अम्मी बनी सास 054

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भाई बहन के बीच जिस्मानी ताल्लुकात.
2.1k words
4.4
221
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Part 54 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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आज अपनी ही सग़ी बहन से अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने के बाद ज़ाहिद के ज़हन में ये ख्याल आया। कि जैसे वाकई ही उस की सग़ी बहन उस के लिए बनी थी।

क्यों कि अगर ऐसा ना होता। तो शायद या तो शाज़िया का तलाक़ ना होता और अगर होता भी तो उस के बाद अब तक वह किसी और से शादी कर-कर अपना घर दुबारा बसा चुकी होती।

और शायद ज़ाहिद ने अपनी ही सग़ी बहन से नकली शादी कर के उस को अपनी बीवी का दर्जा देना था। इसी लिए अम्मी के हज़ार बार कहने के बावजूद ज़ाहिद ने अभी तक शादी नहीं की थी।

ये ख्याल ज़हन में आते ही ज़ाहिद अपनी बहन की पीठ पर लेटे-लेटे इंडियन मूवी का ये गाना अपनी बहन के कान में गुनगुनाने लगा:

" कभी-कभी मेरे लंड को ख्याल आता है. कि जैसे तेरी चूत को बनाया गया है मेरे लिए। तू इस से पहले बस रही थी, इस घर में कहीं, तुझे अम्मी ने घुसाया है, इस कमरे में मेरे लिए। सुहाग रात है, गान्ड फाड़ रहा हूँ में क्योंकि, इसे तू ने अभी तक बचाया था, सिर्फ़ मेरे लिए।"

शाज़िया अपने भाई के मुँह से ये गाना सुन कर शर्म से लाल हो गई.फिर उस के बाद सारी रात दोनों बहन भाई ने खूब दिल खोल कर चुदाई की।

और फिर रात के आखरी पहर दोनों बहन भाई थक हार कर एक दूसरे की बाहों में ही सो गये।

उधर उस रात ज़ाहिद के घर की ऊपर वाली मंज़िल में जमशेद भी अपनी ही बहन के दूल्हा के रूप में अपने कमरे में दाखिल हुआ।

जिधर उस की अपनी ही सग़ी बड़ी बहन आज उस की दुल्हन बनी हुई जमशेद के इंतिज़ार में बैठी थी।

वैसे तो जमशेद इस से पहले भी कई सुहाग रातें अपनी बहन नीलोफर के साथ गुज़ार चुका था।

मगर आज मुकम्मल तौर पर एक दूल्हा दुल्हन के रूप में सज धज कर सुहाग की सेज पर अपनी सुहाग रात मनाने का ये तजुर्बा उन दोनों बहन भाई के लिए भी बिल्कुल नया ही था।

जमशेद को आज अपनी बहन की चूत का मज़ा चखे हुए काफ़ी दिन हो चुके थे।

जिस की वजह से कमरे में दाखिल होते वक्त जमशेद का लंड फुल तन कर उस की शलवार में खड़ा हो चुका था।

फिर कमरे में आ कर ज़ाहिद की तरह जमशेद ने भी अपनी दुल्हन बहन को मुँह देखाई में सोने का एक सेट दिया।

ज्वेलरी तो वैसे ही दुनिया की हर औरत की कमज़ोरी होती है। इसीलिए शाज़िया की तरह नीलोफर भी अपने ही सगे दूल्हा भाई से अपनी मुँह दिखाई का तोहफा वसूल कर के बहुत खुश हुई और उस ने अपने भाई जमशेद को बिस्तर पर लेटा कर उस के गालों को चूम लिया।

"आज सिर्फ़ गालों पर प्यार करने से काम नहीं चलेगा बाजी" ये कहते हुए जमशेद ने अपनी बहन के जिस्म से उस के सारे कपड़े एक-एक कर अलग कर दिए और फिर खुद भी फॉरन ही नंगा हो गया।

जमशेद के लंड की तरह नीलोफर की गरम चूत भी पिछले चन्द दिन से लंड से महरूम रही थी। इसी लिए अब इस वक्त नीलोफर की चूत भी काफ़ी गरम और प्यासी हो कर अपना पानी छोड़ रही थी।

