अम्मी बनी सास 092

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होनी को कौन टाल सकता है- समाप्त.
6.5k words
4.2
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Part 92 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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इधर ज़ाहिद और जमशेद एक दूसरे के गले मिले । तो दूसरी तरफ शाज़िया ने अपनी उस सहेली को अपने गले से लगाया ।

जिस सहेली ने आज से कई महीने पहले गुस्से मे आ कर ज़ाहिद से अल कौसेर होटेल दीना में की गई बे इज़्ज़ती का बदला लेने का सोचा था ।

और अपने उसी गुस्से को परवान चढ़ाते हुए अंजाने में ज़ाहिद और शाज़िया के दिल और दिमाग़ में दोनो बहन भाई के जिस्मो के लिए जिन्सी आग को भड़का दिया था ।

" हाईईईईईईईईई! नीलोफर लगता है जमशेद का प्यार तुम्हारे पेट में पलने लगा है,मेरी बनो ।" नीलोफर के हमला पेट से अपना हमला पेट मिलाते हुए शाज़िया ने अपनी सहेली नीलोफर को अपनी बाहों में कसा । और बहुत प्यार से अपनी सहेली से बोली ।

"हां,तुम्हारे भाई की तरह मेरे भाई ने भी मेरी खोख में अपने प्यार की निशानी को मुन्तिकल कर दिया है मेरी जान ।" नीलोफर ने भी शाज़िया से एक अरसे के बाद मिलने पर उसे जोश से अपनी बाहों में कसा । और शाज़िया की बात का उसी अंदाज़ में जवाब देते हुआ बोली ।

"ज़ाहिद भाई की निशानी सिर्फ़ मेरे अंदर ही नही, बल्कि मेरे साथ साथ अब हमारी अम्मी की चूत में भी पल रही है निलो ।" शाज़िया ने नीलोफर की बात का जवाब देते हुए जमशेद और नीलोफर को इतला दी ।

"किय्ाआआआआआआ! आंटी आप भी ज़ाहिद से चुदवा चुकी हैंन्नननणणन्!" शाज़िया के मुँह से ये धमाके दार खबर सुन कर नीलोफर ने शाज़िया को और जमशेद ने एक दम अपने आप से अलग किया ।

तो रज़िया बीबी और ज़ाहिद की तरफ देखते हुए जमशेद और नीलोफर के मुँह से एक साथ ये इलफ़ाज़ निकल गये ।

जमशेद और नीलोफर का हैरत भरा ये रियेक्शन देख कर ज़ाहिद और शाज़िया के मुँह पर एक शैतानी मुस्कराहट फैल गई ।

मगर रज़िया बीबी को ना जाने क्यों इस वक्त जमशेद और नीलोफर का सामना करने में शरम सी महसूस होने लगी थी ।

"ये वाकई है सच है आंटी ।" रज़िया बीबी को यूँ शरमाते देख कर नीलोफर आगे बढ़ी । और शाज़िया की अम्मी को अपने गले से लगाते हुए पूछने लगी ।

"हां ये बात सच है कि शाज़िया की तरह, ना सिर्फ़ में भी अपने बेटे की बीवी बन चुकी हूँ,बल्कि अपनी बेटी शाज़िया के साथ साथ में खुद भी अपने ही बेटे ज़ाहिद के बच्चे की माँ बेनने वाली हूँ,और इस बात के लिए में तुम दोनो बहन भाई की बहुत अहसान मंद हूँ, क्यों कि तुम दोनो ही ख्वाहिश से हम दोनो माँ बेटी की सुखी ज़िंदगी में ना सिर्फ़ फिर से बहार आई है, बल्कि हम दोनो की बंजर फुद्दियो को अपने ही भाई और बेटे के मोटे लंड का गरम पानी नसीब हुआ है ।" ये बात कहते हुए रज़िया बीबी ने अपनी शरम का लबादा उतारा । और बहुत खुले अंदाज में नीलोफर का शुक्रिया अदा करते हुए नीलोफर को कस कर अपने गले से लगा लिया ।

"तुम तो बहुत छुपे रुस्तम निकले,कि बहन चोद के साथ माँ चोद बनने का आज़ाज़ भी हासिल कर लिया है तुम ने ज़ाहिद "रज़िया बीबी के मुँह से ज़ाहिद से चुदवाने की बात सुन कर जमशेद का लौडा उस की पॅंट में खड़ा हुआ । और उस ने अपने दोस्त ज़ाहिद की कमर में प्यार से एक मुक्का मारते हुए कहा ।

जमशेद की बात और हरकत पर ज़ाहिद ने मुस्कराते हुए जमशेद की गाड़ी में अपना समान रखा । और सब एक साथ कार में जमशेद के घर की तरफ रवाना हो गये ।

