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Click hereशाज़िया को उस के मसेज का रिप्लाइ करने के बाद ज़ाहिद ने नीलोफर को मसेज किया और उस से शाज़िया के मसेज का ज़िक्र किए बगैर शाम को मिलने की ख्वाहिश ज़ाहिर की।
ज़ाहिद के मेसेज के जवाब में नीलोफर ने फॉरन शाम को उसे मिलने का वादा कर लिया।
फिर ज़ाहिद बाथरूम से निकला और अपनी अम्मी को ले कर झेलम लौट आया।
शाम को नीलोफर अपने भाई जमशेद के साथ ज़ाहिद से मिली। तो ज़ाहिद ने उसे शाज़िया की भेजी हुई फोटो दिखाते हुए पूछा "नीलोफर तुम ने तो मुझे कहा था कि शाज़िया नहीं मानी तो ये क्या है" ।
"वॉवववव! ज़ाहिद तुम्हारी बहन तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली, मुझे तुम से कोई बात ना करने का कह कर, अब खुद ही उस ने अपनी गरम तस्वीर तुम को सेंड कर दी यार" नीलोफर ने अपनी सहेली की नीम नंगी तस्वीर को देख कर खुश होते हुए ज़ाहिद से कहा।
"हाँ निलो, मगर अफ़सोस इस बात का ये है कि अब उस की वापसी तक अपने लंड को हाथ में थाम कर बैठना पड़ेगा मुझे यार" ज़ाहिद ने नीलोफर और जमशेद के सामने अपनी शलवार में खड़े लंड पर अपना हाथ फेरते हुए कहा।
"कोई बात नहीं जानू, एक हफ्ते तक अपने लंड के पानी को अपनी बहन की गरम और प्यासी चूत के लिए संभाल कर रखो, और उस के वापिस आते ही एरपोर्ट पर ही उस की प्यासी फुद्दि में अपना गरम पानी डाल देना" नीलोफर ने हँसते हुए ज़ाहिद से कहा।
"वो तो ठीक है मगर में एक और बात सोच रहा हूँ यार" ज़ाहिद ने नीलोफर के मज़ाक को नज़र अंदाज़ कर के उस से कहा।
"वो क्या" नीलोफर और जमशेद ने एक साथ ज़ाहिद की तरफ देखते हुए पूछा।
"वो ये कि मुझे पता है कि एक बार अपनी बहन की फुद्दि लेने के बाद मेरा उस से अलग रहना मुहाल हो जाएगा" ज़ाहिद ने जवाब दिया।
"तो इस में ऐसी कौन-सी बात है, तुम्हारी बहन और तुम एक ही घर में रहते हो, तो मोका मिलने पर अपनी बहन की फुद्दि मार लिया करना" इस बार जमशेद ने ज़ाहिद को सलाह देते हुए कहा।
"ये ही तो मसला है ना यार, मुझे पता है कि एक बार की चुदाई के बाद मुझे अपने ऊपर कंट्रोल नहीं रहेगा और में तुम्हारी तरह छुप-छुप और घुट-घुट कर अपने लंड की प्यास बुझाने का आदि नहीं हूँ, इसीलिए अम्मी के होते हुए हर वक्त पकड़े जाने के डर से खुल कर चुदाई का मज़ा क्या खाक आएगा" ज़ाहिद ने जमशेद की बात का जवाब दिया।
"अच्छा फिर तुम खुल कर बताओ कि तुम क्या चाहते हो आख़िर" नीलोफर ने ज़ाहिद की बात को ना समझते और उस की बातों पर झुंझलाते हुए ज़ाहिद से पूछा।
"निलो बात ये है कि असल में, में अपनी बहन शाज़िया से शादी कर के उस को अपनी बीवी बनाना चाहता हूँ" ज़ाहिद ने जमशेद और नीलोफर की तरफ देखते हुए अपनी हैवानी ख्वाहिश का इज़हार कर दिया।
"अनोखा लाड़ला खेलन को माँगे चाँद रे" वाले गाने के बोलों की तरह ज़ाहिद की ये फरमाइश भी बहुत ही अनोखी और अजीब थी।
इसीलिए ज़ाहिद की ये बात सुन कर जमशेद और नीलोफर के मुँह से एक साथ निकला "क्याआआआ? "
जमशेद और नीलोफर दोनों के लिए ज़ाहिद की कही हुई ये बात बहुत की अनोखी थी।इसीलिए ज़ाहिद की बात सुन कर कमरे में थोड़ी देर के लिए खामोशी-सी छा गई.और नीलोफर और जमशेद दोनों ज़ाहिद को ऐसे देखने लगे जैसे ज़ाहिद पागल हो गया हो।
"ज़ाहिद होश में तो हो तुम, ये सब कैसे मुमकिन है यार" नीलोफर ने थोड़ी देर बाद खामोशी तोड़ते हुए बहुत ही जोशीले अंदाज़ में ज़ाहिद से कहा।
"अगर इंसान चाहे तो कुछ भी ना मुमकिन नही। तुम दोनों का आपस में मिलन भी तो एक ना मुमकिन बात थी। मगर जब जमशेद ने कोशिश की तो उस ने ना मुमकिन को मुमकिन बनाया ना।" ज़ाहिद नीलोफर की बात का जवाब देते हुए बोला।
"यार मगर हम ने आपस में शादी तो नहीं की ना" ज़ाहिद की बात सुन कर नीलोफर ने उसे कहा।
"जब तुम दोनों ने बहन भाई होते हुए एक दूसरे को चोद लिया, तो तुम दोनों बहन भाई और एक मियाँ बीवी में क्या फ़र्क रह गया।शादी के बाद एक मियाँ बीवी भी ये ही काम करते हैं, जो तुम दोनों बहन भाई कर चुके हो" ज़ाहिद नीलोफर की बात के जवाब में अपनी दलील देते हुए बोला।
"मगर फिर भी हम ने आपस में शादी तो नहीं की ना, जब कि तुम अपनी ही बहन से शादी करने पर तुले हुए हो" । नीलोफर ने ज़ाहिद को समझाने वाले अंदाज़ में कहा।
"तो कर लो ना शादी तुम दोनों भी, तुम्हें रोका किस ने है यार" । ज़ाहिद ने फिर नीलोफर को जवाब दिया।
"ज़ाहिद लगता है कि तुम्हारा दिमाग़ चल गया है, ये कैसे हो स्कता है कि में और जमशेद भाई और तुम और शाज़िया आपस में शादी कर लो, मुझे तो तुम्हारी किसी बात की समझ नहीं आ रही" नीलोफर ने गुस्से से चिल्लाते हुए ज़ाहिद से कहा।
"में पागल और बेवकूफ़ नही, इसीलिए ज़रा गौर से मेरी बात सुनो" ज़ाहिद ने नीलोफर के गुस्से भरे लहजे को नज़र अंदाज़ करते हुए कहा।
"अच्छा सुनाओ मिस्टर अकल्मंद" नीलोफर ने ज़ाहिद की तरफ देखते हुए उसे कहा।
"में चाहता हूँ कि तुम अपने शोहार से तलाक़ ले कर मुझ से शादी कर लो और शाज़िया की शादी तुम्हारे भाई जमशेद से हो जाय। शादी के बाद तुम दोनों हमारे घर की ऊपर वाली मंज़ल पर शिफ्ट हो जाना। हमारे दरमियाँ ये शादी सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए पेपर्स की हद तक ही होगी।जब कि अपने घर में तुम अपने भाई की बीवी बन कर उस के साथ रात बसर करना, जब कि मेरी बहन शाज़िया मेरी बीवी बन कर दिन रात मेरा बिस्तर गरम करे गी" । ज़ाहिद ने बड़े आराम और होसले से अपना सारा प्लान उन दोनों बहन भाई के सामने खोल कर रख दिया।
जमशेद और नीलोफर ज़ाहिद का प्लान सुनते ही मुँह फाड़ कर ज़ाहिद को देखने लगे और फिर जमशेद दूसरी बार ज़ाहिद और अपनी बहन नीलोफर की बात चीत में हिस्सा लेते हुआ बोला "तुम्हारे ख्याल में ये इतना आसान काम है ज़ाहिद, तुम ने अपनी अम्मी के बारे में नहीं सोचा अगर उन को पता चल गया तो क्या होगा?"
