अम्मी बनी सास 032

Story Info
दिल के अरमां आँसुओं में बह गये.
2.2k words
4.82
220
00
Story does not have any tags

Part 32 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

ज़ाहिद के लंड से निकलती मनी की धार इतनी तेज और गरम थी। कि शलवार में मलबोस होने के बावजूद शाज़िया को ऐसे लगा। जिसे उस के भाई ने उस की चूत के अंदर ही अपना पानी निकाल दिया हो।

अपने सगे भाई को अपनी टाँगों के दरमियाँ फारिग होता देख कर शाज़िया तो शरम से पानी-पानी हो गई।

मगर साथ ही शाज़िया ने सकून का साँस भी लिया। क्योंकि ना जाने क्यों शाज़िया को ये शक हुआ कि अपनी गर्मी निकालने के बाद शायद उस का भाई अब उस की जान बक्शी कर देगा। मगर ये शाज़िया की भूल थी।

क्यों कि शाज़िया के शोहार के मुक़ाबले उस का भाई ज़ाहिद उन मर्दो में से था। जिन के लंड से एक बार पानी निकलने के बाद उन में चुदाई का जोश पहले से ज़्यादा भर जाता था और वह रात भर कई-कई बार फारिग हो कर भी फुद्दि के प्यासे रहते थे।

इसीलिए अपने लंड की मनी से अपनी बहन की शलवार को तर ब तर करने के बाद भी ज़ाहिद उसी जोश में अपनी बहन के गालो और गर्दन को चूमता और काटता रहा।

जब शाज़िया ने देखा कि उस के भाई पर उस की किसी बात का असर नहीं हो रहा। तो अपनी बे बसी के मारे उस की आँखों से आँसू जारी हो गए।

गुस्से में आते हुए उस ने ज़ाहिद को एक ज़ोर दार धक्का मारा। तो ज़ाहिद की पकड़ शाज़िया के जिस्म से छूट गई और झटके से ज़ाहिद अपनी बहन के पहलू में गिर गया।

ज्यों ही ज़ाहिद बिस्तर पर गिरा। शाज़िया ने उठ के कमरे से जाने की बजाय एक दम अपनी शलवार का नाडा खोला और साथ ही गुस्से में आ कर अपनी मलमल की पतली कमीज़ को अपनी भारी छातियों से पकड़ कर फाड़ दिया।

शाज़िया के इस अमल से वह ना सिर्फ़ नीचे से बिल्कुल नंगी हुई गई. बल्कि ऊपर से उस के मम्मे अपने भाई के सामने नीम नंगे हो गये।

अपने जिस्म को अपने भाई के सामने आधा नंगा करते ही शाज़िया रोते-रोते बोली"लो भाई मेने खुद ही अपने आप को तुम्हारे लिए नंगा कर दिया है, आगे बडो और नोच लो मेरे नंगे जिस्म को, पूरी कर लो अपनी गंदी हवस को अपनी बहन के जिस्म से खेल कर।"

ज़ाहिद ने जब अपनी बहन की आँखों में आँसू देखे। तो उस का खड़ा हुआ लंड मुरझा कर बैठने लगा।जब कि ज़ाहिद का पत्थर दिल एक दम से पिघल गया।

ज़ाहिद को अपने आप से शरम आने लगी।और अपने ऊपर लानत भेजते हुए ज़ाहिद ने एक दम अपने कपड़े उठाए और शाज़िया को रोती छोड़ के वह उस के कमरे से निकल आया।

आज ज़ाहिद को उस की बहन के आँसुओं ने मजबूर कर दिया और वह चाहते हुए भी अपनी सग़ी बहन का रेप ना कर सका।

अपने कमरे में लेट कर ज़ाहिद अपने और शाज़िया के बारे में सोचने लगा।कि लाख कोशिश के बावजूद शाज़िया उस के साथ चुदाई पर राज़ी नहीं हो रही। तो बेहतर है कि उसे उस के हाल पर छोड़ दिया जाए।

और उस ने ये तय कर लिया कि वह अब कभी ग़लती से भी अपनी बहन के मुतलक सोचे गा भी नही।

भाई के कमरे से जाने के बाद शाज़िया काफ़ी देर अपने बिस्तर पर पड़ी अपने आँसू बहाती रही।

फिर जब कुछ देर बाद उस ने रोना बंद किया। तो शाज़िया को अपनी चूत के ऊपर खारिश महसूस हुई।

