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Click hereघुडप की तेज आवाज़ शाज़िया की चूत से निकली और ज़ाहिद का लंड उस की बहन की गरम फुद्दि में फिसलता चला गया।
लज़्जत की शिद्दत से शाज़िया ने सिसकारी ले कर अपनी आँखें बंद कर ली।
ज़ाहिद ने अब पीछे से अपनी बहन की चौड़ी और भारी गान्ड को अपनी हाथों में थामते हुए अपनी बहन की चूत में ज़ोर दार किसम के धक्के मारने शुरू कर दिए. तो शाज़िया अपने भाई की मस्त चुदाई के आगे हर मानते हुए सिसकियाँ लेने लगी।
ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड की भारी पहाड़ियों को थामे हुए अपनी बहन की चूत में झटके पर झटके मारे जा रहा था।
औरतों के मामले में ज़ाहिद पहले से ही एक मंझा हुआ खिलाड़ी था।
इसीलिए जब ज़ाहिद ने महसूस किया कि शाज़िया उस की जबर्जस्त चुदाई की वजह से मज़े से बे हाल हो रही है। तो ज़ाहिद ने सोचा कि ये सही मोका है।जब वह अपनी बहन की गान्ड में अपना मोटा लंड डाल कर अपनी बहन की गान्ड की कंवारी सील तोड़ कर सुबह होने वाला वालिमा सही तौर पर जायज़ बना सकता है।
ये खेल ज़हन में आते हुए ज़ाहिद ने अपने लंड को अपनी बहन की चूत से बाहर निकाला।
उस वक्त ज़ाहिद का लंड शाज़िया की फुद्दि के गरम पानी और जूस से पूरा तरह भरा हुआ चमक रहा था।
ज़ाहिद को पता था कि एक तो उस का लंड शाज़िया की फुद्दि के पानी से भीगा हुआ है। जब कि शाज़िया की गान्ड के सुराख को भी ज़ाहिद ने अपने थूक से अच्छी तरह गीला कर के तर कर दिया था।
इसीलिए ज़ाहिद को अंदाज़ा था। कि उस के लंड को अपनी बहन की भारी गान्ड की कंवारी सील तोड़ने में ज़्यादा दिक्कत नहीं हो गी और फिर इस से पहले कि शाज़िया कुछ समझ पाती। ज़ाहिद ने अपने गीले लंड को शाज़िया की गान्ड के मुँह पर रखा और एक ज़ोर का धक्का दिया।
ज़ाहिद का कड़क लंड उस की बहन की थूक से गीली कुँवारी गान्ड के सुराख को चीरता हुआ शाज़िया की गरम गान्ड में आधा अंदर चला गया।
अपने भाई के इस अचानक हमले से शाज़िया उछल पड़ी। शाज़िया को यूँ महसूस हुआ जैसे उस की गान्ड में किसी ने लोहे का गरम राड डाल दिया हो। जिस की तपिश से उस की गान्ड की सारी नसें (वाइन्स) जल कर राख हो गई हों।
ज़ाहिद का अपनी बहन की कंवारी गान्ड पर ये हमला इतना अचानक और ज़ोर दार था। कि शाज़िया को यूँ महसूस हुआ। जैसे उस के भाई का लंबा और मोटा लंड उस की गान्ड में घुस कर उस के मुँह के ज़रिए बाहर निकल जाएगा।
अपने भाई के इस धक्के की वजह से दर्द की शिद्दत से शाज़िया की आँखो से आँसू निकल आए और उस के मुँह से एक लंबी चीख निकल गई "हीईीईईईईईईई! भाईईईईईईईईईईईईईई! मार डाला"
इस के साथ ही शाज़िया ने बिस्तर पर पड़े हुए तकिये (पिल्लो) को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया। ताकि इस तरह शायद उसे अपनी गान्ड में समाते हुए भाई के बड़े लंड की तकलीफ़ का अहसास कुछ कम महसूस हो।
"कुछ नहीं होगा शाज़िया, मेरी जान।अब तो अंदर डाल दिया है, अभी मज़ा आएगा" ये कहते हुए ज़ाहिद ने अपने लंड को मज़ीद अंदर जाने से रोक लिया ।
ताकि एक तो शाज़िया की गान्ड में उठा हुआ दरद कुछ कम हो जाए और साथ ही साथ उस का बड़ा लौडा शाज़िया की गान्ड में अपनी जगह बना सके. तो उस के बाद वी अपनी बहन की गान्ड को आसानी से चोद सके गा।
