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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II
नयी भाभी की सुहागरात
CHAPTER-2
PART 05
क्या और कैसे करना है
राजमाता ने फिर से पापा के लंड को अपनी मुट्ठी में कसकर पकड़ लिया और तो पापा उत्तेजना से गुर्राये ।
उंगलियों में अंगूठियों के बिना और अतिरिक्त दबाव के साथ जब राजमाता ने लंड को पकड़ा तो पापा की वासना में उबाल आ रहा था। पापा की कराह सुन कर राजमाता ने लन्दमुड़ पर थोड़ी ढील दी।
राजमाता ने कहा "नई कुंवारी योनि टाइट होती है. लेकिन योनी कभी भी उतनी टाइट नहीं होती जितनी कोई अपनी मुट्ठी बना सकता है।" त्वरित स्खलन के लिए राजमाता ने लंडमुंड के छल्ले पर अपनी उगलिया फिरानी शुरू कर दी उसे इससे स्पष्ट था की वो लंडमुड के अतिरिक्त लिंग के अन्य संवेदनशील क्षेत्र को जानतो थी । हम पुरुष उनकी यौन विशेषज्ञता पर आश्चर्यचकित थे ।
उन्होंने अपना अंगूठा लंडमुड पर घुमाया और लंड की छोटे से छेद को दबाया और मेरे पापा की आँखों में देखा कि प्रतिक्रिया सबसे अधिक कहाँ थी। अचानक पापा ने घुटने टेक दिए, और "आआआआआह!" करते हुए कंपकंपाने और गुर्राने लगे । पापा उस समय उस खुशी और आनन्द से चीखना पसंद करते, जो उन कोमल रेशमी उँगलियों से उन पर बरस रही थी, लेकिन अगर वह ऐसा करते तो सुरक्षा गार्ड की टीम पलक झपकते ही कमरे में प्रवेश कर जाती । उसलिए वो बिलकुल धीमे धीमे कराह रहे थे।
"वहां!" राजमाता ने विजयी मुस्कान के साथ कहा। "यही वह जगह है जहाँ लिंग का सबसे उत्तेजक ज़ोन है। यही वो सबसे उत्तेजक क्षेत्र है जहाँ आपको सम्भोग करते समय उसकी योनी के होठों को रगड़ने के लिए हेरफेर करना चाहिए। आइए अब आपको हम दिखाते हैं कि कैसे।"
उन्होंने अपनी चूड़ियों को अपनी कलाई से ऊपर धकेल दिया ताकि वे उलझें नहीं और ध्यान आकर्षित न करे और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे उस मर्दानगी के अद्भुत नमूने पर गिर सकती हैं या उसे कुरेद सकती हैं, जिसे वह संभालने में आनंद ले रही थी। उनके हाथ में मिशन के लिए अति महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण था और उन्होंने दिमाग के कोने में नोट किया कि यहां एक संपत्ति थी जिसे सावधानीपूर्वक संभालने की आवश्यकता थी। "पुत्र ध्यान से सुनो," उन्होंने पुनः अपने छात्र को निर्देश दिया।
"जब मेरी मुट्ठी लिंग से ऊपर और ऊपर होती है, तो आप रानी के बाहर होते हैं ।" उन्होंने कहा, प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थ और चिकनाई होने से उंगली से चोट लगने की कोई संभावना नहीं है, उन्होंने मन ही मन सोचा।
"जब मैं अपनी मुट्ठी नीचे करती हूं, तो आपको लिंग को योनी में प्रवेश करने के लिए आगे की ओर जोर देना होगा । याद रखें, यह आप ही हैं जो जोर दे रहे होंगे और योनी नहीं हिलेगी।" उन्होंने स्पष्ट किया। "मैं इस विषय में इतना सुनिश्चित कैसे हो सकता हूं?" मैंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पुछा । "क्या रानी चिकोटी, धड़कन, आक्षेप, जोर नहीं देगी और सहयोग नहीं करेगी?"
राजमाता रुकी और बोली, नयी कुंवारी कन्या यदि प्रवेश करने का विरोध न करे तो यही उसका सहयोग है। बाद के सम्भोग के समय परस्पर सहयोग इत्यादि सब संभव है। कई अवसरों पर परस्पर नकली विरोध का आचरण करते हुए भी परस्पर सम्भोग का आननद लिया जाता है ।
"अब यह!" उन्हेने मुठी की म्यान जो उन्होंने बना रखी थी उसे पीछे खींचते हुए कहा, "क्या होता है जब आप उसमें डुबकी लगाते हैं। दूर जी क्या आपको अपने लिंग में दुलार और उत्तेजना महसूस होती है?"
