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Click hereनीलोफर ज़ाहिद की बात सुन कर कहकहा लगा कर हँस पड़ी।
दुल्हन की रुखसती के बाद जब सब मेहमान एक एक कर के रुखसत होने लगे। तो रज़िया बीबी ने नीलोफर को अपने घर आ कर चाय पीने की दावत दे दी।
नीलोफर तो इसी मोके की तलाश में थी। इसीलिए नीलोफर बिना किस झिझक शाज़िया की अम्मी की बात मान कर उन के साथ उन के घर चली आई।
शाज़िया को रह रह कर अपनी अम्मी पर गुस्सा आ रहा था। कि वो क्यों "इस मुसीबत" (नीलोफर) को अपने साथ चिपका कर उन के घर ले आईं हैं।
मगर अब क्या हो सकता था। अब नीलोफर उन के साथ आ कर उन के ड्राइंग रूम में बैठी उस की अम्मी से बातों में मसरूफ़ थी।
शाज़िया अपनी अम्मी और नीलोफर को ड्राइंग रूम में बातें करता छोड़ कर किचन में चाइ बनने चली आई। जब कि ज़ाहिद अपने कमरे में आ बैठा।
कुछ देर बाद जब रज़िया बीबी किसी काम के सिलसिले में ड्राइंग रूम से बाहर निकली। तो नीलोफर ने फॉरन अपने मोबाइल से ज़ाहिद को टेक्स्ट करते हुए कहा। कि वो किसी तरह अपनी अम्मी को कुछ वक्त के लिए घर से बाहर ले जाए। ता कि नीलोफर को अकले में शाज़िया के साथ खुल कर बात करने का मोका मिले सके।
ज़ाहिद की अम्मी कुछ दिनो से अपने बेटे को कह कह कर थक गई थी। के वो उसे सीएमएच झेलम (कम्बाइड मिलिटरी हॉस्पिटल) में अपने दाँतों (टीत) की सफाई के लिए डेंटिस्ट के पास ले चले। मगर अपनी नोकरी की मसरूफ़ियत की वजह से ज़ाहिद कई दिन से अम्मी को वक्त ना दे पा रहा था।
इसीलिए नीलोफर ने आज जब उसे अपनी अम्मी को घर से बाहर ले जाने का कहा। तो ज़ाहिद के लिए ये अच्छा मोका था। कि वो अम्मी को डॉक्टर के बहाने घर से बाहर ले जाए।
ज़ाहिद ने फॉरन नीलोफर को रिप्लाइ किया कि वो अभी अम्मी को ले कर डेंटिस्ट के पास जा रहा है। और दो घंटे से पहले वापिस नही लोटेगा।
नीलोफर को टेक्स्ट का रिप्लाइ करते ही ज़ाहिद अपने कमरे से निकला। और अम्मी के पास आ कर उन को डेंटिस्ट के पास चलने का कहा।
रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया को डॉक्टर के पास जाने का बता कर अपने बेटे ज़ाहिद के साथ डेंटिस्ट के पास चली गई।
अम्मी की गैर मौजूदगी में शाजिया के लिए अब नीलोफर के साथ ड्राइंग रूम में अकेले बैठने के सिवा को चारा नही था।
इसीलिए मजबूरन वो चाय की ट्रे उठ कर नीलोफर के पास चली आई और उसे चाय पेश की।
दोनो सहेलियाँ ड्राइंग रूम में खामोशी के साथ बैठ कर चाहिए पीने लगीं।
चाय से फारिग होते ही नीलोफर ने सामने सोफे पर बैठी शाज़िया को मुखातिब करते हुए कहा "शाजिया मुझे अंदाज़ा है कि मेने जो कुछ भी किया वो सब ग़लत है और में अपनी इस हरकत की तुम से माफी माँगना चाहती हूँ"।
नीलोफर अपनी बात ख़तम करते ही सोफे से उठी। और माफी माँगने के अंदाज़ में अपने दोनो हाथ जोड़ कर शाज़िया के सामने खड़ी हो गई।
(कहते हैं कि दोस्तों में किसी भी किस्म की ग़लत फहमी या नाराज़गी के बाद आपस में कम्यूनिकेशन ही वो कई फॅक्टर है। जो आपस की रंजिश को ख़तम करने में हेल्प करती है।)
इसी लिए पिछले चन्द घंटो के दौरान ना चाहते हुए भी नीलोफर के साथ बातें करने की वजह से शाज़िया के दिल में अपनी दोस्त के लिए गुस्सा काफ़ी हद तक काम हो चुका था।
फिर जब शाज़िया ने नीलोफर को अपने सामने हाथ जोड़ कर माफी माँगते देखा तो उस का दिल पसीज गया।
गुज़री सब बातों को भुला कर शाज़िया अपने सोफे से उठी और उस ने अपनी सहेली को गले से लगा लिया।
दोनो सहेलियो ने एक दूसरे को कस कर गले लगाया। तो नीलोफर के दरमियाने साइज़ के मम्मे शाज़िया के बड़े बड़े मम्मो के बोझ तले दब से गये।
"तुम ने वाकई ही मुझे माफ़ कर दिया है ना शाज़िया" नीलोफर ने शाज़िया के गले में बाहें डाले हुए पूछा।
"हां मेने तुम को सच्चे दिल से माफ़ कर दिया है नीलोफर" शाज़िया ने नीलोफर से अलग होते हुए जवाब दिया। और इस के साथ ही दोनो सहेलियाँ एक ही सोफे पर साथ साथ बैठ गईं।
फिर औरतों की आदत के मुताबिक शाज़िया और नीलोफर शादी में पहनी हुई दुल्हन की ज्वेलरी और लहंगे वग़ैरह पर अपनी अपनी राई देने लगीं।
इन ही बातों के दौरान शाज़िया ने नीलोफर से उस के शोहर बारे में पूछा।
"यार मेरा अपने शोहर से आज कल बड़ा सख़्त झगड़ा चल रहा है," नीलोफर ने शाज़िया के पूछने का जवाब दिया।
"क्यों क्या हुआ" शाज़िया ने नीलोफर से से दर्याफ़्त किया।
"बस यार क्या बताऊ कि मुझ से शादी से पहले ही मासूफ का मसकॅट में एक बूढ़ी औरत के साथ चक्कर था। और अब मेरे शोहर ने उस से शादी भी कर ली है,जिस का मुझे ईलम हो चुका है" नीलोफर ने शाज़िया को बताया।
"चलो खैर है तुम्हारे शोहर का दूसरी औरत से और तुम्हारा अपने ही भाई से चक्कर है तो हिस्सब बराबर" नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया के मुँह से बे इख्तियार निकल गया।
नीलोफर को शाज़िया इस तरह के जवाब की उम्मीद नही थी। इसीलिए वो शाज़िया का जवाब सुन कर अपनी सहेली का मुँह देखने लगी।
ज्यों ही शाज़िया को अहसास हुआ कि उसे नीलोफर को उस के मुँह पर इस किसम का जवाब नही देना चाहिए था। तो उस ने नीलोफर की तरफ देखते हुए फॉरन कहा "यार पता नही कैसे मेरे मुँह से ये बात निकल गई,आइ आम सो सॉरी"।
"कोई बात नही यार मेने बुरा नही महसूस किया" नीलोफर ने शाज़िया को बड़े प्यार से जवाब दिया।
नीलोफर के जवाब पर शाज़िया को सकून मिला और उस ने नीलोफर से कहा " यार अगर बुरा ना मानो तो एक बात पूछूँ?"
"तुम मेरी सहेली हो,जो चाहिए पूछ लो,में तुम्हारी बात का हरगिज़ बुरा नही मानूँगी यार" नीलोफर ने जवाब दिया।
"यार मुझे आज तक ये समझ नही आई कि तुम ने क्यों ना सिर्फ़ अपने बल्कि मेरे भी भाई से इस किसम का "चक्कर" चला लिया" शाज़िया को ना जाने किया सूझी कि उस ने झिझकते हुए नीलोफर से उसी पुरानी बात का किस्सा छेड़ दिया।
नीलोफर शाज़िया की बात पर दिल ही दिल में बहुत खुश हुई। क्यों कि वो तो ये ही चाह रही थी। कि वो शाज़िया से फिर किसी तरह ज़ाहिद की बात स्टार्ट करे।
अब शाज़िया ने खुद ही इस बात को दुबारा से स्टार्ट कर दिया। तो नीलोफर के लिए ये सुनेहरी मोका था। कि वो अब शाज़िया को किसी तरह दुबारा अपनी राह पर चलाते हुए शाज़िया और ज़ाहिद की चुदाई का आगाज़ करवा सके।
"यार क्या बातों तुम तो जानती हो कि ये जवानी की आग कितनी ज़ालिम हो होती है। जब इस आग का शोला जिस्म में भड़कता है तो फिर इंसान को कुछ होश नही रहता,कि वो क्या कर रहा है" नीलोफर ने शाज़िया को उस के सवाल का जवाब देते हुआ कहा। और अपने एक हाथ को शाज़िया की मोटी रान पर आहिस्ता से रख दिया।
"ठीक है मगर फिर भी जो तुम कर रही हो वो बहुत ग़लत है नीलोफर" शाज़िया ने नीलोफर को समझाने के अंदाज़ में कहा।
"हां तुम कह तो सही रही हो मेने जो किया वो सब ग़लत और गुनाह है,मगर तुम ही बताओ इस दुनिया में कौन सा ऐसा इंसान है जो कोई गुनाह नही करता। मेरे शोहर ने शादी के बाद भी दूसरी औरत अपने पास रखी, क्या ये गुनाह नही" शाज़िया ने नीलोफर की बात का जवाब दिया।
"मगर फिर भी नीलोफर" शाज़िया ने नीलोफर की बात के जवाब में कुछ कहना चाहा।
"अगर मगर कुछ नही शाज़िया, चोर जानता है चोरी करना ग़लत है,लेकिन वो करता है,इसी तरह दुनिया में गुनाह और सवाब का पता होने के बावजूद भी हमारी तरह के लोग शैतान के बहकावे में आ जाते हैं, नीलोफर ने शाज़िया की टाँग पर अपने हाथ रखे हुए कहा।
ये शायद नीलोफर के लबो लहजे और उस की बातें करने का अंदाज़ था। की आज अपनी सहेली की बातें सुनते हुए शाज़िया को नीलोफर की कोई भी बात अजीब नही महसूस हुई। बल्कि ना जाने क्यों आज वो बहुत गौर से अपनी सहेली की जानिब मोत्वजो थी।
"तो तुम इस काम से बाज़ क्यों नही आ जाती" शाज़िया ने अपनी सहेली की बात सुन कर उसे फिर समझाते हुए कहा।
"क्या करूँ मेरा भाई मुझे प्यार ही इतना करता है कि चाहते हुए भी उसे रोकना अब शायद मेरे लिए ना मुमकिन बात है" ये कहते हुए नीलोफर ने अपने पर्स से अपना मोबाइल निकाला। और फोन में रेकॉर्ड की हुई जमशेद और ज़ाहिद के साथ अपनी चुदाई की मूवी को ऑन कर के मोबाइल शाज़िया के हाथ में पकड़ा दिया।
शाज़िया ने नीलोफर का दिया हुआ फोन अपने हाथ में ले लिया था । और मोबाइल पर चलती नीलोफर की चुदाई की मूवी को आँखे फाड़ फाड़ कर देखने लगी।
ये शायद नीलोफर से गुनाह और सवाब के बारे में की गई गुफ्तगू का असर था। या अपने ही प्यास ए जिस्म की गर्मी की मेहरबानी थी। कि शाज़िया आज काफ़ी टाइम बाद जब दुबारा अपने भाई के मोटे,सख़्त और तने हुए लंड को मोबाइल की स्क्रीन के ज़रिए अपनी सहेली की गरम फुद्दि में जाते देखने लगी।
तो नज़ाने क्यों आज अपने ही भाई का नंगा जिस्म और मोटा लंड देख कर शाज़िया को शरम ना सिर्फ़ पहले के मुक़ाबले ज़रा कम महसूस हुई। बल्कि आज तो शाज़िया अपने ही भाई के लंड को बड़े गौर से देखने भी लगी थी।
शाज़िया आज पहली बार अपने भाई का पूरा वजूद बिना किसी एडटिंग या चेहरे को छुपाए बगैर देख रही थी।
शायद अपने भाई के पूरे जिस्म और लंड को उस के चेहरे समेत देखने का ही ये असर था। कि शाज़िया की फुद्दि जो कि उस के तलाक़ शुदा होने की वजह से गुज़शता दो साल से चुदाई की लज़्ज़त से महरूम थी। उसे आज पहली बार अपने ही सगे भाई के लंड की तड़प महसूस होने लगी।
शाज़िया ने तो कभी ख्वाब में भी नही सोचा था। कि अपने ही भाई के लंड को देख कर उस की चूत कभी इतनी गीली हो गई । कि वो गर्मी से बहाल हो कर अपनी चूत का पानी भी छोड़ने लगेगी।
शाज़िया के अंदर इस तब्दीली की वजह शायद ये रही हो गी। कि वक्त गुज़रने के साथ साथ शाज़िया जाने अंजाने में अपने भाई की उस से छेड़ छाड़ और गंदी हरकतों की आदि होने लगी थी।
इसीलिए ज्यूँ ज्यूँ स्क्रीन पर चलती मूवी के सीन बदलते गये। त्यू त्यू शाज़िया के चेहरे के रंग बदलने के साथ साथ उस के जिस्म में भी बेचैनी सी होने लगी।
मूवी देखते देखते शाज़िया ने जब वो सीन देखा जिस में नीलोफर, ज़ाहिद को उसे अपनी बहन शाज़िया समझ कर चोदने का कहती है। और फिर ज़ाहिद, नीलोफर को चोदते चोदते "शाज़िया मेरी बहन्ंननननननणणन्" कहता हुआ नीलोफर की फुद्दि में अपना पानी गिरा देता है। तो मूवी का ये मंज़र देख कर शाज़िया की चूत की तह में एक हल चल मच गई।