शाज़िया ने बे इख्तियारी में शलवार के ऊपर से ही अपने हाथ को अपनी चूत पर रख कर खुजली करनी चाही। तो शाज़िया के हाथ की उंगलियाँ उस की शलवार के ऊपर छोड़े हुए अपने सगे भाई के थिक वीर्य से जा टकराया।

शाज़िया की शलवार पर लगा उस के भाई का वीर्य अब थोड़ा-थोड़ा खुशक होने लगा था। जिस की वजह से उस जगह पर जहाँ ज़ाहिद का वीर्य गिरा था। शाज़िया की शलवार का वह हिस्सा वीर्य के सोखने की वजह से अकड़ कर सख़्त हो गया था।

ज़ाहिद का वीर्य इतना ज़्यादा और इस कदर थिक हो कर शाज़िया की शलवार के ऊपर गिरा था। कि थोड़ा सूखने के बावजूद उसके अपने भाई का वीर्य शाज़िया की उंगलियों पर चिपक-सा गया था

शाज़िया को ज्यों ही अहसास हुआ कि उस का हाथ अपने ही भाई की मनी सर भर गया है। तो वह फॉरन उठी और उस ने अपनी शलवार को अपने जिस्म से अलहदा कर के दूर कोने में पड़ी टोकरी में फैंक दिया।

उस के बाद शाज़िया आधी नंगी चलती हुई बाथरूम में गई और अपने हाथ को अच्छी तरह से धो कर अलमारी से दूसरी शलवार कमीज़ निकाल कर पहनी और अपने कमरे के दरवाज़े को फिर से लॉक लगा कर बिस्तर पर दुबारा सोने के लिए लेट गई।

अगली सुबह शाज़िया के उठने से पहले ही ज़ाहिद अपनी नोकरी पर जा चुका था।

शाज़िया भी तैयार हुई और नाश्ता कर के अपने स्कूल रवाना हो गई।

शाज़िया ने नीलोफर से नाराज़गी के बाद से नीलोफर वाली स्कूल वॅन में जाना छोड़ दिया था। इसीलिए उसे स्कूल पहुँच कर पता चला कि नीलोफर आज स्कूल नहीं आई।

अंदर अपने घर में छुट्टी कर के बैठी नीलोफर ने अपने सुबह सवेरे के काम निबटा कर ज़ाहिद को फोन कॉल मिला दी।

नीलोफर को ज़ाहिद से बात और मुलाकात किए काफ़ी दिन हो चुके थे। इसीलिए आज वह ज़ाहिद से बात कर के पता करना चाहती थी। कि उसे अपनी बहन शाज़िया की फुददी में अपना लंड डालने का फक्र अब तक नसीब हुआ है या नही।

अपने पोलीस स्टेशन में बैठे ज़ाहिद ने नीलोफर का नंबर अपने मोबाइल पर देखा तो फॉरन फोन उठा लिया।

ज़ाहिद: हेलो नीलोफर कैसी हो?

नीलोफर: में ठीक हूँ यार, तुम सूनाओ क्या चल रहा है?

"बस यार वह ही रोज़ की रूटीन" ज़ाहिद ने नीलोफर को बोझिल आवाज़ में जवाब दिया।

ज़ाहिद के इस अंदाज़ में बात करने से नीलोफर समझ गई. कि ज़ाहिद अभी तक अपनी बहन शाज़िया को चोद नहीं पाया है।

"इतने मायूस क्यों हो, लगता है शाज़िया के मामले में तुम्हारी दाल नहीं गली अभी तक" नीलोफर ने ज़ाहिद से पूछा।

"बस यार कुछ ऐसा है बात समझो" ज़ाहिद ने जवाब दिया।और फिर नीलोफर के इसरार पर ज़ाहिद ने सारी बात उसे तफ़सील से बयान कर दी।

ज़ाहिद की बात ख़तम होते ही नीलोफर ने ज़ोर का कहकहा लगाया और इंडियन फिल्म निकाह का गाना।

" दिल के अरमां आँसुओं में बह गये, हम वफ़ा कर के भी तेन्हा रह गये" ।

की तर्ज का एक शेर बोली,

" लंड के अरमां, मूठ लगा कर बह गये, हम लंड नंगा कर के भी, कंवारे रह गये।"

ज़ाहिद नीलोफर की हँसी और उस का सुनाया शेर सुन कर गुस्सा हो गया और बोला "बहन की लौडी मुझे शर्मिंदा करवा कर तेरी हँसी निकल रही हैं" ।

"गुस्सा मत करो में कोई हल निकालती हूँ" नीलोफर ने ज़ाहिद को गुस्से में आते सुना तो फॉरन जवाब दिया।

कहते हैं ना कि "चोर चोरी से जाय, मगर हेरा फेरी से ना जाय" की मिसाल के मुताबिक नीलोफर की बात सुन कर ज़ाहिद को अपने आप से किया रात वाला वादा भूल गया और अपने गुस्से को ठंडा करते हुए उस ने नीलोफर से इश्तियाक भरे लहजे में फॉरन पूछा "तुम क्या करोगी अब?"

