अम्मी बनी सास 089

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जिस की वजह से रज़िया बीबी की गान्ड के सुराख पर फिरती हुई ज़ाहिद की उंगली पहली बार उस की अम्मी की कंवारी गान्ड के छेद को खोलते हुए थोड़ी सी गान्ड के अंदर घुस गई।

"ओह" ज्यों ही ज़ाहिद की उंगली उस की अम्मी की गान्ड के थोड़ा अंदर दाखिल हुई। तो दर्द के मारे रज़िया बीबी चीख पड़ी।

"हाईईईईईईईईईई! मेरी उंगली को गान्ड में ले कर आप की चीख निकल गई है,जब मेरा मोटा लंड आप की गान्ड में घुसे गा, तब तुम क्या करो गी जान" ज़ाहिद ने अपनी उंगली को अपनी अम्मी की गान्ड की मोरी पर हल्का हल्का अंदर बाहर करते हुए कहा।

"हाईईईईईईईईईई! ये दर्द की नही बल्कि मज़े की चीख है,आप मेरी चीखों की परवाह ना करो,और खूऊऊऊल भी दो मेरी गान्ड को आज अपने इस ज़ालिम लंड से,मेरी गान्ड के आशिक़्क़्क़्क़्क़्क़्क़्क़्क़्क़्क़्क़्क़्क़्क़!"जैसे ही ज़ाहिद की उंगली ने अपनी अम्मी की गान्ड में जा कर पहली बार रज़िया बीबी की कुँवारी गान्ड से छेड़ छाड़ शुरू की। तो रज़िया बीबी बे सखता चिल्ला उठी और मज़े के मारे उस के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगीं।

"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! में तो पिछले कई हफ्तों से आप की इस कयामत खेज गान्ड में अपना लंड डालने के सपने दिल में सजाए फिर रहा हूँ,और आज मेरे बिन कहे आप ने मुझे अपनी ये शानदार गान्ड खुद पेश कर के, मुझे अपना दीवाना बना लिया है बेगम" कहते हुए ज़ाहिद ने अपनी उंगली को अपनी माँ की गान्ड से बाहर निकाल कर अपने मुँह में डाला। और "शाराप शाराप" करते हुए उंगली को ज़ुबान से चाट कर अपनी अम्मी की नमकीन गान्ड का स्वाद चखने लगा।

"कैसाआआआआअ! लगा मेरी गान्ड का ज़ायक़ा मेरी जान को?" शारप शारप की आवाज़ सुनते ही रज़िया बीबी ने अपना मुँह मोड़ कर पीछे देखा। तो ज़ाहिद को अपनी उंगली चूस्ता देख कर रज़िया बीबी समझ गई। कि ज़ाहिद वो ही उंगली चाट रहा है जो उस ने अभी अभी उस की गान्ड से बाहर निकाली है।

अपने बेटे की ये हरकत देख कर रज़िया बीबी के तन बदन में लगी आग के शोले मज़ीद बुलंद होने लगे। और उस ने सिसकते हुए ज़ाहिद से पूछा।

"ओह्ह्ह! राजूऊऊऊ!, मेरी बीवी, कितना नमकीन है तुम्हारी गान्ड का रस, तुम्हारी गान्ड का ज़ायक़ा मुझे बता रहा है,कि तुम्हारी गान्ड,मेरे लंड को अपने अंदर लेने के लिए कितना तड़प रही है, अब अपनी टाँगे चौड़ी करो, और अपनी गान्ड में अपने शोहर के लंड का स्वागत करने को तैयार हो जाओ मेरी जान"अपनी अम्मी की बात का जवाब देते हुए ज़ाहिद ने रज़िया बीबी की गान्ड पर हाथ रखा।

और अपनी अम्मी की चूत के पानी से तर अपने लंड को रज़िया बीबी की गान्ड के सुराख पर रख दिया।

"क्यों ना लंड डालने से पहले,आप की गान्ड को चाट कर, इसे अपने लंड के लिए अच्छी तरह से रेडी कर लूँ,ता कि आप को मेरा मोटा लंड अपनी गान्ड में लेते वक्त तकलीफ़ ना हो रज़िया" अम्मी की गान्ड की कंवारी मोरी पर अपने लंड को रखते वक्त ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से कहा।

