ससुर को अपने जाल में फ़साया

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उम्मम्मम्म स्लउपपपपप पूछहःछःह की आवाजें निकालते हुए मैं कभू उनकी गांड, कभी टट्टे तो कभी उनका काला लौड़ा अपने मुँह से गीला करती रही, ससुरजी ने भी मेरे चुत में दो उँगलियाँ रगड़ते हुए मेरी गांड का छेद अपनी जीभ की नोंक से चोदने लगे. मैं उनका ये जुलुम ज्यादा देर तक बर्दास्त नहीं कर सकी, अपनी भारी गांड ससुरजी के मुँह पर दबाकर मैं चीखते हुए अपना चुतरस उनके चेहरे पर उड़ाने लगी. मेरे थरथराते बदन को जखड़ते हुए मेरे ससुरजी ने अपना मुँह मेरे चुत में दबा लिया और चुत से निकलती एक एक बूंद पिने लगे.

मेरे चुत से निकला झरना ससुरजी को पिलाते हुए मैं मदहोशी में बोल पड़ी, "आआह्ह्ह्हह साले मादरचोड़ड़ड़ड़ड़ पि जायआ मेरा मूत कुत्तेईईई, मर गईइइइइइइइइ बाबूजीइइइइइइइ "

ससुरजी का लौड़ा मेरे मुट्ठी में दबा पड़ा था तो उन्होंने ने भी मेरा सर फिर से अपने लौड़े पर दबाकर कहा, "तेरे माँ का भोसड़ा साली रंडी, चूस तेरे बाप का लौड़ा रंडी की औलाददददद, मुझे कुत्ता बोलती है साली मादरचोद"

उनके आदेश को मानते हुए मैंने फिर से ससुर जी का लौड़ा मुँह में भर लिया, जितना हो सके उतना अंदर लेने की कोशिश करते हुए मैं कई बार उस पर थूक देती और जोर जोर से सड़का लगाती. मेरे गीले चुत को उँगलियों से मसलते हुए उन्होंने एक बार फिर मेरा भोसड़ा गरम करना चालू किया, उनकी जीभ से मेरे गांड में घुसी गुदगुदी सी हो रही थी. मेरे भोसड़े पर ऐसा जुलुम कभी नहीं हुवा था, बेदर्दी से मसलने के कारण मेरा भोसड़ा लाल हो चूका था और मेरे चूसने से ससुरजी का लंड भी फूल चूका था.

कुछ देर मेरा भोसड़ा खाने के बाद ससुरजी ने मुझे अपने आप से दूर करते हुए मेरे बाल खिंच कर कहा, "बस हो गया छिनाल, कितना मुतेगी मेरे मुँह में साली, चल जीभ बाहर निकाल कर बैठ निचे"

बिस्तर से निचे उतारते हुए मैं घुटनों के बल निचे बैठ गयी तो ससुरजी ने लौड़े से मेरे गालों को पीटना चालू किया, मेरे मुँह पर थूकते हुए वो मुझे और मेरी माँ को गालियां देने लगे. मेरे मुँह में लंड घुसाकर वो मेरे मुँह को ऐसा चोद देते जैसे की मेरा मुँह नहीं मेरी चुत हो, लंड का सूपड़ा गले तक घुसाके कुछ देर ऐसे ही दबाके रख देते. ऐसे जंगली व्यवहार से मेरी आँखों से पानी बहाने लगा, मेरा काजल भी पानी के साथ बहकर मेरे गालों से निचे टपकने लगा. अचानक मेरी तरफ़ पीठ करते हुए वो आगे झुके और दोनों हाथों से अपनी गांड खोलकर मेरे मुँह पर दबा दी.

एक हाथ से मेरा सर गांड में दबाकर उन्होंने कहा, "देख क्या रही है रंडी की औलाद, चाट ले तेरे ससुर की काली गांड मादरचोड़द्द, घुसा तेरी जीभ मेरे गांड में चोद मेरी गांड जीभ से कुत्तिया"

ससुरजी का मरदाना वहैशी रूप देख कर मैं चुपचाप मेरी जीभ उसके गांड में घुसा दी, गांड का छल्ला ठीक मेरे आँखों के सामने बौक-बौक करते हुए खुलने-बंद होने लगा था. मैं ख़ुद अब ससुरजी के चुत्तड़ फ़ैलाकर गांड में अपना मुँह दबा दिया, उन्होंने ने भी पूरी तरह झुकते हुए उलटे होकर मेरे चुत पर अपना एक हाथ ले गए. उँगलियों से मेरे फुद्दी के दरवाजें तोड़कर उन्होंने मेरे चुत का दाना दो उंगलिओं से पकड़ा और उसे बाहर की तरफ़ खींचने लगे. गांड का छल्ला चाटते हुए भी मेरे मुँह से भयंकर सिसकियाँ निकलने लगी, फुद्दी के अंदर उठती तरंगे मेरे पुरे बदन को हिला रही थी.

