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Click hereयह पार्ट 4 है इस कहानी का आप बाकी के पार्ट भी पढ़े आगे आने वाले भी। और मजा लेते रहिए
इतने में डोरबेल भी और सब घबरा गए सभी कपडे ढूँढने लगे सब उथल पुथल हो रहा था किसी के पास कपड़े नहीं थे और घंटी बार-बार बजे जा रही थी।
सभी सोच रहे थे कि रात की 11बजे कौन होगा।
तो दीदी ने दरवाजे में से झांक कर देखा तो दीदी नंगी ही देखने चली गई और उन्होंने दरवाजे के दूरबीन से देखा तो पड़ोस की एक लड़की थी जो कि घर में अकेली ही रहती थी।
अब जीजाजी ने जबतक कपड़े पहन लिए थे और हम सब पास एक तरफ छुपकर देखने लगे।
अब जैसे ही दरवाजा खुला वह अंदर आ गई और जोर से हम आवाज दी और बोली "बाहर आ जाओ सब मत छुपो मैं सब जानती हूँ तुम लोगों के बारे में मुझे पता है कि तुम लोग सब बिना कपड़ों के छिपे है, चलो बाहर आओ।"
तो मैं फट से बिना देर किए जाने लगा में एक बार सबकी तरफ देखा तो सभी की आंखें फटी हुई थी और शायद गांड भी फट रही थी।
मै जाने लगा तो दीदी मुझे रोकने लगी तो मैं बोला "साली अकेली है कहा जाएगी और क्या कर लेगी ज्यादा नाटक करेगी तो गांड मार देंगे।"
मै बाहर आ गया तो मुझे देखकर वह शरमा-सी रही थी।
पर वह शर्म दबा रही थी।
वह बोली "बाकी लोग कहा है इस रंडीघर के?"
सब बाहर आ गए वैसे भी सब नंगे ही थे।
मैने उससे पूछा "क्यों आईं हो यहाँ? चुदने?" उसने सर को ना में हिलाया और बोली "गांड मराने, तुझे क्या मतलब", अब मुझे गुस्सा आ रहा था उस पर तो मैं उसके ऊपर टूट पड़ा और मैने उसके कपड़े फाड़ने चालू कर दिए।
दीदी ने ओर मंजू ने मेरा साथ दिया और जीजाजी ओर उनका भाई रुकने को कर रहा था पर मैं कपड़े फाड़ रहा था पर मुझे आश्चर्य हुआ कि दीदी और मंजू मेरा साथ क्यों दे रही थी।
मैने पूछा तो उन्होंने बताया कि "यह रोज हमारे घर में कैमरा से नजर रखती" चूंकि उसका घर ऐसा था कि उसके घर से मंजू और दीदी दोनों के कमरे में देखा जा सकता था।
दीदी बोली कि "उसे मैने एक दो बार देख तो था पर इतना ध्यान नहीं दिया मुझे तो मंजू ने बताया, अच्छा हुआ यह आ गई।"
मंजू बोली "यह रोज हमारे घर में झांककर चूत खुजलाती थी पर मैने इसे कुछ नहीं कहा क्योंकि बिचारी अकेली है ना, मैने इसे एक दो बार चूत खुजाते भी देखा है, पर इसने शायद हमारी वीडियो बना रखी थी तो मैने वीडियो वायरल होने के डर से इसे कुछ नहीं कहा।"
मैनें अब उसके बाल पकड़े और ऋषभ को उसका कैमरा और लैपटॉप लाने को कहा।
वह अब हंसने लागी और बोली इतना भी जुल्म मत करो एक तो में आगे से तुम लोगों के पास चुदवाने आईं और ऊपर से तुम लोग मेरे साथ कैसा बर्ताव कर रहे हो। "
मैने उसकी बात सुनकर उसके बाल छोड़ दिए।
वह अब कुछ-कुछ नंगी ही थी बस उसकी ब्रा और पैंटी उसके शरीर पर थी बाकी तो सब हमने फाड़ दिए।
ऋषभ उसका फोन, कैमरा और लैपटॉप ले आया।
मैने उसे चेक किया पर मुझे कुछ नहीं मिला तो मैं खुश हुआ मैंने सोचा कुछ नहीं है।
अब मैं उसके पास गया और मैं उसे जोर से किस करने लगा और धीरे से उसकी पैंटी सरका दी और उसको गरम करने लगा मैं नीचे झुका और उसकी चूत चाटने लगा।
अब वह गरम हो गई थी जोर-जोर से अपने होंठों को काट रही थी और सिसकारियाँ से पूरा घर गूंज रहा था।
अब मैं उठा और उसको जमीन पर ही लेटा दिया मुझे लगा जैसे उसका पहली बार हो, बड़ी टाइट चूत लग रही थी।
जीजाजी और उनका भाई और रामलाल हमारी फिल्म देख रहे थे क्योंकि उन सबके लन्ड मुरझाए हुए थे चुदाई ही इतनी की थी उन लोगों ने सिर्फ ऋषभ था जिसका लन्ड तेयार हुआ।
ऋषभ ने भी पास ही जया को लिटा दिया और उसे मुंह में लन्ड दे दिया वह उसका लॉलीपॉप चूस रही थी।
सब थके हुए थे तो कोई चुदाई नहीं करना चाहता था।
अब मैंने उस लड़की का नाम पूछा तो उसने मनीषा बताया।
दिखने में तो अच्छी थी वह फिगर भी मस्त था जया से तो बहुत अच्छी थी दिखने में वह।
अब मैने लन्ड उसके मुंह में दिया पर एक बार मुंह में लेने के बाद वह नहीं ले पाई उसका मुंह बिगड़ गया तो दीदी उठी और बोली "रंडी साली चुदने तो आ गई अब लंड भी ले मुंह मे" मैं ही उसके उपर से उठ गया और लन्ड चूत पर आ गया और घिसने लगा वह तिलमिला उठी।
अब मैने जोर का झटका दिया उसकी चूत में पर लंड आध भी नहीं गया और वह चीखने चिल्लाने लगी।
दीदी और मंजू दीदी हमारे पास आ गई और मनीषा की सील टूटने की फिल्म देखने लगी।
दीदी ने मुझे बताया कि चूत से खून भी निकल रहा है।
मैने उससे पूछा "मनीषा, मेरी रंडी रानी पहली बार है तेरा?"
उसने हाँ में सर हिला दिया।
अब मैं उसके दर्द को नहीं देख पाया और जोर का एक और शॉट मारा तो लंड फिर भी नहीं गया अंदर।
मनीषा को दर्द हो रहा था वह चिल्लाए जा रही थी और सभी लोग उसके मज़े ले रहे थे।
फिर एक ओर जोर का शॉट ओर पूरा लंड अंदर और खून बाहर टिपका।
कुछ देर तक मैं धीरे-धीरे आगे पीछे होता रहा।
मनीषा की चूत टाईट होने के कारण उनसे मुझे ज्लदी ही झड़ा दिया भी उसकी चूत भर दी अपने माल से।
मंजू से यह देखा नहीं गया वह सीधी आई और उसने खून से लथपथ लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी।
मैरा लन्ड मंजू के मुंह का स्पर्श पाकर फट से सलामी देने लगा अब मैं फिर से मनीषा की चूत मारने लगा जैसे ही मैने लंड डाला मनीषा को शुरू में दर्द हुआ फिर कुछ देर आगे पीछे करने के बाद उसे अच्छा लगने लगा।
उसकी दर्द भरी आहे अब सिसकारियाँ मैं बदल गई थी।
वह भी गांड उठा-उठा के मेरा साथ दे रही थी।
40-45मिनट चुदाई के बाद मैं फिर खाली हो गया और एक तरफ बैठ गया। मनीषा अभी भी फर्श पर ही पड़ी थी जैसे कोई गुडिया हो।
उसके मुंह पर संतुष्टि को भाव साफ नजर आ रहा था।
अभी तक जया को ऋषभ एक बार ओर एक बाद दीदी को गांड मार चुका था चूंकि दीदी के पीरियड्स थे दीदी की किसी ने भी चूत नहीं मारी थी अभी तक दीदी कि चुदाई के नाम पर गांड ही ठुक रही थी पर दीदी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था भले ही कितनी भी गांड मारो, उनकी गांड तो मरवा-मरवा के कुआ बन गई थीं।
अब मनीषा को चूत का दर्द महसूस होने लगा था उसके चेहरे पर दर्द दिख रहा था साफ साफ। अब उसे हमने सोफे पर बिठा दिया।
उसकी चूत सुजी हुई लग रही थी।
अब दीदी ने उसे पूछा "चुद ली, मिली शांति, अब बता सब कुछ केसे तेरे दिमाग़ मैं आया?"
मनीषा बोली "मै आप लोगों को चुदाई करते हुए बहुत दिन से देख रही हूँ, खासकर दीदी आपको।" ऐसा कहते हुए वह शरमा गई तो दीदी बोली "साली छिनाल, चुद भी गई फिर भी शरमा रही है, चल ही-ही करना बन्द कर ओर आगे बता।"
मनीषा बोली "आप लोगों की मैने सारी कहानी देखी और देखने के बाद मुझसे रहा नहीं गया, मेरी चूत में खुजली होने लगी और मैं आ धमकी आपके पास चुदने।"
मंजू बोली "आ गया मजा, हो गई चूत ठंडी चल निकल अपने घर हमारा मजा कम करने आ गई।" मंजू गुस्से में बोली।
मनीषा का मुंह उतार-सा गया था।
दीदी बोली "तुझे क्या हुआ अब तुझे क्या तकलीफ हो गई इस बिचारी से?"
मंजू ने कहा "देखो दीदी यह तुम्हारा भाई इस पर लट्टू हो रहा है तुम्हे दिखता नहीं इस छिनाल का रवैया।"
दीदी को अब समझ आया मामला।
ऐसा एहसास लग तो मुझे भी रहा था कि मनीषा से प्यार हो गया जैसे।
कोई दिक्कत भी नहीं थी मुझे वैसे भी एक सील बन्द माल मिला था मुझे और वह सबसे दिखने में भी अच्छी थी जया और मंजू तो उसके सामने पानी भर्ती ऐसा उसका फिगर था।
दीदी ने कहा "कर लेने दो इन लोगों को भी मज़ा।"
मंजू को दीदी ने समझा दिया।
हम सब अलग-अलग कमरों में जाकर सो गए।
मै मनीषा के साथ सोफे पर ही सो गया।
अगले दिन सुबह मेरी 7बजे आँख खुली तो देखा कि मनीषा मेरे पास ही पड़ी थी और दीदी उठ चुकी थी मंजू उसके ससुर ओर जेठ के बीच में नंगी पड़ी थी और उसका पति जा चुका था कहीं काम से बाहर।
एक तरफ दूसरे कमरे में जया और ऋषभ सोए पड़े थे पर उनके कमरे से एक अजीब-सी चुदाई की खुशबू आ रही थी जैसे वह अभी ही चुदाई करके सोए हो।
दीदी को ढूँढते हुए में किचन में गया तो दीदी वहाँ नंगी ही खाना बना रही थी।
मुझे देखते ही दीदी बोली "तुझे बड़ा पसंद आ गई है वह मनीषा, क्या विचार है उसके बारे में तेरा?"
तो मैं बोला "अभी उसकी चौड़ी तो कर देने दो फिर विचार करेंगे।" मैं हंसता हुआ वहाँ से बाहर आ गया।
मैने मनीषा को देखा और देखता ही रह गया वह बहुत ही प्यारी लग रही थी सोते हुए। अब मैने उसे उठाने का निश्चय किया। मैं उसके पास गया और उसकी चूत पर मुंह लगाकर चाटने लगा वह धीरे-धीरे नींद से बाहर आने लगी और गरम भी ही रही थी।
अब वह पूरी तरह से उठ चुकी थी और अपने हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थी उसे मजा आ रहा था।
अब मैं ऊपर आया उसे मैने एक जोरदार किस किया और उसके ऊपर होंठ को जोर से काट लिया वह सहम उठी मेरे इस हरकत से।
अब मैने उसे "गुड मॉर्निंग" बोला और लंड उसके सामने कर दिया वह भी "गुड मॉर्निंग" बोलते हुए लंड को चूसने लगी।
वह अब बहुत ही गरम हो चुकी थी चुदवाने को बेताब थी।
वह बेकाबू हो रही थी, मैने भी मौका देखते हुए उससे बोला "मै एक ही शर्त पर तुझे चोदूंगा।"
उसने बोला "क्या शर्त है आपकी, मुझे मंजूर है।"
मैनें बोला "शर्त के पहले ही मंजूर, गजब है, पर पहले सुन लो शर्त।"
उसने बोला "ऐसा क्या है?"
तो मैने कहा "तुझे गांड मरवानी पड़ेगी मुझसे वह भी मेरे साथ सुहागरात पर, बोल मंजूर है।" वह बोली "पर कैसे?"
उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैने क्या कहा।
अब मैं बोला "मेरी रण्डी बनेगी, मुझसे शादी करेगी मनीषा।"
उसके आँख में आंसू आ गए। मैं आंसू पोंछते हुए बोला "क्या हुआ, क्यों रो रही हो", वह बोली "यह तो खुशी के आंसू है, मैं केसे मना कर सकती हूँ आपको।"
दीदी और उसका बुड्ढा सब सुन रहे थे तो दीदी हंसते हुए बोली "क्या करेगा पहले सुहागरात मनाएगा या शादी करेगा?"
मै बोला "जैसे आप बोलो!"
