अम्मी बनी सास 087

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इधर ज़ाहिद ने ज्यों ही अपने लंड का पानी अपनी अम्मी की फुद्दि और पेट पर ऊडेला।

तो अपने शौहर/भाई के लंड का गरम और थिक पानी आज अपनी नज़रों के सामने अपनी ही अम्मी अम्मी/सास की चूत और पेट पर गिरता देख कर शाज़िया की प्यासी फुद्दि में मौजूद गरम पानी को भी उबाल आ गया।

शाज़िया ने अपने भाई के झुकते खड़े लंड पर अपनी नज़रें घुमाई हुए अपने एक हाथ को अपनी चूत पर लाई। और तेज़ी के साथ अपनी चूत के देने को मसल्ने लगी।

ज्यों ही शाज़िया ने अपनी तपती चूत को छुआ तो अपनी अम्मी की तरह शाज़िया के जिस्म ने भी एक झटका लिया।

और उस ने भी अपनी अम्मी और भाई की देखा देखी अपनी चूत का नल खोल दिया।

आज अपनी अम्मी और भाई की चुदाई का लाइव सीन अपनी आखों के सामने मंज़र पज़ीर होता देख कर शाज़िया की चूत ने इतना पानी छोड़ा। कि शाज़िया के नीचे बिछी हुई बिस्तर की सफेद चादर भी पूरी भीग गई थी।

अब उस घर के तीनो शख्स यानी रज़िया बीबी,ज़ाहिद और शाज़िया एक ही बिस्तर पर पूरे नंगे पड़े बुरी तरह से हांप रहे थे।

थोड़ी देर में अपनी बिखरी साँसों को काबू करने के बाद ज़ाहिद ने अपनी गर्दन उठा कर अपने बाज़ू में लेटी हुई अपनी अम्मी के चुदे हुए वजूद का जायज़ा लिया। तो ज़ाहिद ने देखा कि उस की अम्मी रज़िया बीबी की आँखे अभी तक बंद थी।

रज़िया बीबी बिस्तर पर लेटी अभी तक तेज तेज साँसे ले रही थी। और इन तेज सांसो की वजह से रज़िया बीबी के नंगे मम्मे उस की छाती पर उछल कर उपर नीचे हो रहे थे।

अपनी अम्मी की भारी भारी छातियों के यूँ दबने और फिर उपर उभरने का मंज़र ज़ाहिद के लिए बहुत ही जान लेवा था।

अम्मी के गरम वजूद का जायज़ा लेते लेते ज़ाहिद की नज़र अपनी अम्मी के दूसरे पहलू में बैठी हुई अपनी बीवी/बहन शाज़िया पर पड़ी।

दोनो बहन भाई की नज़रें आपस में मिलीं तो दोनो के चेहरे पर एक मुस्कुराहट सी फैल गई।

"उफफफफफफफफफफफ्फ़! मेरी बहन शाज़िया ने आज अम्मी की चूत की सूरत में जो बर्थ डे गिफ्ट मुझे पेश किया है, ऐसा गिफ्ट आज तक किसी बीवी ने अपने शोहर को नही दिया हो गा" अपनी बहन से नज़रें मिलाते ही ज़ाहिद के जेहन में ये बात आई। तो ज़ाहिद के दिल में अपनी बहन के लिए प्यार मज़ीद गहरा हो गया।

अपनी बहन की मोहब्बत दिल में जगते ही ज़ाहिद एक दम बिस्तर से उठा कर बिस्तर की दूसरी साइड पर बैठी हुई अपनी बहन शाज़िया के पीछे आ कर बैठा।

बिस्तर पर बैठते ही ज़ाहिद ने पीछे से अपनी बहन की भारी छातियों को अपने हाथ में तामते हुए अपनी गर्दन को आगे बढ़ाया।

और अपनी बहन शाज़िया के गुदाज होंठो पर अपने गरम होंठ रखते हुए बोला "तुम ने आज मुझे अम्मी के साथ शेयर कर के अपने प्यार की इंतिहा कर दी है, आइ लव यू सो मच फॉर दट शाज़िया,मेरी बहन मेरी बीवी"।

शाज़िया अपने भाई का अपने लिए ये वलिहाना प्यार देख कर बहुत खुश हुई। और वो भी अपनी गर्दन को पीछे घुमा कर अपने भाई की लंबी ज़ुबान को अपने मुँह में ले कर सक करने लगी।

"अम्मी की चूत को तो तुम ने चोद कर ठंडा कर दिया है, मगर मेरी चूत में अभी तक आग लगी हुई भाईईईईईईईईईईईई!" शाज़िया ने अपने भाई के मुँह में अपनी ज़ुबान घुमाते हुए ज़ाहिद से कहा।

बे शक शाज़िया अभी अपनी चूत के पानी को अपने ही हाथों से एक बार निकाल चुकी थी।

मगर इस के बावजूद शाज़िया की चूत को पूरी तरह से जिन्सी सकून नही पहुँचा था।

"अगर तुम चाहो तो में अपना आधा लंड तुम्हारी फुद्दि में डाल कर तुम्हारी चूत की प्यास बुझा दूं जान" अपनी बहन की बात सुन कर ज़ाहिद ने पूछा।

"नहियीईईईईईईईईई! मुझे पता है कि अगर एक दफ़ा मेने अप के लंड का मोटा टोपा भी अपनी चूत में ले लिया, तो फिर मुझे पता है कि आप का पूरा लंड अंदर लिए बिना मुझे चैन नही आएगा भाईईईईईईईईईई!"ज़ाहिद की बात सुन कर शाज़िया बोली।

"तो तुम ही बताओ कि में किस तरह अपनी जान की चूत को ठंडा करूँ" शाज़िया की बात के जवाब में ज़ाहिद ने पूछा।

"अगर आप एक दफ़ा मेरी चूत को चाट दो, तो मेरी प्यासी फुद्दि को कुछ सकून मिल जाएगा भाई" शाज़िया ने ज़ाहिद से कहा।

"ठीक है तुम लेटो में अभी तुम्हारी ये फरमाइश पूरी कर देता हूँ जान" शाज़िया की फरमाइश सुन कर ज़ाहिद ने अपनी बहन के मोटे मम्मो को आखरी दफ़ा ज़ोर से दबा कर छोड़ दिया।

"नही आप लेटो में आप के मुँह के उपर बैठना चाहती हूँ भाईईईईईईईईईई!"शाज़िया ज्यों ही अपने भाई के बाजुओं की क़ैद से आज़ाद हुई। तो उस अपने पीछे बैठे हुए ज़ाहिद को अपने हाथ से धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया।

ज्यों ही ज़ाहिद बिस्तर पर गिरा तो शाज़िया जल्दी से अपनी जगह से उठी। और अपने भाई के जिस्म पर चढ़ कर अपनी तपती हमला चूत को अपने शोहर भाई के गरम मुँह पर रख दिया।

"ओह क्य्ाआआआआआआआअ! गरम और मस्त चूत है मेरी बहन की" ज्यों ही शाज़िया की फूली हुई चूत के होन्ट उपर से ज़ाहिद के होंठो से टकराए।

तो ज़ाहिद ने अपना एक हाथ से अपनी बहन की मोटी रान को थामा। और दूसरे हाथ को उपर ले जा कर अपनी बहन की कसी हुई जवान छाती को अपनी गिरफ़्त में ले कर दबाना शुरू कर दिया।

साथ ही साथ ज़ाहिद ने नीचे से अपना मुँह खोला। और अपनी नुकीली ज़ुबान को अपनी बहन की चूत के अंदर डाल दिया।

"ओह आप का लंड तो लंड, आप की गरम ज़ुबान भी पूरी क़ातिल हाईईइ भाईईईईईईईईईईईईईईईई!" ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बहन की जवान और मोटी फुद्दि को अपने मुँह में दबाया। तो मज़े की शिद्दत से अपने भाई के मुँह पर बैठी शाज़िया चिल्ला उठी।

शाज़िया ने जोश में आते हुए अपनी गरम फुद्दि को अपने भाई के मुँह और होंठो पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ना शुरू कर दिया। जिस की वजह से शाज़िया की गरम फुद्दि बे तहाशा पानी छोड़ने लगी।

शाज़िया की चूत का पानी टपक टपक कर ज़ाहिद के खुले हुए मुँह में घिर रहा था।

और ज़ाहिद अपनी बहन की चूत के इस नमकीन रस को मज़े ले ले कर पीने में मसरूफ़ था।

अपने भाई की गरम ज़ुबान ने शाज़िया की चूत को चाट चाट कर इतना बे हाल कर दिया था। कि मज़े के मारे शाज़िया के मुँह से निकलने वाली आवाज़े और सिसकियाँ पूरे कमरे में फैल रही थी।