कुछ देर अपनी गांड मेरे जीभ से साफ़ करवाने के बाद उन्होंने मेरे बाल खींचकर मुझे जोर से थप्पड़ मार दिया, मेरे मुँह पर थूकते हुए मुझे घसीटने लगे. कमरे में लगे एक बड़े से शीशे के सामने लेकर मुझे खड़ा किया, मेरा उजड़ा हुवा मुँह देख के मुझे लगा की मैं कोई पैसे देकर बुलाई गयी रांड हूँ. चेहरे को काला करते हुए टपकता मेरे आँखों का काजल, बिखरे हुए बाल और ओंठों को बेदर्दी से चूसने से उनमें से निकलता खून देखकर मैं हैरान हो गयी. मेरे सीना तो अनार की तरह लाल हो चूका था, हर जग़ह पर काटने के और चूसने के निशान बने हुए थे.

मेरे नंगी गांड पर थप्पड़ मारते हुए ससुरजी बोले, "देख ले माया रंडी की बेटी, बिलकुल इसी तरह मैंने तेरे उस रंडी माँ को भी इसी कमरे में नंगी करके चोदा था, तेरे बाप को दारु पिलाकर उसके सामने तेरी माँ को रंडी बना दिया था बहनचोद"

मेरी माँ के बारे में ऐसी बात सुनके मुझे बहोत बुरा लगा पर हवस में अंधी होकर मैंने ससुरजी की बत्तमीज़ी नजरअंदाज कर दी. मेरी पीठ को आगे धकेलते हुए उन्होंने मुझे झुका दिया, अपना थूक निकाल कर उन्होंने लाल सूपड़े को गिला कर दिया और पीछे से मेरे चुत पर टिका दिया. मेरे दोनों चुत्तड़ फ़ैलाते हुए उन्होंने एक जोर का धक्का दिया तो ससुरजी का लंड मेरे चिपचिपी चुत में छुरी की तरह घुसता चला गया. आआह्ह्ह्हह्ह बाबुजीईई की चींख पुरे कमरे में गूंज उठी पर ससुरजी ने बिना कोई दया किये जोर जोर से मेरा भोसड़ा चोदने लगे.

जैसे ही उनके लंड को मेरी चुत ने अपना लिया तो उन्होंने दोनों हाथों से मेरे कंधे पकड़ लिए ताकि उनके तेज़ धक्कों से मेर कही आगे जा गिर जाऊँ। सूपड़ा चिपचिपाती चुत की दीवारें रगड़ते हुए अंदर बाहर होने लगा, बड़े दिनों के बाद मैं आख़िरकार चुद रही थी. चुदाई का ऐसा सुख मिलने से में भी ख़ुद अपनी गांड पीछे धकेलते हुए ससुरजी के धक्कों का ज़वाब देने लगी. मेरी इस हरकत से ख़ुश होते हुए ससुरजी ने मेरे कंधे छोड़ दिए और दोनों हाथों से मेरे चुत्तड़ पिटने लगे. मेरी ३८ इंच की फूली हुई गांड उनके हर धक्कों से थरथरा उठाती, चरबी आगे पीछे होने के कारण तरंगे उठने लगी थी.

बदन से बदन टकराने से थप-थप की आवाजें निकलने लगी, कमरे के बाहर से अगर कोई सुन लेता तो उसे पता चल जाता की अंदर एक औरत रंडी की तरह चुद रही है. आँखे बंद करके मैं मज़े ले ही रही थी की ससुरजी ने अपना एक हाथ मेरे पेट से निचे ले जाते हुए मेरी चुत पर हल्ला बोल दिया. आगे से उनकी उंगलिओं ने और पीछे से ससुरजी के लौड़े ने मेरी चुत पर एक साथ हमला बोल दिया. ससुरजी के लौड़े का सुपड़ा गहराई तक जाकर मेरे बच्चेदानी पर आघात कर रहा था. मेरे चुत पर हो रहे इस हमले से मैं एक बार फिर झड़ने के करीब आ चुकी थी. ससुरजी का हाथ पकड़े हुए मैंने उनको रोकने की कोशिश की पर वो अपना काम करते रहे.