"नहियिइ! मुझे बहुतत्तत्त दर्द हो रहा है, आप बहुत ज़ालिम हो मुझे बिना बताए ही इतना बड़ा लंड मेरी कंवारी गान्ड में डाल दिया आप ने।मेने 2 साला शादी में कभी अपनी गान्ड में लंड नहीं डलवाया, अह्ह्ह्ह! मैं मर जाउन्गी, निकाल लो, प्ल्ज़्ज़, बहुत दर्द हो रहा है" । दर्द की शिद्दत से चिल्लाते हुए शाज़िया ने अपने भाई से कहा।
ज़ाहिद खूब जानता था कि ऐसे मोके पर किसी भी औरत को लंड अपनी गान्ड में लेने के लिए कैसे राज़ी किया जाता है।
इसीलिए ज़ाहिद ने अपने एक हाथ को नएचए से ला कर शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ रखा और फिर आहिस्ता-आहिस्ता अपने हाथ से अपनी बहन शाज़िया की चूत का दाना (क्लिट) मसलना शुरू कर दिया।
ज़ाहिद की इस हरकत से चन्द लम्हों में ही अपनी गान्ड का दर्द भुला कर शाज़िया गरम होते हुए फिर से सिसकारियाँ लेने लगी।
साथ ही साथ ज़ाहिद ने अपनी उंगली को शाज़िया की चूत में घुसा दिया और स्लो मोशन में शाज़िया की चूत को अपनी उंगली से चोदने लगा।
शाज़िया की सिसकियाँ सुन कर ज़ाहिद को अंदाज़ा होने लगा। कि अब शाज़िया को दर्द नहीं बल्कि मज़ा आ रहा है। इसीलिए ज़ाहिद ने फिर से एक और धक्का मारा और अपना बचा हुआ लंड अपनी बहन की कंवारी गान्ड में डाल कर अपनी बहन की गान्ड की सील पूरी तरह से खोल दी।
"उफफफफफफफफफफफफ्फ़! भाईईईईईईईईईईईईईईईईई! लगता है आज तो आप मेरी जान ही ले लोगे" अपनी गान्ड की तह में अपने भाई का मोटा और बड़ा लंड पूरे का पूरा जाता हुआ महसूस कर के शाज़िया फिर चिल्लाई।
" शाज़िया मेरी जान बस थोड़ा सबर करो अभी थोड़ी देर में जब तुम्हारा दर्द ख़तम हो गा तो तुम्हें गान्ड मरवाने में भी मज़ा आने लगेगा मेरी जान। ज़ाहिद ने अपनी बहन को तसल्ली देते हुए कहा।
शाज़िया की गान्ड अंदर से बहुत ही तंग और गरम थी। जिस में अपना लंड डालते ही ज़ाहिद को यूँ लगा। जैसे उस ने अपना लंड किसी गरम तंदूर में डाल दिया हो।
ज़ाहिद ने आज तक ना जाने कितनी ही औरतों की चूत और गान्ड मारी थी और आज से पहले वह नीलोफर की गान्ड की सील भी अपने इसी मोटे ताज़े लंड से खोल चुका था।
मगर जो मज़ा आज उसे अपनी ही सग़ी बहन की कंवारी गान्ड की सील खोलने में आ रहा था। वह मज़ा आज से पहले ज़ाहिद को कभी हासिल नहीं हुआ था।
ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड में अपना पूरा लंड डाले कुछ देर यूँ ही खड़ा रहा।
फिर वाकई ही थोड़ी देर बाद जब शाज़िया को अपनी गान्ड का दर्द कुछ कम होता हुआ महसूस हुआ। तो उस ने अपनी गान्ड ढीली छोड़ दी।
जिस पर ज़ाहिद को अंदाज़ा हो गया। कि अब शाज़िया अपने भाई के लंड को अपनी गान्ड की गहराइयों में कबोलियत का शरफ बख़्श रही थी।
इसीलिए ज़ाहिद ने अपने दोनों हाथों से शाज़िया के मोटे-मोटे सेक्सी चूतड़ पकड़े और अपनी पूरी स्पीड और ताक़त से शाज़िया की गान्ड को चोदना शुरू कर दिया ।
साथ ही साथ ज़ाहिद अभी तक अपने हाथ से शाज़िया की फुद्दि के दाने (क्लिट) को भी रगड़ने में मसरूफ़ था।
"मेरी जान, तुम अपनी चूत में अपनी उंगली मारो ताकि तुम्हे भी मज़ा आता रहे" ज़ाहिद ने कुछ देर बाद अपने हाथ को शाज़िया की फुद्दि से अलग करते हुए अपनी बहन से कहा।
अपने भाई के कहने पर शाज़िया ने भी अपना एक हाथ अपने जिस्म के नीचे ला कर अपनी फुद्दि के मुँह पर रखा और आहिस्ता-आहिस्ता अपनी चूत को मसलना शुरू कर दिया।
वैसे तो आज से पहले अपनी दो साला तलाक़ याफ़्ता जिंदगी में शाज़िया ने रात के अंधेरे में बेशुमार दफ़ा खुद ही अपने हाथों से अपनी गरम फुद्दि के साथ खेला और मसला था।
मगर आज जैसा मज़ा उस पहले कभी नहीं मिला था। क्योंकि उस वक्त उस के भाई का मोटा और सख़्त लंड उस की गान्ड की दीवारों को चीरता हुआ अंदर बाहर हो रहा था।
और इस के साथ-साथ वह खुद अपने हाथ से अपनी फुद्दि के दाने को मसल कर मज़ा लेने में मसरूफ़ थी।
गान्ड चुदाइ और साथ में फुद्दि रगड़ाई के इस नये अंदाज़ को शाज़िया अब पूरी तरह से एंजाय कर रही थी।
ज़ाहिद अब शाज़िया के गोरे-गोरे टाइट चूतड़ अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी पूरी ताक़त से धक्के मार कर शाज़िया की गान्ड के तंग सुराख को चोद रहा था।
कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद ज़ाहिद ने दोनों हाथों से शाज़िया की गान्ड खोली और अपना लंड आहिस्ता से बाहर निकाल लिया।
ज़ाहिद का लंड "पुक्क्कक" की आवाज़ के साथ शाज़िया की मोटी गान्ड के तंग छेद से बाहर निकला। तो ज़ाहिद ने देखा कि उस का मोटा और बड़ा लंड उस की बहन की गान्ड में जाने के बाद शाज़िया की गान्ड का मुँह "ओ" जैसा खुल गया था।
फिर दूसरे ही लम्हे ज़ाहिद ने पीछे से शाज़िया की गरम फुद्दि पर अपने लंड को रख कर एक झटका दिया। तो ज़ाहिद का मोटा ताज़ा लंड शाज़िया की फुद्दि के दाने पर फिरते हुए उस के हाथ से टच होता हुआ शाज़िया की फुद्दि में समा गया।
अपनी बहन की तपती चूत में अपना लंड डाल कर ज़ाहिद ने अपनी बहन के मोटे चूतड़ पकड़े और अपनी बहन की गरम फुद्दि को चोदने लगा।
कुछ देर बाद ज़ाहिद ने फिर से अपना लंड शाज़िया की चूत से निकाल कर उस की मोटी गान्ड में उडेल दिया।
अब ज़ाहिद कभी अपनी बहन की गान्ड को चोदने लगता और कभी उस की गरम फुद्दि में लंड पेल कर शाज़िया की चूत के मज़े ले रहा था।
इस के साथ-साथ शाज़िया अभी तक बदस्तूर अपने हाथ से अपनी फुद्दि के दाने को रगड़ने में मसगूल थी।
अपने भाई की इस जबर्जस्त चुदाई ने शाज़िया को तो जैसे पागल ही कर दिया था।और उस के मुँह से निकलती हुई सिसकियाँ पूरे कमरे में ज़ोर-ज़ोर से गूँज रही थी।
कुछ देर तक इसी अंदाज़ में अपनी बहन शाज़िया की गान्ड और चूत एक साथ चोदने के बाद ज़ाहिद भी छूटने के करीब आ गया था
"शाज़िया मेरी पानी बस अब निकलने ही वाला है मेरी जान" ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड में धक्के मारते हुए कहा।
और फिर ज़ाहिद ने एक ज़ोर दार आखरी धक्का मार कर अपना लंड जड (रूट) तक शाज़िया की गान्ड में डाला।और अपने लंड के आतिश फिशन को खोल कर अपनी बहन शाज़िया की गान्ड में पानी का एक सैलाब बना दिया।
दोनो बहन भाई मज़े और चुदाई की शिद्दत से निढाल हो कर बिस्तर पर गिर पड़े।
ज़ाहिद का बड़ा और मोटा लंड अपनी बहन की गान्ड और चूत के जूस से भरा हुआ था और उस की टाँगों के दरमियाँ अब थोड़ा ढीला हो कर हिचकोले खा रहा था।
जब कि शाज़िया की गान्ड अपने भाई के मोटे और बड़ा लंड को अपने अंदर समेटे अभी तक "फक फक" करते हुए खुल और बंद हो रही थी।
जारी रहेगी