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Click hereअपने अम्मी अब्बू के घर आ कर नीलोफर ने उन को सारी बात बताई. तो नीलोफर के अब्बू ने उसे धमकी दी कि अगर तुम ने अपने शोहर से तलाक़ ली तो हमारे साथ तुम्हारा जीना मरना ख़तम हो जाएगा।
अगर आम हालत होते तो नीलोफर अपने अब्बू की ये बात सुन कर अपने शोहर से तलाक़ के मुतलबे से दुस्त बदर हो जाती। मगर अब हर रात अपने भाई के लंड को अपनी चूत में डलवा कर सोने के तसव्वुर ने नीलोफर के दिल से सब ख़ौफ़ ख़तम कर दिया था। इसीलिए अब उसे किसी की भी कोई परवाह नहीं रही थी।
दूसरे दिन सुबह सवेरे नीलोफर ने ज़ाहिद की अम्मी को फोन मिलाया।
ज्यों ही रज़िया बीबी ने फोन आन्सर किया तो नीलोफर बोली "आंटी में नीलोफर बोल रही हूँ" ।
"हाँ बेटी केसी हो तुम" रज़िया बीबी ने नीलोफर से पूछा।
"आंटी मुझे पता है शाज़िया कराची गई हुई है, मगर में आप से मिलने आप के घर आना चाह रही थी" । नीलोफर ने रज़िया बीबी से कहा।
"बेटी ये तुम्हारा अपना घर है जब चाहो आ जाओ" नीलोफर की बात के जवाब में रज़िया बीबी ने कहा।
"अच्छा में आज शाम को आप से आ कर मिलती हूँ" नीलोफर ने रज़िया बीबी को बताया।
रज़िया बीबी से टाइम सेट करने के बाद नीलोफर ने फिर शाज़िया को फोन मिलाया। मगर इस बार भी उसे शाज़िया के दोनों नंबर्स ऑफ मिले।
जिस पर नीलोफर को बहुत गुस्सा आया मगर वह इस के अलावा कर भी क्या सकती थी। इसीलिए नीलोफर ने ज़ाहिद को टेक्स्ट कर के उसे उस की अम्मी से शाम की मुलाकात के बारे इत्तला कर दी।
शाम के वक्त नीलोफर अपने भाई जमशेद को साथ ले कर बहुत ही डरते हुए दिल और काँपती टाँगों के साथ रज़िया बीबी के सामने उन के ड्राइंग रूम में आन बैठी।
चाय पीने और इधर उधर की बातों के दौरान जमशेद और खास तौर पर नीलोफर के जिस्म से पसीना बह कर उस के मलमल के कपड़ों को भिगो रहा था।
रज़िया बीबी ने नीलोफर के गुफ्तागॉ और बैठने के अंदाज़ से महसूस कर लिया कि आज नीलोफर उस से कोई खास बात करने आई है। मगर ना जाने क्यों नीलोफर को उस से बात करने का होसला नहीं हो रहा।
"अच्छा बताओ क्या बात करनी थी तुम ने मुझ से नीलोफर" रज़िया बीबी ने अपना चाय का कप टेबल पर रखते हुए नीलोफर से पूछा।
"वूओ वूओ असल में कुछ खास बात नहीं थी, वैसे ही आप से मिलने को दिल चाह रहा था, इसीलिए चली आई" रज़िया बीबी की बात सुन कर नीलोफर चाहने के बावजूद कुछ ना बोल पाई और उस की ज़ुबान उस का साथ छोड़ने लगी।
"कुछ तो बात है जो तुम मुझ से कहना चाह रही हो मगर कह नहीं पा रही" रज़िया बीबी ने नीलोफर को इस तरह नर्वस होता देख कर कहा।
"वो असल में आंटी बात ये है कि हम लोग आप के बेटे ज़ाहिद के कहने पर आप की बेटी शाज़िया और बेटे ज़ाहिद की शादी के लिए रिश्ता ले कर आए हैं" जब जमशेद ने अपनी बहन नीलोफर को रज़िया बीबी से बात करने में हिचकते हुए महसूस किया तो वह खुद बोल उठा।
जमशेद की बात सुन कर नीलोफर और रज़िया बीबी दोनों ने हैरान होकर जमशेद की तरफ देखा।
नीलोफर को हैरत इस बात पर हुई कि जिस बात को वह शाज़िया की अम्मी के सामने कहने से डर रही थी। आख़िर कार उस के भाई ने उस से पूछे बिना कह दी।
जब कि रज़िया बीबी को हैरत इस बात पर हुई कि शाज़िया तो उसे अपनी शादी का खुद बोल कर कह चुकी थी। मगर एक तरफ तो ज़ाहिद शादी के लिए राज़ी भी नहीं हो रहा था। और दूसरी तरफ जमशेद और नीलोफर के ज़रिए अपने और अपनी बहन की शादी के रिश्ते की बात भी अपनी अम्मी तक पहुँचा रहा है।
"शाज़िया की शादी की बात तो समझ आती है, मगर ज़ाहिद?" रज़िया बीबी ने सवालिया नज़रों से नीलोफर और जमशेद की तरफ देखते हुए कहा।
"ऊऊऊऊ! जीिइईई! ज़ाहिद भाई ने हम दोनों को आप से बात करने को कहा है" रज़िया बीबी की बात का नीलोफर ने फिर डरते-डरते जवाब दिया।
रज़िया बीबी तो खुद कब से अपने बेटे की शादी की मुन्तिजर थी।
उस का दिल चाहता था कि उस का बेटा जल्दी से इस घर में उस की बहू को ले आए.और अपनी अम्मी को जल्द अज जल्द दादी बनाए, ताकि वह अपने पोते पोतियों को अपनी गोद में खिला सके.
इसीलिए आज नीलोफर के मुँह से अपने बेटे ज़ाहिद की शादी की बात सुन कर रज़िया बीबी दिल ही दिल में खुशी से झूम उठी।
"ये तो तुम लोगों ने मुझे बहुत अच्छी खबर बताई है, अच्छा अब मुझे जल्दी से बताओ कि कौन हैं वह लड़का और लड़की जिन का रिश्ता ज़ाहिद के कहने पर लाए हो तुम लोग" रज़िया बीबी ने खुश होते हुए नीलोफर और जमशेद से सवाल किया।
"वो लड़का और लड़की भी ज़ाहिद और शाज़िया की तरह आपस में बहन भाई है आंटी" नीलोफर ने रज़िया बीबी को बताया।
शाज़िया की अम्मी से बात करते-करते अब नीलोफर की घबड़ाहट पहले की मुक़ाबले अब थोड़ी कम हो चुकी थी।
"ये तो अच्छा बात है, वैसे कौन है ये लोग, क्या करते हैं, ज़ाहिद इन को कैसे जानता है और उन दोनों की कोई फोटो भी मुझे दिखो ना" रज़िया बीबी ने एक ही साँस में काफ़ी सारे सवाल कर दिए।
"वो असल में आंटी हो सकता है आप को ये बात बुरी लगे, मगर हक़ीकत ये है कि ज़ाहिद भाई इस लड़की से प्यार करते है और उस से शादी करना चाहते है।जब कि मेरी सहेली शाज़िया भी इस लड़के को पसंद करती है" नीलोफर ने रज़िया बीबी पर आघात करते हुए कहा।
रज़िया बीबी के लिए नीलोफर की कही हुई ये बात हक़ीकत में एक आघात ही था। जिस को सुन कर वह हैरत जदा हो गई।
"ज़ाहिद और शाज़िया किसी को पसंद करते हैं और मुझे इस बात का ईलम ही नही" रज़िया बीबी ने हेरान होते हुए कहा।