दोनों तरफ़ से चली चुदाई ने मेरी चुत की माँ चोद दी और मैं फिर से फड़फड़ाकर मूतने लगी, मेरे चुत का रस ऐसे बहने लगा जैसी की मैं सच में मूत रही हूँ. जैसे ही मैं झड़ने लगी तो ससुरजी ने अपने धक्कें रोकते हुए लंड बाहर निकला और झट से निचे बैठ गए. मेरी गांड को फ़ैलाते हुए उन्होंने अपना मुँह सीधा मेरे झड़ने वाली चुत पर दबा लिया और जीभ चुत में घुसाके चुतरस पिने लगे. मैंने भी अपनी गांड ससुरजी के मुँह पर दबाते हुए झड़ने लगी, आँखे बंद करके मैं उस स्वर्गसुख को भोग रही थी और मेरे ससुरजी प्यासे कुत्ते की तरह मेरा भोसड़ा चूस रहे थे.

मेरे चुतरस की एक-एक बूंद निचोड़ने के बाद ससुरजी खड़े हुए और मेरे बाल पकड़ कर उन्होंने मुझे घसीटकर बिस्तर पर पटक दिया. अचानक बिस्तर पर गिरने से मेरी चूँचिया थरथराने लगी, मेरा नंगा बदन देख ससुरजी ने बिस्तर पर छलांग लगाई और मेरे सामने आकर बैठ गए. मेरी दोनों टाँगे खोलके मेरी चुदी हुई भोसड़ी पर अपना सूपड़ा रगड़ते हुए वो मेरे तरफ़ देख मुस्कुराने लगे. दोनों हाथों से मेरी चूँचियाँ काबिज़ करते हुए उन्होंने फिर से तगड़ा झटका देते हुए पूरा लौड़ा मेरे चुत में घुसा दिया और धीरे धीरे से धक्के लगते हुए मेरे ऊपर छा गए.

मेरे कान की लौ चूसते हुए उन्होंने मेरे कान में कहा, "कैसे लगा मेरा लौड़ा बहुरानी? तेरी भोसड़ी का पानी पीकर आज मैं धन्य हो गया मेरी रांड"

ससुरजी के लौड़े के धक्कों का मजा लेते हुए मैं बोली, "हाँ बाबुजीईई ऐसे ही चोदो, रंडी ही बना लोओओओओ मज़ा आ रहा हैईईईई बाबूजीइइइइइइ"

मेरे मुँह से अपनी तारीफ़ सुनके ससुरजी ने और ताकत से मेरे चुत को रौंदना चालु किया, मेरी टाँगे अपने कंधे पर लेते हुए ससुरजी मुझ पर टूट पड़े. चुत अब उनके लौड़े के सामने नंगी पड़ी थी, बिना किसी रोकटोक से सूपड़ा मेरी चुत की दीवारें चीरता हुवा मेरे बच्चेदानी को ठोकर मारने लगा था. मेरी चूँचियाँ बारी बारी से चूसते हुए ससुरजी बेधड़क चुदाई कर रहे थे. उनके माथे पर छलकी पसीने की बुँदे मेरे सीने पर टपक रही थी तो मैंने पानी जीभ से उनके माथे को चाट लिया, ससुरजी के प्यार से पागल मैं कुछ भी कर रही थी. अगले कुछ देर तक उन्होंने ऐसे ही मुझे उनकी रंडी बनाकर जमके पेला और अचानक से लौड़ा बाहर निकाल कर वो मेरे सीने पर आकर बैठ गए.

अपना लंड मेरे ओंठों पर रगड़ते हुए ससुरजी बोले, "ले रंडी की औलाद, चूस तेरे बाप का लौड़ा छिनाल, देख कैसे तेरा भोसड़ा स्वादिष्ठ पानी निकाल रहा है मादरचोद"

मैं झट से ससुरजी का लौड़ा मुँह में लिया तो उन्होंने ने मेरे सर पर हाथ रखते हुए अपनी कमर आगे पीछे करने लगे. मेरे ही चुतरस से भीगा उनका लौड़ा मैं चूसने लगी, उनके टट्टे मेरी ठुड्डी पर रगड़ रहे थे. एक हाथ से उनका लंड सहलाते हुए मैंने दूसरे हाथ से उनके टट्टे पकड़ लिया और मेरी जीभ उनके सूपड़े पर घुमाने लगी. ससुरजी अपनी गांड के निचे मेरे चूंचे दबाते हुए मुझे मेरे ही चुतरस का स्वाद दिला रहे थे. मैं भी उनकी रखैल बनते हुए उनको खुश करने का प्रयास करने लगी, कभी ससुरजी का लौड़ा तो कभी उनके काले जामुन भी चूसने लगी.

कुछ देर लौड़ा चुसवाने के बाद ससुरजी मेरे बगल में बैठ गए और मुझे धक्का देकर पेट के बल लिटा दिया. ससुरजी के सामने मेरी गदरायी गांड नंगी पड़ी थी, मेरे पीठ सहलाते ससुरजी ने मेरे नरम नरम चूतड़ों को मसलना चालू किया. गांड को दोनों हाथों से फ़ैलाते हुए ससुरजी ने मेरी गांड का छेद अपने अंगूठे से दबा दिया और धीरे धीरे अंगूठा गांड में दबाने लगे. मनोज ने कई बार मेरी गांड को अच्छेसे रौंद दिया था इसीलिए अंगूठा बड़ी आसानी से मेरे गांड का छल्ला फ़ैलाता हुवा अंदर दाखिल हुवा, आआह्ह्ह्ह बाबाउजीयी कहते हुए मैंने उनका आभार माना.

गांड खुली हुयी देख कर ससुरजी खुश होते हुए बोले, "क्या बात है बेटी, लगता है मनोज ने तेरे सारे छेद फाड़ दिए है कुत्तिया, आज तो मज़ा आएगा तेरी गांड को फाड़ने में"

मैंने भी आँखे बंद कर उनके अंगूठे की मालिश का मज़ा लेते हुए कहा, "उफ्फफ्फ्फ़ बाबुजीईईई ऐसे ही रगड़ूऊऊओ, घुसा दो लौड़ा जल्दी गांड में, तड़प रही हूँ बाबुजीईईई"

मेरी चुदास देख ससुरजी मेरे पीछे आ गए और मेरी कमर पकड़ कर उन्होंने फिर से मुझे कुत्तिया बना दिया, मेरे चुत्तड़ खोलकर झट से उन्होंने अपना मुँह मेरे गांड में दबा लिया. ससुरजी की ख़ुरदरी जीभ मेरे गांड का छल्ला चाटने लगे तो मैं किसी सड़कछाप लावारिस कुत्तिया की तरह बुदबुदाने लगी. कभी गांड तो कभी चुत पर अपनी जीभ घुमाते हुए ससुरजी मुझे पागल कर रहे थे, वासना का ऐसा ख़ेल मैं आज पहली बार खेल रही थी. कुछ देर तक पानी लार से मेरी गांड अच्छेसे गीली करने के बाद ससुरजी पीछे घुटनों पर बैठ गए और अपना लौड़ा मेरे गीली गांड पर धर दिया.

मेरे बाल खींचते हुए ससुरजी बोले, "साली दोनों माँ-बेटी की गांड बिलकुल एक जैसी है बहनचोद ले माँ की लौड़ी, चुद ले अब मेरे लौड़े से हरामी कुत्तिया"

मैंने भी अपने हाथ पीछे करके मेरे चुत्तड़ खोलके कहा, "चोद दे ससुरजीई, रंडी की गांड में घुसा दे लौड़ा आज साले कुत्तेएएएएएएएए"

खुला निमंत्रण मिलते हुए ससुरजी ने आगे पीछे की बिना सोचे एक ही जोर का झटका दिया, उनका ८ इंच का लौड़ा मेरे गांड के सारे दरवाज़े तोड़ता हुवा पूरा अंदर तक घुसा. ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ ममीएइइइइइइइइ की चींख निकाल कर मैंने उनके लौड़े से बचने के लिए आगे की तरफ़ सरकने लगी पर तभी ससुरजी ने बाल पकड़ कर रोक दिया. ससुरजी के गरम गोटे मेरे चुत को चुम रहे थे, दर्द से बेहाल होकर मैंने ससुरजी का हाथ पकड़ कर अपने बाल छुड़वाने की कोशिश करने लगी. तभी ससुरजी ने मेरा हाथ पकड़ते हुए मेरे पीठ की तरफ़ ले गए, एक हाथ से बाल और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर उन्होंने पूरी तरह से मुझे उनके आगे झुका दिया.

लौड़ा सुपडे तक बाहर खींचते हुए उन्होंने फिर से जोर का झटका देते हुए कहा, "अब क्या माँ चुद गयी तेरी रंडी, आज के बाद इसी लौड़े से चुदेगी तू मादरचोद, अब झेल मेरा लौड़ा बेहेन की लौड़ी"

रात के सन्नाटे में मैं चींख चींख कर चुदवा रही थी, मेरे ससुरजी मुझे नंगी करके दो कौड़ी की रंडी बना चुके थे. उनका महाभयंकर लंड मेरे गांड को ऐसे चोद रहा था जैसे आज मेरे गांड का सच में गुड़गांव बन जाना है. कुछ देर तक उस लौड़े से मेरी गांड दर्द झेलती रही पर बाद में उसने भी लौड़े से दोस्ती कर ली, गांड का छल्ला अपने आप खुल कर लौड़े को झप्पी दे रहा था. मेरे गांड पर ससुरजी की जाँघ पटकने से थप-थप की आवाजें मेरे चुदाई की कहानी लिख रहे थे, शादीशुदा जोड़े की तरह ससुरजी उसकी बहु को बीवी बना कर चोद रहे थे.

आआह्ह्ह्हह उफ्फफ्फ्फ़ बाबुजीईई आईसीएएएएए की किलकारियां भरते हुए मैंने भी अपनी गांड ससुरजी के लौड़े पर पटकना चालू किया. आवारा खुले सांड की तरह ससुरजी मेरे ऊपर चढ़े थे, मेरी खुलती गांड का मज़ा लेते हुए उन्होंने मुझे अपनी चुंगल से रिहा किया और ऊपर उठाकर कुत्तिया बना दिया. कमरे में लगे शीशे में हमारी चुदाई दिखाई दे रही थी, धक्कों से थरथरी मेरी गांड और हिलती हुई चूँचिया देख कर मैं सच में रंडी लग रही थी.ससुरजी ने भी शीशे में देखते हुए मुझसे नजर मिलायी और मुस्कुराते हुए मेरे चूँचियाँ पकड़ ली.

मेरे पीठ पर अपनी छाती रखते हुए मेरे कान के पास आकर ससुरजी ने पूछा, "कैसा लगा बहुरानी? देख कैसे तेरी गांड मजे से मेरा लौड़ा ले रही है"

मैंने भी अपनी गर्दन उनके तरफ करते हुए उनको चूमते हुए कहा, "इस्सस बाबुजीईई कुछ मत कहियीईइ बस चोदो, ख़ूब चोदो मुझे रंडी बना लो बाबुजीईईई"

तेज़ तेज़ धक्कों से मेरा शरीर हिलने लगा, मेरी चूँचियाँ आते की तरह मसलते हुए ससुरजी मेरे गांड के मज़े ले रहे थे. चुदाई के तेज़ गति से पलंग से भी चरमर की आवाजे निकलने लगी. ६० साल का जवान बूढ़ा ससुर आज दो बच्चों की माँ बनी अपनी जवान बहु को धन्देवाली रंडी की तरह पेल रहा था. मैं भी उनके लौड़े की मार झेलते हुए मज़े से गांड चुदवा रही थी, मेरे हवस की आग बुझा रही थी, दो कौड़ी की रांड बन चुकी थी मैं.

मेरी सिसकियाँ बढ़ाते हुए मैंने बाबूजी को और उकसाया, "आआह्ह्ह्हह अम्माए चोदिये और जोर से बहनचोद, फाड़ दो बहु का गांड ससुरजीईईईई उफ्फ्फ्फ़ क्या मस्त लौड़ा है, माँ चुद गयी आ जजज्जज आअह्ह्ह्हह इस्स्स्सस्स्स"

बाबूजी ने भी मेरी बातों का जवाब देते हुए लौड़े को बाहर निकालते हुए फिरसे चुत में घुसा दिया. झुकने की वजह से लौड़े को अंदर घुसने में इतनी आसानी हुई की बहनचोद सीधा जाके मेरे बच्चेदानी से भीड़ गया. ऊपर उठते हुए ससुरजी ने अब मेरी चुदती हुई गांड के चुत्तड़ो की पिटाई चालू की, कभी दाया तो कभी बाया हाथ मेरी गोरी गांड को लाल करने लगा. चुत में जबरदस्त तरीके से चल रही रगड़न से फिर से मेरा पानी बहाने लगा, रगड़न से चुतरस का झाग बनके ससुरजी के लंड पर सफ़ेद परत चढ़ी थी.