शाज़िया तो अभी इस सीन से अपने आप को संभाल नही पाई थी। कि ज़ाहिद के वीर्य से तर नीलोफर की चूत पर जमशेद का लपकने और अपनी बहन की ताज़ा ताज़ा चुदि हुई फुद्दि को वहशियों की तरह सकिंग ने शाज़िया की रही सही कसर निकाल दी।
मूवी के ये दोनो मंज़र शाज़िया के लिए बे इंतिहा इरोटिक थे। जिन को देख कर शाज़िया को अपनी चूत का पानी अपनी टाँगो पर बहता हुआ महसूस होने लगा था।
शाज़िया के लिए पूरी मूवी देखना मुहाल हो गया। और उस ने घबरा कर मूवी बंद कर के मोबाइल फोन नीलोफर को वापिस लोटा दिया।
नीलोफर अपनी सहेली की बदलती हुई रंगत और हालत को देख कर ब खूबी समझ चुकी थी। कि चुदाई की इस मूवी ने शाज़िया की चूत और बदन में जवानी की आग को भड़का दिया है।
नीलोफर ने सोचा कि अब मोका है कि शाज़िया से छेड़ छाड़ कर के उसे मज़ीद गरमा दे।
ये ही सोचते हुए नीलोफर ने शाज़िया की रान पर रखे हुए अपने हाथ को आहिस्ता आहिस्ता हरकत में लाते हुए पूछा" शाज़िया अगर तुम्हारे पास मेरे जिस्म की गर्मी को दूर करने का कोई और हल है तो बता दो"
शाज़िया ने अपनी रान पर अपनी सहेली का हाथ महसूस तो किया। मगर उस ने ना तो नीलोफर को कुछ कहा और ना ही खुद अपनी सहेली के हाथ को अपनी गुदाज रान से हटाने की कोशिश की।
शाज़िया की तरफ से किसी भी किसम की मोज़मत ना पा कर नीलोफर समझ गई। कि शाज़िया अब बहुत गरम हो चुकी है। इसीलिए नीलोफर अब जो कुछ भी करे गी शाज़िया उस को माना नही कर सके गी।
ये ही सोचते हुए नीलोफर शाज़िया के नज़दीक हुई और उस ने अपना मुँह आगे बढ़ा कर अपने होंठ अपनी सहेली के होंठो पर रख दिए।
नीलोफर के होन्ट अपने होंठो से टकराते हुए महसूस कर के शाज़िया के गरम जिस्म में एक झटका लगा। और उस ने भी बिना कुछ सोचे समझे अपने होन्ट खोल दिए।
दोनो सहेलियो की ज़ुबान एक दूसरे के साथ टकराई और दोनो ने एक दूसरे के जिस्म को अपनी बाहों में कसते हुए एक दूसरे की ज़ुबान को चूसना शुरू कर दिया।
"हाईईईईईईईईईईई शाज़िया यकीन मानो मुझे इतना मज़ा अपने या तुम्हारे भाई के साथ किस्सिंग का नही आता जितना मज़ा मुझे तुम्हारे साथ आता है" नीलोफर ने शाज़िया की ज़ुबान को चुसते हुए कहा और साथ ही हाथ बढ़ा कर शाज़िया के मोटे मम्मे को अपनी हथेली में थाम कर दबाना शुरू कर दिया।
"उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ निलो क्यों मुझे गरम कर के पागल करने पर तुली हो तुम" शाज़िया ने भी गरम जोशी से अपनी ज़ुबान को नीलोफर के मुँह में डालते हुए उसे जवाब दिया।
"यार मुझे तुम्हारी गरम जवान चूत को छेड़ने और उस में से निकलते पानी को पीने का बहुत मज़ा आता है,मेने तुम्हारी चूत के बिना इतने दिन कैसे गुज़ारे हैं,ये में ही जानती हूँ मेरी जान,अब जल्दी से अपने कपड़े उतार कर मुझे अपनी चूत का दीदार करवा दो ना" नीलोफर ने बेताबी से शाज़िया के कपड़ों को उस के जिस्म से अलग करने की कॉसिश करते हुए कहा।
दोनो की साँसें तेज़ी से चल रही थी। और दोनो बिल्कुल दीवानी और पागल होती जा रही थीं।
"नही यार आज नही अम्मी लोग आने वाले होंगे " शाज़िया ने नीलोफर को रोकने की कॉसिश करते हुआ कहा।
"तुम फिकर ना करो वो अभी नही आएँगे" कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया की शलवार और कमीज़ को खोल कर उस के बदन से अलग कर दिया।
जारी रहेगी