"इस जुम्मे (फ्राइडे) को जो तुम्हारे पड़ोस में शादी हो रही है, वो हमारे रिश्ते दार हैं, और में भी उस शादी में शामिल हो रही हूँ" नीलोफर ने ज़ाहिद से कहा।

"इस शादी में तो में भी हूँ गा, तो फिर?" ज़ाहिद ने नीलोफर की बात काटते हुए कहा।

"जिस लड़की की शादी है वह शाज़िया की अच्छी दोस्त है, इसीलिए शाज़िया और तुम्हारी अम्मी भी इस में ज़रूर शामिल हों गीं, तो में पूरी कोशिश करूँगी कि शाज़िया की अपने साथ नाराज़गी दूर करवा लूँ" नीलोफर बोली।

"मगर शादी के रश में तुम उस से मेरी बात कैसे करो गी" ज़ाहिद नीलोफर की बात को ना समझते हुए पूछने लगा।

"तुम जुम्मे को अपनी अम्मी और शाज़िया के साथ मुझे शादी वाले घर मिलो, बाकी सब तुम मुझ पर छोड़ दो" कहते हुए नीलोफर ने फोन काट दिया।

नेक्स्ट डे ज़ाहिद फिर अपनी ड्यूटी पर था कि उसे नीलोफर का फिर फोन आया।

"ख़ैरियत तो है, अभी कल ही तो तुम से बात हुई थी?" ज़ाहिद ने नीलोफर का फोन सुनते ही पूछा।

"यार आज में भाई के साथ बाज़ार आई हुई हूँ। सोचा तुम फ्री हो तो तुम से मुलाकात ही कर लूँ" नीलोफर को ज़ाहिद से चुदाये काफ़ी दिन गुज़र चुके थे। इसीलिए उसे आज ज़ाहिद के मोटे लंड की शिद्दत के साथ अपनी फुद्दि में तलब हो रही थी।

ज़ाहिद समझ गया कि नीलोफर को उस के लंड की प्यास लगी हुई है।इसीलिए वह उस से मिलना चाह रही है।

नीलोफर की तरह ज़ाहिद को भी फुद्दि मारे काफ़ी दिन हो चुके थे। इसीलिए नीलोफर की बात सुन कर उस ने एक घंटे बाद उस को अपने पुराने मकान पर मिलने का कहा।

नये थाने में पोस्ट होने के बाद भी ज़ाहिद ने काला गुजरं पोलीस चोकी के करीब लिया हुआ किराए का मकान अभी तक अपने पास रखा हुआ था।

ज़ाहिद के बताए हुए टाइम पर जमशेद अपनी बहन को ले कर ज़ाहिद के पास आन पहुँचा।

मकान के कमरे में जाते ही नीलोफर ने अपने गले में लटके हुए बॅग और दुपट्टे को एक झटके से अपने जिस्म से उतार कर कमरे में पड़े सोफे पर फैंका और तेज़ी के साथ दौड़ती हुई ज़ाहिद की खुली बाहों में जा गिरी।

नीलोफर को अपनी बाहों के हसार में जकड़ते ही ज़ाहिद ने नीलोफर के मुँह, गालो और होंटो पर किस्सस की बरसात कर दी।

जमशेद अपनी बहन को एसआइ ज़ाहिद के साथ इस तरह गरम जोशी से मिलता देख कर मुस्कुराया और उस ने नीलोफर के बॅग में से उस का सॅमसंग गॅलक्सी नोट मोबाइल फोन निकाल कर अपनी बहन और एसआइ ज़ाहिद की वीडियो बनाना शुरू कर दी।

जमशेद अपनी बहन और ज़ाहिद की वीडियो बनाने के साथ-साथ एक एक कर के अपने कपड़े उतारने लगा और आख़िर कार बिल्कुल नंगा हो गया।

ज़ाहिद ने जब जमशेद को वीडियो बनाने के साथ-साथ नंगा होते देखा। तो उसे भी जोश आया और उस ने आहिस्ता-आहिस्ता कर के पहले नीलोफर के कपड़े उतार के उसे बे लिबास कर दिया।

फिर वह खुद भी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर नीलोफर और जमशेद के सामने मुकम्मल नंगा हो गया।

जब जमशेद ने देखा कि उस समेत कमरे में सारे जिस्म अपने-अपने कपड़ो से बे नियाज़ हो गये हैं। तो उस ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ अपनी बहन का मोबाइल कमरे के टेबल पर इस पोज़िशन में रखा। जिस एंगल पर ज़ाहिद के कमरे में बिछा हुआ बेड पूरे का पूरा कवर हो सकता था।

जमशेद मोबाइल फोन की वीडियो रेकॉर्डिंग को ऑन छोड़ कर ज़ाहिद की बाहों में जकड़ी अपनी बहन के पीछे आया।और नीलोफर की गान्ड को अपने हाथों में दबोचते हुए पीछे से उस की गर्दन पर प्यार से काटने लगा।

अपनी बहन की गर्दन को चूमने के साथ-साथ जमशेद के हाथ आगे बढ़े और ज़ाहिद की छाती में दबे-दबे अपनी बहन के जवान मम्मो को हाथ में ले कर मसलने लगा।

"हाई आज फिर मेरी बहन को दो लंड से एक साथ चुदवाने का दिल कर रहा है" जमशेद ने ज़ाहिद की तरफ देखते हुए उस से कहा और अपने तने हुए लंड को पीछे से अपनी बहन की गान्ड की दरार में फैरने लगा।

"क्यों ना हम इसे बिस्तर पर लिटा कर एक साथ प्यार करें" ज़ाहिद ने जमशेद की बात का जवाब देते हुए कहा।

साथ ही ज़ाहिद ने नीलोफर को पास पड़े पलंग पर पीठ के बल लिटा दिया। इस के साथ ही ज़ाहिद नीलोफर की एक तरफ लेट कर उस के एक मम्मे को अपने मुँह में लेते हुए सक करने लगा।

जब कि जमशेद ने नीलोफर की दूसरी तरफ लेट कर उस के दूसरे मम्मे को अपने मुँह में भरा और अपनी एक उंगली अपनी बहन की चूत में गुस्सेड कर आहिस्ता-आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा।

दोनो मम्मो को एक साथ चुसवाने और चूत के देने पर अपने भाई की रगड़ को महसूस कर के नीलोफर बे इंतेहा गरम हो गई।

मज़े का ये आलम नीलोफर की बर्दाश्त से बाहर हो रहा था। इस लिए गरम होते हुए नीलोफर चली, "आह आह अब रहा नहीं जाता अब तुम लोग जल्दी से मुझे चोदो दो प्लीज़।"

नीलोफर की लज़्ज़त भरी आवाज़ सुन कर मम्मे को चूस्ते हुए जमशेद ने ज़ाहिद की तरफ देखा और उसे अपनी आँखों के इशारे से नीलोफर की चूत चोदने का कहा।

साथ ही जमशेद नीलोफर के पहलू से उठा और उठते साथ उस ने अपना मोटा लंड अपनी बहन के खुले हुए होंठो के दरमियाँ रख दिया।

अपने भाई के गरम सख़्त लंड को अपने होंठो के ऊपर पा कर नीलोफर ने बेचैनी से अपना मुँह खोला और जमशेद के लंड को अपने मुँह के अंदर ले जा कर उस का चुसाइ लगने लगी।

ज़ाहिद, जमशेद की हिदायत पर अमल करते हुए नीलोफर की टाँगों के दरमियाँ बैठा और उस ने नीलोफर की टाँगों को उठा कर अपने कंधो पर रख लिया। इस के साथ ही ज़ाहिद ने एक झटके में अपना लंड नीलोफर की चूत में पूरे का पूरा दाखिल कर दिया।

नीलोफर की चूत में ज़ाहिद का लंड फिसलता हुआ उस की गान्ड तक अंदर चला गया। तो नीलोफर मज़े से चिल्ला उठी "हाईईईईईईईईईई! ज़ाहिद तुम्हारा लंड तो सीधा मेरी बच्चे दानी पर जा कर चोट मार रहा है, अहह मुझे बहुत मज़ा मिल रहा है।"

"आज काफ़ी दिनो बाद तुम्हारी चूत को चोद कर मुझे भी बहुत ही स्वाद मिल रहा है मेरी जान" ज़ाहिद ने नीलोफर की चुदाई करते हुए उस के मम्मो को हाथ में थामा और जोश से बोला।

"ज़ाहिद आज मेरी चूत को अपनी बहन शाज़िया की चूत समझ कर चोदो" नीलोफर ने ज़ाहिद की बात के जवाब में कहा।

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous