एक नौजवान के कारनामे 144

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नयी रानी की सुहागरात सुहागसेज​.
2.5k words
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Part 144 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

CHAPTER-2

नयी भाभी की सुहागरात

PART 08

नयी रानी की सुहागसेज​

भाई महाराज कक्ष में घूमे और सुनिश्चित किया की कमरे में कोई और तो नहीं है और फिर एक तरफ जा कर एक गुप्त रास्ता खोला और मैंने उस सुहागरात कक्ष में प्रवेश किया और भाई महाराज वहाँ से चले गए। भाई महाराज जाते हुए मेरे हाथ में एक डिब्बा पकड़ा गए और बोले रानी को उपहार दे देना।

सुहागसेज को गुलाब, मोगरा और अन्य कई सारे फूलों से इस कदर सजाया गया था कि बिस्तर की चादर तनिक भी नज़र नहीं आ रही थी और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो पूरी सेज फूलों से ही निर्मित हो। पूरा कक्ष मोगरे के इत्र की खुशबु से सुगंधित था।

सोलह शृंगार किए घूँघट ओढ़े लाल जोड़े में फूलों से सजी सुहाग-सेज पर लाज से सिमटी बैठी नयी दुल्हन भाभी मेरी प्रतीक्षा कर रही थी। सबसे मजे और आश्चर्य की बात ये थी की अब तक न तो मैंने दुल्हन बनी हुई भाई महाराज की नयी रानी जो मेरी भाभी लगती थी का चेहरा देखा था न मुझे उनका नाम ही मालूम था।

मैंने नयी रानी को निहारा तो देखा नयी रानी किसी सांचे में ढले मदमस्त कोमल जिस्म की मल्लिका थी। उस टाइम उसके स्तनों की साइज 36 इंच लग रहा था और बलखाती और लहराती नागिन-सी उसकी कमर 28 इंच की थी। उसके कूल्हे! उफ्फ! क्या बताऊँ एकदम तोप से उठे हुए 36 इंच के थे। लाल सुर्ख जोड़े में अपने संगमरमरी बदन को लपेटे हुए फूलों से सजे बेड पर बैठी थी।

गहनों गजरे और फूलों से शृंगार किये हुए स्वर्ग से आयी हुई अप्सरा लग रही थी। मेरा तो लंड उसे देख कर कड़ा होने लगा। वह बिस्तर के पास शर्मायी हुई अपने पैरो की तरफ देख रही थी। उसने हल्का-सा घूंघट किया हुआ था। उसका चेहरा शर्म और आगे जो होने वाला था वह सोच कर लाल हो रहा था। वह थोड़ी-सी घबराई हुई थी।

मैंने कहा मुझे बताया गया है कि आपको मालूम है मैं आपके पति महाराज का छोटा भाई हूँ और मुझे ही आपके साथ सुहागरात मनानी है तो वह कुछ बोली।

मैं थोड़ा-सा आगे हुआ और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। उसका नरम गर्म हाथ पकड़ते ही मेरी कामुकता भड़क गयी और मेरा लंड सनसनाता हुआ पूरा बड़ा और कड़ा हो गया और सलामी देने लगा।

मेरे बहुत कहने की मेरे लिए उनकी सहमति जानना बहुत जरूरी है वह बहुत मीठी आवाज़ में बोली मुझे मालूम है। मुझे आवाज थोड़ी पहचानी-सी लगी। मैंने वह डिब्बा खोला तो उसमे चूड़ामणि थी वह मैंने रानी को दिया और कहाः ये भाई महाराज ने आपको उपहार देने को कहा है और साथ ही अपनी जेब से निकाल अंगूठी उनको उपहार दी तो वह बोली आप ही पहना दीजिये और उसके गहने खड़कने लगे।

मैंने उसे उस अंगूठी को पहनाया फिर धीरे से उसका घूंघट उठा दिया। दूध जैसी गोरी चिट्टी लाल गुलाबी होंठ! नाक पर बड़ी नथ, मांग में टिका बालो में गजरा उसका चेहरा नीचे को झुका हुआ था उसे देख मेरे मुँह से निकला अरे जूही तुम! तो तुम्हारे साथ महाराज का विवाह हुआ है। तुम उनकी नयी रानी हो। तो तुम हिमालय राज की पुत्री हो? मैं जब से महर्षि के आश्रम पहली बार गया था उसके बाद से तुम गायब हो गयी थी । मैं चिंतित था कि तुम कहाँ चली गयी? तुम्हारा फ़ोन भी बंद था।

