एक नौजवान के कारनामे 119

Story Info
मरीना का प्रेम निवेदन- मैं कुछ करूँ
975 words
5
142
00

Part 119 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 45

मरीना का प्रेम निवेदन

​अचानक वह झुकी और मेरे कान में फुसफुसायी, 'क्या मैं कुछ करूँ, कुमार?' उसी समय मेरी धोती या लुंगी पर अपना हाथ धीरे से रखते हुए उसने मुझे इशारा किया की वह अब क्या करना चाहती है। मैं उसके स्पर्श पर आंनद से कांप गया और प्रलोभन के सामने लगभग झुक गया, लेकिन मुझे वह जो प्रलोभन वह दे रही थी उस मधुर आनंद से वंचित रहने के लिए मैंने पर्याप्त आत्म-नियंत्रण बनाए रखा।

मरीना ने अपनी टाँगे खोली और अपनी मध्यमा उंगली को अपनी योनी में डालना शुरू कर दिया और अपने कूल्हों को आगे-पीछे करने लगी। वह धीरे से कराह रही थी, आह प्लीज अब मुझे मत तडपाओ ।

मरीना अब जल्दी से जल्दी एक युवा लड़की से महिला बनना चाहती थी और वह उस दिन के लिए तरस रही थी जब उसकी अपनी चूत में मेरा लंड प्रवेश कर उसकी योनि को वीर्य से भर देगा । मैंने उसे उठाया और चुंबन करके बोला तुम्हे अभी थोड़ा-सा और धीरज रखना होगा अभी रात्रि भोज का समय हो गया है और मुझे रात्रि भोज के लिए जाना होगा ।

मरीना ने अपनी मध्यमा उंगली की नोक को अपनी योनी के अंदर बाहर करना जारी रखा और उसे उस धड़कते हुए छिद्र के चारों ओर घुमा दिया। उसने अपने कूल्हों को अपनी उंगली के खिलाफ दबा दिया; उसकी कामोत्तेजना में अचानक वृद्धि से उसके होठों से आह ओह्ह्ह की कराह निकल रही थी।

उसकी उंगली उसकी योनी के अंदर और बाहर काम कर रही थी और उसकी चूत के रस के साथ उत्तरोत्तर तेज और गीली होती जा रही थी, उसने खुद को उत्तेजित किया और जल्द ही वह बिस्तर पर घुरघुरा रही थी और उत्साह से सिसकती हुई उत्साहित आनंद के उन्माद में हस्तमैथुन कर रही थी और शक्तिशाली झटके महसूस कर रही थी । उसके भगशेफ को वह अपने अंगूठे से छेड़ती रही। वह तब तक कराहती रही जब तक कि उसके कामोन्माद ने उसकी सेक्स की भूख को शांत नहीं कर दिया,, फिर वह वापस बैठ गई और आराम करने लगी।

फिर मैंने जल्दी से स्नान किया कपडे पहने त्यार हुआ रात्रि भोजन स्थल की और चला गया । इस बीच मैंने देखा रोजी मरीना को अपने साथ ले गयी और जब मरीना लौटी तो उसने लेहंगा चोली और चुनरी पहनी हुई थी और गोरी विदेशी लड़किया भारतीय कपड़ो और गहनों में बहुत सुंदर लगती ही हैं ।

वहाँ सभी मेहमान आ चुके थे । रीता और नीता और उनका सारा परिवार और अन्य मेहमान सभी आ चुके थे । भाई महाराज ने हम सबका आपस में परिचय करवाया । मेरा असली परिचय पाकर रीता और नीता का मुँह खुला का खुला रह गया और मैंने भी उन्हें आँख मार कर इशारा किया और उनसे ऐसे मिला जैसे मैं उनसे पहली बार मिला हूँ ।

राति भोज के बाद संगीत और नृत्य हुआ जिसमे दोनों नेहा पटेल और स्नेहा सोलंकी मौसियो और उनकी दोनों बुआओँ श्रीजा और बीना ने और परिवार की वधुओ स्मिता और मीना भाभी ने मिल कर डांस किया और नीता और रीता दोनों ने मिल कर एक अन्य डांस पेश किया और मुझे भी अपने साथ नचाया ।

सबने मिल कर इस पारिवारिक कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया और सब इसके बाद थक गए थे और रात के लिए सोने चले गए ।

कमरे में गए तो कमरे में सुरक्षा प्रमुख ईशा और मेरे प्रमुख सेविका रीती थी । ईशा ने मुझे बड़ी भाभी का सन्देश दिया की अब वह गर्भधान के लिए अपनी बारी का इन्तजार करने चाहती है और रोजी ने बताया रीता और नीता दोनों थकी हुई थी और सोने चली गयी हैं ।

उसके बाद मरीना ने कमरे में प्रवेश किया और वह दुल्हन के रूप में तैयार थी और मुझसे कहा कि मास्टर कृपया मुझे आज रात अपनी दासी के रूप में स्वीकार करें और मैं आपको खुश करने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ।

मुझे उस पर और उसकी प्यारी मुस्कान पर फ़िदा था। लेकिन आज मुझे एहसास हुआ कि उसकी मुस्कान कितनी सेक्सी थी।

मैं उसकी आँखें देख रहा था। उसकी आँखों में वासना युक्त प्यार था। मुझे पता है कि हम दोनों ने एक दुसरे की आँखों में यही देखा और महसूस किया था। मैंने उसके हाथ पर हाथ रखा और उससे कहा। यह सही नहीं है और आपको मुझसे कोई बेहतर मिलेगा।

हालाँकि मैंने इसे दिल से नहीं कहा, पर मैंने जो कहा वह उसके लिए बेहतर हो यही सोच कर कहा था।

मरीना बोली मास्टर लेकिन मैं आपसे प्यार बहुत करती हूँ और मुझे पता है कि आप भी मेरे लिए वही महसूस करते हो जो मैं महसूस करती हूँ।

यह कह, उसने मुझे गले लगाया और मेरी छाती को चूम लिया और मैंने भी उसे गले लगा लिया।

उसने मेरी आँखों को देखा और मुस्कुराई, "मास्टर मैं इस दिन का कब से इंतज़ार कर रही थी ।"

। मैं आपसे प्यार चाहती हूँ और आपसे प्यार करना चाहती हूँ और इसीलिए आज मैंने ईशा को बुलाया है वह आज रात को सुरक्षा की ड्यूटी करेगी।

मैं-तुम पागल हो, मरीना। मैंने उसे थोड़ा कसकर गले लगाया और उसे अपने बेडरूम में आने को बोला।

वह चुपचाप मेरे पीछे आ गयी। मैंने उसके गाल, गर्दन, कान, माथे और होंठो को चूमा। वह पहली बार सम्भोग करने वाली थी। मैं उसके दिल की धड़कन महसूस कर सकता था। मैंने मेरी कमीज, बनियान और पैंट उतार दी। मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा, उठा लिया उसकी टॉप में मेरा हाथ डाला और उसके स्तन दबा दिए।

मरीना-मास्टर, आप मुझे अपनी सेक्स गुलाम समझो। मैं चाहती हूँ आप मुझे कस आकर चोदे।

मैं-आपने यह सब कहाँ से सीखा?

मरीना-मैंने एक किताब पढ़ी थी और उसने मुझे इतना गीला कर दिया। मैं चाहती हूँ कि आप मेरा कौमार्य भंग करो। । मैं अब आपकी हूँ मेरे मालिक।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

story TAGS

Similar Stories

A Transforming Trip Ch. 01 A wife becomes a show off on a trip abroad.in Exhibitionist & Voyeur
The Princess of Cleves #01 A Pervy Version of a French Classic.in Novels and Novellas
Filming My First Lesbian Threesome A man films his girlfriend having sex with two women.in Lesbian Sex
Bernice Cuckolds Her Husband She had urgent needs that her hubby could not fulfill.in Mature
Housewarming Ch. 01 Eileen moves into a new home, and finds it 'wanting'...in Erotic Horror
More Stories