औलाद की चाह 097

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काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.
1k words
3.5
232
00

Part 98 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
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औलाद की चाह

CHAPTER 6-पांचवा दिन

परिक्रमा

Update-04

काँटा लगा

मेरे तलवों में अब हर क़दम पर दर्द बढ़ता जा रहा था और मैं चल भी नहीं पा रही थी। थाली पकड़ने के लिए हाथ ऊपर किए जाने के कारण मेरा संतुलन बिगड़ रहा था। मेरा चेहरा उस दर्द को प्रदर्शित कर रहा था जो मुझे हो रहा था। उदय ने मेरे चेहरे को देखा।

उदय: मैडम, आप ऐसे कैसे चलोगे? क्या मैं इसे दोबारा जांचूं?

मैंने तुरंत उसकी इस इच्छा के विरुद्ध सिर हिलाया; उस समय मई किसी भी शरारत करने के मूड में बिलकुल नहीं थी और इसलिए उसे अपनी पैंटी दिखाने के लिए तैयार नहीं थी।

उदय: लेकिन फिर, आप इस तरह कैसे चल सकोगी?

यह जितना मैंने सोचा था, उससे कहीं अधिक गंभीर और दर्दनाक मामला लग रहा था। मुझे यकीन था कि मेरे तलवों में कई कांटे चुभ गए हैं और उदय केवल एक का ही पता लगाने में सक्षम हुआ था। मेरा दर्द बढ़ रहा था और मेरे तलवे पर कट की स्थिति ऐसी थी कि मैं अपना पैर ठीक से जमीन पर नहीं रख पा रही थी। हर बार जब मैंने अपने बाएँ तलवे पर दबाव डाला, तो यह बहुत दर्द कर रहा था और कट से पट्टी की गीला करते हुए खून निकल रहा था।

मैं खुद भी इस छोटी पोशाक को पहनकर उदय के सामने चोट की जांच नहीं कर सकटी थी।

उदय: मैडम, क्या मैं आपको एक हाथ का सहारा दूं?

पिछली बार जब उसने मुझे गले लगाया था और मुझे पर्याप्त रूप से छुआ था वह अपनी उस अपनी हरकत पर मेरी प्रतिक्रिया के बारे में सोच इस बार सावधान था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ, लेकिन यह महसूस कर सकती थी की इस तरह चलना कठिन और असंभव होता जा रहा है? अब मुझे कुछ विकल्प समझ आ रहे थे या तो थाली को उदय को संभालना होगा ताकि मैं उसका कंधा पकड़ कर मुझे एक पैर पर चलना होगा।

उदय: महोदया, हमें ज्यादा समय बर्बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि हमारे पास समय की भी कमी है। अगर हम 1200 सेकेंड में वापस नहीं आए तो मैडम, आपको पूरी परिक्रमा दोहरानी पड़ेगी!

मुझे एहसास हुआ कि मुझे जल्दी से तय करना है कि मुझे क्या करना है। मैंने विकल्पों के बारे में सोचने की कोशिश की। परिक्रमा के बीच प्रतिरूप पर फूल चढ़ाने या गंगा जल छिड़कने के अलावा थाली नहीं सौंपी जा सकती थी। तो ये विकल्प सवाल से बाहर हो गया।

मैं इंतजार करूं और उदय गुरु-जी को बुला लाये तो इसमें 1200 सेकेंड का बचा हुआ समय भी खत्म हो जाएगा। तो मैंने वह भी खारिज कर दिया।

थाली को सिर पर पकड़े हुए, मेरे लिए शेष दूरी को एक पैर पर लंगड़ा कर चालमा असंभव लगा क्योंकि मुझे पता था कि मैं निश्चित रूप से संतुलन खोकर रास्ते में ही जमीन पर गिर जाऊंगी और मुझे और आशिक चोट लग जायेगी।

मुझे निश्चित रूप से इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह छोटी-सी घटना मेरे लिए इतनी बड़ी बाधा बन जाएगी! मैंने अपने दर्द के कारण चलना बंद कर दिया था और उदय भी ऐसे ही वहाँ रुक गया था।

उदय: आपको परिक्रमा पूरी करनी होगी महोदया। आपके पास कवर करने के लिए अब केवल अंतिम भाग शेष है।

मैं अपने होंठ काट रही थी और सोच रहा था कि क्या करना है। मैं बहुत उदास हो गयी थी तभी उदय को एक अजीब और अलग विचार आया!