मैं बहुत हैरान और चकित था। मेरी बात सुन जूही मुस्कुरा दी। अब संशय का कोई सवाल ही नहीं था। जूही ने ही मुझे सूरत के पांच तारा होटल के स्विमिंग पूल का सदस्य बनवाया था और हम दोस्त बन गए थे। फिर उसी की मित्र रुसी सुंदरी ऐना से मैं मिला था और फिर हम महर्षि से मिलने गए और मेरा मिलना भाई महाराज से हुआ था। मुझे ये भी अब समझ आ गया था, कि पहली चुदाई के बाद ऐना ने क्यों कहा था कि जूही बहुत किस्मत वाली है और जूही तुम्हे बहुत पसंद और प्यार करती है और मुझे पता है कि तुम उसे बहुत खुश कर दोगो।

अब सब कुछ साफ़ हो गया था और समझ आ गया था। फिर जो कुछ हुआ उसके बारे में हम दोनों बाते करते रहे। जूही ने बताया की उसने मुझे होटल में एक मीटिंग के दौरान देखा था और फिर जब उसके रिश्ते की बात महाराज से चली तो उसने भाई महाराज को मेरे बारे में बताया था कि मेरी शक्ल और कद काठी उनसे बहुत मिलती है और फिर मेरे बारे में जब पता किया गया तो मालूम चला मैं भाई महाराज का चचेरा भाई हूँ।

बातचीत से जूही भाभी और मैं थोड़ा सहज हो गए और फिर मैंने जूही भाभी की तारीफ करना शुरू कर दिया। मैंने कहा जूही भाभी आप बहुत सुन्दर हो। तो वह बोली आप मुझे केवल जूही बोलो जब मुझे पता चला की आप महाराज के भाई हो और मुझे आपके साथ मिल कर उनके राज्य को उत्तराधिकारी देना है तो मैं आपके ही कारण इस विवाह के लिए त्यार हुई हूँ।

जूही ने कहा की अपनी भाभी (भाई की पत्नी) के साथ यदि आपसी रज़ामन्दी द्वारा किसी खास परिस्थिति में स्वेच्छापूर्वक यौन सम्बन्ध स्थापित हो जाए और सम्भोग सुख का उपभोग किया जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं, क्योंकि यह ईश्वरीय संवेदना है कि हमसे जो कोई भी प्यार करे, उसे हम ज़्यादा से ज़्यादा प्यार, खुशी और सन्तुष्टि दें, चाहे हमें दुनिया से छुप के ही क्यूँ न एक-दूसरे को समर्पित करना पड़े। इसलिए संतान प्राप्त करने के उदेश्य के लिए अब आप उचित उपकर्म करिये।

मैं मुस्कुरा दिया। मेरे भाई की नव-विवाहिता युवा धर्म-पत्नी जो एक अति सुन्दर, उन्मुक्त काम-भावना का स्वत: संचार करने वाली, निहायत-गोरी और कसे बदन की मालकिन, असाधारण यौनाकर्षण से परिपूर्ण, बिल्कुल ताज़ा, जवान, चुस्त-दुरूस्त और तन्दुरुस्त सुहासिनी अक्षतयौवना राजकुमारी मुझे संतान प्राप्ति के लिए यौन सम्बन्ध स्थापित करने के लिए स्वैच्छिक समर्पण कर आमंत्रित कर रही थी

मैंने कहा जैसी आपकी आज्ञा रानी साहिबा। कुदरत कैसे-कैसे गजब खेल रचाती है! मैंने जब से आप को पहली बार ट्रेनी के तौर पर देखा था तब से आपको पसंद करता हूँ और संयोग ऐसा बना है कि आपका विवाह मेरे भाई से हुआ है परन्तु आपकी सुहागरात मेरे साथ मन रही है। मैंने धीरे से उसके चेहरे को ऊपर किया तो जूही की आँखे लज्जा से बंद थी। मैं बोला रानी साहिबा अपनी आँखे खोलो और मेरी और देखो उसने आँखे खोली और हलकी से मुस्करायी मैंने उसका ओंठो पर एक नरम-सा चुम्बन ले लिया। ये उसका पहला चुम्बन था वह फिर शर्मा कर सिमट कर मुझ से लिपट गयी।

इसमें कोई भी अतिशयोक्ति नहीं है कि जूही का अनमोल खूबसूरत नारीत्व तथा बेहद कटारी यौवन। उभारों वाले बेदाग और चमकदार भरे-पूरे सन्गेमरमरी बदन के दर्शन मात्र से ही मेरी नसों में स्वत: कामोत्तेजना की बाढ़, लिंग-उत्थान और रोंगटे खड़े करने वाली असीम गुदगुदी पैदा हो गयी थी और स्पर्श ने तो लिंग को अति कठोर कर दिया और अपने-अपने जिस्म से चिपकी आइटम-गर्ल जैसी अति हसीन भरपूर जवान भाभो को लिपटा पाकर मैं किंकर्तव्यविमूढ़ और विस्मित-सा हो गया।

