अम्मी बनी सास 035

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सहेलियों का लेस्बियन सेक्स.
2.4k words
4.36
384
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Part 35 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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नीलोफर का जवाब सुन कर शाज़िया समझ गई। कि ये सब कुछ जो इस वक्त हो रहा है ये नीलोफर ने उस के भाई ज़ाहिद के साथ पहले से प्लान किया हुआ है। और जब तक नीलोफर नही चाहेगी उस वक्त तक ज़ाहिद भाई और उस की अम्मी घर वापिस नही लोटेंगे।

इसीलिए नीलोफर की देखा देखी शाज़िया को भी जोश आया। और उस ने भी नीलोफर की शलवार के नाडे पर हाथ डाल कर पहले नीलोफर की शलवार उतारी और फिर फॉरन ही नीलोफर के जिस्म को कमीज़ के बोझ से भी बेपरदा कर दिया।

अब शाज़िया और नीलोफर के जिस्म पर उन के ब्रेजर्स और अंडरवेार्स ही बाकी रह गये थे। और ब्रेजर्स में मलबूस दोनो सहेलियाँ एक दूसरे की आँखों में आँखे डालते हुए एक दूसरे के मम्मो को हाथ में थाम कर प्यार से मसल रही थी।

दोनो सहेलियो के हाथ एक दूसरे की छातियों पर बहुत बेताबी और गरम जोशी से फिस्सल रहे थे।

"हाईईईईईई! बन्नो तुम्हारी छातियाँ तो पहले से भी ज़्यादा भारी हो गईं हैं"नीलोफर ने बड़े प्यार से शाज़िया को कहा।

फिर देखते ही देखते नीलोफर और शाज़िया के लिप स्टिक्स से भरे होन्ट आपस में टकराए । और दोनो सहेलियाँ एक दूसरे के होंठो को ऐसे सक करने लगीं। जैसे आज के बाद ये होन्ट उन को दुबारा नही मिलेंगे।

किस्सिंग करते करते दोनो के लब तो जैसे जुवैसी से हो गये थे। और अब होंठो की सकिंग के साथ साथ दोनो की ज़ुबान की सकिंग भी शुरू हो गई थी।

नीलोफर और शाज़िया की ज़ुबाने एक दूसरे के मुँह से बाहर आ कर आपस में टकराने लगी थी।

इस दौरान नीलोफर ने अपना एक हाथ नीचे ला के शाज़िया के अंडरवेार को अपने हाथ में थामा। और अंडरवेार को शाज़िया की फुद्दि से थोड़ा नीचे करते हुए शाज़िया की फुद्दि पर अपना हाथ फेरा । तो नीलोफर के हाथ को अपनी गरम प्यासी फुद्दि पर महसूस कर के शाज़िया की चूत की आग मज़ीद भड़क उठी।

शाज़िया ने आहिस्ता से अपनी टाँगें थोड़ी सी मज़ीद खोल दीं। तो नीलोफर की उंगली शाज़िया की चूत के नरम होंठो को आहिस्ता आहिस्ता सहलाने लगी।

अपनी सहेली की इस हरकत से शाज़िया की तो जैसे सांस ही रुकने लगी।

"हाईईईईईईईईईई निलो क्या जादू है तुम्हारे हाथो में मेरी जान,आज मेरी तड़पती फुद्दि की प्यास बुझा दो मेरी जान" शाज़िया ने अपनी फुद्दि को अपनी सहेली की उंगली पर रगड़ते हुए कहा।

"तुम फिकर ना करो,में आज तुम्हारी फुद्दि का सारा गरम पानी पी जाऊंगी शाज़िया" नीलोफर ने अपनी बे चैन होती सहेली को तसल्ली दी और शाज़िया का अंडरवेअर और ब्रेज़ियर उतार कर उसे मुकम्मल नंगा कर दिया।

शाज़िया को अंदाज़ा तो हो चुका था कि उस के घर वाले अभी इतनी जल्दी वापिस नही लोटेंगे। मगर इस के बावजूद वो कोई रिस्क लेने के मूड में नही थी।