फिर थोड़ी देर बाद ही ज़ाहिद की ज़ुबान की मेहरबानी की वजह से शाज़िया अपनी मंज़िल पर पहुँच गई।

ज्यों ही शाज़िया का जिस्म एक झटका ले कर ज़ाहिद के सीने पर ढीला पड़ा। तो ज़ाहिद को एक दम से ज़ोर का पेशाब आ गया।

ज़ाहिद ने जल्दी से अपनी छाती पर ढेर हुई शाज़िया के जिस्म को आहिस्ता से बिस्तर पर गिराया। और खुद उठ कर फॉरन बाथरूम में चला गया।

इधर जिस दौरान शाज़िया अपने भाई के मुँह पर बैठ कर ज़ाहिद से अपनी चूत को चाटवा रही थी।

उसी दोरान दूसरी तरफ रज़िया बीबी अपने बच्चो के साथ ही लेटी दोनो बहन भाई को एक दूसरे के साथ अपना प्यार का इज़हार करता देख कर फिर से गरम होने लगी थी।

ज्यों ही ज़ाहिद बाथरूम में घुसा तो शाज़िया बिस्तर पर लेटी अपनी अम्मी की तरफ मतवज्जो हुई।

शाज़िया ने देखा के उस की अम्मी रज़िया बीबी की चूत से ज़ाहिद के लंड का पानी बह बह कर उस की अम्मी की टाँगों को भी गीला कर चुका है।

"हाईईईईईईईईईईई!ई ये तो अम्मी और भाई के मिलन का बहुत ही अनमोल पानी है, मुझे किसी सूरत भी इस पानी को ज़ाया नही होने देना चाहिए" ये सोचते ही शाज़िया एक दम से अपनी अम्मी के जिस्म के उपर 69 पोज़ीशन में इस तरह से लेट गई। कि अब शाज़िया के पैर उस की अम्मी रज़िया बीबी के सर की तरफ थे। जब कि शाज़िया का मुँह अपनी अम्मी के पैरों की तरफ था।

शाज़िया के इस तरह से अपनी अम्मी रज़िया बीबी के उपर लेटने से शाज़िया की गरम चूत बिस्तर पर चित लेटी अपनी अम्मी के मुँह पर आ गई।

जब कि शाज़िया का मुँह अपनी अम्मी के ताज़ा ताज़ा चुदे हुए मोटे फुद्दे पर आ पड़ा।

अपनी अम्मी की चूत के नज़दीक आते ही शाज़िया ने अपने मुँह को एक दम नीचे झुका कर एक डाइव मारी।

और अपनी अम्मी की चूत के होंठो को अपने हाथ से खोल कर अपनी अम्मी की गरम और फूली हुई चूत के अंदर मौजूद अपने भाई के गरम और गाढ़े वीर्य को अपनी ज़ुबान से चाट चाट कर खाने लगी।

"क्यों अम्मी पसंद आया अपने बेटा का जवान लंड" अपनी अम्मी की चूत में अपना मुँह मारते हुए शाज़िया ने अपनी अम्मी से पूछा।

"ओह ज़ाहिद के लंड का तो जवाब नही,सच पूछो तो तुम्हारी तरह आज में भी अपने ही बेटे के लंड की आशिक बन गई हूँ शाजिया" रज़िया बीबी ने अपनी गान्ड को नीचे से उठा कर अपनी चूत को शाज़िया के मुँह पर ज़ोर से मारते हुए कहा।

"हाईईईईईईईईईईईईई! ऐसे लगता है कि आज आप के जिस्म में बिजली भरी हुई है अम्मी" रज़िया बीबी ने जब जोश से अपनी गान्ड उठा कर अपनी चूत को अपने बेटी शाज़िया के सामने पेश किया। तो शाज़िया भी जोश में अपनी अम्मी की चूत के अंदरूनी हिस्सों में अपनी ज़ुबान घुमाते हुए बोली।

"ओह आज मेरी चूत्त्त्त्त्त्त्त्त को कुछ आराम भी करने दो गी, या मेरी फुद्दि को खा खा कर एक ही दिन में ही मेरी चूत का सारा पानी ख़तम कर दो गी तूमम्म्मममममममम!" शाज़िया की गरम ज़ुबान ज्यों ही फिर से अपनी अम्मी के मोटे फुद्दे पर चलना शुरू हुई। तो रज़िया बीबी ने सिसकारियाँ भरते हुए अपनी बेटी शाज़िया से कहा।

अभी शाज़िया अपनी अम्मी के फुद्दे को खाने में मसरूफ़ थी। कि इतने में ज़ाहिद बाथरूम से निकल कर दुबारा कमरे में आया।

जब ज़ाहिद ने देखा कि उस की बहन शाज़िया अपनी अम्मी के उपर लेट कर अम्मी के मोटे फुद्दे को चाटने में मशरूफ है। और इस अमल के दौरान शाज़िया का पूरा मुँह अपनी अम्मी की चूत के पानी से भर चुका है। तो ज़ाहिद का लंड फिर से अकड़ने लगा।

"अम्मी की चूत को चाटो गे भाईईईईईईईईईईईई!" ज्यों ही ज़ाहिद बाथरूम से बाहर निकला।

तो शाज़िया ने अपनी अम्मी की चूत को अपने भाई के लिए अपने हाथों से खोलते हुए ज़ाहिद से पूछा।

"दिल तो बहुत कर रहा है मगर भूक भी लगी है जान" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की खुली फुद्दि को देख कर अपनी ज़ुबान को अपने होंठो पर फेरा। और अपनी बहन शाज़िया को जवाब दिया।

"वो कहते हैं ना कि,पहले पेट पूजा,फिर कम दूजा,तो ठीक है भाई आप हाथ मुँह धो लो में खाना लगाती हूँ" ये कह कर शाज़िया अपनी ने अपनी अम्मी की चूत को एक बार फिर चूमा। और फिर बिस्तर से उतर कर अपने कपड़े पहनते ही कमरे से बाहर निकल गई।

इधर ज्यों ही राज़ी बीबी को अहसास हुआ कि वो तो कमरे में अपने जवान बेटे के साथ अकेली रह गई है। तो अपने बेटे से चुदवाने के बावजूद रज़िया बीबी शरम के मारे बिस्तर पर सुकड सी गई।

ज़ाहिद को अपनी अम्मी का उस से यूँ शरमाने का ये अंदाज़ अच्छा लगा। और वो बिस्तर पर नंगी लेटी हुई अपनी अम्मी की तरफ देखते हुए बोला "अम्मी आप ज़रा उठ कर बैठ जाए मेने आप से एक बात करनी है"

रज़िया बीबी अपने जवान बेटे का लंड अपनी चूत में लेने के बावजूद ना जाने क्यों अभी तक ज़ाहिद के सामने अपनी झिझक ख़तम करने मे नाकाम थी।

मगर इस के बावजूद ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से उठ कर बैठने की दरख़्वास्त की। तो रज़िया बीबी एक कठ पुतली की तरह अपने बेटे के इशारे पर नाचती हुई उठ कर बिस्तर पर बैठ गई।

अपनी अम्मी के बिस्तर पर बैठते ही ज़ाहिद भी अपनी अम्मी के साथ ही बिस्तर पर बैठा। और रज़िया बीबी को अपनी बाहों में ले कर अपनी अम्मी के गुदाज होंठो को चूमते हुए बोला "आज जो कुछ हमारे दरमियाँ हुआ है उस से आप खुश तो है ना अम्मी"।

"हाईईईईईईईईईई! ज़ाहिद मुझे शरम आ रही है बेटा" अपने वजूद को अपने जवान बेटे की बाहों में एक बार फिर जकड़ा हुआ पा कर रज़िया बीबी की मछली की तरह तड़प कर अपने आप को अपने बेटे ज़ाहिद की बाहों से छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली।

"मेरे लंड का गरम पानी आप की बच्चे दानी को सेराब कर चुका है और आप हैं कि अभी तक मुझ से शर्माए जा रही हैं अम्मी" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से कहा। और इस के साथ ही अपनी अम्मी के मोटे होंठो पर अपने दाँतों से काट लिया।

"हाईईईईईईईईईईईईईईई! ज़ाहिद्द्द्द्द्द्दद्ड! तुम्हारे प्यार करने का आदाज़ तो बिल्कुल जंगली बिल्ले जैसा है मेरे बच्चे" अपने होंठो पर अपने ज़ाहिद के दाँतों को चुभता हुआ महसूस कर के रज़िया बीबी सिसक उठी।

"आप जैसी बिल्ली को काबू करने के लिए बिल्ला बनना पड़ता है अम्मी जी" अपनी अम्मी की सिसकारी पर महज़ोज़ होते हुए ज़ाहिद अपनी अम्मी के होंठो को इस बार प्यार से चूमते हुए कहा।

रज़िया बीबी तो पहले ही आज अपने बेटे ज़ाहिद के मोटे,बड़े और सख़्त जवान लंड से चुदवा कर अपने बेटे की दासी बन चुकी थी। और अब अपने बेटे के वहशियाना प्यार का ये अंदाज़ रज़िया बीबी को अपने ही बेटे का मज़ीद दिवाना बना रहा था।

इसी दौरान रज़िया बीबी के गरम बदन ने एक दम से एक झुरझुरी ली और इस के साथ ही रज़िया बीबी ने अपनी झिझक और रही सही " शर्म-ओ- हया" की आख़िरी तह भी एक तरफ फँकते हुए अपने बेटे के मुँह में अपने मुँह को डाला और कहा

"ओह! जिस तरह तुम ने अपनी बहन को चोद कर उस की ज़िंदगी को दुबारा से पुर रोनक बना दिया है,बिल्कुल उसी तरह मेरी चूत में अपना लंड डाल कर तुम ने आज अपनी ही माँ की सुखी कोख को दुबारा से हरा भरा कर दिया है मेरे बच्चे"।

"ओह! अम्मिईीईईईईईईईईईईईईईईईईई! आइ लव यू सो मच!" अपनी अम्मी को यूँ गरम जोशी से अपने वजूद उस के हवाले करता पा कर ज़ाहिद भी गरम हुआ। और अपनी अम्मी के मुँह में अपनी लंबी ज़ुबान डाल कर रज़िया बीबी की ज़ुबान से ज़ुबान टकराने लगा।

इस से पहले कि ज़ाहिद और रज़िया बीबी मज़ीद कुछ कर पाते की इतने में शाज़िया दुबारा से कमरे में एंटर हुई।

""ओह! जिस तरह तुम ने अपनी बहन को चोद कर उस की ज़िंदगी को दुबारा से पुर रोनक बना दिया है,बिल्कुल उसी तरह मेरी चूत में अपना लंड डाल कर तुम ने आज अपनी ही माँ की सुखी कोख को दुबारा से हरा भरा कर दिया है मेरे बच्चे"।

कमरे में आते ही शाज़िया ने जब अपनी अम्मी और भाई को एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले मसरूफ़ पाया।

तो उस ने इस नये प्रेमी जोड़े को कुछ देर डिस्टर्ब करना मुनासिब ना समझा। और खामोशी से खड़ी अपनी अम्मी और भाई का एक दूसरे के साथ प्यार का इज़हार देखती और गरम होती रही।

"अच्छा अब बस भी करो खाना ठंडा हो रहा है भाईईईईईईई!" थोड़ी देर अपनी अम्मी और भाई के शो को देखने के बाद शाज़िया का सबर ख़तम हुआ तो वो बोल पड़ी।

"ओह अच्छाआआआआआअ" ज़ाहिद और रज़िया बीबी शाज़िया की कमरे में मौजूदगी का पता चलते ही एक दूसरे से एक दम लग हुए।

और जैसे एक छोटा बच्चा अपनी चोरी पकड़े जाने पर घर के बड़े से अपनी नज़रें चुराने लगता है।

उसी तरह ज़ाहिद और उस की अम्मी रज़िया बीबी भी दोनो ही शाज़िया से अपनी नज़रें चुराने लगे।

अपने भाई और अम्मी को यूँ घबराता देख कर शाज़िया ने एक ज़ोर दार कहकहा लगाया और मूड कर किचन की तरफ चली गई।

शाज़िया के जाते ही रज़िया बीबी ने जल्दी से अपने कपड़े पहने जब कि ज़ाहिद सिर्फ़ अंडरवेअर में ही हाथ धो कर खाने के लिए किचन में चला गया।

ज़ाहिद और रज़िया बीबी जब अपने हाथ मुँह धो कर किचन में आए।

तो शाज़िया उस वक्त टेबल पर खाना लगा कर उन दोनो के इंतिज़ार में बैठी थी।

ज़ाहिद और रज़िया बीबी के डाइनिंग टेबल पर बैठते ही घर के तीनो सदस्यों ने मिला कर खाना खाया।