"तो में ये काम अपनी ही अम्मी की इजाज़त और रज़ा मंदी ले कर ही करूँगा मेरी जान" ज़ाहिद ने जमशेद के सवाल पर मुस्कुराते हुए उसे जवाब दिया।
ज़ाहिद की ये बात सुन कर भी नीलोफर और जमशेद ज़ाहिद को ऐसे देखने लगे जैसे वाकई ही ज़ाहिद का दिमाग़ चल गया हो।
"ज़ाहिद मुझे तो लगता है कि या तो तुम्हारे दिमाग़ के स्क्रू ढीले हैं, या तुम ने आज शराब पी हुई है, जो ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो" अपनी सग़ी बहन को अपनी अम्मी के सामने ही अपनी बीवी बना कर रखने वाली ज़ाहिद की बात पर नीलोफर ने चीखते हुए उस से कहा।
"निलो ना तो मेने पी है, ना ही में पागल हूँ।में जो भी बात कह रहा हूँ वह बहुत होश-ओ-हवास में रहते हुए कह रहा हूँ और में चाहता हूँ कि तुम हमारे घर आ कर मेरी अम्मी से मेरे लिए मेरी बहन शाज़िया का रिश्ते माँगो" । ज़ाहिद ने जमशेद और नीलोफर पर हैरत का एक और प्रहार करते हुए उन से कहा।
जमशेद और नीलोफर के मुँह ज़ाहिद की बातें सुन-सुन कर पहले ही खुल चुके थे और अब उस की ये बात सुन कर उन दोनों के चेहरो के रंग फक हो गये।
"मगर तुम्हारी अम्मी कैसे अपने ही सेगे बेटे की शादी अपनी ही सग़ी बेटी के साथ होने पर तैयार हो जाएँगी ज़ाहिद" ।नीलोफर ने हैरत जदा लहजे में ज़ाहिद से सवाल किया।
"ये तुम मुझ पर छोड़ दो, बस तुम मेरी बताई हुई बात पर अमल करो।" ज़ाहिद ने नीलोफर की अपनी बात समझाते हुए कहा।
वैसे तो नीलोफर का दिल ज़ाहिद की किसी बात को कबूल करने पर तैयार नहीं थी।मगर फिर भी ना जाने क्यों उस ने ज़ाहिद के कॉन्फिडेन्स को देखते हुए उस की बात पर अमल करने की हामी भर ली।
नीलोफर ने ज़ाहिद के प्लान पर अमल करने पर अपनी रज़ा मंदी ज़ाहिर की। तो ज़ाहिद ने नीलोफर के हाथ में एक बंद लिफ़ाफ़ा (एन्वेलप) देते हुए दोनों बहन भाई को आहिस्ता-आहिस्ता उस की अम्मी रज़िया बीबी से मुलाकात और बात चीत करने का आइडिया दे दिया।
जमशेद और नीलोफर ज़ाहिद से उस का दिया हुआ एन्वेलप ले कर वापिस अपने अपनी घर चले आए।
फिर अपने घर वापिस आने के बाद उसी रात नीलोफर ने शाज़िया को फोन मिला।
नीलोफर ज़ाहिद के बताए हुए प्लान पर अमल करने से पहली शाज़िया से इस बारे में बात करना चाहती थी। मगर नीलोफर को शाज़िया के दोनों नंबर्स बंद मिले।जिस वजह से नीलोफर की शाज़िया से बात ना हो सकी।
ज़ाहिद ने नीलोफर को सख्ती से इस बात की हिदायत की थी। कि वह हर सूरत में अगले दिन ज़ाहिद के घर आ कर उस की अम्मी से मिले।
अपनी सहेली से बात करने में नाकामी के बाद नीलोफर ने फिर ठंडे दिल से ज़ाहिद की कही हुई बातों के मुतलक सोचा।तो नज़ाने क्यों उसे अब ज़ाहिद की कही हुई सब बातें अच्छी लगने लगीं थी।
असल में हक़ीकत ये थी। कि अपनी शादी के एक साल बाद अपने ही भाई जमशेद से अपने जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करने की वजह से नीलोफर की जिस्मानी ज़रूरत तो पूरी हो रही थी। मगर अपने शोहर की अरबी औरत से दूसरी शादी की वजह से नीलोफर को ये बात समझ आ चुकी थी। कि उस का शोहर ना तो उस को अपने पास मसकॅट बुलाए गा और ना ही अब कभी खुद पाकिसान वापिस लोटेगा।
इस सूरते हाल में नीलोफर का दिल अपने शोहर के साथ गुज़ारा करने पर पहले ही राज़ी नहीं था। मगर उस को समझ नहीं आ रही थी कि वह इन हालत में करे तो क्या करे।
और अब ज़ाहिद की तजवीज़ पर गौर करते हुए नीलोफर को यकीन हो गया।कि अगर ज़ाहिद का बताया हुआ प्लान कामयाब हो गया। तो अपने शोहर से छुटकारा पाने के बाद नीलोफर अपनी बाकी की जिंदगी बिना किसी ख़ौफ़ और डर के अपने भाई की बाहों में बसर कर सकती है। ये बात सोच कर नीलोफर का दिल बाग-बाग हो गया।
नीलोफर अभी अपनी इन्हीं बातों में गुम थी कि इत ने में उस के शोहर का मसकॅट से फोन आ गया।
नीलोफर का अपने शोहर से उस की दूसरी शादी की वजह से मनमुटाव तो पहले ही चल रहा था और फिर ज़ाहिद की बात को ज़हन में रखते हुए नीलोफर ने आज अपने शोहर से फोन पर लड़ाई के दौरान तलाक़ का मोतलबा कर दिया।
अपनी बीवी के मुँह से तलाक़ का मुतालबा सुन कर नीलोफर के शोहर को कोई हैरत ना हुई.और उस ने भी गुस्से में नीलोफर को बता दिया कि अगले चन्द दिनो में वह उसे तलाक़ के पेपेर्स मैल कर देगा ।
असल में नीलोफर का शोहर तो अब खुद भी ये ही चाहता था। कि किसी तरह वह भी नीलोफर से छुटकारा हासिल कर ले।
अपने शोहर से लड़ाई के बाद नीलोफर ने गुस्से में अपना समान पॅक किया और जमशेद को बुला कर अपने भाई के साथ अपने माँ बाप के घर चली आई।
जारी रहेगी