इसी लिए वो नीलोफर को अपने जिस्म से हटा कर नंगी हालत में उठ कर ड्राइंग रूम के दरवाज़े की तरफ गई। और जल्दी से दरवाज़े को अंदर से लॉक लगा कर बंद कर लिया।

नीलोफर ने जब शाज़िया को अपनी मोटी और भारी गान्ड मटकाते हुए दरवाज़े की तरफ जाता देखा। तो अपनी सहेली की उठी हुई और हिचकोले खाती गान्ड की पहाड़ियों को देख कर नीलोफर सबर ना कर सकी। और वो भी सोफे से उठ कर शाज़िया के पीछे ही चली आई।

ज्यों ही शाज़िया दरवाज़े को लॉक लगा कर वापिस पलटी। तो पीछे खड़ी नीलोफर ने शाज़िया को कमरे की दीवार से लगाया। और खुद शाज़िया की लंबी गुदाज टाँगों के दरमियाँ बैठ कर अपना मुँह उस की पानी छोड़ती चूत पर रख कर शाज़िया की फुद्दि का पानी चाटने लगी।

नीलोफर के होन्ट ज्यों ही शाज़िया की फुद्दि से टच हुए। तो शाज़िया के मुँह से सिसकारियों का सैलाब उमड़ आया और नीलोफर के मुँह को अपने हाथ से अपनी फुद्दि में घुसेड़ती हुए चिल्लाई, "ओह निलूऊऊऊऊऊओ। "

शाज़िया मज़े से इतनी बे हाल हुई। कि उस के लिए दीवार से लग कर खड़े होना और अपनी तवज्जो कायम रखना मुहाल हो गया।

शाज़िया की फुद्दि को चाटती नीलोफर को भी ये अंदाज़ा हो चुका था। कि शाज़िया के लिए अब दीवार के सहारे खड़ा होना मुश्किल हो रहा है।

और इस से पहले के नीलोफर की सकिंग से बहाल हो कर शाज़िया फर्श पर गिर पड़ती।

नीलोफर शाजिया की टाँगों के दरमियाँ से उठी। और उस ने देखते ही देखते अपने से भारी शाज़िया को अपने बाजुओं में उठा लिया।

(लगता था कि जिस तरह पॉपी दा सेलर कार्टून में पॉपी, स्पीनेच खा कर अपनी बॉडी में ताक़त पेदा करता है। इसी तरह शाज़िया की चूत का गरम और नमकीन पानी पीने से नीलोफर के जिस्म में भी इतनी ताक़त पेदा हो गई थी । कि उस ने अपने से ज़्यादा वज़नी शाज़िया को अपनी बाहों में उठा लिया था। )

ज्यों ही नीलोफर ने शाज़िया को अपनी बाहों में उठाया। तो शाज़िया ने गरम जोशी से अपनी बाहों का घेरा नीलोफर के गले में डालने के साथ साथ अपनी टाँगों को भी नीलोफर की कमर के गिर्द कस लिया।

नीलोफर ने शाज़िया को अपनी बाहों में उठा कर पास ही रखे सोफे पर लिटा दिया।

शाज़िया की फुद्दि को टेस्ट कर के नीलोफर पर ना जाने क्या नशा तरी हो गया था। कि वो शाज़िया के सोफे पर लेटते ही उड़ती हुई आई। और सोफे पर लेटी शाज़िया की खुली टाँगों के दरमियाँ अपना मुँह रख कर उस की फुद्दि को जोंक की तरह चिमटाए हुए शाज़िया की फुद्दि का रस पीने लगी।

नीलोफर लपर लपर कर के शाज़िया की फुद्दि को पागलों की तरह चाटे जा रही थी।

"उफफफफफ्फ़! हाईईईईईईईईईईईईईई! ओह!" शाज़िया के मुँह से सिसकारियाँ अपनी पूरी रफ़्तार से जारी थी।

शाज़िया की फुद्दि में ज़ुबान फिराते हुए नीलोफर ने शाज़िया को थोड़ा करवट बदल कर साइड के बल लेटा दिया ।

जिस की वजह से शाज़िया की भारी मोटी गान्ड की पहाड़ियो में पोषीदा शाज़िया की गान्ड की मोरी नीलोफर की नज़रों के समाने पूरी तरह नंगी हो गई।

अपनी सहेली की कंवारी गान्ड की सावली मोरी को देख कर नीलोफर की आँखों में एक अजीब सी चमक आई। और उस ने शाज़िया के पीछे आ कर शाज़िया की गान्ड की मोरी पर अपनी ज़ुबान की नौक रखी और फिर शाज़िया की गान्ड के ब्राउन सुराख को मज़े ले ले कर चाटने लगी।

"हाईईईईईईईईईईईई! निलूऊऊऊऊओ! क्या खूऊऊब! मज़ेययययययययी! देती हो तुम,कश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह! तुम एक लड़का होटिईईईईईईईईईईईईई! मेरी जनंननननणणन्!" शाज़िया मज़े की शिद्दत से बे हाल होते हुए नीलोफर से बोली।

"शाज़िया में तो तुम को कब से कह रही हूँ कि तुम अपनी जवानी को यूँ ही बर्बाद कर रही हो, मेरी मानो और इक बार अपनी जवानी का रस अपने भाई को चखा दो यार" नीलोफर ने शाज़िया के जिस्म को फिर से सीधा लिटाया और उस की टाँगों के दरमियाँ आ कर अपनी ज़ुबान शाज़िया की चूत में फैरने लगी।

"तुम सुधरोगी नही, यार तुम क्यों नही समझती कि ये गुनाह है" शाज़िया ने नीलोफर की बात का जवाब दिया।

"शाज़िया में तो कहती हूँ कि तुम ये गुनाह सवाब की बात को अपने दिल से निकाल कर सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने जिस्म की आवाज़ सुनो, अपनी चूत की आवाज़ सुनो" नीलोफर ने अपनी सहेली को काल करने की कोशिश की।

"मुझे अपनी जवानी की प्यास बुझाने के लिए अपने भाई की मदद की ज़रूरत नही" शाज़िया ने सिसकते हुए नीलोफर को उस की बात का जवाब दिया।

"अच्छा अगर तुम्हारी चूत को अपने भाई के लंड की ज़रूरत नहीं तो फिर उस के लंड ने तुम्हारी फुद्दि को आज इतना गीला क्यों कर दिया है?" ये कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया की पानी छोड़ती गरम चूत से अपना मुँह ऊपर उठाया। और शाज़िया को अपनी ज़ुबान और होंठो पर लगा उस की गरम चूत का पानी देखते हुए पूछा।

आज वाकई ही शाज़िया अपने भाई की चुदाई की मूवी को देख कर अपने भाई के लंड के लिए बहुत ही गरम हो चुकी थी। और अब उस के लिए नीलोफर से अपनी जिस्मानी हालत को छुपाना ना मुमकिन हो रहा था।

"नीलोफर जब तुम मेरे भाई के गधे जैसे लंड से चुदवाने की अपनी मूवी मुझे दिखाओ गी। तो ये सब देख कर मेरी चूत गीली नहीं होगी क्या?" शाज़िया ने अपनी सहेली को जवाब दिया।

शाज़िया को अपने भाई के मोटे लंड का पहली बार इतने खुले अंदाज़ में ज़िक्र करता सुन कर नीलोफर समझ गई कि उस की मेहनत रंग ला चुकी। इसीलिए वो बोली"अच्छा जब तुम्हारे भाई के लंड ने तुम्हारी चूत को इतना गीला कर ही दिया है तो उसे अपनी प्यारी खूबसूरत सी चूत का रस भी पी लेने दो ना,और अब तुम अपनी आँखे बंद कर के ये तस्व्वुर करूँ के तुम्हारी चूत में इस वक्त मेरी नही बल्कि तुम्हारे अपने सगे भाई ज़ाहिद की ज़ुबान फिर रही है। "

(कहते हैं जब जिस्म की आग का शोला सुलगता है तो फिर वो किसी चीज़ की परवाह नही करता। आख़िर कार शाज़िया थी तो एक औरत। जिस की प्यासी जवानी की आग के शोले को आज फिर उस की अपनी सहेली की हरकतों ने भड़का दिया था। और अब अपनी जिस्मानी प्यास के आगे बेबस होते हुए शाज़िया के जज़्बात इस मुक़ाम पर आन पहुँचे थे। कि वो अपने जिस्म के हैवानी जज्बातों की असीर बनते और नीलोफर और उस के भाई जमशेद की तल्कीद करते हुए ग़लत,सही,गुनाह,सवाब सब कुछ भुला बैठी थी। )

इसीलिए ज्यों ही नीलोफर ने ये बात कहते हुए अपनी ज़ुबान को शाज़िया की चूत पर फिराना शुरू किया।

तो शाज़िया ने बिना कुछ सोचे समझे एक रोबोट की तरह नीलोफर की हिदायत पर अमल करते अपनी आँखे बंद कर लीं।

अपनी आँखे बंद कर के ज्यों ही शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद के चेहरे को अपने तसव्वुर में लाई। तो उस को पहले से पानी छोड़ती अपनी फुद्दि में एक भूचाल सा आता हुआ महसूस हुआ।

शाज़िया के लिए अपनी चूत पर अपने भाई की ज़ुबान का तसव्वुर ही इतना दिल कश और मज़े दार था। कि शाज़िया के लिए अपने जज़्बात को संभालना मुश्किल ही नही था बल्कि ना मुमकिन हो रहा था।

शाज़िया की फुद्दि के लिप्स के दरमियाँ ज़ुबान फेरते फेरते नीलोफर ने अपना मुँह हटाया और शाज़िया से पूछा " कैसा लग रहा है अपने भाई से अपनी चूत को सक करवाना शाज़िया"

नीलोफर के इतना कहने की देर थी कि शाज़िया को यूँ लगा जैसे उस की फुद्दि में एक आतिश फिशन फॅट पड़ा हो।

शाज़िया ने नीलोफर के सर पर हाथ रख कर उसे ज़ोर से अपनी चूत के साथ चिपका लिया। और "हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईई! ज़ाहिद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड! भाईईईईईईईईईईईई! कहते हुए अपनी गरम प्यासी फुद्दि का सारा लावा अपनी सहेली के खुले मुँह में उडेल दिया।

शाज़िया के मुँह से अपने सगे भाई के नाम की पुकार सुन कर नीलोफर के होंठो पर एक शैतानी मुस्कराहट फैल गई। और वो शरप शारपप्प्प करते हुए अपनी सहेली शाज़िया की फुद्दि से उस के भाई के नाम का निकलता हुआ पहला ताज़ा पानी अपने मुँह के रास्ते अपने हलक में डालने लगी।

जब शाज़िया के जिस्म को लगते हुए झटके की शिद्दत कुछ कम हुई। तो नीलोफर शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ से उठ कर शाज़िया के नंगे जिस्म के ऊपर लेट गई।

निलफोर ने शाज़िया की चूत के पानी से भरे हुए अपने होन्ट अपनी सहेली के होंठो पर रख कर शाज़िया को उस की फुद्दि के पानी का स्वाद चखाया।

अपनी सहेली के होंठो पर लगे हुए अपनी ही चूत के पानी के गरम और नमकीन ज़ायक़े को चख कर शाज़िया को बहुत मज़ा आया। और उस ने भी जोश से नीलोफर के होंठो को अपने होंठो में ले कर सक करते हुए नीलोफर के होंठो पर लगा हुआ अपनी चूत का पानी पीना शुरू कर दिया।

नीलोफर के मुँह और हाथों की मेहरबानी की बदोलत शाज़िया की फुद्दि की गरमी तो पहले की मुक़ाबले कुछ कम हो चुकी थी। मगर शाज़िया के बदकस नीलोफर की फुद्दि का पानी अभी तक उस की चूत से बाहर आने के लिए रास्ता तलाश कर रहा था।

इसीलिए शाज़िया को उसी की फुद्दि का पानी पिलाने के बाद नीलोफर ने शाज़िया के मुँह से अपना मुँह अलग किया।

और शाज़िया की भारी छातियों के साथ अपनी जवान चुचियाँ रगड़ने के साथ साथ अपनी चूत को भी शाज़िया की फुद्दि के साथ मिला कर रगड़ना शुरू कर दिया।

दोनो सहेलियो की गरम फुद्दियो का आपस में मिलाप हुआ। तो दोनो के जवान जिस्मो में ऊपर से ले कर नीचे तक एक करंट सा दौड़ गया।

शाज़िया की तरह नीलोफर भी एक बहुत ही गरम लड़की थी। और अपनी सहेली शाज़िया की फुद्दि को चाट चाट कर नीलोफर तो पहले ही मज़े में बे हाल हो रही थी।

इसीलिए ज्यों ही दोनो सहेलियों की गरम,प्यासी और पानी से तर होती चूते आपस में एक दूसरे से टकराई। तो नीलोफर की चूत में उबलता हुआ उस की फुद्दि का पानी गरमी की शिद्दत को बर्दाश्त ना कर सका। और नीलोफर को भी मंज़िल मिल गई।

शाज़िया ने अपने जिस्म के ऊपर हिचकोले खाते हुए नीलोफर के बदन को अपनो बाहों में क़ैद करते हुए अपने चौड़े और भारी सीने के साथ लगा कर नीलोफर को अपने साथ चिपका लिया।

थोड़ी देर बाद जब नीलोफर की हालत संभली। तो दोनो ने एक दूसरे की आँखों में आँखे डाल कर देखा। और मुस्कुराते हुए एक दूसरे के होंठो को चूस चूस कर एक दूसरे का शुक्रिया अदा करने लगीं।

नीलोफर ने पास पड़े अपने फोन को उठा कर टाइम चीक किया। तो उसे अंदाज़ा हुआ कि शाम का वक्त हो चुका है।

"हाईईइ बाहर तो शाम हो चुकी है अब मुझे चलना चाहिए" कहते हुए नीलोफर जल्दी से शाज़िया के ऊपर से उठी और फरश पर बिखरे अपने कपड़े उठा कर पहनने लगी।

नीलोफर की देखा देखी शाज़िया ने भी उठ कर अपने कपड़े पहन लिए।

ज्यों ही दोनो सहेलिया अपने अपने कपड़े पहन चुकीं। तो नीलोफर ने फिर से सोफे पर बैठे हुए शाज़िया को खैंच कर उस का सर अपनी गोद में रखा और बोली "क्यों बनो मज़ा आया क्या "।

"यार ये भी कोई पूछने वाली बात है भला,मज़ा तो बहुत आया मगर जिस्म में अभी भी काफ़ी गरमी बाकी है निलो"। शाज़िया ने हंसते हुआ जवाब दिया।

"तुम्हारे जिस्म की ये गर्मी सिर्फ़ मेरे मुँह या हाथों से कम नही हो गी बनो,इस के लिए तुम्हारे भाई के मोटे और सख़्त लंड की हेल्प चाहिए,तो फिर ज़ाहिद को भेज दूं आज रात तुम्हारे पास" नीलोफर ने अपनी सहेली के गाल पर प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा।

"नीलू जो आग तुम ने मेरी चूत में लगा दी है,वो में अब अपने भाई के बड़े लंड से बुझवाऊगी तो ज़रूर,मगर वादा करो कि तुम ज़ाहिद भाई से मेरे बारे में कोई बात नही करो गी अभी" नीलोफर अपनी सहेली की बात सुन कर थोड़ी हेरान तो ज़रूर हुई। मगर फिर भी उस ने शाज़िया से वादा कर लिया कि वो ज़ाहिद से इन की आज की गरम मुलाकात का ज़िक्र नही करेगी।

कहानी जारी रहेगी

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