"जी आंटी असल में इतने बड़े हो कर भी आप के बच्चे आप से शरमाते हैं ना, इसीलिए आप से उननो के कभी इस बात का ज़िक्र नहीं किया" इस बार जमशेद ने रज़िया बीबी की बात का जवाब दिया।
"अच्छा लड़के की उम्र किया है, वह जॉब क्या करता है और मुझे उन दोनों की तस्वीर तो दिखाओ ना" रज़िया बीबी ने अपना पहले वाला सवाल फिर दोहराया।
"आंटी लड़का तकरीबन 33 या 34 साल का हो गा, पोलीस में मुलाज़िम है और उन दोनों की फोटो कार में पड़ी हैं में अभी ले कर आया" जमशेद ने जवाब दिया और ड्राइंग रूम से निकल कर बाहर गाड़ी की तरफ चल पड़ा।
"नीलोफर ये तो अच्छा है कि लड़के की वह ही उमर है जैसे ज़ाहिद और शाज़िया की ख्वाहिश है और पोलीस में होने की वजह से ज़ाहिद भी उस को अच्छा तरह जानता ही होगा" जमशेद के जाने के बाद रज़िया बीबी ने नीलोफर से खुशी का इज़हार करते हुए कहा।
"जी आंटी ज़ाहिद भाई इस लड़के को अच्छी तरह जानते हैं और उन्होने खुद अपनी बहन के लिए ये लड़का पसंद किया है" नीलोफर ने आंटी रज़िया की बात का जवाब दिया।
"ये लो आंटी इस लिफाफे में उन दोनों बहन भाई की तस्वीरे हैं, जिन को आप के बच्चे ना सिर्फ़ पसंद करते हैं बल्कि शिद्दत से इन से शादी के ख्वाहिश मंद भी हैं, आप ये फोटो देखें और अब हम चलते हैं" जमशेद ने ड्राइंग रूम में एंटर होते ही बंद लिफ़ाफ़ा रज़िया बीबी के हाथ में थमाया और अपनी बहन नीलोफर को उठने का इशारा किया। जिस के साथ ही दोनों बहन रज़िया बीबी को खुदा हाफ़िज़ कह कर तेज़ी से घर से बाहर निकल आए।
जमशेद और उस की बहन नीलोफर को अलविदा करते हुए रज़िया बीबी बहुत खुश थी।कि आज ना सिर्फ़ उस की बेटी शाज़िया की ख्वाहिश के मुताबिक एक जवान मर्द का रिश्ता उस के लिए आ गया था। बल्कि ज़ाहिद भी आख़िर शादी कर के अपना घर बसाने पर रज़ा मंद हो चुका था और वह भी ऐसे लड़के, लड़की से जो शाज़िया और ज़ाहिद की तरह आपस में बहन भाई थे और एक दूसरे को पसंद भी करते थे।
इसी बात पर खुस होते रज़िया बीबी ने जल्दी से लिफ़ाफ़ा खोला और उस में पड़ी हुई दो कलर फोटो को देख कर रज़िया बीबी हैरान हुई।
जमशेद ने जो लोफ़ाफ़ा रज़िया बीबी को दिया था। वह असल में वह ही एनवोलप था जो ज़ाहिद ने नीलोफर को एक दिन पहले दिया था और उस में दोनों तस्वीरे किसी और की नहीं बल्कि ज़ाहिद और शाज़िया की अपनी तस्वीरे थी।
आज इन ही फोटो के ज़रिए ज़ाहिद ने अपनी सग़ी बहन से शादी के लिए अपना रिश्ता अपनी ही सग़ी अम्मी को भिजवा दिया था।
अपने ही बेटे और बेटी की तस्वीर एँवलोप से बरामद होते देख कर पहले रज़िया बीबी को कुछ समझ में ना आया कि ये सब किया है।
फिर जब फोटो को देखते-देखते रज़िया बीबी के कानों में नीलोफर और जमशेद के कहे हुए अल्फ़ाज़ की आवाज़ दुबारा आने लगी कि "लड़का 33 साल का है, पोलीस में है, दोनो लड़का और लड़की आपस में बहन भाई हैं और एक दूसरे को पसंद भी करते हैं इसी लिए वह आपस में शादी के ख्वाइश मंद है" तो नीलोफर और जमशेद की कही हुई इन सब बातों को ज़हन में दोहराते हुए रज़िया बीबी को सारा मामला समझ में आ गया।
रज़िया बीबी को आज अपनी ही सग़ी बेटी के लिए अपने ही सगे बेटे का रिश्ता आया था।
और इस बात को जानते और समझते हुए रज़िया बीबी पर हैरत का पहाड़ टूट पड़ा और घबड़ाहट के मारे उस का दिल डोलने लगा ।
रज़िया बीबी अपने हाथ में पकड़ी अपने बच्चो शाज़िया और ज़ाहिद की फोटो को देखते हुए इंतिहाई गुस्से में आ गई और उस ने जल्दी से अपना फोन उठा कर नीलोफर का नंबर मिलाया, मगर उसे नीलोफर का फोन बंद मिला।
नीलोफर से बात ना होने पर रज़िया बीबी को मज़ीद गुस्सा चढ़ गया और उस ने नीलोफर और जमशेद को ज़ोर-ज़ोर से माँ बहन की नंगी गालियाँ निकालते हुए गुस्से में अपना फोन फर्श पर मारा जो गिरते ही टूट गया।
रज़िया बीबी गुस्से से भरी अपने टीवी लाउन्ज में खड़ी थी। कि इतनी देर में ज़ाहिद अपने घर में दाखिल हुआ।
अपनी अम्मी को फोटो हाथ में पकड़े गुस्से की हालत में तेज़ी के साथ टीवी लाउन्ज में टहलते देख कर ज़ाहिद समझ गया। कि उस की अम्मी शाज़िया और उस की तस्वीरें देख चुकी हैं।
लेकिन इस के बावजूद ज़ाहिद अपनी अम्मी के सामने ये ज़ाहिर करना चाहता था कि जैसे उस को किसी भी बात का ईलम नही।इसीलिए वह बहुत नॉर्मल अंदाज़ में टीवी लाउन्ज के अंदर आया और अपनी अम्मी को देख कर पूछा "अम्मी ख़ैरियत तो है आप आज इतने गुस्से में क्यों हैं" ।
"ख़ैरियत ही तो नहीं है ज़ाहिद, तुम आ ही गये हो तो में ये जानना चाहती हूँ कि ये क्या ज़लील ड्रामा खेल रहे हो तुम सब लोग मुझ से" रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपने बेटे को टीवी लाउन्ज में आता देखा।तो गुस्से से फुन्कार्ते हुए उस ने अपने हाथ में पकड़ी ज़ाहिद और शाज़िया की फोटो को ज़ाहिद के मुँह पर दे मारा।
"अम्मी क्या हो गया है आप को मुझे कुछ समझाए तो सही" ज़ाहिद ने जान बूझ कर अंजान बनते हुए अपनी अम्मी से पूछा।
"वाह तुम तो ऐसे अंजान बन रहे हो जैसे तुम को किसी बात का ईलम ही नही" ज़ाहिद का जवाब सुन कर रज़िया बीबी को और तुप चढ़ गई.और वह फिर उँची आवाज़ में चिल्लाई।
"अम्मी में सच कह रहा हूँ मुझे कुछ नहीं पता है आप ये क्या कह रही हैं" ज़ाहिद ने फिर अम्मी से कहा।
"वह कुत्ते की बच्ची नीलोफर और उस का बे गैरत भाई जमशेद मुझे ये तस्वीरे दे गये हैं और कहते हैं कि तुम ने उन लोगों को मेरे पास भेजा है शाज़िया के रिश्ते के लिए, सच-सच बताओ क्या ये बात सही है ज़ाहिद" रज़िया बीबी ने गुस्से में चिल्लाते हुए अपने बेटे से पूछा।
जारी रहेगी