"तुम फिकर ना करो,मेरी गान्ड तुम्हारे लंड का इस्तक्बाल करने के लिए तैयार है, तुम घुसेड दो अपनी बीवी की गान्ड में अपना लंड,और वसूल कर लो अपने मरहूम बाप की छोड़ी हुई जायदाद में से अपना हिस्सा,मेरे बेटे,मेरे सर के ताज और मेरी गान्ड के रखवाले, रज़िया बीबी ने अपने हाथ से अपनी भारी गान्ड को अपने बेटे के मोटे और बड़े लंड के लिए खोलते हुए ज़ाहिद को जवाब दिया।

अपनी अम्मी को यूँ अपनी गान्ड उस के लिए खोलते देख कर ज़ाहिद का लंड जोश से मचलने लगा था। और अब ज़ाहिद के लिए अब अपनी अम्मी की गान्ड से दूर रहना मुश्किल हो रहा था।

इसीलिए ज़ाहिद ने बिस्तर पर अपनी गान्ड को उपर उठा कर आगे को झुकी हुई अपनी अम्मी रज़िया बीबी की कमर को अपने दोनो हाथों में जकड़ा।

और अपना लंड रज़िया बीबी की कंवारी गान्ड की मोरी के ऐन उपर फन्साते हुए एक ज़ोरदार झटका मारा।

पहले ही झटके में ज़ाहिद के लंड की मोटी टोपी अपनी अम्मी रज़िया बीबी की कंवारी गान्ड की सील को खोलते हुए रज़िया बीबी की मोटी गान्ड के अंदर घुस गई।

बे शक रज़िया बीबी ने अपने वजूद और गान्ड को अपने जवान शोहर के बड़े लंड के स्वागत के लिए तैयार कर लिया था।

मगर इस के बावजूद ज्यों ही ज़ाहिद के लंड की टोपी पहली बार उस की अम्मी के मोटी बूँद (गान्ड) में गई।

तो अपने बेटे के लंड की मोटी टोपी को अपनी गान्ड की दीवारों से रगड़ खा कर अपनी गान्ड में घुसते हुए महसूस कर के रज़िया बीबी को ऐसा लगा। जैसे ज़ाहिद ने उस की गान्ड में लंड नही बल्कि लोहे की कोई सुलाख डाल दी हो।

ज़ाहिद के लंड को गान्ड में लेते वक्त रज़िया बीबी को इतना शदीद दरद हुआ।

जितना उसे ज़ाहिद के अब्बू से पहली दफ़ा अपनी चूत फडवाते वक्त नही हुआ था।

ये इस दर्द की मेहरबानी थी। कि रज़िया बीबी अपने उपर काबू नही रख पाई। और ना चाहने के बावजूद बिस्तर पर झुकी हुई रज़िया बीबी के हलक से एक ज़ोरदार चीख निकल गई।

इस के साथ ही रज़िया बीबी ने एक दम से अपनी गान्ड की पहाड़ियों को आपस में जकड कर अपनी गान्ड को सिकोड लिया।

जिस वजह से उस की गान्ड में घुसते हुए ज़ाहिद का लंड का रास्ता बंद हो गया।और ज़ाहिद का लंड की टोपी उस की अम्मी की गान्ड की मोरी की आन दरमियाँ फँस कर रह गई।

नीलोफर और शाज़िया की कंवारी गान्ड की सील तोड़ने के बाद ज़ाहिद को अच्छी तरह से अंदाज़ था। कि एक औरत अपनी गान्ड पहली बार मरवाते वक्त किस तरह का रियेक्शन शो करती है।

इसीलिए ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी गान्ड के मसल्ते हुए ज़ोर लगा कर ज़ाहिद के मोटे लंड का रास्ता बंद किया। तो ज़ाहिद ने मज़ीद ज़ोर लगाने की बजाय अपनी अम्मी की गान्ड में फँसे अपने लंड के मोटे टोपे को खैंच कर बाहर निकाल लिया।

" मेने आप से कहा था, कि में आप की गान्ड को गीला करने के बाद ही अपना लंड डालूंगा।मगर आप ने मेरी बात नही मानी, लेकिन कोई बात नही, अप फिकर ना करो में अभी आप की गान्ड का दर्द कम कर देता हूँ,बेगम" कहते हुए ज़ाहिद पीछे हटा।

