अम्मी बनी सास 033

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सहेलियों की नाराजगी दूर हुई.
1.9k words
4.2
175
00

Part 33 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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नीलोफर ने ज्यों ही शाज़िया का नाम अपने मुँह से निकाला। तो अपनी बहन का नाम सुनते ही ज़ाहिद के जिस्म में एक करंट से दौड़ गया।

ज़ाहिद के लंड की रगों में खून पूरे जोश से दौड़ने लगा। जिस से ज़ाहिद का लंड पहले से भी ज़्यादा सख़्त हो गया।

ज़ाहिद ने मज़ीद जोश में आते हुए अपनी आँखे बंद कीं। और अपनी बहन शाज़िया के गरम प्यासे बदन को ज़हन में लाते हुए । नीलोफर की फुद्दि को अपनी बहन शाज़िया की चूत समझ कर ज़ोरदार तरीके से चोदना शुरू कर दिया।

ज़ाहिद के जोशीले और तेज घस्सो ने नीलोफर के जिस्म को उधेड़ कर रख दिया। और फिर चन्द ही लम्हों बाद ज़ाहिद "शाज़िय्आआआआआ! आआआआआआआआआ! आआआआआ, मेरिइईईईईईईईईई बहन कहते हुआ नीलोफर की चूत में फारिग हो गया।

"हां भर दो अपनी बहन शाज़िया की गरम फुद्दि अपने लंड के पानी से ज़ाहिद" नीलोफर ने ज़ाहिद के जिस्म के गिर्द अपनी बाहों और टाँगों को लपेट कर उस के लंड को अपनी चूत की तह तक ले जाने पर मजबूर कर दिया।

ज़ाहिद ने आज अपनी बहन शाज़िया के नाम पर उस की सहेली नीलोफर की चूत में इतना पानी छोड़ा। कि ज़ाहिद खुद भी हेरान हो गया कि ये इतना ज़्यादा पानी उस के लंड से कैसे निकला।

ज़ाहिद ज्यों ही नीलोफर को चोद कर उस के ऊपर से हटा। तो जमशेद फॉरन अपना लंड नीलोफर के मुँह से निकाल कर अपनी बहन की टाँगों के दरमियाँ आया। और अपनी बहन की चूत से बह बह कर निकलते ज़ाहिद के पानी को देखने लगा।

ज़ाहिद के गरम पानी से भरी हुई बहन की चूत को देख कर जमशेद को ना जाने किया सूझी। कि वो एक दम आगे बढ़ा और अपनी बहन की चूत पर अपना मुँह रख कर ज़ाहिद के लंड के पानी को अपनी बहन की फुद्दि से चूसने लगा।

"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! जमशेद ये तुम क्या कर रहे हो मेरे भाई" नीलोफर ने अपने भाई को ज़ाहिद का वीर्य चाटते देखा तो हडबडाती हुई बोली।

"कुछ नही बाजी में तो बस आप से अपने प्यार का इज़हार कर रहा हूँ" जमशेद ने ज़ाहिद के पानी से तर होती अपनी बहन की गान्ड के सुराख पर अपनी ज़ुबान फेरते हुए कहा।

"मगर भाई ये बहुत गंदी हरकत है जो तुम इस वक्त कर रहे हो" नीलोफर ने अपने भाई को ज़ाहिद की मानी चाटने से रोकने के लिए कहा।

"बाजी आप जानती हैं कि में आप से कितना प्यार करता हुआ,इसीलिए मुझे आप मत रोको " जमशेद ने अपनी बहन की गान्ड से ले कर उस की चूत तक अपनी ज़ुबान को फेरते हुए कहा।

नीलोफर अपने भाई की बात सुन कर खामोश हो गई। और मज़े से बे हाल होते हुए अपनी चूत उठा उठा कर अपने भाई के होंठो पर रगड़ने लगी। जिस वजह से जमशेद के होंठ ज़ाहिद के लंड के जूस से भर गये।