दीदी ने कहा "पहले जो तेरा बड़ा भाई है उसकी बीवी आने दे और पहले तू उसके साथ सुहागरात मना फिर इसके साथ मना लेना।"
इतने में मंजू ओर जीजाजी आ गए उन्हे शादी की खुशखबरी मिल गई।
जीजाजी बोले "पहले हमें चेक तो करने दो की दुल्हन सुहागरात के लिए फिट है या नहीं।"
सब हंसने लगते है जीजाजी की बातें सुनकर।
इतने में ऋषभ और जया भी आ गए उन्हे भी दीदी ने सब बात बताई।
दीदी बोली "सब कर लेना पर कोई भी मनीषा की गांड मत मारना, सुहागरात पर चाहिए होगी ना मेरे भाई को, जव सब औरतें सुहागरात को कमरे के दरवाजे पर कान लगाकर सुनेगी तो उन्हे क्या सुनाएंगे।"
सभी ने हाँ कर दी गांड ना मारने पर।
जीजाजी बोले "कल रात को जया को गांड मरवाने का भूत चढ़ा था ना वह उतरा या नहीं?"
यह सुनते ही जया फट से आगे आकर झुक गई और गांड दिखाने लगी।
जीजाजी बोले "सुहागरात की प्रैक्टिस कर लो साले साहब।"
मै उठा और पहले मंजू को नीचे बिठाया और उसके मुंह में छोटा-सा लंड दिया और उसे कुछ देर में बड़ा करके निकाला फिर दीदी को बोला कि "दीदी आपने तो इन दोनों मा बेटी से खूब गांड चटवाई अब आपकी बारी चलो चाटो इस रंडी की गांड।"
दीदी मेरी तरफ तिरछी नजर करते हुए गांड की तरफ बढ़ गई। मनीषा उठी और जया की चूत पर आ गई ऋषभ मनीषा की चूत को चाटने लगा और कुछ-कुछ देर में गांड पर भी जीभ फिरा रहा था इसलिए मनीषा उचक रही थी बार बार।
मंजू क्या करती ऋषभ के लन्ड पर जा बैठी और अपने ससुर और जेठ के लंड को एकसाथ चूसे जा रही थी कभी जेठ का तो कभी ससुर का लंड मुंह में भरती ऐसे ही दोनों को उसने एकसाथ अपने मुंह में खाली करवा लिया।
और ऋषभ को मंजू ने अपनी चूत में खाली करवा लिया।
ऋषभ मनीषा की चूत पर से हट गया और मैने जया को खींच लिया अपनी और अब मैने उसे नीचे की और झुका दिया और देखा कि दीदी ने गांड को थूक लगा-लगा कर चिकना कर दिया था अंदर तक थूक था।
थूक बाहर टपक रहा था जया की गांड़ से।
अब मैने गांड़ के छेद पर रखा अपना लंड ओर घिसने लगा धीरे-धीरे मैने मोका देखा और पहले तो मैने। जया को कहा कि तीन गिनते ही डाल दूंगा तेयार रहना, सभी लोग गिनती कर रहे थे एक गीना मुझे पता था कि जया डर के मारे गांड टाईट कर लेगी इसलिए मैने दो गिनने के पहले ही लन्ड डाल दिया।
जया चिल्ला उठी चिकनाहट के कारण जया की गांड़ में एक ही बार में पूरा लन्ड चला गया वह चिल्ला रही थी।
मै जोर-जोर से ठोकने लगा जया की गांड को अब कुछ देर गांड चोदने के बाद में अंदर ही झड़ गया मैने लंड निकाला तो उसपर थोड़ा खून और थोड़ी टट्टी लगी थी।
मैने वैसे ही लंड को जया की चूत में डाल दिया और चूत पर लन्ड पोंछ दिया और दीदी को चाटने को कहा।
दीदी ने शायद लंड नहीं देखा था टट्टी लगा हुआ पर मंजू, मनीषा, ऋषभ, रामलाल और जीजाजी को पता था।
दीदी के मुंह में पहले मैने लंड दे दिया और बोला "चलो इसको साफ करो पहले" दीदी चूस रही थी लंड को बिना मन से तो मैंने दीदी से पूछा तो दीदी बोली "बड़ा अजीब-सा टेस्ट आ रहा है साली ने पाद दिया लगता है।"
मै हंसने लगा ओर बोला "चलो अब इसकी चूत साफ करो।"
दीदी ने बिना कुछ देखे सोचे की जया की चूत चाटकर साफ़ कर दी।
अब हम सब नहा धोकर फ्रेश होकर आ गए मनीषा भी यही थी। हम दोनों ने एकसाथ शावर लिया और आ गए वैसे भी कोई कपड़े तो पहनने थे नहीं।
हम सब साथ बैठकर खाना खाने लगे।
इतने में फोन बजा दीदी ने बात की और उनके होश उड़ गए।
दीदी का चेहरा उतर गया दीदी ने फोन रखा और हमारे पास आ गई।
मैने पूछ "क्या हुआ?"
तो दीदी ने जवाब दिया।
(आगे की कहानी अगले पांचवे पार्ट में, इस कहानी को और इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए 5स्टार रेटिंग जरूर दे)
धन्यवाद।