मैंने उसे अपने गले से लगा लिया। जैसे ही उसे मैंने अपने गले से लगाया, मेरे नथुनों में उसके गर्म और मांसल बदन की खुशबू भरने लगी और लंड ने एक अंगड़ाई ले ली।

थोड़ी देर तक मैं उसे अपनी बांहों में भरकर उसकी पीठ को अपने हाथों से सहलाता रहा। वह मेरी बांहों में मुझसे और चिपक गयी। उसके पूर्ण परिपक्व कुँवारे नारी शरीर और अनभोगे, सुडौल, बेहद कड़े और भरपूर उभरे आसमान छूती गर्म चूचियों के सान्निध्य से मेरा दिल विषय-वासना के ज़्वार-भाटे में डगमगा उठा। मेरा लिंग बेहद कड़ा होकर विशाल रूप लेते हुए मेरे पायजामे को चीर कर छुटे स्प्रिंग की तरह कूद कर बाहर आने को व्यग्र हो गया। फिर मैंने उसके चेहरे को अपने हाथ से ऊपर उठाया।

उसके लाल-लाल होंठों को देखकर मैं अपने होश खोने लगा मैं धीरे से अपने होंठों को उसके तपते होंठों के पास लाया और उसके कांपते और लरजते होंठों से हल्का-सा छुआ। मेरा दूसरा हाथ उसकी पीठ पर था उसने बैकलेस चोली पहनी हुई थी जो सिर्फ डोरियों से बंधी हुई थी और ब्रा नहीं पहनी हुई थी और उसकी पीठ कम्पन कर रही थी और पीछे से पीठ का हिस्सा, जो खुला हुआ था। उसकी थिरकन को मैं आराम से महसूस कर सकता था। फिर मेरे फिसल हाथ की कमर तक पहुँच गए थे। क्या! चिकनी नरम और नज्जुक कमर थी। मेरे हाथ फिसल कर उसकी गांड पर पहुँच गए थे उसने लेहंगा अपनी नाभि की नीचे और चूत के ऊपर पहना हुआ था उसकी गांड की दरार को मैंने मह्सूस किया। आअह्ह्ह! उसकी सिसकी निकल गयी।

मैंने फिर उसको अपने से हल्का-सा दूर किया हाथो से उसका चेहरा ऊपर किया और होंठो पर एक लम्बी किस की उसकी आँखे बंद थी। जूही ने अपने होंठों को मेरे होंठों से छुड़ाने की कोशिश की।

मैंने उसके होंठो को छोड कर चेहरा ऊपर किया तो जूही ने आँखे खोली और मुस्करायी।

मैंने जूही की पींठ, कमर पर अपनी उंगलियाँ फेरनी शुरू कर दी थीं। उसके हाथ मेरे कन्धों पर थे और वह मुझको अपनी और खींच रही थी।

मैंने महसूस किया उसके अनछुए स्तन बहुत नरम मुलायम गोल और सुडोल थे। मैंने चोली के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाया फिर निचोड़ा, तो वह थोड़ा कसमसायी और घूम गयी जिससे उसकी पीठ मेरे सामने हो गयी। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों कंधों को पकड़ कर थाम लिया। करीब 2 मिनट तक मैंने उसके दोनों कंधों को थामे रखा। मुझे पीछे से उसकी नंगी पीठ ने बेचैन कर रखा था,

जब उसे यह अहसास हो गया कि मैं कुछ नहीं कर रहा हूँ, तो उसने अपने शरीर को भी ढीला छोड़ दिया था। कुंवारी जूही को अंदाजा नहीं था कि मैं अब उसकी पीठ पर हमला बोलूंगा।

फिर अचानक ही मैंने अपने प्यासे होंठों को उसकी नंगी पीठ पर जोर से चिपका दिया और उसके कंधों को मजबूती से पकड़ लिया ताकि इस बार वह मेरी गिरफ्त से बच न सके।

जूही का नरम शरीर बल खाकर मचलने लगा और मैं उसकी चिकनी और गोरी पीठ पर जोर-जोर से अपने होंठ रगड़ने लगा। जूही की सांसें तेज हो चुकी थीं और मैं अपने प्यासे होंठों की प्यास उसकी पीठ से बुझाने में लगा हुआ था। उसके तपते और गर्म होंठों से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।

करीब 5 मिनट तक मैं अपने होंठों को उसकी चिकनी पीठ से रगड़ता रहा। उसके बाद मैंने उसके स्तनों को फिर से पकड़ लिया और उसको अपने सीने से चिपका लिया।