जमशेद के कपड़े उतरते ही उस का लंड नग्ना हो कर नीलोफर के सामने आया। तो अपने भाई के लंड को देख कर नीलोफर उस के सामने बैठ गई और उस ने अपने भाई के जवान और आकड़े हुए लंड को अपनी ज़ुबान से सक करना शुरू कर दिया।

जमशेद का सख़्त लंड ज्यों ही उस की बहन की गरम ज़ुबान और उस के नरम होंठो से रगड़ ख़ाता हुआ नीलोफर के मुँह के अंदर बाहर हुआ। तो मज़े की शिद्दत से जमशेद बे हाल हो गया।

अपने भाई के लंड को बेचैनि से चुसते हुए नीलोफर का दिल चाहा कि उस का भाई जमशेद जल्द आज़ जल्द उस की पानी छोड़ती चूत में अपना खड़ा हुआ लंड डाल कर उस की चूत की गर्मी को दूर कर दे।

उधर अपनी बहन नीलोफर की तरह जमशेद की भी दिली ख्वाहिश कुछ ऐसी ही थी।मगर उस के इरादे आज थोड़े मुक्तलिफ से थे।

असल में बात कुछ यूँ थी। कि अपनी बहन की चूत को पहली बार चोदने के बाद से जमशेद अपनी बहन नीलोफर की गान्ड को चोदने का ख्वाहिश मंद रहा था।

लेकिन एएसआइ ज़ाहिद से अपनी गान्ड की सील तुड़वाने के बावजूद नीलोफर ने आज तक कभी अपने भाई को अपनी बुन्द (गान्ड) का मज़ा नहीं चखाया था।

इसी लिए जमशेद आज अपनी बहन के साथ अपनी शादी शुदा जिंदगी का आगाज़ उस की मोटी गान्ड के छेद में अपना लंड डाल कर करना चाहता था।

फिर कुछ देर अपने भाई के लंड को चूसने के बाद नीलोफर बिस्तर पर लेट गई.और उस ने लेटते ही अपनी गुदाज जाँघो को खोल कर अपनी गरम फुद्दि के देने पर अपने हाथ को रखा कर ज़ोर से रगड़ते हुए अपने भाई से कहा"उफफफफफफफफफफफ्फ़! जमशेद! अब आ कर डाल भी दो ना अपना लंड मेरी फुद्दि में भाईईईईईईईईईई!" ।

नीलोफर अब अपने भाई के लंड को अपनी फुद्दि में जज़्ब करने के लिए इतनी बेताब हो चुकी थी। कि अब उस को एक लम्हा भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।

जब जमशेद ने अपनी बहन को उस के लंड के लिए यूं बेचैन होते देखा। तो उस के होंठो पर एक मुस्कराहट फैली ।

जमशेद ने अपने मोटे लंड को अपने हाथ से मसल्ते हुए बिस्तर पर नंगी बैठी अपनी बहन नीलोफर से कहा "निलो बाजी क्यों ना आज हम अपनी सुहाग रात का आगाज़ गान्ड चुदाई से करें मेरी जान" ।

नीलोफर की चूत में उस वक्त गरम आग के शोले भड़क रहे थे। इसीलिए वह चाहती थी कि उस का भाई पहले उस की फुद्दि में लंड डाल कर उस की गर्मी को दूर करे। इसीलिए वह मज़े से सिसकारी लेती हुई बोली "नहियीईई! पहले मेरी फुद्दि में लंड डालूऊऊऊऊऊ! नहियीईईईईईईईईई! तो में मररर्र्र्र्ररर! जाओंन्नोनणणन्! गी! भाईईईईईईईईईईईई!" ।

जमशेद ये बात अच्छी तरह जानता था। कि अगर उस ने अपनी बहन की बात मानते हुए उस की चूत की खुराक (चूत की खारिश ख़तम) कर दी।तो फिर हमेशा की तरह नीलोफर उसे अपनी गान्ड का मज़ा नहीं चखने देगी ।

इसीलिए जमशेद के लिए ये सुनहेरी मोका था। जब वह अपनी बहन से अपनी बात मनवा कर उस की मोटी गान्ड की गहराइयों की सैर कर सकता था।

ये ही वजह थी कि नीलोफर के इसरार के बावजूद जमशेद बिस्तर के किनारे पर खड़ा हो कर अपने लंड को मसलता रहा और अपनी बहन के जज़्बात को भडकाता रहा।