खाने के दौरान शाज़िया अपनी अम्मी को अपने भाई ज़ाहिद के हवाले से बिल्कुल उसी तारह बार बार छेड़ कर मज़ा ले रही थी।

जिस तरह अक्सर सहेलियाँ एक दूसरे को उन के बॉय फ्रेंड्स,मंगेतर (फियान्से) या शोहर का मोका ब मोका नाम ले ले कर छेड़ती हैं।

और रज़िया बीबी भी अपनी ही बेटी के मुँह से अपने जवान बेटे का अपने हवाले से चिड कर किसी सोला साला नोखेज दोशेज़ा की तरह खिल खिला कर हँसने लग जाती थी।

फिर खाने से फारिग होने के बाद जब ज़ाहिद टेबल से उठ कर अपने कमरे की तरफ जाने लगा। तो शाज़िया एक दम अपने भाई के पीछे लपकते हुए बोली "ज़रा इधर ही रूको में अभी आई भाईईईई!"।

अपने भाई को किचन में ही ठहरने का कह कर शाज़िया दौड़ती हुई बाहर गई। और टीवी लाउन्ज में ज़ाहिद के बर्थडे के लिए खरीदा हुआ केक उठा कर दुबारा किचन में लौट आई।

"आज आप की साल गिरह है। अब जब कि आप ने अम्मी की चूत की सूरत में अपना तोहफा वसूल तो कर लिए है, तो क्यों ना आप अब केक भी काट ही डालो भाई" ये कहते हुए शाज़िया ने साथ ही एक शेर भी पेश किया,

"बर्थडे का दिन है केक तो काट लो भाई,

क्यों कि रस्मे दुनिया भी है,

मोका भी है और दस्तूर भी "

शाज़िया ने किसी शायर के कहे हुए इस शेर को मोके की मुनासबत से ज़ाहिद की साल गिरह के हवाले से तब्दील करते हुए अपने भाई से कहा।

ज़ाहिद ने अपनी बहन के लाए हुए केक को काटा तो रज़िया बीबी और शाज़िया दोनो माँ बेटी ने "हॅपी बर्थ डे टू यू ज़ाहिद" कहते हुए ज़ाहिद को साल गिरह की मुबारकबाद दी।

ज़ाहिद ने केक काट कर केक का एक पीस शाज़िया और रज़िया बीबी के मुँह मे डाला। और साथ ही साथ दोनो के होंठो को चूम कर अपनी अम्मी और बहन का शुक्रिया अदा किया।

अभी ये सब लोग किचन में ज़ाहिद की बर्थडे सेलेब्रेट करने में मसरूफ़ थे। कि इतने में पड़ोस की एक आंटी ने घर की बेल बजा दी।

घर के गेट पर किसी की मौजूदगी का पता चलते ही ज़ाहिद एक दम से अपने कमरे में जा कर अपने बाथरूम में नहाने के लिए घुस गया। जब कि रज़िया बीबी घर का दरवाजा खोंलने चली गई।

रज़िया बीबी ने जब दरवाजा खोला तो उस ने अपनी पड़ोसन को गेट पर खड़ा पाया।

"बहन अगर टाइम हो तो मेरे साथ ज़रा मार्केट तक चलो गी,क्यों कि मुझे कुछ चीज़े लेने में तुम्हारे मशवरे की ज़रूरत पड़े गी" रज़िया बीबी की पड़ोसन ने घर का गेट खुलते ही रज़िया बीबी से रिक्वेस्ट की।

"अच्छा एक मिनट में शाज़िया को बता कर आती हूँ" ये कह कर रज़िया बीबी वापिस पलटी। और फिर अपनी बेटी शाज़िया को अपने बाहर जाने का बता कर अपनी पड़ोसन के साथ करीबी मार्केट की तरफ चली गई।

इस दौरान ज़ाहिद नहा कर बाथरूम से बाहर निकला। और एक निक्कर (शॉर्ट्स) पहन कर बिस्तर पर बैठ कर अपने दफ़तरी (ऑफीस) काम में मसरूफ़ हो गया।

अपने काम के दौरान कब रात हो गई ज़ाहिद को ज़रा अहसास ना हुआ।

जब अपने सारे काम ज़ाहिद फारिग हुआ तो रात के दस (10) बज चुके थे।

ज़ाहिद का पेट तो शाम जल्दी रोटी और केक खाने की वजह से पहले ही भरा हुआ था। इसीलिए उसे अब भूक नही महसूस हो रही थी।

"काम तो मुकम्मल हो चुका है तो क्यों ना अब सोया जाए" अपने पोलीस केसस की फाइल्स को एक तरफ रख कर ज़ाहिद ने बिस्तर पर बैठे बैठे अंगड़ाई ली। और फिर बिस्तर पर लेट कर कमरे का टीवी ऑन कर लिया।

उधर दूसरी तरफ शाज़िया अपने घर के सारे काम ख़तम कर के अपने बिस्तर पर लेटी अपनी अम्मी के घर वापिस आने का इंतिज़ार कर रही थी।

कुछ देर बाद रज़िया बीबी अपने घर लौट कर वापिस अपने कमरे में दाखिल हुई।

ज्यों ही शाज़िया ने अपनी अम्मी को कमरे में आते देखा। तो उस ने एक दम से अपनी अम्मी रज़िया बीबी से पूछा "आप ने इतनी देर कहाँ लगा दी अम्मी जान"।

"तुम्हें तो पता है कि तुम्हारी ये पड़ोस वाली खाला तो मार्केट जा कर घर वापिस आना ही भूल जाती है, इसी लिए मुझे भी वापसी में देर हो गई मेरी बच्ची" अपनी बेटी की बात का जवाब देते हुए रज़िया बीबी बोली।

इस के साथ ही अपना दुपट्टा उतार कर रज़िया बीबी जैसे ही अपने बिस्तर पर बैठने लगी। तो शाज़िया ने एक दम से दुबारा अपनी अम्मी को की तरफ देखते हुए बोली "आप इधर क्यों लेटने लगी हैं अम्मी"।

"क्या मतलब है तुम्हारा, में तो रोज़ ही इधर सोती हूँ मेरी बच्ची" रज़िया बीबी शाज़िया के इस सवाल पर हैरान हो कर अपनी बेटी से पूछने लगी।

"हां आप इस से पहले हर रोज़ इस बेड पर ज़रूर सोती रही हैं, मगर आज से आप का इधर सोना बंद हो गया है अम्मी जी" शाज़िया ने अपनी अम्मी को जवाब दिया।

"अगर तुम ने आज से मेरा अपने बिस्तर पर सोना बंद कर दिया है, तो फिर मुझे ये तो बताओ कि में आज से कहाँ सोऊँ गी मेरी बच्ची"। अपनी बेटी की बात सुन कर रज़िया बीबी हैरान हुई। और उस ने एक दम अपनी बेटी के मुँह की तरफ देखते हुए पूछा।

"वही जहाँ में अपने प्रेग्नेंट होने से पहले तक सोती रही हूँ" शाज़िया ने एक शोख लहजे में अपनी अम्मी को जवाब दिया।

"मुझे पहेलियाँ ना बुझवाओ, बल्कि सीधी सीधी तरह से बताओ कि तुम आज मुझे कहाँ सुलाना चाहती हो,क्यों कि मुझे बहुत नींद आ रही है शाज़िया" अपनी बेटी की बात को अभी तक ना समझते हुए रज़िया बीबी झुंझला गई। और थोड़े गुस्से में अपनी बेटी को डाँटते हुए कहने लगी।

"आज से आप मेरी जगह ज़ाहिद भाई की बीवी बन कर, मेरे शोहर भाई के साथ उन के बिस्तर को गरम करते हुए अपनी रात बसर किया करो गी अम्मी जान" शाज़िया अपनी अम्मी की आँखों में आँखे डालते हुए मुस्कुराइ। और अपनी अम्मी के गुस्से के जवाब में बहुत इतमीनान और प्यार से अपनी अम्मी की बात का जवाब दिया।

"ज़ाहिद की बीवी तो तुम ही हो शाज़िया, और तुम्हारे होते हुए भला में कैसे ज़ाहिद की बीवी बन कर उस के साथ सो सकती हूँ मेरी बच्ची" रज़िया बीबी को अपनी बेटी से इस बात की तवक्को नही थी।