चुदाई के लिए तरसती हुई मेरी आत्मा उनके तगड़े झटकों से संतुष्ट हो रही थी, मेरी जवानी का असली चीरहरण तो मेरे ससुरजी कर रहे थे. चुदने का मज़ा ले ही रही थी की ससुरजी ने फिर से लंड बाहर निकालते हुए मेरे गांड में परोस दिया, अचानक हुए हमले से मेरी चींख निकल गयी. ससुरजी पर तो मेरी चीखों का कोई असर नहीं हो रहा था, उलटा अपनी ताकत से वो मुझे और दर्द दे रहे थे. गांड की दीवारें ससुरजी के सूपड़े से चिपककर रगड़ रही थी, आअह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ की आवाजें करते हुए मैंने गांड मरवाने का भी मज़ा लेना चालू किया.

मेरी हवस देख ससुरजी मेरे चुत्तड़ पीटते हुए बोले, "क्या मस्त चुदवा रही है तू रंडी की औलाद, आज तेरे माँ की याद आ गयी बहनचोद, साली ऐसे ही रंडी की तरफ चुदी थी उस रात"

ससुरजी की बातों से मुझे बुरा लगना बंद हो चूका था, दमदार मर्द के सामने एक शादीशुदा औरत अपनी माँ की चुदाई सुनते हुए उसके लौड़े की गुलामी कर रही थी. ससुरजी भी कभी मेरी गांड तो कभी चुत को बारी बारी से चोदने लगे. जब उनका लंड गांड में होता तो वो मेरे चुत्तड़ पिट देते और जब मेरी चुत में होता निचे से मेरा दाना मसल देते. इस बेदर्द चुदाई से मैं थक चुकी थी, पूरा बदन पसीने से भीग रहा था पर ससुरजी रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. आईने में ख़ुदकी हालत देख मैं बस चुद रही थी, ससुरजी से ज़लील हो रही थी पर वासना की दलदल में मैं फस चुकी थी.

मेरा जोश काम होता देख ससुरजी ने मेरे चुत के अंदर तक लंड दबाते हुए लंड के किनारे से दो उँगलियाँ और घुसा दी मेरे भोसड़े में. मादरचोड़ड्डद्द कुत्तेएएएएएएएए कहते हुए मैंने उनका हाथ पकड़ा पर उनकी ताकत के सामने मेरी अधमरी ताकत ने घुटने टेक दिए. चुत की दीवारें खींचने से मुझे भयंकर दर्द हो रहा था, चुत लगातार पानी छोड़ रही थी और एक बार फिर से मैं भलभलाके झड़ने लगी. इस बार ना ही मैं चींखी और ना ही मेरे मुँह से कुछ निकला, सर कटी मुर्गी की तरह मैं सिर्फ फड़फड़ाते हुए झड़ने लगी, चुत का पानी ससुरजी के बिस्तर को गीला करने लगा.

ससुरजी ने भी मेरे झड़ने का सम्मान करते हुए उनके लंड को मेरे चुत में दबाकर रखा और बोले, "मूत मादरचोद, आज तीन बार तेरे भोसड़े का पानी मिला है, अब तो पूरी रात मुतेगी रंडी की औलाद"

मुझे झाड़ने के बाद बाबूजी ने उनका लौड़ा मेरे चुत से बाहर निकाला और मुझे धक्का देते हुए बिस्तर के कोने पर फेंक दिया. बदन की सारी ऊर्जा ससूरजी के लौड़े ने खिंच खिंच कर बाहर निकाली थी, मेरा मुँह बिस्तर के बाहर लटक रहा था और साँसों को काबू करते हुए मैं आँखे बंद करके लेटी हुई थी. मेरी हालत देख कर ससुरजी समझ गए की अब मैं चुदने की परिस्थिति मैं हूँ नहीं तो वो भी बिस्तर से निचे उतर गए और उनका लंड मेरे मुँह पर रगड़ने लगे. मेरी नंगी चूँचियाँ मसलते हुए उन्होंने कुछ देर तो ऐसे ही लंड को मेरे चेहरे पर मसाला और अचानक से सूपड़ा मेरे मुँह के अंदर दबाने लगे. मुझे भी लगा की अब ससुरजी को भी जल्दी से ख़ाली कर देती हूँ ताकि उनसे छुटकारा मिल सके.

