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Click hereजब दोनो माँ बेटी की नज़रें आपस में मिलीं तो दोनो के होंठो पर एक मुस्कराहट फैल गई।
"अम्मी ने बात तो सही कही है, अब तो मुझे वाकई ही अपने भाई की बीवी की हैसियत से अपने भाई के साथ उसी के कमरे में रहना है।और अपने ही भाई की बीवी की हैसियत से भाई के बिस्तर को हर रोज़ गरम भी करना है" ये ही सोच सोचती हुई शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद के कमरे की तरफ चल पड़ी। ये वो ही कमरा था जहाँबेटे बेटी की चुदाई देखने की चाहत शाज़िया ने अपने ही भाई के साथ अपनी सुहाग रात बसर मना कर अपने ही सगे भाई के साथ मियाँ बीवी का रिश्ता कायम किया था।
"हाईईईईईई!ई मेरा बेटा अपनी बहन के इस मस्त जिस्म को देख कर उस का दीवाना बन गया है" अपनी बेटी शाज़िया को अपनी भारी गान्ड की पहाड़ियाँ हिला हिला कर अपने भाई के कमरे की तरफ जाता देख कर रज़िया बीबी ने अपने दिल में सोचा।
"वैसे देखा जाए तो शाज़िया तो अपने जिस्म और शकल से तो हूबहू मेरी ही कॉपी है,अगर ज़ाहिद को अपनी माँ की कॉपी वाली बहन का बदन बहा सकता है, तो हो सकता है कि मेरा बेटा जल्द ही अपनी अम्मी के असल जिस्म का भी आशिक़ बन जाए।" रज़िया बीबी ने अपने और अपनी बेटी शाज़िया के भारी जिस्मो का अपने ज़हन में कॉंपर्रिज़न करते हुए अपने आप से कहा, और शलवार के ऊपर से अपनी मोटी चूत पर हाथ रख कर अपनी चूत को खुजलाने लगी।
कुछ देर बाद शाज़िया कमरे से अपने कपड़े चेंज कर के लॉटी और किचन में मसरूफ़ हो गई।
फिर रात गये रज़िया बीबी और शाज़िया अपने घर के काम काज निपटा कर अपने अपने कमरों में सोने के लिए चली गईं।
आज भी रज़िया बीबी की नींद उस से आँख मिचोली खेलने में मसरूफ़ थी। जिस वजह से वो अपने बिस्तर पर लेटी करवटें बदल रही थी।
रात के तक़रीब 12 बजे के बाद रज़िया बीबी को घर का गेट खुलने और बंद होने की आवाज़ सुन कर अंदाज़ा हुआ कि ज़ाहिद अभी घर वापिस लोटा है।
"हाईईईईईईईईईईई। आब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब! मेरा बेटा अपने कमरे में जा कर अपनी सोई हुई बहन की टाँगे उठा कर उस की फुद्दि में अपना मोटा और बड़ा लंड पेलेगा।" ज़ाहिद के घर में वापिस दाखिल होने की आवाज़ पर रज़िया बीबी गरम हो कर सोचने लगी।और उस ने उंगली से अपनी फुद्दि को छुआ।
इतनी देर में रज़िया बीबी को ज़ाहिद के कदमो की आवाज़ आई जो अपनी अम्मी के कमरे के पास से गुज़रता हुआ अपने कमरे की तरफ जा रहा था।
ज़ाहिद के अपने कमरे में जाने के बाद भी रज़िया बीबी कुछ देर यूँ ही बिस्तर पर लेटी कुछ सोचती रही।
"क्यों ना में जा कर ज़ाहिद के कमरे की खिड़की से देखने की कॉसिश करूँ कि मेरा बेटा किस तरह अपनी बहन की चूत को चोदता है" रज़िया बीबी के ज़हन में ख्याल आया।
"न्हाईईइ! ये ग़लत काम है मुझे ऐसे नही करना चाहिए" रज़िया बीबी ने अपने ज़हन में आते हुए ख्याल को रुड करते हुए अपने आप को समझिया।
"हन्ंननणणन् मुझे ज़रूर देखना चाहिए कि ज़ाहिद किस तरह अपनी बहन की चूत में अपना मोटा और लंबा लंड डाल कर अपनी बहन की गरम फुद्दि की तसल्ली करता है।" रज़िया बीबी ने फिर सोचा।
इस वक्त रज़िया बीबी के ज़हन में ये ही जंग जारी थी कि वो अपने बच्चो के कमरे के बाहर जा कर उन को आपस मे चुदाई करते देखे या ना देखे।
रज़िया बीबी की इन सोचो के दौरान उस की चूत काफ़ी गरम हो कर उसे अपने बिस्तर से उठ कर अपने बेटे ज़ाहिद के मोटे लंड का दीदार करने पर मजबूर कर रही थी।
फिर आख़िर कार रज़िया बीबी ने अपनी प्यासी चूत के आगे हर मान ली। और वो रात के अंधेरे में अपने बिस्तर से उठ कर दबे कदमों के साथ ज़ाहिद के कमरे की तरफ चल पड़ी।
ज़ाहिद के कमरे की विंडो के पास खड़े हो कर रज़िया बीबी ने कमरे के अंदर का जायज़ा लेने की कॉसिश की।
मगर एक तो खिड़की पर पड़ा हुआ परदा मुकम्मल तौर पर बंद था। दूसरा कमरे की लाइट भी बंद थी। जिस वजह रज़िया बीबी अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे में कुछ भी देखने से वंचित थी।
ज़ाहिद के कमरे की खिड़की से कमरे में झाँकने की कोशिश के दौरान रज़िया बीबी के जिस्म से पसीना छूटने लगा था। क्यों कि रज़िया बीबी को ये ख़ौफ़ भी था कि अगर ज़ाहिद या शाज़िया किसी वजह से कमरे से बाहर आए तो कहीं उस की चोरी पकड़ी ना जाए।
कमरे के बाहर खड़े हो कर रज़िया बीबी ने कमरे के अंदर किसी किस्म की आवाज़ सुनने की भी कोशिश की। ताकि आवाज़ से उसे अंदाज़ा हो सके कि उस का बेटा ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया की फुद्दि लेने में मसरूफ़ है या नही।
मगर कमरे में मुकम्मल तौर पर खामोशी होने की वजह से रज़िया बीबी को अंदाज़ा हो गया। कि शायद आज उस के बच्चे कुछ किए बिना ही सो गये हैं।
इस बात का अंदाज़ा होने और अपने बच्चो की लाइव चुदाई ना देख पाने पर रज़िया बीबी को काफ़ी मायूसी हुई।और रज़िया बीबी ने मज़ीद उधर रुकना मुनासिब ना समझा और वापिस अपने कमरे में चली आई।
उस रात के बाद भी रज़िया बीबी ने दो तीन दफ़ा रात को उठ कर ज़ाहिद के कमरे में देखने की ट्राइ की।
मगर हर दफ़ा खिड़की कर परदा पूरी तरह बंद होने की वजह से रज़िया बीबी की किस्मत ने उस का साथ नही दिया।तो थक हार कर रज़िया बीबी ने अपने बेटा और बेटी की चुदाई देखने का ख्याल दिल से निकाल दिया।
इस दौरान रज़िया बीबी ने अपने जज़्बात को पर काबू पाते हुए अपने ज़हन और जिस्म पर भी थोड़ा कंट्रोल हासिल कर लिया था।
इसीलिए अब उस की चूत उसे अपने बेटे के लंड के लिए इतना परेशान नही कर रही थी।
फिर एक हफ्ते बाद एक रात प्यास के मारे रज़िया बीबी की आँख खुली।तो वो पानी पीने किचन की तरफ आई।
किचन से पानी पी कर रज़िया बीबी अपने बच्चो के कमरे के पास से गुज़री। तो रज़िया बीबी को अपने बेटे ज़ाहिद की आवाज़ कानो में सुनाई दी। जिस से रज़िया बीबी को अंदाज़ा हो गया कि उस के बच्चे घर वापिस लौट आए हैं।
असल में ज़ाहिद और शाज़िया आज झेलम रिवर पर वाकई एक मशहूर रेस्टोरेंट ट्यूलिप में एक शादी में शिकरत करने गये थे। और वो कुछ देर पहले ही अपने घर वापिस पहुँचे थे।
अपने बेटे की आवाज़ सुनते ही रज़िया बीबी ने ज़ाहिद के कमरे की खिड़की पर नज़र डाली।तो उस ने देखा कि ज़ाहिद के कमरे की खिड़की पर लगे हुए पर्दे में आज कुछ गॅप था।
"हाईईईईईई! शायद आज मेरी किस्मत मेरा साथ दे और मुझे अपने बेटा और बेटी की चुदाई का कोई सीन देखने को मिल ही जाय" कमरे के पर्दे का ये गॅप देख कर रज़िया बीबी ने सोचा। और उस के अपने कमरे की तरफ जाते हुए कदम रुक गये।
इस वक्त रज़िया बीबी अपने घर के कॉरिडर में जिस जगह खड़ी थी। उधर बल्ब की रोशनी काफ़ी कम थी।
जब कि ज़ाहिद के कमरे में ट्यूब लाइट ऑन होने की वजह से बाहर से खड़े हो कर कमरे के अंदर का मंज़र तो ब आसानी देखा जा सकता था। मगर कमरे में माजूद किसी फराद को ये अंदाज़ा नही हो सकता था। कि कोई कमरे के बाहर से अंदर झाँक रहा है।
कमरे की खिड़की से ज्यों ही रज़िया बीबी ने कमरे के अंदर निगाह डाली। तो अंदर का मंज़र देखते ही ना सिर्फ़ रज़िया बीबी की आँखे खुली की खुली रह गईं। बल्कि उस के जिस्म में चीटियाँ सी रेगने लगीं।
कमरे का मंज़र देख कर रज़िया बीबी की साँसे तेज होने लगीं और उसे अपनी चूत गीली होती हुई महसूस होने लगी थी।
इस वक्त कमरे के अंदर का मंज़र कुछ यूँ था। कि शाज़िया जो कि अपनी शलवार से महरूम इस वक्त सिर्फ़ अपनी कमीज़ में मलबोस और सर पर अपना दुपट्टा ओढ़े हुए अपने कमरे के ड्रेसिंग टेबल के सामने झुकते हुए "घोड़ी" बन कर खड़ी थी।
जब कि ज़ाहिद इस वक्त अपनी बहन शाज़िया के पीछे खड़ा था।
ज़ाहिद भी इस वक्त सिर्फ़ अपनी कमीज़ पहने हुए था। जब कि अपनी बहन शाज़िया की तरह ज़ाहिद का जिस्म भी नीचे से आधा नंगा था।
चूँके ज़ाहिद और शाज़िया ने अपनी अपनी कमीज़ अभी तक पहनी हुई थी। इस वजह से रज़िया बीबी को अपने दोनो बच्चो के जिस्मो के पोषीदा आज़ा (लंड और चूत) तो अभी नही दिखाई दे रहे थे।
मगर जिस स्टाइल में ज़ाहिद इस वक्त घोड़ी बनी हुई अपनी बहन के कंधे पर हाथ रख कर पीछे से हिल रहा था।
इस अंदाज़ में किसी अंधे को भी ये देख कर सॉफ अंदाज़ा हो सकता था। कि इस वक्त ज़ाहिद अपनी बहन की चूत में ज़ोर ज़ोर से अपना मोटा लंड फेर रहा है।
आआहह! अह्ह्ह्ह्! उह्ह्! उउह्ह्ह्ह्ह्! ओह्ह्ह्! ऊओफफफ! फफ्फ़आआआआआ! आह्ह्ह्ह्ह्! उईईईईईईइ! माआआआआआआ! भाईईईईईईईईईईईई! आप तो बहुत ही बेसबरे हैं, मुझे कपड़े तो उतार लेने देते आप।" अपने भाई की ज़ोर दार चुदाई की वजह से शाज़िया के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।
जारी रहेगी