इसी लिए वो शाज़िया की बातों को सुन सुन कर हैरानी से अपनी बेटी का मुँह देखते हुए उस से सवालो-ओ- जवाब किए जा रही थी। और इन सब बातों के दौरान रज़िया बीबी की चूत की गर्मी नीचे से अपना पानी छोड़ते छोड़ते अपनी इंतिहा को छूने लगी थी।

"ज़ाहिद की बीवी तो तुम ही हो शाज़िया, और तुम्हारे होते हुए भला में कैसे ज़ाहिद की बीवी बन कर उस के साथ सो सकती हूँ मेरी बच्ची" रज़िया बीबी को अपनी बेटी से इस बात की तवक्को नही थी।

इसी लिए वो शाज़िया की बातों को सुन सुन कर हैरानी से अपनी बेटी का मुँह देखते हुए उस से सवालो-ओ- जवाब किए जा रही थी। और इन सब बातों के दौरान रज़िया बीबी की चूत की गर्मी नीचे से अपना पानी छोड़ते छोड़ते अपनी इंतिहा को छूने लगी थी।

"आप को पता है मेरे भाई से चुदने के बाद आप ना सिर्फ़ मेरी भाभी, बल्कि मेरे शोहर से चुदवाने के बाद तो आप मेरी शौतान भी बन चुकी हैं, इसीलिए मेरी डेलिवरी तक आप ज़ाहिद की दूसरी बीवी और मेरी शौतान की हैसियत से अब आप अपने शोहर के लंड को ठंडा करो गी, अम्मी जान" शाज़िया ने रज़िया बीबी के करीब आ कर अपनी अम्मी को अपनी बाहों में जकड़ा। और फिर शलवार के उपर से ही अपनी अम्मी के मोटे फुद्दे पर जोश के साथ अपने हाथ को फेरते हुए कहा।

आज दोपहर (आफ्टरनून) को होने वाले वकीये के मुतलक रज़िया बीबी अभी तक ये ही समझ रही थी। कि ये सब कुछ सिर्फ़ जोशे जज़्बात में हो गया है। और इस के बाद शाज़िया शायद अपनी अम्मी को ज़ाहिद के लंड से फाज़ याब होने का मोका फ़ेरहम ना करे।

मगर अब अपनी बेटी शाज़िया की बात सुन कर रज़िया बीबी का पूरा वजूद खुशी से ऐसे झूम उठा।

जैसे सदियों के भूके आदमी को चावलों की पूरी भरी हुई डैग एक दम से खाने को मिल जाए।

"ओह तुम वाकई ही दिल से ऐसा चाहती हो मेरी बच्ची" रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया की ऑफर सुन कर खुशी से फूले ना समाई। और उस ने भी बे शर्मी से अपनी बेटी की हमला चूत पर अपने हाथ फेरते हुए शाज़िया से दुबारा कन्फर्म किया।

"हां अम्मी में वाकई ही दिल ये चाहती हूँ,कि जिस तरह मेरी तलाक़ के बाद मेरे सगे भाई ने मेरा शोहर बन कर मेरी चूत की बंजर ज़मीन को अपने लंड के पानी से फिर से हरा भरा किया है,उसी तारह मेरी ख्वाहिश है कि अब्बू की कमी को आप का सगा जवान बेटा आप का शोहर बन कर हर रोज़ पूरी किया करे,अम्मी जान" ये कहते हुए शाज़िया ने अपने होंठो को अपनी अम्मी के होंठो से मिलाया और दोनो माँ बेटी एक दूसरे के होंठो को जोश और मस्ती से चूमने और चाटने लगीं।

"अगर तुम राज़ी हो तो मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता है मेरी बच्ची" रज़िया बीबी ने भी अपनी बेटी की गरम ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ाते हुए शाज़िया की मोटी भारी छाती को अपने हाथ की गिरफ़्त में लिया। और अपनी बेटी के मोटे मम्मे को ज़ोर से मसलते हुए बोली।

(कहते हैं कि ब ज़ाहिर शरीफ नज़र आने वाली अक्सर औरतों के अंदर भी एक चुड़क्कड़ औरत हर वक्त मौजूद होती है।

जो उस शरीफ औरत के वजूद से बाहर आने के लिए हर वक्त किसी मोके की तलाश में रहती है।

और आज अपनी शरीफ अम्मी के बेवा जिस्म में क़ैद इस चुड़क्कड़ औरत को शाज़िया और ज़ाहिद ने अपनी ज़ुबान और लंड से रिहाई दिला दी थी। )