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Click hereअब एक दफ़ा अपने बेटे के जवान लंड को अपनी चूत में ले कर शाज़िया की तरह रज़िया बीबी भी अपने जवान बेटे के लंड की दिवानी तो पहले ही बन चुकी थी।
इसीलिए अब हर रोज़ अपने बेटे के मोटे और तगड़े लंड से अपनी गरम फुद्दि की प्यास बुझवाने के बंपर ऑफर को रज़िया बीबी भला कैसे ठुकरा सकती थी।
"शाज़िया अगर बुरा न मानो तो एक बात पूछूँ तुम से" रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के गुदाज होंठो को अपने दाँतों से काटते हुए कहा।
"अब हमारे दरमियाँ पर्दे वाली कौन सी बात बाकी रह गई है, इसीलिए आप का जो दिल चाहे आप पूछ लो,अम्मी जी" शाज़िया ने सिसकते हुए जवाब दिया।
"असल में में ये सोच रही थी कि तुम्हारी बंद चूत की सील तो तुम्हारे असली शोहर ने खोली थी, तो तुम्हारे साथ दूसरी सुहाग रात मनाते वक्त तुम्हारे भाई ज़ाहिद ने तुम्हारी कौन सी सील खोली हो गी" रज़िया बीबी के ज़हन में कब से ये सवाल गर्दिश कर रहा था।
मगर वो अब तक शाज़िया से ये बात पूछने से हिचकिचाती रही थी।
लेकिन अब अपने जिस्म पर पड़े शरम के पर्दे को उतार फैंकने के बाद रज़िया बीबी में अपनी बेटी शाज़िया से ये बात पूछने की हिम्मत आ गई थी।
इसीलिए रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के गालों पर अपनी लंबी ज़ुबान रगड़ते हुए पूछा।
"ओह! ज़ाहिद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड! भाईईईईईईई! ने आप की बेटी की कंवारी गान्ड की सील तोड़ कर मुझे अपनी बीवी बनाया था, अम्मिजान"। शाज़िया ने रज़िया बीबी के मोटे भारी चुतड़ों को अपने हाथों में दबोचते हुए अपनी अम्मी की बात का जवाब दिया।
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! ज़ाहिद का लंड तो इतना मोटा है कि फुद्दि में लेते वक्त तकलीफ़ होती है, और उस ज़ालिम ने इतने बड़े लंड से मेरी मासूम बच्ची की कंवारी गान्ड की धज्जियाँ उड़ा दीन्न्न्न्न्न्न्न" ज़ाहिद के मोटे लंड को अपनी तस्वरती आँखो से शाज़िया की गान्ड का बंद सुराख खोलते हुए सोच कर रज़िया बीबी की चूत से पानी का फव्वारा बहने लगा।
"ओह मोटे लंड से अपनी गान्ड की सील तुड़वाने में जो मज़ा है,में उसे लफ़्ज़ों में बयान नही कर सकती, वैसे आप की गान्ड तो मुझ से भी ज़्यादा बड़ी है,अगर अब्बू ने आज तक आप की गान्ड की सील नही खोली, तो भाईईईईईईईई! को ये मोका दे दो, ज़ाहिद भाईईईईईईईईई! आप की गान्ड को ऐसे प्यार से खोले गा कि मज़े की शिद्दत से एक तो आप सारे दर्द भूल जाएंगी, और दूसरा ज़ाहिद भाई के लिए एक बेटे से शोहर बनाने का सफ़र मज़ीद मज़ेदार हो जाएगा,अम्मी जीिइईईईईई!"। शाज़िया ने अपनी अम्मी की शलवार में क़ैद रज़िया बीबी की गान्ड के उभरे हुए गुदाज चुतड़ों को अपने हाथ से दबाते हुए कहा।
अपनी बेटी की बात सुन कर रज़िया बीबी एक लम्हे के लिए अपने मज़े में खो गई।
असल में रज़िया बीबी की गान्ड तो उस की जवानी से काफ़ी बड़ी और बाहर को उभरी हुई थी।
अपनी जवानी के बारे में सोचते हुए रज़िया बीबी को वो वक्त याद आया।
जब अपनी शादी से पहले रज़िया बीबी घर से बाहर निकलती। तो अपने जिस्म के गिर्द एक बड़ी सी चादर ओढ़ लेती।
मगर रज़िया बीबी की गान्ड इतनी मोटी और भारी थी। कि जिसे रज़िया बीबी के जिस्म के गिर्द लिपटी हुई चादर भी छुपाने में नाकाम हो जाती थी।
रज़िया बीबी जब अपनी गली में चलती। तो रज़िया बीबी की मटकती हुई गान्ड हिल हिल कर मोहल्ले के सारे लड़कों के लौडो पर बिजलियाँ गिरा देती थी। और पीछे से देखने वालों को अपना आशिक़ बना लेती थी।
शादी के बाद ज़ाहिद के अब्बू ने कई दफ़ा अपनी बेगम रज़िया बीबी से उस की गान्ड मारने की दरख़्वास्त की थी।
मगर हर दफ़ा रज़िया बीबी ये कह कर अपने मेरहूम शोहर की ये बात टाल देती कि "ये जायज़ काम नही"।
लेकिन आज जब रज़िया बीबी ने शाज़िया के मुँह से गान्ड मरवाने की बात सुनी। तो नज़ाने क्यों रज़िया बीबी को ये बात बुरी नही लगी।
बल्कि शाज़िया के मुँह से अपने बेटे ज़ाहिद की गान्ड चोदने की तारीफ सुन कर रज़िया बीबी की अपनी गान्ड में अपने बेटे ज़ाहिद के लंड की खारिश होने लगी।
"अच्छा अगर तुम्हारी ये ही मर्ज़ी है कि में अब ज़ाहिद के साथ ही सोया करूँ तो भला मुझे क्या ऐतराज हो सकता है मेरी बच्ची" शाजिया की बातों को सुन कर रज़िया बीबी की शलवार में छुपी हुई उस की चूत का मुँह बिल्कुल ऐसे खुलने और बंद होने लगा जैसे ज़ाहिद का लंड उसके सामने ही खड़ा है
जैसे समुंद्र (सी) में मौजूद किसी मछली (फिश) का मुँह अपनी खुराक (फुड) को हासिल करते वक्त खुलने और बंद होने लगता है।
अब रज़िया बीबी का दिल चाहने लगा कि वो किसी तरह उड़ कर अपने बेटे ज़ाहिद के पास पहुँचे। और फिर अपने बेटे के बिस्तर में गुस्स कर पूरी रात अपने बेटे के मोटे लंड को अपनी गान्ड और चूत में डलवा कर मज़े करे।
इसीलिए रज़िया बीबी ने जल्दी से बिस्तर पर पड़ा अपने दुपट्टा उठाया और उसे अपनी भारी छातियों पर लेने लगी।
"आप दुपट्टा क्यों ले रही हां अम्मी?" अपनी अम्मी को दुपट्टे से अपने बड़े बड़े मम्मे ढांपते देख कर शाज़िया ने अपनी अम्मी से पूछा।
"में हमेशा अपने सीने पर अपना दुपट्टा ओढ़ती हूँ,तो आज क्यों नही" रज़िया बीबी ने शाज़िया को कहा।
"वो इसीलिए के हम औरते अपनी मोटी छातियों को गैर मर्दो की भूकि नज़रों से छुपाने के लिए दुपट्टा लेती हैं, जब कि आप तो अपनी इन भारी छातियों को अपने ही सगे बेटे को दिखाने, मसलवाने और चुसवाने के लिए खुद चल कर उस के पास जा रही हैं, तो इस सूरत में दुपट्टे की क्या ज़रूरत है बाला" शाज़िया ने ये बात कह कर अपनी अम्मी को लाजवाब कर दिया।
"ये बात है तो ये रहा दुपट्टा, में अब अपने मम्मो को पूरी तरह नंगी कर के अपने बेटे ज़ाहिद के पास जाऊं गी शाज़िया" ये कहते हुए रज़िया बीबी ने अपने दुपट्टे को अपने सीने से उतार कर शाज़िया के कदमो में फैंका। तो रज़िया बीबी के मोटे मम्मे उस की तंग कमीज़ के खुले गले से उछल कर बाहर आने की कोशिश करने लगे।
इस के साथ रज़िया बीबी एक दम मूडी और अपनी बेटी शाज़िया से अलविदा हो कर अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की तरफ जाने लगी।
"भाई के पास जाते वक्त किचन से गरम दूध का एक ग्लास भी साथ लेते जाना अम्मी" शाज़िया ने जब अपनी गान्ड मटकाती अम्मी को अपने कमरे से बाहर निकल कर ज़ाहिद के कमरे की तरफ जाता देखा। तो पीछे से उस ने अपनी वालिदा (अम्मी) को आवाज़ दी।
"गरम दूध मगर वो किसीलिए शाज़िया" रज़िया बीबी जाते जाते वापिस पलटी और रुक कर अपनी बेटी से सवाल किया।
"आप के लिए अम्मी जान, और किस के लिए" शाज़िया ने अपनी अम्मी की बात का जवाब दिया।
"मेरे लिए? मगर तुम को तो पता है कि में इस वक्त गरम दूध नही पेटी" अपनी बेटी की बात सुन कर रज़िया बीबी ने हैरान हो कर शाज़िया की तरफ देखते हुए कहा।
"ये दूध है तो आप के ही लिए, मगर इसे पीएँगे ज़ाहिद भाई" शाज़िया अपनी अम्मी को मज़ीद हैरान करने के लिए बोली।
"दूध है मेरे लिए,मगर पीना ज़ाहिद ने है,ये तुम क्या अजीब अजीब बातें किए जा रही हो शाज़िया" अपनी बेटी की बात को ना समझते हुए रज़िया बीबी गुस्से में आई और ज़ोर से बोली।
"अच्छा में आप को समझाती हूँ, अपने मुँह के ज़रिए ये गरम दूध पीने के बाद, फिर ज़ाहिद भाई ने इसी दूध को अपने लंड के रास्ते, गरम वीर्य की शकल में आप की चूत और गान्ड में उडेलना है, तो इस तरह ये दूध तो असल में तो आप ही के लिए है ना अम्मी जान" शाज़िया अपनी अम्मी से ये बात कह कर खिल खिला कर हँसने लगी।
"बहुत ही बे शरम और वाहियात हो तुम भी शाज़िया" अपनी बेटी के मज़ाक को एंजाय करते हुए रज़िया बीबी भी हँसने लगी।
"अच्छा में ज़ाहिद के लिए दूध ले जाती हूँ, इसीलिए अब तुम जा कर आराम करो" रज़िया बीबी अपनी बेटी को उसी तरह कमरे के दरवाज़े पर खड़ा छोड़ कर किचन में घुसी। और वहाँ से गरम दूध का एक ग्लास अपने हाथ में उठा कर ज़ाहिद के कमरे की तरफ चल पड़ी।
रज़िया बीबी ज्यों ही अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे के दरवाज़े तक आई। तो उस ने कमरे का दरवाजा बंद पाया।
"लगता है ज़ाहिद आज जल्दी सो गया है"। कमरे के बंद दरवाज़े को देख कर रज़िया बीबी के जेहन में ख्याल आया।
रज़िया बीबी तो अपनी चूत में बहुत से अरमान ले कर अपने बेटे के कमरे तक पहुँची थी।
मगर अपने बेटे ज़ाहिद के बंद दरवाज़े को देख कर ना जाने क्यों रज़िया बीबी का दिल एक दम से बुझ सा गया।
"क्या करूँ दरवाजा खट खटाऊ या फिर ऐसे ही वापिस चली जाऊं" अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे के बाहर खड़े खड़े रज़िया बीबी को कई किसम के ख्याल आ रहे थे।
"जब में अपने बेटे के साथ रात गुज़ारने आ ही गई हूँ, तो मुझे दरवाज़े पर नॉक कर के चेक तो करना चाहिए, शायद ज़ाहिद जाग ही रहा हो" ये ख्याल जहाँ में आते ही रज़िया बीबी ने धड़कते दिल के साथ दरवाज़े को हाथ लगाया। तो कमरे का दरवाजा अंदर से कुण्डी ना लगी होने की वजह से अपने आप पूरा खुलता चला गया।
जिस वक्त रज़िया बीबी ने ज़ाहिद का कमरे का दरवाजा खोला।
ठीक उसी वक्त ज़ाहिद अपने बिस्तर पर लेट कर दोपेहर में होने वाले वाकिये को याद कर के निक्कर के उपर से ही अपने लंड से खेलने में मसरूफ़ था।
अपने लंड को हाथ से मसल्ने के दौरान ज़ाहिद ये सोच रहा था कि "हाईईईईईईईई! काश इस वक्त अगर अम्मी की चूत दुबारा चोदने को मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए!"
इसी दौरान ज्यों ही कमरे का दरवाजा खुला । तो बिस्तर पर निक्कर पहन कर लेटे हुए ज़ाहिद की नज़रें अपने कमरे के बाहर दूध का ग्लास लिए खड़ी अपनी अम्मी से टकराई।
ज़ाहिद ने देखा कि उस की अम्मी ने अपने भरी सीने पर कोई दुपट्टा नही लिया हुआ।
जिस की वजह से उस की अम्मी के मोटे मोटे तरबूज़ जैसे मम्मे रज़िया बीबी की कमीज़ के खुले गले से आधे बाहर नज़र आ रहे थे।
ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को यूँ नीम नंगी हालत में अपने कमरे के बाहर खड़ा देखा। तो ज़ाहिद को ऐसा लगा कि जैसे उस के लंड की मुराद पूरी हो गई हो।
"आप इस वक्त इधर क्या कर रही हैं अम्मी" अपनी अम्मी को अपने कमरे के सामने देख कर ज़ाहिद एक दम से अपने बेड से उठ कर खड़ा हुआ और रज़िया बीबी से पूछने लगा।
"वो असल में शाज़िया ने कहा कि तुम अक्सर रात को गरम दूध पी कर सोते हो,तो इसीलिए में तुम्हें दूध देने चली आई" बे शक रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया की बातों में आ कर ज़ाहिद के साथ सोने के लिए आ तो गई थी।
मगर अपने बेटे से एक बार चुदवाने के बावजूद रज़िया बीबी अपने बेटे ज़ाहिद को अपने आने का मकसद बताने में हिच किचाहट महसूस करने लगी थी।
"आप अभी तक बाहर क्यूँ खड़ी हैं, अंदर आ जाओ ना अम्मी जान"अपनी अम्मी को रात को तन्हाई में अपने कमरे के अंदर आने की दावत देने के दौरान ज़ाहिद का लंड उस की शॉर्ट्स में फुल तन कर खड़ा हो गया था।
"उफफफफफफफफफफफ्फ़! देखो तो सही, जिस तरह मेरी चूत इस लंड के लिए भी बुरी तरह से मचल रही है, बिल्कुल उसी तरह मेरे बेटे का ये लंड भी मेरी फुद्दि के लिए आकड़े जा रहा है" ज़ाहिद की निक्कर में खड़े हुए लंड पर नज़र पड़ते ही रज़िया बीबी के दिल में ख्याल आया।
तो ना सिर्फ़ रज़िया बीबी का दिल खुशी से झूम उठा। बल्कि उस की चूत भी अपने बेटे ज़ाहिद के लंड को देख कर शलवार में खुशी से "फूल" गई।
"जब मेरा बेटा मुझे इतने प्यार से अपने पास बुला रहा है,तो मुझे उस के पास जाने में देर नही करनी चाहिए"अपने बेटे ज़ाहिद से उस के कमरे के अंदर आने की दावत मिलते ही रज़िया बीबी ने एक लम्हे के लिए सोचा।
और फिर ने अपना एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के कमरे की दहलीज़ पर कर दी।
जारी रहेगी