अब जूही फिर कसमसाई और घूम कर पलटी और मेरी बांहों में सिमट गई. उसकी मांसल छातियाँ मेरे सीने से चिपक गयी थीं। इससे मुझे एक नर्म और बहुत ही कामुक अहसास हो रहा था।

मैंने जोर से उसको अपनी बांहों में भींच लिया था, जिससे उसके स्तन दब कर मेरे सीने से पिसने लगे थे। इधर मेरा लंड पायजामे में ठुमके मार रहा था।

कुछ देर बाद मैंने उसे अलग किया और उसे देखा तो नयी नवेली दुल्हन की नाक में सोने की बड़ी-सी नथ चमक रही थी। इस समय जूही साक्षात काम की देवी लग रही थी।

अब हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे। जूही ने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर लीं।

मैंने इसी का फायदा उठाया और अपने दोनों हाथों से उसके चेहरे को पकड़ा और अपने प्यासे होंठों को उसके गुलाब जैसे होंठों से चिपका दिया।

जूही ने इस बार भी अपने होंठों को मेरे होंठों से छुड़ाने की कोशिश की, परन्तु इस बार मैंने उसके होंठों को नहीं छोड़ा। थोड़ी देर कसमसाने के बाद उसने अपने आपको मेरे हवाले कर दिया।

अब मैं आराम से उसके गुलाब से सुर्ख होंठों को आराम से चूस रहा था। बीच-बीच में जूही ने भी अब अपने होंठों से मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे अब जूही के होंठ भी खुलने लगे थे और हम दोनों एक दूसरे से और ज्यादा चिपक गए थे।

दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। मैंने अपनी जीभ जूही के मुँह में डाल दी।

थोड़ी देर तो जूही ने कोई रिस्पांस नहीं दिया, लेकिन जब मैंने उसे और जोर से अपनी बांहों में भींचा, तो उसने मेरी जीभ को चूसना शुरू कर दिया।

अब तो कभी मैं उसकी जीभ को अपने होंठों से चूसता, तो कभी जूही मेरी जुबान का स्वाद लेती।

हम दोनों ही आंखें बंद करके एक दूसरे के होंठों को खा-सा रहे थे और जोर-जोर से चूस रहे थे। पसीने से शरीर गीले होने लगे थे। मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा। मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा। फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किये हम दोनों मुस्कराये और फिर बेकरारी से लिप्प किस करने लगे और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट तक उसका लिप्स किस लेता रहा वह मेरा लिप किस में भरपूर साथ दे रही थी।

मैंने महसूस किया की जूही की जीभ मेरे होंठों में से मेरे मुह में अन्दर जाना चाह रही थी। मेरे होंठों को खोलती हुयी जीभ मेरे मुह में चली गयी और उसी बीच मेरे हाथ उसकी पीठ कमर पर होते हुए स्तनों पर पहुँच गया। मेरा हाथ चोली के ऊपर से स्तनों को दबा रहा था। जूही की आँखें पूरी तरह से बंद थी। वह मेरे हर प्रयास को अनुभव कर रही थी और उसका पूरा मजा ले रही थी।

जूही के जिस्म से एक आग निकल रही थी। उसका पूरा बदन गर्मी में जैसे धधक रहा था।

जब जूही ने सांस लेने के लिए अपने होंठ को मेरे होंठों से अलग किया, तो वह बुरी तरीके से हांफ रही थी। उसकी तेज सांसों के साथ उसके ब्लाउज में बंद मस्त चुचियाँ भी ऊपर नीचे हो रही थीं।

मैं एकटक होकर उसकी छातियों को ऊपर नीचे होते देख रहा था। जैसे ही उसकी नजर मुझ पर पड़ी, तो उसने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर लीं।

मैंने उसकी आंखों पर भी अपने होंठों से एक चुंबन ले लीया।

मैं-इजाजत है, आगे बढ़ने की।

जूही-आप जैसा चाहें करें।

जूही के ऐसा बोलने पर मैंने फिर से उसे अपनी बांहों में कस लिया।

इसके बाद मैंने जूही के गालो को किस किया छाता और फिर उसकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया। उसकी सुराही जैसी गर्दन को मैं अपने होंठों से चूसता रहा और गीला करता रहा; साथ ही साथ मैं अपने एक हाथ से उसकी पीठ को भी सहलाता जा रहा था।

जूही गर्म होने लगी थी। अब उसने भी अपने बदन को मेरे जिस्म से चिपकाना शुरू कर दिया। मैं अपने होंठों को उसके कंधो पर ले आया और उसे चाटना शुरू कर दिया।

जूही की गर्म सांसों को मैं आराम से महसूस कर सकता था; उसकी सांसें तेज हो रही थीं।

अब रानी जूही की मदमस्त कुंवारी जवानी मेरे नाम होने वाली थी।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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