और अपने सामने घोड़ी बनी रज़िया बीबी की मोटी और उठी हुई गान्ड की चौड़ी पहाड़ियों में अपना मुँह डाल कर अपनी लंबी ज़ुबान से अपनी अम्मी की गान्ड के सुराख को चाट चाट कर गीला करने लगा।

ज़ाहिद अब अपनी अम्मी की गान्ड के छेद को मज़े ले ले कर चाटने के दोरान अपनी ज़ुबान की नौक से अपनी अम्मी की गान्ड की मोरी को खोलने की कोशिश भी कर रहा था।

"आह!,और्र्रर!,हाआन्ं।में तो इस पल के लिए तरस रही थी, और चाटो मेरी गान्ड, अह्ह्ह्ह! तुम्हे मेरी गान्ड बहुत पसंद है ना,तो काट खाओ मेरी मोटी गान्ड को,ज़ाहिद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड!" अपनी गान्ड की मोरी पर अपने बेटे की गरम ज़ुबान को फेरते हुए महसूस कर के रज़िया बीबी मज़े से सिसकारी और उस ने अपनी गान्ड को ढीला छोड़ दिया।

रज़िया बीबी अपने जवान बेटे की ज़ुबान की गर्मी से बेहाल हो कर अपनी गान्ड के दर्द को तकरीबन भुला बैठी थी। और बिस्तर पर उसी तरह झुकी हुई मज़े से सिसकारटी "अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!,ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!" कर रही थी।

"ओह तुम्हारे चूतड़ तो जैसे मेरी जान ही ले लेंगे, दिल करता है कि तुम्हारे इन मोटे चुतड़ों की पूजा करूँ,इन की आरती उतारू " अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने जोश से अपनी अम्मी की गान्ड में ज़ुबान घुमाते हुए बोला।

"पूजा बाद में करना, पहले मेरी गान्ड की प्यास तो बुझा दो, अब ना तरसाओ मुझे और मेरी कंवारी गान्ड फाड़ ही दो मेरे रजाआाआआआअ" रज़िया बीबी ने अपनी भारी गान्ड को ज़ाहिद के मुँह पर फेरते हुए कहा।

ज़ाहिद तो इसी मोके की तलाश में था। इसीलिए ज्यों ही मज़े से कराहते हुए रज़िया बीबी ने अपनी गान्ड के छेद को ढीला छोड़ा।

तो ज़ाहिद ने एक दम फिर अपनी अम्मी की गान्ड के उपर अपने लंड को रखते हुए फिर धक्का मारा।

इस बार ज़ाहिद का लंड किसी तेज चाकू की तरह अपनी अम्मी की गान्ड में फिसलता हुआ अंदर चला गया।

"हाईईईईईईईईईई! ईईईईई! में माररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर! गैिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई!" ज़ाहिद का लंड ज्यों ही अपनी अम्मी की कुँवारी गान्ड को खोलता हुआ पहली बार आधा अंदर दाखिल हुआ।

तो बिस्तर पर झुकी रज़िया बीबी चलती हुई एक झटके के साथ बिस्तर से उपर उठी। जिस वजह से उस की कमर अपने पीछे खड़े अपने जवान बेटे ज़ाहिद की सख़्त छाती से टकरा गई।

"ओह अपना सारा बदन ढीला छोड़ दो,और गहरी साँस लो, जानंनननणणन्" ज्यों ही रज़िया बीबी का जिस्म ज़ाहिद के जिस्म से टकराया। तो ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के भारी वजूद को अपनी बाहों में काबू करते हुए रज़िया बीबी के कान में सरगोशी की।

इस के साथ ही ज़ाहिद ने अपने लेफ्ट हाथ से अपनी अम्मी के हवा में झूलते हुए भारी राइट पोस्तान (मम्मे) को काबू किया।

जब कि अपने राइट हॅंड को अपनी अम्मी की चूत पर ला कर अपनी अम्मी की गरम फुद्दि के फूले हुए दाने को अपने हाथ से रगड़ने लगा।

"आआआहह! माआआआअ! फाड़ र्र्र्र्र्ररर दो मेरी गान्ड को ज़ाहिद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड!" ज्यों ही ज़ाहिद के हाथ की उंगलियों ने अपनी अम्मी के फुद्दे को छुआ। तो मज़े की शिदता बे हाल हो कर रज़िया बीबी अपनी गान्ड के दर्द को भूल गई और सिसकियाँ लेने लगी।

"हाईईईईईईईईईई! ईईईईई! आप की गान्ड में तो आप की फुद्दि से ज़्यादा गर्मी मौजूद है राजूऊऊओ बेगम्म्म्म" ज़ाहिद के लंड को ज्यों ही उस की अम्मी की गान्ड ने अपनी आगोश में लिया। तो अपनी अम्मी की गान्ड की अन्द्रुनि गर्मी को अपने सख़्त लंड पर महसूस कर के ज़ाहिद भी सिसकार उठा।

"तो चूत की तरह मेरी गान्ड की गर्मी भी निकाल दो ना मेरे जानुउऊुुुुउउ" अपनी गान्ड को अपने पीछे ख्रे ज़ाहिद के लंड पर फिराते हुए रज़िया बीबी ने जवाब दिया।

"हाईईईईईईईईईई! ईईईईईईई! मुझे तो यकीन नही हो रहा, कि जिस मोटी और उभरी हुई गान्ड को चोदने के लिए में पिछले कई महीनों से मचल रहा था, आज हक़ीकत में उसी कंवारी गान्ड को अपने लंड से खुद खोल रहा हूँ"

अपनी अम्मी के कान को अपने मुँह से चूमते और सरगोशी करते हुए ज़ाहिद ने अपने हाथ का दबाव रज़िया बीबी की मोटी फुद्दि के अकडे हुए दाने पर बढ़ा दिया।

"हाईईईईईईईईईई! ईईईईईईईईईईईई! इस पूरी दुनिया में शाज़िया के बाद सिर्फ़ आप ही की चूत और गान्ड ऐसी है, जिस ने मेरा पूरा लंड अपने अंदर लिया है अम्म्मी जान"ज्यों ही ज़ाहिद का लंड पहली बार जड़ तक उस की अम्मी की गान्ड में गया। तो मज़े से पागल होते हुए ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की गान्ड मारते हुए कहा।

ज़ाहिद का लंड जब पहली बार रज़िया बीबी की गान्ड में गया था। तब दर्द की वजह से रज़िया बीबी का दिल चाहा कि वो ज़ाहिद का लंड अपनी गान्ड से निकलवा दे।

मगर ज्यूँ ज्यूँ ज़ाहिद का हाथ उस की अम्मी की चूत के दाने को मसलता रहा। त्यु त्यु गरम हो हो कर रज़िया बीबी अपनी गान्ड को पीछे से अपने बेटे के मोटे लंड के लिए खोलती चली गई।

फिर कुछ ही देर में ज़ाहिद का पूरा लंड उस की अम्मी की गान्ड के अंदर जा चुका था। जिस की वजह से अब रज़िया बीबी अपनी गान्ड मरवाने में मज़ा आने लगा था।

"ओह मुझे पता होता कि गान्ड मरवाने में इतना मज़ा है, तो में कब की तुम से अपनी गान्ड मरवा लेती, मेरे सैयाँ" ये कहते हुए तालीफ़ और मज़े के दरमियाँ वाली काफियत रज़िया बेगम अब अपनी गान्ड को नीचे करते हुए बिस्तर पर पूरी सीधी लेट गई और बिस्तर पर पेट के बल लेट कर अपनी गान्ड को पीछे से उपर उठा उठा कर ज़ाहिद से अपनी मोटी गान्ड चुदवाने लगी।

ज़ाहिद अब अपनी अम्मी की गान्ड को अपने लंड से पूरा खोलने के बाद अब पूरी ताक़त से अपनी अम्मी की गान्ड में कस कस कर झटकों पर झटके मार रहा था।

जब कि ज़ाहिद से अपनी गान्ड मरवाते वक्त रज़िया बीबी की लज़्ज़त भरी चीखे पूरे कमरे मे गूँज रही थी।

ज़ाहिद अब अपनी अम्मी की गान्ड के छेद को मज़े ले ले कर चाटने के दोरान अपनी ज़ुबान की नौक से अपनी अम्मी की गान्ड की मोरी को खोलने की कोशिश भी कर रहा था।

"आह,और्र्रर,हाआन्ं।में तो इस पल के लिए तरस रही थी, और चाटो मेरी गान्ड, अह्ह्ह्ह तुम्हे मेरी गान्ड बहुत पसंद है ना,तो काट खाओ मेरी मोटी गान्ड को,ज़ाहिद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड" अपनी गान्ड की मोरी पर अपने बेटे की गरम ज़ुबान को फेरते हुए महसूस कर के रज़िया बीबी मज़े से सिसकारी और उस ने अपनी गान्ड को ढीला छोड़ दिया।