कुछ देर मज़ीद अपनी बहन की चूत को सक करने के बाद जमशेद उठा और उस ने ज़ाहिद के पानी से भरी हुई अपनी बहन की फुद्दि में अपना लंड डाल दिया।

ज़ाहिद के पानी से पच पुच करती चूत में जमशेद का लंड बगैर किसी दिक्कत के टहलता हुआ एंटर हुआ।

जमशेद भी ज़ाहिद की तरह पूरे जोश में था। उस ने अपने लंड को अपनी बहन की चूत में पेलते हुए नीलोफर के मुँह पर अपने मुँह रखा। और चुदाई के साथ साथ अपनी बहन के होंठो को सक करते हुए अपने होंठो पर लगा ज़ाहिद का वीर्य अपनी बहन से शेयर करने लगा।

नीलोफर भी ज़ाहिद के लंड का ज़ायक़ा मज़े दार महसूस हुआ। और उस ने भी जोश में आते हुए अपने दाँतों से अपने भाई के नमकीन होंठो को काटना और खाना शुरू कर दिया।

जमशेद अपनी बहन और ज़ाहिद की चुदाई और नीलोफर की चुसाइ की वजह से पहले ही बहुत गरम हो चुका था।

इसीलिए ज़ाहिद के पानी से तर अपनी बहन की फुद्दि में जमशेद का अंदर बाहर होता हुआ लंड कुछ ही देर में अपना पानी छोड़ने लगा। और जमशेद के लंड का पानी भी अपनी बहन की बच्चा दानी में जा कर ज़ाहिद के पानी से मिल गया।

ज़ाहिद और जमशेद की ज़ोरदार चुदाई ने नीलोफर की फुद्दि और जिस्म को थका कर रखा दिया। और वो बिस्तर पर दो मर्दो के दरमियाँ पड़ी अपनी बिखरी सांसो को संभालने लगी।

जब कि बिस्तर के कोने पर पड़े नीलोफर के मोबाइल फोन ने उन तीनो की मस्त चुदाई के सारे मंज़र को अपने अंदर महफूज़ कर लिया।

अगले जुम्मे वाले दिन ज़ाहिद और उस की अम्मी शादी पर जाने के लिए तैयार हो रहे थे। तो रज़िया बीबी ने देखा कि शाज़िया तैयार नही हो रही।

रज़िया बीबी जानती थी कि दुल्हन शाज़िया की सहेली है। इसीलिए जब रज़िया ने शाज़िया को तैयार होते नही देखा तो उन को हैरत हुई और रज़िया बीबी ने शाज़िया से पूछा " शाज़िया क्या बात है तुम क्यों तैयार नही हो रहीं"

"अम्मी मेरा दिल नही कर रहा,आप हो आएँ" शाज़िया ने अम्मी को जवाब दिया।

"बेटी कैसी बातें करती हो,एक तो दुल्हन तुम्हारी पुरानी सहेली है,ऊपर से पड़ोस का मामला है,इसीलिए तुम्हारा जाना लाज़मी है,उठो तैयार हो जाओ" रज़िया बीबी ने शाज़िया की बात सुन कर अपनी बेटी को समझाते हुए कहा।

शाज़िया का दिल जाने को नही था। मगर अपनी अम्मी के कहने पर तैयार होने लग गई।

शाज़िया ने अपने चेहरे पर हल्का हल्का मेक अप किया। और अपनी शादी के दिनो वाला एक पुराना मगर तेज कलर वाला एक सूट निकाल कर पहन लिया।

जब शाज़िया तैयार हो कर कमरे से बाहर निकली। तो रज़िया बीबी आज काफ़ी अरसे के बाद अपनी बेटी को मेकप किए हुए और शादी के शोख रंगो वाले कार्प्डों में मलबोस देख कर एक दम बोलीं " चश्मे बद्दूर मेरी बेटी आज कितनी प्यार लग रही है।"

शाज़िया अपनी अम्मी के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर मुस्करा दी और बोली " अम्मी आप भी ना"।

"बेटी तलाक़ के बाद तो तुम ने अपना ध्यान रखना ही छोड़ दिया है,जो कि अच्छी बात नही" रज़िया बीबी ने शाज़िया को शरमाते देखा तो फिर बोली।

इस से पहले कि शाज़िया से मज़ीद और बात करती। ज़ाहिद एक दम घर में दाखिल हुआ और बोला " चलो अम्मी देर हो रही है"।

घर में दाखिल होते वक्त ज़ाहिद की नज़र भी जब शादी में जाने के लिए तैयार अपनी बहन पर पड़ी। तो अपनी अम्मी की कमरे में मौजूदगी के बावजूद ज़ाहिद ने अपनी बहन के हुश्न का एक भरपूर जायज़ा लिया।

और अपने दिल ही दिल में अपनी अम्मी की तरह अपनी बहन के जवान गरम बदन की तारीफ किए बिना ना रह सका।

जब सब घर वाले एक साथ शादी वाले घर पहुँचे। तो नीलोफर को वहाँ पहले से माजूद देख कर शाज़िया को हैरत हुई।

शाज़िया नीलोफर के सामने नही होना चाहती थी। मगर रज़िया बीबी की नज़र कुर्सी पर बैठी हुई नीलोफर पर पड़ी।

रज़िया बीबी जानती थी कि नीलोफर शाज़िया की सहेली है। (मगर उन दोनो की नाराज़गी का उस को ईलम नही था। )

इसीलिए नीलोफर को बैठा देख कर शाज़िया के ना चाहने के बावजूद उस की अम्मी नीलोफर की तरफ चल पड़ी ।

शाज़िया को भी ब अमरे मजबूरी अपनी अम्मी के पीछे चलते हुए नीलोफर के पास जाना पड़ ही गया।

नीलोफर रज़िया बीबी और शाज़िया से बहुत तपाक से मिली और उन को अपने पास बैठने की दावत दे दी।

रज़िया बीबी अपनी बेटी की सहेली से काफ़ी अरसे बाद मिल कर बहुत खुश हो रही थी। इसीलिए वो नीलोफर के पास ही बैठ गईं।

शाज़िया नीलोफर के पास बैठना तो नही चाहती थी । मगर अपनी अम्मी के साथ नीलोफर से अपनी नाराज़गी का ज़िक्र भी नही करना चाहती थी।

इसीलिए उसे भी चर-ओ-नाच्छर अपनी अम्मी के साथ नीलोफर के पास बैठना पड़ गया।

नीलोफर शाज़िया को साथ बैठा देख कर बहुत खुश हुई और उस ने रज़िया बीबी के साथ साथ शाज़िया से भी बात चीत शुरू कर दी।

अपनी अम्मी के सामने शाज़िया के पास नीलोफर की बातों का जवाब देने के सिवा कोई चारा नही था। इसीलिए वो ना चाहते हुए भी हूँ हां में नीलोफर की बातों का जवाब देती रही।

थोड़ी देर बाद ज़ाहिद भी किसी बहाने लॅडीस सेक्षन में आ कर उन सब के पास बैठ गया।

शाज़िया को अपने अम्मी की मौजूदगी में नीलोफर और अपने भाई के साथ बैठने में उलझन महसूस हो रही थी। मगर उधर से उठ कर कहीं और जाना उस के लिए नामुमकिन बात थी।

कुछ देर बाद रज़िया बीबी उठ कर दुल्हन की माँ से मिलने के लिए गई। तो शादी की मूवी बनाने वाला उन की तरफ आन कर उन सब की मूवी बनाने के साथ उन की फोटो भी खैंचने लगा।

मूवी वाले को सब की फोटो खैंचते देख कर नीलोफर को मज़ाक सूझा और वो अपने सेल फोन को ज़ाहिद के हाथ में देते हुए बोली " ज़ाहिद साब आप मेरी एक फोटो खींचेंगे प्लीज़?"

ज़ाहिद को अपना मोबाइल दे कर नीलोफर उठी तो ज़ाहिद ने उस की एक तस्वीर खैंच ली।

शाज़िया ने जब देखा कि उस की अम्मी उधर से जा चुकी हैं और उस का भाई ज़ाहिद उस की सहेली नीलोफर के साथ मसरूफ़ है तो उस ने मोका जान कर वहाँ से खिसकने का सोचा।

ज्यों ही शाज़िया जाने के लिए अपनी कुर्सी से उठी। तो नीलोफर फॉरन दौड़ कर उस के पास आन पहुँची और ज़ाहिद की तरफ देखते हुए ज़ू महनी ज़ुबान में बोली " ज़ाहिद साब किया आप हम दोनो की इकट्ठी "लेना" पसंद करेंगे, फोटो"।

नीलोफर "लेने" के लफ़्ज पर ज़ोर देते हुए शाज़िया की तरफ देख कर मुस्कुराइ।

शाज़िया को नीलोफर की इस बात पर गुस्सा आया मगर ज़ाहिद का लंड नीलोफर की बात सुन कर खड़ा होने लगा और वो भी बोला " क्यों नही आप दोनो की एक साथ ले कर मुझे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आएगा। "

शाज़िया ने जब अपने भाई को नीलोफर की ज़ू महनी बात ( द्विअर्थि बात ) को आगे बढ़ाते सुना। तो उसे बहुत शरम आई। कि कहीं ज़ाहिद और नीलोफर की बकवास को किसी इर्द गिर्द के लोगो ने सुन लिया तो क्या हो गा।

इस से पहले कि शाज़िया अपनी जगह से हट पाती। ज़ाहिद ने एक दम से शाज़िया और नीलोफर की एक साथ फोटो खींच ली।

फुट खैंचते वक्त मोबाइल फोन के लेंस में से ज़ाहिद ने अपनी बहन के उसकी कमीज़ में कसे हुए बड़े बड़े मम्मो का जायज़ा लिया। तो पॅंट में से उस का लंड अपनी बहन की बड़ी बड़ी चुचियों को देख कर उछलने लगा।

ज्यों ही ज़ाहिद ने उन दोनो की तस्वीर खैंची। तो शाज़िया गुस्से में अपना पैर पटकते हुए स्टेज पर बैठी हुई दुल्हन के पास चली गई।

ज़ाहिद नीलोफर के पास खड़ा शाज़िया को दुल्हन की तरफ जाता देखता रहा।

शाज़िया स्टेज के पास गई और दुल्हन बनी अपनी सहेली को शादी की मुबारक देने लगी । उस वक्त उस की गान्ड का रुख़ नीलोफर और ज़ाहिद की तरफ था।

ज़ाहिद नीलोफर के साथ खड़ा हो कर ब गौर टाइट कपड़ों में मलबूस अपनी बहन की उठी हुई भारी गान्ड की पहाड़ियों को देख देख कर मस्त हो रहा था।

ज़ाहिद को अपनी बहन की गान्ड की गहराइयों में डूबा देख कर नीलोफर बोली " क्यों ज़ाहिद क्या सोच रहे हो अपनी बहन की बड़ी गान्ड को देख कर"।

"यार दिल कर रहा है कि जा कर अपनी बहन की इस दिल फरेब गान्ड की पहाड़ियों पर "सौ" (100 रुपीज़) का एक नोट रखूं और ढोल वाले को बुला कर अपनी बहन की मस्तानी गान्ड की "वेल" ही दे दूं।

(हमारे इलाक़े में शादी ब्याह की रश्मों में ढोल या बॅंड बाजे वाले पर पैसे लुटाने की रसम होती है। जिसे हम लोग "वेल" देना कहते हैं।)

कहानी जारी रहेगी

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