"उन्ह!" मैंने जवाब में चुटकी ली।
"क्या आप समझ रहे हो? मुझे जवाब दो! पुत्र आपको सब कुछ ध्यान से समझना और सीखना है और फिर करना है। आनंद में खुद को खोना नहीं है।" उन्होंने जोर देकर कहा, मुझे लगा उन्होंने मुझसे असंभव की मांग की है ।
राजमाता बोली पुत्र तो फिर से ध्यान से सुनो आप को पहले रानी को पूरा निर्वस्त्र करना है इस दौरान आप उसके स्तनों को चूसना, दुलारना, चुंबन, चाटना, चूमना, गले लगाना, छूना और महसूस करना शुरू कर देंगे और फिर जब आपके लिंग में उथ्थान आएगा जैसा इस समय इस लिंग आ रहा है और आपका लिंग बिलकुल कड़ा हो जाए तो तब आपको उसमें प्रवेश करना होगा ।
"यह ।" राजमाता फुसफुसायी, "यह वही है। मैं चाहती हूँ कि उस समय आप अपने हतियार का उपयोग करें और प्रवेश करे।" उनकी उंगलियाँ ने उनके हाथ में पापा के लिंग की गर्मी को महसूस करते हुए, पापा के मोटे हथियार के ऊपर और नीचे कूच किया। जल्द ही लिंग कड़ा हो गया । लिंग सूखा हुआ था लेकिन तभी लिंग से एक पतली बूँद प्रेकम के तरल की निकली और लंडमुंड से चिपक गयी। राजमाता ने अपना अंगूठा लंडमुंड के सिर पर घुमाया, अपने अंगूठे से रस को मेढ़े पर फैला दिया।
वह अपनी मुट्ठी के साथ हस्तमैथुन का प्रदर्शन कर रही थी और उन्होंने मुझे दिखाया कि कैसे उत्सर्जन और पिचकारियाँ मारते हुए के बीच वापस पकड़ना है और पिचकारियाँ मारने के दौरान कैसे लंड को आगे पीछे करना है। कोई चोट पहुँचाए बिना नरम लेकिन खुरदरी मुठ्ठी में घुसाने के लिए लंड को तैयार करने की जरूरत थी।
"यही चुदाई का कार्य है," वह बड़बड़ायी, उन्होंने मुंह से लार लंड पर गिरा कर लंड की गीला और चिकना किया और बोली पुत्र! आप ये समझो की। "मेरी मुट्ठी रानी की योनी है और मुठी के छेद पर लंड को लगा कर बोली। उसी तरह तुम्हारा लिंग उसकी योनि के होठों के मुहाने पर होना चाहिए। आप समझे?" उन्होंने पूछा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका छात्र पाठ की यांत्रिकी को समझे। फिर मुठी ऊपर उठा कर छेद पर दुसरे हाथ की ऊँगली थोड़ी अंदर लगा कर समझाया और बोली ठीक ऐसे लगाना है आपको।
मैं कांपते हुए, "जी राजमाता" और जैसे ही मैंने हाँ कहा उनका हाथ लंड पर चढ़ गया और बंद मुट्ठी के सर के नीचे फिसल गयी।
"आप भीगे होंगे और गीलेपन और चिकनाई से आपको प्रवेश में सुविधा होगी । जब आप चूमोगे और दुल्लर करोगे तो रानी भी उत्तेजित होगी और उनकी योनि भी रस का उत्सर्जन करेगी । आप उस-उस का उपयोग चिनाई के लिए कर सकते हैं। फिर उन्होंने अपनी योनि पर हाथ लगा कर जो गीलापन वह इतनी देर से महसूस कर रही थी। उससे अपनी उंगलियों की भिगोया और पिताजी के लंड पर फिर कर लंड को गीला और चिकना कर दिया। वैसे ये काम आप अपने लिंग को यदि योनि से फिरा कर और छुआ कर करें तो ये बेहतर होगा । इससे रानी भी लिंग का संपर्क महसूस कर उत्तेजित होग । हाथ में काम के लिए ये काम उतना अच्छा नहीं होगा। अगर आप अधिक उत्तेजित हों या अधिक उत्तेजना चाहते हो और तेजी से संभोग करने के इच्छुक हो तो इसके लिए आप अपना सुखा लंड भी प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन बस अब, मैं नहीं करूँगी, क्योंकि मैं देवर जी को चोट या दर्द नहीं पहुँचाना चाहती ।" उन्होंने समझाया। "वास्तव में, इन्हें निकाल देना चाहिए" उन्होंने कहा और अपनी उंगलियों पर पहनी हुए कई अंगूठियों को चतुराई से हटा दिया।
"क्या आप समझ रहे हो? मुझे जवाब दो! पुत्र।
कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार