अम्मी बनी सास 064

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आग जो लगे ना लगे और बुझाये न बुझे.
1.5k words
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Part 64 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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रज़िया बीबी की चूत की गर्मी अपनी इंतिहा को पहुँच चुकी थी। जिस पर कंट्रोल करना अब रज़िया बीबी के बस की बात नही रही थी।

और फिर अपनी बेटी शाज़िया की तरह रज़िया बीबी भी अपने बेटे ज़ाहिद के नाम की माला जपती हुई आख़िर अपनी चूत का पानी अपने बेटे ज़ाहिद के मोटे और ताज़े लंड के लिए निकाल कर वो खलास हो गई।

आज यूँ इतने सालों बाद अपनी प्यासी और खुश्क फुददी का पानी अपने ही बेटे के नाम से छोड़ते हुए रज़िया बीबी को ना जाने क्यों ज़रा भी नदमत महसूस ना हुआ। और वो आज एक लंबे अरसे बाद अपनी फुद्दि का पानी अपने ही हाथ से निकाल कर के अपने आप को बहुत पुरसकून महसूस करने लगी थी।

अपने जिस्म में कल रात से उठने वाली आग को अपने ही हाथ से थोड़ा हलाक कर के रज़िया बीबी के चेहरे पर एक मुस्कराहट सी फैल गई।

रज़िया बीबी की खुशक फुद्दि में कल की लगी हुई आग हल्की तो ज़रूर हुई थी। मगर अपनी उम्र की इतनी ज़्यादा बहारें गुज़ार चूकने के बाद रज़िया बीबी ये बात बहुत अच्छी तरह जानती थी कि,

"लंड और चूत की आग ऐसी आग है. रज़िया! जो लगे ना लगे औरबुझाये न बुझे। "

के इस शायर की तरह अब उस की फुद्दि में सुलगती हुई आग को सिर्फ़ और सिर्फ़ उस का अपना सगा बेटा ही अपने मोटे और बड़े लंड की तेज धार पानी से बुझा सकता था।

अपनी चूत का पानी छोड़ने के फॉरन बाद रज़िया बीबी अपने वजूद को हल्का महसूस करने लगी। जिस वजाही से उसे नींद ने अपने काबू में कर लिया।और वो "थक" कर अपने बिस्तर पर ढेर हो गई।

दूसरी सुबह अपनी नींद से बे दार होते ही रज़िया बीबी ने सब से पहले अपनी बेटी शाज़िया के फोन को उस के कमरे में उसी हालत में वापिस रख दिया। जिस हालत में शाज़िया उस को छोड़ कर मुर्री गई थी।

उधर दूसरी तरफ ज़ाहिद,शाज़िया, नीलोफर और जमशेद दोनो बहन भाई की जोड़ी ने उस रात मुर्री के होटेल में एक दूसरे को खूब चोद चोद कर अपने होने मुँह को बहुत यादगार बना दिया था।

दूसरे दिन जब दोनो कपल्स सुबह सो कर उठे। तो नाश्ते के बाद शाज़िया और नीलोफर ने मुर्री के माल रोड पर जा कर शॉपिंग करने का प्रोग्राम बना लिया।

माल रोड पर शॉपिंग करने के दौरान ही ज़ाहिद के फोन पर उस के पोलीस स्टेशन से कॉल आई।

जिस में ज़ाहिद को उस के एक साथी पोलीस ऑफीसर ने इतला दी। कि एसपी साब ने ज़ाहिद को जल्द आज़ जल्द झेलम वापिस आने और किसी केस के सिलसिले में मिलने का हुकम दिया है।

ज़ाहिद समेत सब का भी मुर्री के रोमॅंटिक महॉल से वापिस आने को दिल नही चाह रहा था। मगर कहते हैं ना कि "नोकरी की ते नखरा की"।

इसीलिए ज़ाहिद की नोकरी की मजबूरी के आगे सब को हर मानना पड़ी।और यूँ वो सब शाम के वक्त झेलम वापिस लॉट आए।

घर वापिस आते ही जमशेद और नीलोफर गली (स्ट्रीट) वाले दरवाज़े से घर की ऊपर की मंज़ल पर चले गये।

जब कि ज़ाहिद अपनी दुल्हन बहन को साथ ले कर अपने घर के निचले हिस्से में बने हुए अपने टीवी लाउन्ज में एंटर हुआ।

जिस वक्त ज़ाहिद और शाज़िया अपने टीवी लाउन्ज में आए। तो उस वक्त रज़िया बीबी बैठ कर टीवी पर लगी हुई एक इंडियन मूवी देख रही थी।

रज़िया बीबी ने कल की रात ना सिर्फ़ अपनी जिंदगी में पहली बार अपनी फुद्दि से खेला था। बल्कि उस ने कल ही रात अपने ही सगे बेटे के नाम पर अपनी कई सालों से खुश्क और प्यासी फुद्दि का पानी भी पहली बार निकाला था।

अपनी इस हरकत पर रज़िया बीबी को ना तो उस वक्त कुछ ज़्यादा शरम महसूस हुई थी। और ना उस के बाद दूसरे दिन रज़िया बीबी ने अपने इस काम पर किसी किस्म की नदमत हुई थी।

मगर अब अपने जवान बेटे ज़ाहिद को अपने सामने अचानक माजूद पा कर रज़िया बीबी एक दम से घबरा गई।

इस की वजह ये थी कि अपनी बेटी शाज़िया की तरह रज़िया बीबी ने भी शायद ये महसूस कर लिया था। कि अपने किसी सगे रिश्ते के तसव्वुर को अपनी ख्वाबों की दुनिया में बसा कर उस के बारे में सोचना और अपने जिस्म से खेलना और बात है।

जब कि हक़ीकत में अपने इसी खूनी रिश्ते दार को देख कर अपने ज़हन में आने वाले खेल को पाई-आ-तकमेल तक पहुँचाना एक दूसरा मामला होता है।

इसी लिए अब जैसे ही रज़िया बीबी का अपने बेटे से सामना हुआ। तो रज़िया बीबी एक दम ज़ाहिद से अपनी नज़रें ऐसे चुराने लगी। जैसे ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के ख्यालात को पढ़ लिया हो।

या फिर रज़िया बीबी को ये डर लगा हुआ था। कि कहीं उस का बेटा ज़ाहिद उसे देखते ही ये अंदाज़ा ना लगा ले कि उस की अपनी सग़ी अम्मी कल रात उस के लंड के लिए गरम हो हो कर तड़पती रही है।

"तुम लोग बहुत जल्दी वापिस लौट आए,ख़ैरियत तो है ना"ज़ाहिद चूँकि अपनी अम्मी को मुर्री दो राते रुकने का कह कर गया था। इसीलिए रज़िया बीबी को यूँ अचानक अपने बेटा और बेटी को वापिस घर में देख कर हैरत हुई और उस ने शरमाते और हिचकिचाते हुए पूछा।

"ख़ैरियत ही है अम्मी,असल में मुझे एसपी साब ने किसी काम के सिलसिले में वापिस बुलाया है" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के लहजे और जिस्म में आती हुई हिचकिचाहट को मसोस नही किया। और अपनी अम्मी को ये जवाब देता हुआ ज़ाहिद अपने कमरे में अपनी एक फाइल लेने चला गया।

रज़िया बीबी ने ज़ाहिद को अपने कमरे की तरह जाता देख कर सकून का एक साँस लिया।

क्यों कि रज़िया बीबी महसूस किया था। कि अपने बेटे ज़ाहिद को देखते ही उस का दिल ऐसे धक धक करने लगा है।

जैसे किसी सोला साला लड़की के दिल की धड़कन पहली बार अपने महबूब को देख कर बे काबू हो जाती हैं।

साथ ही साथ रज़िया बीबी को ऐसे लगा कि ज़ाहिद को देखते ही ना सिर्फ़ उस के दिल में एक हलचल मच उठी थी।

बलकि नीचे से उस की शलवार में छुपी हुई उस की प्यासी फुद्दि में पैदा होती हुई आग का शोला फिर से थोड़ा थोड़ा दहकने लगा था।

इसी लिए ज़ाहिद को अपनी नज़रों से ओझल होता देख कर रज़िया बीबी ने अपने आप को संभाला और अब अपने सामने खड़ी हुई अपनी बेटी की तरफ मतवजह हुई।

"शाज़िया इधर आ कर मेरे पास बैठो मेरी बच्ची" ज़ाहिद के अपने कमरे में जाने के बाद रज़िया बीबी ने अपने आप पर काबू पाते हुए अपनी बेटी शाज़िया को अपने साथ सोफे पर बैठने का कहा।

"अम्मी आप सुनाए, हमारे बगैर आप की रात केसी गुज़री" शाज़िया ने अपनी अम्मी के पास सोफे पर बैठते हुए उन से पूछा।

"मेरी बात छोड़ो मेरी रात तो जैसे तैसे गुज़र ही गई, मगर तुम बताओ तुम्हारा हनीमून कैसा रहा अपने भाई के साथ, मेरी बच्ची" रज़िया बीबी शाज़िया को पास बैठते ही उस के गले में अपनी बाहें डाल कर प्यार से अपनी बेटी को छेड़ा।

"अम्मी आप भी ना" शाज़िया अपनी अम्मी के इस डाइरेक्ट सवाल पर शरमा गई।

इतनी देर में ज़ाहिद अपने कमरे से निकला। और अपनी अम्मी और बहन को खुदा हाफ़िज़ कहता हुआ घर से बाहर चला गया।

"हाईईईईईईईईईई! एक तो तुम अपने ही भाई के साथ हनीमून मना कर आई हो,और ऊपर से इतना शरमा भी रही हो, वाहह क्या बात है! " रज़िया बीबी ने ज़ाहिद के जाते ही फिर से अपनी बेटी को छेड़ते हुए कहा।

"अच्छा अम्मी अगर आप ने मुझे इसी तरह शर्मिंदा करना है तो में अपने रूम में चली जाती हूँ" ये कहते हुए शाज़िया सोफे से उठी और अपने पुराने कमरे की तरफ चल पड़ी।

इस के बावजूद कि शाज़िया ने अपनी अम्मी की रज़ा मंदी के साथ ही अपने भाई के साथ अपनी सुहाग रात मनाई थी।

फिर दूसरी सुबह उस की अम्मी ने ना सिर्फ़ शाज़िया को अपनी बहू की हैसियत से कबूल करते हुए उसे प्यार किया था। बल्कि साथ ही साथ रज़िया बीबी ने अपने ही सगे बेटे ज़ाहिद को भी अपने दामाद का दर्जा दे दिया था।

लेकिन ये सब कुछ हो जाने के बावजूद शाज़िया अभी तक अपनी अम्मी के मुँह से अपनी चुदाई के ज़िक्र और छेड़ छाड़ पर शरम महसूस कर रही थी।

असल में शाज़िया को पता था कि इस तरह के मज़ाक अक्सर लड़कियाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी सहेलियों से ही करती हैं।

जब कि शाज़िया अभी तक अपनी अम्मी को एक सहेली नही बल्कि सिर्फ़ एक माँ के रिश्ते से ही देख रही थी।

इसी लिए शाज़िया अपनी अम्मी से अपनी और अपने भाई ज़ाहिद की चुदाई की बात करते हुए झिझकति थी।

"उस तरफ कहाँ जा रही हो शाज़िया?" रज़िया बीबी ने जब अपनी बेटी को उस के पुराने कमरे की तरफ जाता देखा।तो उस ने शाज़िया को आवाज़ दी।

"मैं अपने कमरे में जा रही हूँ अम्मी" अपनी अम्मी की आवाज़ सुन कर शाज़िया पलटी और उस ने रज़िया बीबी को जवाब दिया।

"शाज़िया जब तुम अपने भाई ज़ाहिद की बीवी बन गई हो, तो अपने भाई की बीवी बन कर तुम उसी के कमरे में रहो गी ना, अब तुम्हारा अपने पुराने कमरे में क्या काम, मेरी बच्ची" रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया की बात के जवाब में उसे कहा

अपनी अम्मी के मुँह से अपने ही सगे भाई की बीवी कहे जाने पर शाज़िया की चूत में भी एक अजीब से आग भड़क उठी और उस ने सर उठा कर अपनी अम्मी की तरफ देखा।

जारी रहेगी

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