एक नौजवान के कारनामे 081

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मानसिक नियंत्रण.
1.3k words
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Part 81 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 12

मानसिक नियंत्रण

कामिनी उत्तेजित थी और गहरी साँस ले रही थीं, उसके स्तनों पर मेरे हाथ लगते ही उसकी आह निकली, इस कराह ने उसकी उत्तेजना की स्थिति का संकेत दिया और वह अपने पैर अपनी जांघों के बीच की खुजली को शांत करने के प्रयास में एक दूसरे के खिलाफ रगड़ रही थी। मैंने उसका हाथ अपनी जाँघ पर महसूस किया; वह धीरे-धीरे अपने हाथ को मेरे पायजामा के अंदर ले गई और अपना हाथ धीरे-धीरे लंड के ऊपर की ओर तब तक खिसकाती रही जब तक कि उसके हाथ की उंगलियो ने मेरे उत्तेजित लिंग को पूरा अपनी गरिफ्त में नहीं ले लिया।

मैंने उसे धीरे-धीरे पीछे की ओर धकेल दिया और वह सोफे पर अधलेटी हो गयी और मैंने उसके ऊपर होकर उसे नीचे की ओर दबाकर उसे चूमा। उसके पैर मेरी टांगो की हलचल से अलग हो गए ।

मैंने अपनी आँखें नीची करके देखा कि उसकी नाभि में एक छल्ला डला हुआ था और नीचे देखने पर मैंने देखा कि उसकी साडी उसके पैरों के ऊपर तक खिसक गई थी और उसके घुटने स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे।

मैंने बड़े ही इत्मीनान से पूरे बदन को लिपट कर टटोला। फिर आगे होकर उसकी साडी का पल्लू हटा दिया। स्तनों को दबाने लगा।

मैंने अपना हाथ उसकी चोली के अंदर डाल कर चोली को ऊपर सरकाकर उसके नग्न निप्पल पर अपना अंगूठा रगड़ा। उसने हांफते हुए गहरी सांस ली और मैंने महसूस किया कि उसकी आह के साथ ही उसकी अंगुलियों का दबाव अब पूरी तरह से मेरे उत्तेजित लिंग पर कस गया। मैंने उसकी चोली के कपड़े को तब तक ऊपर की ओर धकेला जब तक कि उसके स्तन खुल कर नग्न नहीं हो गए और धीरे से अपने होंठों को उसकी गर्दन को चूमते हुए नीचे उसके निप्पल तक ले गया और मसलते हुए ब्लाउज खोल का उतार दिया।

मैंने अपने होठों से उसके निप्पल सहलाये तो आहओह्ह्हहाय्यय करते हुए उसने गहरी आह भरी, फिर मैंने बारी-बारी से स्तनों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। कामिनी के मन में एक संशय उठा कि यह सब इतनी जल्दी कैसे हो सकता है, उसने अपने जीवन में कभी चीजों को इतनी तेजी से नहीं बढ़ने गया था यहाँ तक की उस वृद्ध हीरा के साथ भी पहली बार चीजे इतनी जल्दी नहीं हुई थी और मुझसे तो आज यह पहली बार ही मिली थी।

वो बोली हम कुछ ज़्यादा तेज नहीं जा रहे। तो मैंने उसके मन में झाँक कर उसके इस संशय को पढ़ा और पाया की निश्चित रूप से उसे बाबा की अंगूठी के बारे में नहीं पता था और शायद बाबा ने उन्हें कामिनी के साथ इस्तेमाल भी नहीं किया था ।जल्द ही मैंने उसकी कराह सुनी ।

वह ज़ोर से कराह रही थी क्योंकि मैं उसके निप्पल के सिरे को चूस रहा था मैं बारी-बारी से उसके दोनों स्तन पीने लगा और वह मुझे बच्चे की तरह एक हाथ से मेरा सिर सहलाती रही।

और अपनी जीभ को धीरे से निप्पल के चारों ओर घुमाने के बाद धीरे से उसे कुतरने लगा, कामिनी मेरी गतिविधियों का विरोध करने में सक्षम नहीं थी। मैंने उसके निप्पल को काटने या उसे कोई दर्द देने से परहेज किया।

मेरे कुतरने से उसकी उत्तेजना बढ़ गई और उसका हाथ मेरे पायजामा की डोरी तक चला गया, उसकी उंगलियाँ उस डोरी के चारों ओर बंद हो गईं और उसने पाजमा के साथ उसे नीचे खींच लिया। मैंने उसे अपने हाथों से काम करने के लिए जगह देने के लिए ख़ुद को उससे दूर कर दिया। उसकी उंगलियाँ अंदर की ओर बढ़ी और उसने मेरे अंडरवियर को नीचे की तरफ़ खींच दिया।

मेरे लंड को देख कर उसकी आह निकली, उसने मेरे अंकोशों पर अपनी कलाई लगा और कर मेरे लंड की लम्बाई का अंदाजा लगाया और उसके मुँह से निकला। उफ़! ये तो बहुत लम्बा है!

कामिनी की उँगलियों ने फिर से मेरे लिंग को पकड़ लिया और उसने अपना हाथ ऊपर की ओर बढ़ा दिया, उसकी उँगलियाँ मेरे लंडमुंड को महसूस कर रही थीं जो उत्तेजना से नम था। उसने धीरे-धीरे मेरे गर्म लंड की पूरी लंबाई पर अपना हाथ ऊपर-नीचे किया, वह उसकी त्वचा की बनावट की कोमलता के साथ उसकी कठोरता का आनंद ले रही थी, उसकी सांस तेज हो गई और उसने गहरी सांस ली।

जी भर के स्तनपान करने के बाद मैं उसके पेट को चूमते हुए नाभि को चाटने लगा करने लगा। मैंने अपने होठों को धीरे-धीरे नीचे की ओर उसकी नाभि में डाली हुई रिंग के चारो ओर घुमाया वह काफ़ी देर तक नाभि में अपनी जीभ फिराता रहा। उसकी हालत बुरी हो गयी और वह आह्हः ओह्ह उफ़ क्या कर रहे हो कह कर तड़पने लगी ।

इस तरह उसकी नाभि को चाटते हुए मैंने उसकी साड़ी पर हाथ फेरते हुए खींच कर खोला और टांगों के नीचे से निकाल कर उसे नीचे से बिल्कुल नंगा कर दिया। उसने भी इस प्रक्रिया में अपनी जाँघे उठा कर मुझे सहयोग दिया । फिर मेरी जीभ उसकी नाभि के चारों ओर घूम गई और अपने होठों को नीचे की ओर ले गया और मेरी जीभ तब तक कुछ खोजती रही जब तक कि मैं उसे उसकी जाँघि के जोड़ तक नहीं पहुँच गया ।

जैसे ही मेरी जीभ ने उसकी योनि के आसपास के क्षेत्र को छुआ उसकी तेज कराह निकली।उसके पैर जुदा हुए; मुझे उसकी योनी की पहली झलक देते हुए उसके कूल्हे चौड़े हो गए। उस रोशनी में वह बिल्कुल चमक-सी रही थी और उसका पूरा बदन एकदम चिकना दिख रहा था। योनि के बालों की करीने से कटे होने हे कारन सब और भी ज़्यादा मस्त लग रहा था। उसकी योनि के बालों की भी इस तरह से छंटनी की गई थी कि कोई भी मर्द आकर्षित हो जाए. मैंने उसकी टांगें पकड़ उन्हें फैला दिया और बहुत चाव से उसकी योनि देखते हुए एक हाथ फेरने लगा। मेरे छूते ही वह कांप-सी गई, पर मैंने उसकी एक जांघ पर हाथ रख कर सोफे पर दबा दिया था।

उसकी योनि की पंखुड़ियों को अपनी उंगलियों से फैला कर मैं बोला-वाह कितनी प्यारी, सुंदर और कामुक चुत है तुम्हारी! चलो दोनों मिल कर इस रास्ते से स्वर्ग के आनंद लेने चले।

कामिनी का मन बहुत रोमांचित हुआ जा रहा था। मैं योनि के इर्द गिर्द चूमते हुए जांघें कमर और टांगों को चूमने लगा फिर मैंने झुक कर उसकी योनि को चूमा। वह गीली थी, बहुत गीली थी; जैसे ही मेरी घूमती हुई जीभ ने उसके योनी के बाहरी होठों को छुआ, उसने अपने आप को ऊपर की ओर उठा दिया और मेरे मुंह के खिलाफ अपनी योनि को दबा दिया।

वो इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो गई थी कि मुझे लगा अभी अपना पानी छोड़ देगी उसके लिए ख़ुद को रोक पाना चुनौती-सा लगने लगा था। पर अभी तो शुरूआत ही हुई थी। मैंने उसे थोड़ी देर चाटा और लगा वह अब रुक नहीं पायेगी तो मैंने उसे पलट दिया और वह पेट के बल हो गई. मैं उसकी टांगों को चूमता हुआ चूतड़ तक पहुँच गया और किसी भूखे की तरह चूमता चाटता हुआ में उसकी पीठ और पीठ से दोबारा चूतड़ों तक चूमता रहा। वह अपने आप में सिकुड़ कर उलटी लेटी हुई थी और मैंने उसके चूतड़ों को ऐसे चूमना और काटना शुरू कर दिया कि कामिनी की सिसकियाँ रोके नहीं रुक रही थीं। मेरी इन हरकतों से वह बिलकुल बेकाबू हो हिल रही थी।

मैंने अब उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से फ़ैलाना शुरू कर दिया और अपना मुँह बीच में डाल योनि जीभ से टटोलनी शुरू कर दी।

वो पेट के बल सोफे पर लेट गयी थी और उसकी योनि बिस्तर की तरफ़ थी और उसके बड़े और मोटे मांसल चूतड़ों के बीच उसकी योनि इतनी आसानी से मिलनी मुश्किल थी। मैं प्रयास करके भी उसकी योनि तक जीभ नहीं पहुँचा पा रहा था। पर मैं भी हार मानने वालों में से नहीं था। मैं थोड़ा-थोड़ा जीभ से टटोलता रहा और धीरे-धीरे उसे खींचते हुए उसके चूतड़ उठाने लगा। कुछ कामिनी ने भी मेरी मदद की और अपने घुटने मोड़ अपने चूतड़ पीछे से उठा दिए।

अब उसकी योनि खुलकर मेरे सामने आ गई. मैंने तुरंत अपना मुँह उसकी योनि से चिपका लिया और ऐसे चाटने लगा, जैसे योनि कोई खाने की वस्तु हो। उसकी योनि अब बिल्कुल ही चिपचिपी हो गई थी।

जारी रहेगी

दीपक कुमार

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