रज़िया बीबी अपने जवान बेटे की ज़ुबान की गर्मी से बेहाल हो कर अपनी गान्ड के दर्द को तकरीबन भुला बैठी थी। और बिस्तर पर उसी तरह झुकी हुई मज़े से सिसकारटी "अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!,ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!" कर रही थी।

"ओह तुम्हारे चूतड़ तो जैसे मेरी जान ही ले लेंगे, दिल करता है कि तुम्हारे इन मोटे चुतड़ों की पूजा करूँ,इन की आरती उतारू " अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने जोश से अपनी अम्मी की गान्ड में ज़ुबान घुमाते हुए बोला।

"पूजा बाद में करना, पहले मेरी गान्ड की प्यास तो बुझा दो, अब ना तरसाओ मुझे और मेरी कंवारी गान्ड फाड़ ही दो मेरे रजाआाआआआअ" रज़िया बीबी ने अपनी भारी गान्ड को ज़ाहिद के मुँह पर फेरते हुए कहा।

ज़ाहिद तो इसी मोके की तलाश में था। इसीलिए ज्यों ही मज़े से कराहते हुए रज़िया बीबी ने अपनी गान्ड के छेद को ढीला छोड़ा।

तो ज़ाहिद ने एक दम फिर अपनी अम्मी की गान्ड के उपर अपने लंड को रखते हुए फिर धक्का मारा।

इस बार ज़ाहिद का लंड किसी तेज चाकू की तरह अपनी अम्मी की गान्ड में फिसलता हुआ अंदर चला गया।

"हाईईईईईईईईईई! ईईईई!ई में माररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर! गैिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई!" ज़ाहिद का लंड ज्यों ही अपनी अम्मी की कुँवारी गान्ड को खोलता हुआ पहली बार आधा अंदर दाखिल हुआ।

तो बिस्तर पर झुकी रज़िया बीबी चलती हुई एक झटके के साथ बिस्तर से उपर उठी। जिस वजह से उस की कमर अपने पीछे खड़े अपने जवान बेटे ज़ाहिद की सख़्त छाती से टकरा गई।

"ओह अपना सारा बदन ढीला छोड़ दो,और गहरी साँस लो, जानंनननणणन्" ज्यों ही रज़िया बीबी का जिस्म ज़ाहिद के जिस्म से टकराया। तो ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के भारी वजूद को अपनी बाहों में काबू करते हुए रज़िया बीबी के कान में सरगोशी की।

इस के साथ ही ज़ाहिद ने अपने लेफ्ट हाथ से अपनी अम्मी के हवा में झूलते हुए भारी राइट पोस्तान (मम्मे) को काबू किया।

जब कि अपने राइट हॅंड को अपनी अम्मी की चूत पर ला कर अपनी अम्मी की गरम फुद्दि के फूले हुए दाने को अपने हाथ से रगड़ने लगा।

"आआआहह माआआआअ फाड़ र्र्र्र्र्ररर दो मेरी गान्ड को ज़ाहिद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड!" ज्यों ही ज़ाहिद के हाथ की उंगलियों ने अपनी अम्मी के फुद्दे को छुआ। तो मज़े की शिदता बे हाल हो कर रज़िया बीबी अपनी गान्ड के दर्द को भूल गई और सिसकियाँ लेने लगी।

"हाईईईईईईईईईई!ईईईईई! आप की गान्ड में तो आप की फुद्दि से ज़्यादा गर्मी मौजूद है राजूऊऊओ बेगम्म्म्म" ज़ाहिद के लंड को ज्यों ही उस की अम्मी की गान्ड ने अपनी आगोश में लिया। तो अपनी अम्मी की गान्ड की अन्द्रुनि गर्मी को अपने सख़्त लंड पर महसूस कर के ज़ाहिद भी सिसकार उठा।

"तो चूत की तरह मेरी गान्ड की गर्मी भी निकाल दो ना मेरे जानुउऊुुुुउउ!" अपनी गान्ड को अपने पीछे ख्रे ज़ाहिद के लंड पर फिराते हुए रज़िया बीबी ने जवाब दिया।

"हाईईईईईईईईईई! ईईईईईईई! मुझे तो यकीन नही हो रहा, कि जिस मोटी और उभरी हुई गान्ड को चोदने के लिए में पिछले कई महीनों से मचल रहा था, आज हक़ीकत में उसी कंवारी गान्ड को अपने लंड से खुद खोल रहा हूँ"

अपनी अम्मी के कान को अपने मुँह से चूमते और सरगोशी करते हुए ज़ाहिद ने अपने हाथ का दबाव रज़िया बीबी की मोटी फुद्दि के अकडे हुए दाने पर बढ़ा दिया।

"हाईईईईईईईईईई! ईईईईईईईईईईईई! इस पूरी दुनिया में शाज़िया के बाद सिर्फ़ आप ही की चूत और गान्ड ऐसी है, जिस ने मेरा पूरा लंड अपने अंदर लिया है अम्म्मी जान"ज्यों ही ज़ाहिद का लंड पहली बार जड़ तक उस की अम्मी की गान्ड में गया। तो मज़े से पागल होते हुए ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की गान्ड मारते हुए कहा।

ज़ाहिद का लंड जब पहली बार रज़िया बीबी की गान्ड में गया था। तब दर्द की वजह से रज़िया बीबी का दिल चाहा कि वो ज़ाहिद का लंड अपनी गान्ड से निकलवा दे।

मगर ज्यूँ ज्यूँ ज़ाहिद का हाथ उस की अम्मी की चूत के दाने को मसलता रहा। त्यु त्यु गरम हो हो कर रज़िया बीबी अपनी गान्ड को पीछे से अपने बेटे के मोटे लंड के लिए खोलती चली गई।

फिर कुछ ही देर में ज़ाहिद का पूरा लंड उस की अम्मी की गान्ड के अंदर जा चुका था। जिस की वजह से अब रज़िया बीबी अपनी गान्ड मरवाने में मज़ा आने लगा था।

"ओह मुझे पता होता कि गान्ड मरवाने में इतना मज़ा है, तो में कब की तुम से अपनी गान्ड मरवा लेती, मेरे सैयाँ" ये कहते हुए तालीफ़ और मज़े के दरमियाँ वाली काफियत रज़िया बेगम अब अपनी गान्ड को नीचे करते हुए बिस्तर पर पूरी सीधी लेट गई।

और बिस्तर पर पेट के बल लेट कर अपनी गान्ड को पीछे से उपर उठा उठा कर ज़ाहिद से अपनी मोटी गान्ड चुदवाने लगी।

ज़ाहिद अब अपनी अम्मी की गान्ड को अपने लंड से पूरा खोलने के बाद अब पूरी ताक़त से अपनी अम्मी की गान्ड में कस कस कर झटकों पर झटके मार रहा था।

जब कि ज़ाहिद से अपनी गान्ड मरवाते वक्त रज़िया बीबी की लज़्ज़त भरी चीखे पूरे कमरे मे गूँज रही थी।

रज़िया बीबी की चीखों से सॉफ लग रहा था। कि ये दर्द की आवाज़ नही।बल्कि ये तो गॉश और मस्ती से भरी चुदाई का मज़ा लेने वाली चीखे हैं।

ज़ाहिद अब पागलों की तरह अपनी अम्मी की गान्ड को ऐसे चोद रहा था। जैसे वो आज अपनी अम्मी की गान्ड में से ही अपना बच्चा निकाल कर रहे गा।

जब की उस के सामने बिस्तर पर लेटी उस की बीवी माँ अपने चूतड़ उठा उठा कर अपने जवान बेटे के लंड को अपनी गान्ड के अंदर ले रही थी।

माँ बेटे के लंड और गान्ड के मिलाप के इस हसीन मंज़र ने कमरे का पूरा माहौल रगीन बना दिया था।

"अब मुझे अपनी अम्मी की गान्ड में अपने लंड का पानी खारिज कर ही देना चाहिए" जब अपनी अम्मी की गान्ड को चोद चोद कर ज़ाहिद थक गया। तो उस के दिल में ख्याल आया।

ये ख्याल जेहन में आने की देर थी। कि ज़ाहिद ने एक दम अपनी अम्मी की गान्ड में से अपना मोटा लंड बाहर निकाला।

और एक तेज धार के साथ अपने लंड का गहरा वीर्य बिस्तर पर ओन्धे मुँह लेटी अपनी अम्मी रज़िया बीबी की भारी गान्ड पर छोड़ दिया।

अपनी अम्मी की उपर को उठी हुई चौड़ी गान्ड की गहरी पहाड़ियों में अपने लंड का वीर्य उडेलने के बाद ज़ाहिद भी बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई रज़िया बीबी के जिस्म पर ढेर हो गया।

ज्यों ही ज़ाहिद ने पीछे से अपनी अम्मी की हवा में उठी हुई गान्ड पर अपने जिस्म का सारा बोझ डाला। तो ज़ाहिद के वज़न तले दबी रज़िया बीबी की मोटी गान्ड एक दम नीचे हुई।

ज्यों ही रज़िया बीबी के भारी वजूद ने अपने आप नीचे को धँसाते हुए बिस्तर की चादर को छुआ। तो रज़िया बीबी की फूली हुई चूत को नीचे से बिस्तर की रगड़ लगी।

रज़िया बीबी के मोटे फुद्दे को लगने वाली रगड़ इतनी अचानक और शदीद थी। कि ज़ाहिद के लंड के साथ साथ रज़िया बीबी की चूत का मुँह भी खुल गया। जिस ने बिस्तर पर बिछी सफेद चादर को भी पूरा भिगो दिया।

अब कमरे में हालत ये थी। कि कमरे में बिछे बिस्तर पर दोनो माँ बेटा के पसीने में भीगे हुए बदन एक दूसरे पर पड़े अपनी बिखरी सांसो को संभालने की कॉसिश में मसरूफ़ थे।

और ज़ाहिद अपनी अम्मी की गान्ड की दरार में अपने ढीले पड़ते हुए लंड को रगड़ने के साथ साथ रज़िया बीबी की गर्दन को पीछे से चूम भी रहा था।

"कैसा लगा गान्ड मरवाई का ये तजुर्वा रज़िया बेगम" ज़ाहिद ने अपनी दूसरी बीवी रज़िया बीबी की गान्ड के छेद में अपने लंड को ऊपर नीचे फिराते हुए पूछा।

"हाईईईईईईईईईई!ईईईईईईई! काश मुझे पता होता कि गान्ड मरवाने में इतना मज़ा मिलता है, तो शाज़िया से पहले में अपनी गान्ड मरवा लेती तुम से मेरे जानू" रज़िया बीबी ने नीचे से अपनी गान्ड को ऊपर उठा कर ज़ाहिद के लंड को अपनी गान्ड की मोटी पहाड़ियों में मज़ीद घुसाते हुए जवाब दिया।तो ज़ाहिद का लंबा लंड रज़िया बीबी की गान्ड के छेद से नीचे होते हुए पीछे से रज़िया बीबी की चूत के दाने को छूने लगा।

"उफफफफफफफफफफफ्फ़ दो दफ़ा फारिग होने के बावजूद तुम्हारे गधे जैसे लंड में तो अभी तक काफ़ी सख्ती है मेरे सरताज" ज्यों ही ज़ाहिद के लंड ने अपनी अम्मी की चूत के दाने पर चोट लगाई। तो रज़िया बीबी फिर से सिसकार उठी।

"जब इस लंड को अपने ही घर में दो दो बीवियाँ नसीब होगीं, तो ये बहन और माँ चोद अपना पानी छोड़ने के बावजूद अकडे ना तो और क्या करे मेरी जान"अपनी अम्मी की बात का जवाब देते हुए ज़ाहिद फिर से अपनी अम्मी के बिखरे बालों में अपना मुँह घुमाते हुए अपने लंड को अपनी अम्मी की गान्ड और चूत पर आहिस्ता आहिस्ता रगड़ने लगा।

थोड़ी देर यूँ ही पड़े रहने के बाद ज़ाहिद रज़िया बीबी के भारी वजूद से उठा। तो रज़िया बीबी भी सकून की सांस लेते हुए सीधी हो कर बिस्तर पर लेट गई।

ज्यों ही रज़िया बीबी कमर के बल सीधी हो कर बिस्तर पर लेटी। तो रज़िया बीबी के बराबर लेटे ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के बड़े बड़े मम्मों में अपने सर रख कर सकून से अपनी आँखे बंद कर लीं।

थोड़ी देर यूँ ही पड़े रहने के बाद ज़ाहिद रज़िया बीबी के भारी वजूद से उठा। तो रज़िया बीबी भी सकून की सांस लेते हुए सीधी हो कर बिस्तर पर लेट गई।