जब नीलोफर ने देखा कि उस का भाई जमशेद आज अपनी ज़िद पूरी करने पर तूल गया है। तो उस ने भी अपने भाई के लंड के आगे हर मानते हुए सुहाग की सेज पर उल्टा लेट कर अपनी गान्ड को हवा में खड़ा कर दिया।

ज्यों ही नीलोफर बिस्तर पर घोड़ी बन कर लेटी.तो जमशेद फॉरन अपनी बहन की मस्तानी गान्ड के पीछे आया और अपनी बहन की कमर को पकड़ते हुए बोला, "हाईईईईईईईईईईईईई!, मेरी बहन क्या ज़ालिम गान्ड हैं तुम्हारी, नीलो बाजी में तुम्हारा बहुत शूकर गुज़ार हूँ कि आज तुम ने मुझे अपनी गान्ड का ये तोहफा दे ही दिया मेरी जान!"

इस से पहले कि नीलोफर कुछ कह पाती। जमशेद ने अपनी बहन की गान्ड के सुराख पर थूक लगाया और अपना लंड नीलोफर की बंद के सुराख पर रख कर एक ज़ोर दार धक्का मारा।

तो जमशेद का लंड अपनी बहन की पहले से खुली हो गान्ड की गरम तह में "गुप्प्प्प" की आवाज़ के साथ दाखिल हो गया।

नीलोफर की गान्ड को ज़ाहिद के मोटे लंड ने पहले से की चोद-चोद कर रवाँ कर दिया था।

मगर इस के बावजूद आज पहली बार अपनी बहन की गान्ड में लंड डाल कर जमशेद की बरसों की ख्वाहिश पूरी हो रही थी।

इसीलिए अपनी बहन की चुदि हुई गान्ड में अपने लंड को पहले ही जमशेद के मुँह से एक सिसकारी निकली "हाईईईईईईईईईईईईईईईई!" और उस का लंड फिसलता हुए उस की बहन की गान्ड में धँस गया।

जब के जमशेद के मोटे टूटे नीचे से उस की बहन की गरम और पानी छोड़ती फुद्दि से टकराई. तो नीलोफर भी सिसक उठी "ओह भाई" ।

"उफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या मज़ा है तुम्हारी गान्ड में मेरी बहन, में अब कभी बिना तुम्हारी गान्ड मारे तुम को नहीं छोड़ूँगा मेरी जान, हाआआअ तुम्हारी इस गान्ड ने तो मेरे लंड को अपनी गिरफ़्त में ले कर पागल बना दिया है जानू" । जमशेद ने ज्यों ही अपने बहन की गान्ड में घुसे हुए अपने लंड पर अपनी बहन की गान्ड की गर्मी महसूस की। तो वह भी मस्ती में आते हुए सिसकार उठा।

अब कमरे में सूरते हाल कुछ यूँ थी। कि नीलोफर अपने सुहाग के बिस्तर पर पेट के बल हुई थी। जिस की वजह से पीछे से उस की गान्ड पूरी तरह ऊपर को उठी हुई थी।

अब जमशेद अपनी बहन के कंधे पकड़ कर उसे पीछे से ढके पा धक्का लगा कर ज़ोर से अपनी बहन की मस्तानी गान्ड को पहली बार छोड़ कर मज़े ले रहा था।

कुछ देर अपनी बहन की गान्ड मारने के बाद जमशेद ने अपना लंड निकाल कर नीलोफर की पानी छोड़ती चूत में दाखिल कर दिया।

तो नीलोफर को यूँ सकून मिला। जैसे किसी ने सख़्त गर्म दोपहर में उस के तपते जिस्म पर बरफ (आइस) वाला पानी उडेल दिया हो।

अपने भाई के गरम जवान लंड को अपने अंदर समेट कर शाज़िया की तरह नीलोफर की गरम और प्यासी चूत भी बाग-बाग हो गई।

जमशेद अब अपनी बहन की चूत में झटके पर झटके लगा रहा था।

फिर कुछ देर बाद नीलोफर अपने भाई के इन ज़ोर दार झटको के आगे हर मान गई और उस की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया।

तो जमशेद ने उस के साथ ही अपना पानी भी अपनी बहन नीलोफर की चूत में फारिग कर दिया।

यूँ ज़ाहिद के साथ-साथ जमशेद ने भी अपना सुहाग वाला पानी अपनी बहन नीलोफर के जिस्म में डाल कर उसे अपनी बीवी का दर्जा दे दिया।

उधर आज उस घर में सिर्फ़ दोनों बहन भाई कि ये जोड़ियाँ ही नहीं थी। जो रात के इस वक्त तक जाग रही थी।

बल्कि उन के अलावा उस घर में एक तीसरी हस्ती भी ऐसी थी। जो रात के उस पहर अपने बिस्तर पर पड़ी करवट बदल रही थी।

और वह सख्सियत कोई और नहीं बल्कि ज़ाहिद और शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी थी।जिसे आज अपनी नींद की गोली खाने के बावजूद भी नींद नहीं आ रही थी।

इस की वजह ये रही थी। कि ज्यों ही अपने बेटे ज़ाहिद को "वालिमा जायज़ होना चाहिए" कह कर रज़िया अपने कमरे में आई. तो कमरे तक आते-आते रज़िया बीबी की साँसे फूल चुकी थी।

आज रज़िया बीबी ने अपने रेग्युलर कमरे में सोने की बजाय घर के दूसरे कोने में बने हुए गेस्ट रूम में सोने का इरादा किया था। इसीलिए वहाँ तक आते-आते रज़िया बीबी थक गई थी।

असल में रज़िया बीबी जान बूझ कर आज गेस्ट रूम में इसीलिए सोना चाहती थी। क्योंकि ये कमरा ज़ाहिद के कमरे से दूर होने की वजह से रज़िया बीबी को इस कमरे में अपने बच्चो की आवाज़ें आने का ख़तरा कम था।

रज़िया बीबी की सांस के फूलने की दूसरी वजह ये थी। कि ज्यूँ ही रज़िया बीबी ने अपने बेटे से वालिमे वाली बात कही।तो रज़िया बीबी को फॉरन अहसास हुआ कि उस ने बे ख्याली में अपने ही सगे बेटे को ये किया कह दिया है।

इसीलिए रज़िया बीबी को ज्यों ही अपनी बात के मतलब का अहसास हुआ।तो उसे शरम के मारे अपने बेटे के साथ आँखे मिलाने की हिम्मत नहीं हुई.और वह तेज़ी से चलती हुई गेस्ट रूम की तरफ बढ़ी।

मेहमान खाने (गेस्ट रूम) की तरफ आते-आते रज़िया बीबी ने अपने कमरे से अपनी मेडिसन की बॉटल्स और पानी का ग्लास लिया।

फिर गेस्ट रूम में दाखिल हो कर रज़िया बीबी ने जल्दी से दरवाज़ा लॉक किया और खुद बिस्तर पर बैठ कर अपनी बिखरी सांसो को संभालने लगी।

कुछ देर बाद अपनी हालत ठीक होने के बाद रज़िया बीबी ने अपनी दवाई खाई.और उस के साथ ही वह सोने के लिए बिस्तर पर लेट गई।

बिस्तर पर लेटे हुए बे इख्तियारि में रज़िया बीबी एक हाथ उस की शलवार के ऊपर से आ कर उस की फुद्दि पर टिक गया।

अपनी फुद्दि पर हाथ पड़ते ही रज़िया बीबी को यूँ महसूस हुआ जैसे उस की चूत थोड़ी नम (वेट) है।

रज़िया बीबी ने सोचा कि शायद कुछ देर पहले पिशाब करने के बाद चूत को धोने की वजह से उस की चूत इस हालत में है।

इसी लिए रज़िया बीबी ने इस बारे में कुछ और सोचने की बजाय बिस्तर पर ढेर हो कर सोने के इरादे से अपनी आँखे बंद कर लीं।

मीडिसन में नींद की दवाई शामिल होने की वजह से आम तौर पर रज़िया बीबी दवाई खाने के कुछ टाइम बाद ही सो जाती थी।

मगर आज घर में मेहमान दारी की वजह से रज़िया बीबी काफ़ी थकि होने के बावजूद अब बिस्तर पर लेटने के काफ़ी देर तक सो नहीं पा रही थी।

रज़िया बीबी जब बिस्तर पर लेटे-लेटे थक गई. तो उसने बे इख्तियारी में बेड के साइड टेबल से टीवी का रिमोट हाथ में उठा लिया।

जारी रहेगी

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