मेरे बाल पकड़ कर उन्होंने मेरा मुँह ऊपर किया और लण्ड को मेरे मुँह पर दबाते हुए बोले, "देख क्या रही है जानेमन, चूस रंडी आज तू भी चख ले तेरे भोसड़े का रस कुत्तिया..."

ससुरजी के आदेश का पालन करते हुए मैंने उनका लौड़ा मेरे मुँह में भर लिया तो उन्होंने ख़ुद अपनी कमर आगे पीछे करते हुए मेरा मुँह चोदने लगे, मेरे चुतरस से भीगा उनका लौड़ा चूसने में मुझे भी बड़ा मज़ा मिल रहा था. कुछ देर पहले यही लौड़ा मेरे चुत में घुसा हुवा था ये सोच के मुझे और मजा आने लगा, एक हाथ से मेरा मुँह पकड़ते हुए दूसरे हाथ से बाबूजी मेरे बोबे और निप्पल्स भी मसलने लगे. लंड का सूपड़ा जानबूझके अपनी जीभ से रगड़ते हुए मैं उनको झाड़ने की कोशिश करने लगी, मेरी ये चाल भी सफल होने लगी. ससुरजी आँखे बन करते हुए मेरे बोबे जोर जोर से मसलने लगे, अब उनके मुँह से भी आह्ह्ह्हह बहुनरनईईई की सिसकियाँ निकलने लगी.

बड़ी देर तक लंड की खाल चूसने के बाद आखिर कार ससुरजी ने मेरे सामने उनके हथियार डाल दिए, लंड पूरा मेरे गले तक घुसाते हुए किसी सांड की तरह गुर्राने लगे.

मेरे दोनों चूँचे पूरी ताकत से गूंथकर ससुरजी बोले, "आआअह्ह्ह्हह्हह पूजाआआआ बेटीईईई मैंण्ण्ण्न गयाआआआ बहनचोद"

पिछले १ घंटे से चल रहा हमारा चुदाई समारोह अब समाप्त हो चूका था, ससुरजी के वीर्य ने मेरे गले से अपना रास्ता खोजते हुए मेरे पेट में अपना घर बना लिया. मैं भी बहोत सालों के बाद पूरी तरह से संतुष्ट होकर मर्द के वीर्य का स्वाद चटख़ारे मार कर ले रही थी. सासों को नियंत्रित करके ससुरजी ने उनका लौड़ा मेरे मुँह से बाहर खिंच लिया, उनके लंड पर जमी मेरे चुतरस की परत भी मैंने जीभ से साफ़ कर दी. मेरी रंडी वाली हालत देख कर ससुरजी हसते हुए खड़े हुए और वैसे ही बाथरूम की तरफ़ चले गये. मैंने थक-हार कर ऐसे ही कुछ देर नंगी लेटी रही पर बाद मैंने कुछ हिम्मत जुटाके मैंने अपनी नाइटी पहन कर अपने कमरे की तरफ चल पड़ी. अगले दिन मेरी बिगड़ी हुई चाल देख पडोसिओं ने पहचान लिया की कल रात मैं बुरी तरह से चुद चुकी हूँ. उस रात के बाद तो लगभग हर रात को मैं ससुरजी का बिस्तर गरम करने पहुँच जाती, और इस दौरान ससुरजी ने भी बता दिया की कैसे मेरी माँ ने उनके लौड़े की सेवा की है.

इस कहानी को लिखने के लिए मैं मानस जी का आभार करती हु की उन्होंने मेरे मन की बात आपके सामने पेश की. अगली बार बताउंगी की कैसे ससुरजी ने जान बुझके मुझे मेरे माँ की चुदाई दिखाई, आप सब अपना ख्याल रखे और मेरी आपबीती आपको कैसी लगी ये जरूर बताइयेगा.

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1 Comments
shang40shang40over 1 year ago

इतनी अच्छी कहानी और एक भी कमेंट नही... बूरा बात

मैं तो मर्द हूं और बहुत सी रिश्तेदार महिलाओंको चोदा है. लेकिन

ये लग रहा की ससुर बहू का अनैतिक संबंध सबसे बेहतर....

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