एक नौजवान के कारनामे 120

Story Info
मरीना से प्यार
984 words
5
185
00

Part 120 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 46

मरीना से प्यार

मरीना यूं ही किस करती हुई मुझसे लिपट गईं। मैंने धीरे-धीरे उसके चूचों को दबाना शुरू कर दिया। उसने भी मस्ती करना शुरू कर दी और उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया।

मरीना कामवासना से इतनी ज्यादा तप गई थीं कि उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं और कामुक आवाज गूंजने लगी।

मरीना ने कहा, "मास्टर, मुझे आपसे प्यार हो गया है। मैं जब भी आपको और लड़कियों की चुदाई करते हुए देखती थी मैं पूरी गीली हो जाती थी। प्लीज मास्टर मुझे भी प्यार करो। ।"

मेरा दिल थोड़ा-सा डोल उठा। मैंने उसके पास होकर उसे अपनी बाहों में भर लिया और अपनी खुरदुरी मांसल हथेलियों से उसकी कोमल नंगी बाहों को सहलाते हुए उसे ऊपर से नीचे तक देखा और फिर कहा तुम बिलकुल रसीली। मलाई हो जवानी से भरपूर और बला की खूबसूरत ।

जब मैंने उसके होंठों को चूमा तब जबरदस्त बिजली चमकी और एक धमाके की आवाज़ जैसे बादल गरज उठे।

मैंने बोला "एक बात कहूँ मरीना, तुम बहुत खूबसूरत हो... लेकिन मैं जब से यहाँ आया हूँ, मैंने देखा है कि तुमने अपने बालों को बड़े सुंदर तरीके से जुड़े में बाँध रखा है... अगर बुरा ना मानो तो क्या तुम अपने बाल खोलकर मुझे दिखाओगी?"

"हाँ हाँ, क्यों नहीं?" मरीना मुस्कुराई अब आप मेरे मास्टर हो जो आप कहोगे वही करुँगी और अपने-अपने बालों का जुड़ा खोलकर, बालों को अपनी पीठ पर फैला दिया... मैंने उसे निहारा और उसके बालों को दो-चार बार सहलाया और फिर बोला, "अरे वाह तुम तो खुले बालों में और भी ज्यादा खूबसूरत लगती हो। मैं एक बात कहूँ अपने बाल खुले ही रखा करें बहुत खूबसूरत दिखती हो खुले बालों में । "

मैं-अब मुझे पता है कि आप मुझे मास्टर क्यों कहती हो। मैं उसकी खूबसूरती में खोया हुआ था

मरीना फिर बोली, "प्लीज मास्टर मुझे प्यार करो।" और ये बोलकर वह मुझे चूमने लगी मैं मरीना के नरम होंठो के चुम्बनऔर खूबसूरती से मंत्रमुग्ध हो उसे चूमने लगा। हम दोनों उस चुंबन में डूब गए। मरीना को चुनरी को जमीन पर गिर गयी जिससे उसके ब्लाउज के भीतर कैद उसके स्तनों के बीच की गहरी दरार दिखाई दे रही थी और उसके आधे स्तन दिखाई दे रहे थे।

मैंने मरीना को कसकर गले लगाया और उसकी पीठ पर हाथ फेर दिया। वह ब्लाउज को कस कर रखने के लिए लेस से बंधा हुआ था। उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए मैंने उसकी डोरियों को खोल दिया।

मैंने अपनी उँगलियाँ उसकी नंगी पीठ पर दौड़ाईं और दोनों भुजाओं को अलग कर दिया और उसके बूब्स को उजागर करते हुए, उसके शरीर से उसका ब्लाउज खींच लिया। उसने नीचे देखा, थोड़ा शर्मायी और अपने स्तनों को अपनी बाहों से ढक लिया। उसने ब्लाउज के नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी। मैंने उसकी कलाइयों को पकड़ लिया और उसके स्तनों को फिर से मेरे सामने लाने के लिए उसकी बाँहों को अलग कर दिया।

मैं उसकी पीठ के पीछे चला गया और उसे पीछे से गले लगा लिया। मैं अब उसके कंधे और गर्दन को चूमने के साथ-साथ अपने हाथों से उसके स्तन के साथ खेला। जब मैं उसकी गर्दन पर चुंबन कर रहा था तो उसने पहले अपनी गर्दन को दाए और बाए किया जहाँ मैंने उसे चूमा और फिर उसने पाने गार्डन मेरे कंधे पर रख कर पीछे लुढ़का दी और मैं उसे उसी पोजीशन में उसके स्तन दबाता हुआ उसके ओंठो को किस करने के बाद उसके ओंठ चूसने लगा।

मैंने उसे बिस्तर पर मुंह के बल लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया और पीछे से उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके गोल नितम्बो पर अपना लंड चुभो दिया हलांकि वह अभी भी अपना लहंगा पहने हुए थी।

मरीना का लाल घागरा उसकी कमर के चारों ओर टाइट डोरी से बंधा हुआ था। मैंने घाघरा को ढीला करने के लिए डोरी खींची और लहंगे को नीचे करके पूरी तरह से हटा दिया। अब मरीना बिस्तर पर पूरी तरह नग्न अवस्था में पड़ी थी और उसका चेहरा नीचे की ओर था। मैं उसे चूमना और

उसके शरीर को चाटना जारी रखा।

मैंने उसे घुमाया और उससे थोड़ा दूर हो कर कलेटा और उसकी आँखों में देख बोला जबसे मैंने तुमको बिल्कुल नंगी देखा है तब से मेरा यकीन मानो मुझे ऐसा लगता है कि ऊपर वाले ने तुमको बहुत ही फुर्सत से बनाया होगा।"

यह कहकर कुछ देर तक मैं उसे ऊपर से नीचे तक निहारते रहा और वह अब नारी सहज लाज के कारण अपने हाथों से अपने स्तनों और गुप्तांगों को ढकने का एक असफल प्रयास कर रही थी।

मैं बोला, "मैं जानता हूँ मरीना तुम्हें शर्म आ रही है और अब तुम अपना रूप रंग अपनी उफनती जवानी मुझसे छुपाना चाहती हो। अगर तुम्हें छुपाना ही है। तुम मेरे सीने मैं छुपा सकती हो।" यह कहकर मैंने अपनी बाहें फैला दी और मरीना ने आव देखा ना ताव मैं सीधे मेरे से लिपट गई।

मैंने मरीना को अपने और करीब खींच लिया था हम दोनों की छातियाँ, पेट यहाँ तक निम्नांग भी आपस में बिल्कुल सट गए थे। मेरे आगोश में उसके स्तनों का जोड़ा मेरे सख्त सीने से दब कर उसके पहले से उत्तेजित पूरे बदन में एक सनसनी-सी फैल रही थी। मेरी बलवान भुजाओं के आगोश में सिमटती हुई मरीना मेरे पुरुषत्व के कठोर स्पर्श अपने कोमल अंग पर साफ महसूस कर रही थी।

उनकी नंगे बदन की छुयन का जैसे ही मुझे एहसास हुआ। मेरे पूरे बदन में एक अजीब-सी लहर दौड़ गई और मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गए और बाहर बहुत तेज बिजली चमकी और एक धमाके के साथ बादल गरज उठे।

कुछ ही पलों में हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगे वह भी मेरे पूरे बदन को चूम रही थी और चाट रही थी।मेरा चेहरा मेरा सीना और मैं उसके पेट और निचला हिस्सा सहला रहा था।मरीना तो अपना सुध बुध ही खो बैठी थी ।

दीपक कुमार

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous