगेगा।

वो गुस्से से मुझे अपने ऊपर से हटाने का प्रयास करते हुए बोली-कोई इतनी बेरहमी से चोदता है क्या, मैंने क्या मना किया था आपको । मैं आपको सम्भोग तो ख़ुद मर्जी से करने दे रही थी।

मैं बोला-अच्छा माफ़ कर दो, अब आराम से करूंगा। क्या करूं, तुम हो इतनी सेक्सी तुम्हे नहीं पता इतनी देर से मैंने ख़ुद को कैसे रोका हुआ था ।

तो पहले क्यों नहीं डाल दिया पहले तो तुम्हे चूमने चाटने से ही फुर्सत नहीं थी।

अरे! तुम हो ही इतनी सेक्सी की यही समझ नहीं आ रहा है कि क्या पहले करून? तम्हारा हरेक अंग बहुत शानदार है भगवान ने तुम्हे बहुत फुर्सत में बनाया है।और पता नहीं हीरा बाबा ने तुम्हे देख ख़ुद पर क ऐसे नियंत्रण किया हुआ था।में बोला।

वो बोली उन्हें तो अब ये सब अच्छा ही नहीं लगता था।

तुम छोड़ो उनको अब वह साधना करेंगे ये कहते हुए मैंने उसके हाथ पड़के और धीरे-धीरे धक्के देते हुए लिंग अन्दर बाहर करने लगा। पर मैं अभी भी वह अपने ऊपर से हटाने का प्रयास कर रही थी। मैं धक्के मारे जा रहा था और वह बिना कुछ बोले मुझे अपने ऊपर से हटाने का ज़ोर लगा रही थी।

करीब 5 मिनट तो ऐसे ही हम दोनों में लड़ाई चलती रही। फिर मैंने उसके हाथ छोड़ दिए और हाथ उसके सिर के पास रख उसे कंधों से पकड़ लिया। अब वह मुहे हटा नहीं सकती थी। मेरे धक्के अब उसके मन को कमजोर करने लगे थे और जैसे-जैसे मैं उसके गले को चूमता हुआ धक्कों की गिनती और गति बढ़ाने लगा, उसका दर्द कम होने लगा और वह सम्भोग के का आनन्द लेने लगी।

जैसे जैसे धक्के बढ़ते गए, वैसे-वैसे हमारी गर्माहट भी बढ़ती गई और वह मस्ती में आ गयी और मुझे अपनी बांहों में जकड़ने लगी। कुछ ही पलों मैं लिंग से योनि में हो रही रगड़ से मज़ा आने लगा ।और ख़ुद ही अपनी पूरी जांघें खोल कर मुहे भरपूर जगह देने लगी जिससे मैं आराम से धक्के मार पा रहा था।

वो अब तेज़ी से सांसें लेने लगी थी और मेरे धक्कों की गति और ज़ोर बढ़ रहा था और उसकी भी उत्तेजना में कोई कमी नहीं थी। वह अब हर धक्के के साथ आह-आह ओह ओह करती हुई साथ दे रही थी।

मेरे लंड ने उसकी योनि की सभी मासपेशिया जो सुकड़ी हुई थी उन्हें खोल उसकी योनि को और गहरा कर दिया। वह कराहते हुए अपना सिर अगल-बगल से फेंक रही थी।

"ओह हाँ!", "ओह हाँ!", "ओह हाँ!" उसके बाद "हे भगवान! आपका लंड तो अंदर जा कर और लंबा हो रहा है," ये तो मेरी योनि को पूरा खोल कर रख देगा हाययययय।, वह कराह उठी कामिनी अब चाहती थी ये चुदाई का सिलसिला चलता ही रहे।

इसलिए उसने मेरे चूतड़ों को अपनी टांगों से लपेट कर और हाथों से मुझे पीठ को पकड़ अपनी ओर खींच कर बोल पड़ी-आह आह और तेज़ चोदो और तेज़ धक्के मारो । रुकना मत।

वह मेरे साथ अपने पूरी ताकत से चिपक गयी और मेरा लंड उसकी योनि में और गहरा डूब गया, अगले धक्के के साथ, लंड उसके गर्भशय से टकराया और लंड का सर के धक्के का असर उसकी कूल्हे कीआंतरिक मांपेशियों तक गया। हमारा जुनून बढ़ गया और हमारे शरीर पूरी तरह से मेल खाते हुए दिखाई दिए। मैं अपने लिंग के अंत को उसकी योनि की दीवारों से रगड़ खाता हुआ महसूस कर रहा था, जो अविश्वसनीय रूप से प्रवेश करने के बाद से लंबा और मोटा हो गया था और हर धक्के के साथ उसके गर्भाशय की ग्रीवा का चुम्बन कर रहा था। वह अपनी कामोत्तेजना के चरम के बहुत करीब पहुँच चुकी थी, मैंने महसूस किया कि उसकी लय बदल रही है और उसकी योनि की रेशमी कोमलता मेरे लंड को मजबूती से जकड़ रही थी। वह मेरे लिंग की लंबाई के साथ-साथ ताल मिला कर अपने कूल्हे हिला रही थी; और ठप-ठप की आवाज़ के साथ उसके आह-आह! की आवाज़ आ रही थी कामिनी को लगा कि वह बिना किसी पूर्वाग्रह के मुझ पर भरोसा कर सकती है और वह चिल्लाई "हे भगवान! रुको मत! चलते रहो और तेज जोर से! हे भगवान! हे भगवान।"

मैंने उसे इस कामुक अवस्था में पाते ही उसके होंठों से अपने होंठ चिपका लिया। टांगें अपनी सीधी कर और हाथों को बिस्तर पर टिका कर तेज तर्रार धक्के मारे कि एक पल में ही मैं सिसकते, कराहते हुए मुझे पकड़ कर नीचे से उछलती हुई वह झड़ने लगी।

उसका शरीर थरथरा रहा था और मैं अब और पीछे नहीं रह सकता था मुझे लगा कि मेरा स्पर्म मेरे अकड़े हुए लिंग से निकल कर उसकी ऐंठन वाली योनि में चला गया है; मेरा लिंग धड़क रहा था और पिचकारियाँ मार कर-कर मेरे उपजाऊ वीर्य की उसके योनि को भर दिया। दोनों का मिला जुला काम रास इतना अधिक था कि वह उसकी योनि से बाहर निकर कर चादर पर फैल गया और हम दोनों नए प्रेमी धीरे-धीरे अपनी कामुक और उत्तेजित अवस्था से निकले और एक-दूसरे के साथ चिपक कर लेट गए और एक दुसरे को चूमने और सहलाने लगे l

मैंने अपनी उंगली पर देखा कि अंगूठी फिर से प्रकट हो गई थी और ऐसा लग रहा था कि यह पहले से कहीं ज़्यादा चमक रही थी। उसी समय मुझे पता चला, मेरा लिंग झड़ने के बाद भी शिथिल नहीं हुआ था और मैं अभी भी उसकी योनि के अंदर खड़ा हुआ था और सख्त था।

जारी रहेगी

दीपक कुमार

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