उदय: मैडम, एक ही रास्ता है, लेकिन?

मैंने उसकी ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा और यह जानने के लिए अपनी भौंहें उठा लीं कि वह क्या है।

उदय: नहीं मैडम, रहने दो। उसे सुन आप उग्र हो जाएंगे। मैं आपको और परेशान नहीं करना चाहता।

मैं किसी तरह उसके पास एक पैर पर आगे बढ़ी और जैसे ही मैंने किया कि मेरे बड़े स्तन मेरे ब्लाउज के भीतर जोर से झूल गए; उदय ने मुझे मेरे पेट क्षेत्र से पकड़ रखा था ताकि मैं आराम से खड़ी रह सकूं। मैंने उसे इशारा किया कि मुझे बताओ कि उसके मन में क्या था।

उदय: महोदया, चूंकि आप चलने में असमर्थ हैं और आपके हाथ खाली नहीं हैं, लेकिन साथ ही आपको परिक्रमा भी दिए गए समय में पूरी करने की आवश्यकता है और चूंकि यहाँ कोई आपको नहीं देख रहा है तो इन परिस्तिथियों में हम एक काम कर सकते हैं।

ओह ओ! वह क्या है? मैं मन ही मन बुदबुदायी। मेरे चेहरे के हाव-भाव ने उदय से यही कह दिया था।

उदय: मैडम, मेरा मतलब है कि मैं आपको ले जा सकता हूँ? मेरा मतलब मेरी गोद में और अगर आप सहमत हो तो मैं आपको गोद में उठा कर आश्रम तक के चलता हूँ।

ऐसा विचित्र प्रस्ताव सुनकर मैं चकित रह गयी! मुझे नहीं पता था कि इस पर क्या और कैसे प्रतिक्रिया दूं।

उदय: महोदया, कृपया इसे दूसरे अर्थ में न लें कि मैं आपको छूना चाहता हूँ, इसलिए यह सुझाव दे रहा हूँ। कृपया। देखिए मैडम, आप भी समझ सकती हैं कि सिर पर थाली रखकर आप उस घायल पैर के साथ नहीं चल सकती। इसलिए आपकी मदद करने के लिए ही मुझे ये उपाय सूझा है?

मैं कोई छोटी बच्ची नहीं कि वह मुझे गोद में उठा ले!

मैंने उससे मुँह फेर लिया। यह सच था कि मैं उदय को पसंद करती थी, लेकिन वर्तमान में मैं एक यज्ञ प्रक्रिया पूरी करने जा रही थी और इन हालात में मैं इसकी अनुमति कैसे दे सकती हूँ?

और मैं लगभग 30 साल की हूँ! एक पूरी तरह से परिपक्व और शादीशुदा महिला को वह ऐसे कैसे उठा सकता है!

इसके अलावा, मेरे मोटे फिगर और इस सेक्सी ड्रेस के साथ-एक आदमी की गोद में होना, जो मेरा पति भी नहीं था, मेरे लिए बहुत अधिक था। लेकिन क्या मेरे लिए कोई रास्ता बचा था? दर्द इतना स्पष्ट और तीव्र हो गया था कि मैं अब बिल्कुल भी कदम नहीं उठा पा रही थी।

मुझे संशय में देख उदय बोलै महोदया इस समय आप किसी मर्यदा की चिंता ना करे। संस्कृत में एक कहावत है। "आपात काले मर्यादा ना असते"-मतलब आपात काल में मर्यादा की चिंता नहीं करनी चाहिए। इस समय आप घायल है। यहाँ पर आपको समय की पाबंदी ही इसलिए इस आपात काल जो सबसे बेहतर लगे वह करना चाहिए और इन हालात में यही सबसे बेहतर विक्लप है।

मेरे मन में कुछ संघर्षों और उदय द्वारा और अधिक दलील और तर्क सुनने के बाद, मैं आखिरकार सहमत हो गयी। किस बात से सहमत? उदय की गोद में चढ़ने के लिए और वह मुझे बाकी रास्ते से आश्रम के द्वार तक गोद में उठा कर ले जाएगा!

जारी रहेगी

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