ज्यों ही रज़िया बीबी कमर के बल सीधी हो कर बिस्तर पर लेटी। तो रज़िया बीबी के बराबर लेटे ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के बड़े बड़े मम्मों में अपने सर रख कर सकून से अपनी आँखे बंद कर लीं।

अभी ज़ाहिद को अपनी आँखे बंद किए कुछ ही सेकेंड्स गुज़रे थे। कि ज़ाहिद के कानों में किसी की सिसकियों की आवाज़ गूँजी।

ज़ाहिद ने रज़िया बीबी के मम्मो में से अपना सर उठा कर अपनी अम्मी के चेहरे की तरफ देखा। तो उसे अपनी अम्मी की आँखों में आँसू नज़र आ गये।

"लगता है आप को मुझ से चुदवा कर अब शरम या गुनाह का अहसास हो रहा है,इसी लिए आप की आँखों में आँसू छलक रहे हैं अम्मी" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को यूँ अचानक रोते देखा। तो उस ने एक दम अपनी अम्मी से कहा।

"ज़ाहिद अपने अब्बू के बाद तुम मेरे दूसरे शोहर बन गये हो,जब कि तुम्हारी बहन के बाद में तुम्हारी अपनी सग़ी अम्मी ही तुम्हारी दूसरी बन चुकी हूँ बेटा, इसीलिए ये शरम या गुनाह के नही, बल्कि खुशी और गम के आँसू हैं ज़ाहिद" रज़िया बीबी ज़ाहिद की बात के जवाब में बोली।

"खुशी और गम के आँसू,में समझा नही आप की बात" अपनी अम्मी की बात का मतलब ना समझते हुए ज़ाहिद ने दुबारा पूछा।

"हां खुशी और गम के आँसू, खुशी इस बात की कि इतने सालों से प्यासी मेरी चूत की प्यास बुझाने के लिए,इस बूढ़ी उमर में भी मुझे अपने से 20 साल छोटे मर्द का घोड़े जैसे का एक लंड नसीब हुआ है,जिस ने आज मेरी चूत और गान्ड की धज्जियाँ उड़ा कर रख दीं हैं,और गम इसीलिए कि अपनी जिन्सी प्यास बुझवाने के बावजूद अब मेरी चूत बंजर हो चुकी है, जिस वजह से में तुम्हारे बच्चे की माँ नही बन सकती,अगर में तुम्हारे बच्चो को अपने पेट में जनम दे कर,तुम्हारी तरह तुम्हारे बच्चो को भी अपना दूध पिलाती तो मुझे ज़्यादा खुशी होती मेरी ज़िंदगी के नये मालिक" रज़िया बीबी ने अपनी आँखों से आँसू बहाते हुए ज़ाहिद से कहा।

"ओह,अगर तुम मेरे बच्चो की माँ नही बन सकती तो कोई बात नही,में इस के बावजूद तुम्हारी चूत की इसी तरह पूजा करूँगा,जैसे में अपनी पहली बीवी और अपने होने वाले बच्चे की माँ शाज़िया की करता हूँ, मेरी जान" ज़ाहिद ने रज़िया बीबी की बैठी आँखो पर अपने गरम होंठो से बोसा देते हुए अपनी अम्मी को तसल्ली दी। और रज़िया बीबी की आँखों को अपने हाथ से सॉफ कर दिया।

रज़िया बीबी को अपने बेटे और नये खाविंद का प्यार भरा ये अंदाज़ बहुत अच्छा लगा। और वो ज़ाहिद की इस बात और हरकत में मुस्कुराने लगी।

दोनो माँ बेटा अपनी चुदाई से काफ़ी थक चुके थे। इसीलिए फिर कुछ देर इधर उधर की बातें करने के बाद दोनो को नीद आ गई।और दोनो माँ बेटा एक प्यार करने वाले मियाँ बीवी की तरह एक दूसरे की बाहों में ही सो गये।

उधर घर के दूसरे कमरे में उस रात शाज़िया अपने बिस्तर पर अकेली नंगी लेट कर अपनी अम्मी और ज़ाहिद भाई के दरमियाँ होने वाली चुदाई की हल्की हल्की आवाज़ों और सिसकियों को ना सिर्फ़ सुन रही थी।