घर के रास्ते में कार में बैठे हुए शाज़िया ने अम्मी और ज़ाहिद के दरमियाँ होने वाले सारे किसे की तफ़सील जमशेद और नीलोफर को सुना दी ।

शाज़िया के मुँह से रज़िया बीबी और ज़ाहिद के जिन्सी ताल्लुक की डीटेल सुनते हुए नीलोफर की प्रेगेनेंट चूत और जमशेद का लंड भी गरम हो उठे ।

"तुम्हारे हाथों रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद, मेने तो तुम को ज़लील करने की खातिर तुम्हें, तुम्हारी बहन शाज़िया के गरम बदन से रोशनाश करवाया था,मगर तुम तो बड़े खुस किस्मत हो कि बहन के साथ साथ अपनी अम्मी की चूत भी हासिल करने में कामयाब हो गये हो ज़ाहिद ।" शाज़िया के मुँह से सारी बात सुन कर नीलोफर ने ज़ाहिद को छेड़ते हुए कहा ।

"वो एक पुरानी मिसल है ना । कि किसी क़ुबरे शक्स को किसी आदमी ने गुस्से में आ कर लात मारी, मगर उस लात के लगने की वजह से उस क़ुबरे शक्स का कुबरा पन ख़तम हो गया था, बिल्कुल उसी तरह तुम ने अपनी तरफ से तो नफ़रत में आ कर मेरा और शाज़िया का मिलाप करवाया था,मगर मुझे ये फ़ायदा हुआ कि मुझे अपने ही घर में एक नही दो दो फुद्दियाँ नसीब हो गई हैं मेरी जान ।" नीलोफर की बात के जवाब में ज़ाहिद हँसते हुए बोला । तो ज़ाहिद की बात सुन कर सब हँसने लग गये ।

जमशेद और नीलोफर के घर में आ कर सब ने मिल कर खाना खाया । और फिर जमशेद ज़ाहिद को साथ ले कर उन का समान कार से निकालने लगा ।

जमशेद ने ज़ाहिद और शाज़िया के लिए अपने घर के साथ ही एक घर रेंट पर लिया हुआ था । जहाँ ज़ाहिद, शाज़िया और रज़िया बीबी एक साथ रहने लगे ।

जमशेद ने चूँके ज़ाहिद के दिए हुए हराम के पैसे से मलेशिया में आते ही अपना एक बिज्निस स्टार्ट कर लिया था । जिस वजह से ज़ाहिद को अब एक गैर मल में आ कर किसी किसम की परेशानी नही हुई ।

ज़ाहिद भी जमशेद के साथ बिज्निस में उस का हाथ बटाने लगा । और इस अरसे में दोनो बहन भाई की जोड़ी एक दूसरे के साथ अच्छा वक्त गुजारने लगी ।

डॉक्टर की हिदायत के मुतबलिक ज़ाहिद ने प्रेगनेन्सी के पहले चन्द महीनो में अपनी दोनो बिबीयों शाज़िया और रज़िया बीबी के साथ सेक्स से परहेज किया था ।

इस दोरान जब भी ज़ाहिद गरम होता । तो शाज़िया या रज़िया बीबी ज़ाहिद की मूठ या चुसाइ लगा कर उस के जज़्बात को ठंडा कर देती थी ।

जब कि इसी तरह ज़ाहिद भी अपनी बीवियों की फुद्ड़ियों को चाट चाट कर उन की गर्मी भी दूर करता रहा ।

फिर प्रेगनेन्सी के चार पाँच महीने बाद लेडी डॉक्टर ने ज़ाहिद को चुदाई की इजाज़त तो दे दी ।

मगर साथ ही साथ इहतियात से चुदाई करने का मसवरा भी दे दिया ।

डॉक्टर की इजाज़त के बाद ज़ाहिद शाज़िया और रज़िया बीबी की चूत में अहतियात से अपना लंड डाल कर फिर से अपनी बहन और अम्मी की गरम चूत का मज़ा तो लेने लगा था ।

मगर अपनी बहन और अम्मी को चोदते वक्त ज़ाहिद की अब भी पूरी कोशिश होती । कि वो रज़िया बीबी और शाज़िया को ज़ोर से ना चोदे ।

इस चुदाई की वजह से ज़ाहिद के लंड का पानी तो चूत में निकलने ही लगा था ।

मगर इस अहतियात की बदोलत ज़ाहिद को चुदाई का वो मज़ा नही मिल रहा था । जिस का वो आदि हो चुका था ।

इसी तरह आहिस्ता आहिस्ता करते हुए,दिन,हफ्ते और फिर महीने गुज़रने लगे । और फिर वो दिन आ पहुँचा जिस दिन शाज़िया की डेलिवरी होनी थी ।

हाला कि नीलोफर और शाज़िया की डेलिवरी डेट्स में चन्द दिन का फरक था ।

मगर इस के बावजूद जिस दिन ज़ाहिद शाज़िया को साथ ले कर हॉस्पिटल जाने का तैयारी कर रहा था । ऐन उसी दिन नीलोफर की बच्चे दानी से भी उस की चूत पानी ब्रेक हो गया ।

जमशेद ने जल्दी से आंब्युलेन्स को कॉल की और यूँ शाज़िया और नीलोफर साथ साथ एक ही आंब्युलेन्स में हॉस्पिटल पहुँच गईं ।

हॉस्पिटल में आ कर शाज़िया और नीलोफर ने एक साथ एक ही दिन अपने अपने भाइयों के बच्चो को अपनी कोख से जनम दिया ।

जमशेद और नीलोफर के लिए बेटा होने की खबर तो बहुत ही अच्छी थी । जिसे सुन कर जमशेद और नीलोफर दोनो बहन भाई के जिस्म-ओ-जान में खुशी की एक लहर दौड़ गई ।

मगर नीलोफर और जमशेद से ज़्यादा हैरान कन और खुशी की खबर शाज़िया और ज़ाहिद की मुंतज़ीर थी ।

शाज़िया और ज़ाहिद ने चूँकि अल्ट्रा साउंड के ज़रिए इस बात का पहले पता नही लगाया था । कि उन का होने वाला बच्चा, लड़का हो गा या लड़की ।

इसी लिए डेलिवरी के बाद शाज़िया के यहाँ जब ट्विन बच्चो,एक लड़का और एक लड़की ने एक साथ जनम लिया ।

तो शाज़िया,ज़ाहिद और रज़िया बीबी के साथ साथ नीलोफर और जमशेद की खुशी की कोई इंतिहा ना रही ।

अपने जुड़वाँ बच्चो का सुन कर ज़ाहिद तो खुशी के आलम में झूम उठा । और ज्यों ही डेलिवरी रूम से हॉस्पिटल के कमरे में शाज़िया की वापसी हुई ।

तो ज़ाहिद ने सब घर वालों को कमरे से बाहर निकाल कर अपनी बहन शाज़िया के चेहरे,होंठो और दूध बड़े मम्मो पर अपने होंठो से अपने प्यार की बरसात कर दी ।

"ओह तुम ने मुझे इतनी बड़ी खुशी दी है, मुझे समझ नही आ रहा कि में किस मुँह से तुम्हारा शुक्रिया अदा करूँ माइ जान ।" ज़ाहिद ने जोशे जज़्बात में दीवाना वार अपनी बेगम बहन के जिस्म पर अपने गरम होन्ट रगड़ते हुए कहा ।

"एक औरत उस वक्त तक मुकम्मल औरत नही बनती, जब तक वो बच्चा नही पेदा कर लेती,इसीलिए आप को नही ।बल्कि मुझे आप का शूकर गुज़ार होना चाहिए, कि आप ने अपने लंड का बीज डाल कर, मुझे एक मुकम्मल औरत का दर्जा दिया है मेरे सरताज ।" अपने भाई शोहर के वलिहाना प्यार को पा कर शाज़िया भी खुशी से खिल उठी । और ज़ाहिद के गरम होंठो में अपनी लंबी ज़ुबान फेरती हुए बोली ।

फिर एक दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद और शाज़िया अपने अपने घर वापिस आ गईं ।

शाज़िया ने घर आ कर देखा कि ज़ाहिद ने बच्चो के कमरे को टाय्स से पूरा भर दिया था ।

अपने खाविंद भाई का अपने बच्चों से ये प्यार देख कर शाज़िया की फुद्दि में आग लग गई ।

शाज़िया का दिल तो चाहा की अपनी शलवार खोल कर अपने भाई का मोटा लौडा अपनी फुद्दि में दिलवा ले ।

मगर ताज़ा ताज़ा एक नही दो दो बच्चो को अपनी तंग चूत से बाहर निकालने की वजह से शाज़िया की चूत अभी इस हालत में नही थी । कि वो अभी अपने भाई ज़ाहिद के मोटे लंड को अपने अंदर ले सके ।

इसीलिए ज़ाहिद की तरह शाज़िया के लिए भी अब सबर करने के सिवा को चारा नही था ।

दिन गुज़रते गये और शाज़िया की तरह ज़ाहिद भी अब उस वक्त के इंतिज़ार में दिन अपनी उंगलियों पर गिन रहा था ।

जब उस की बहन/बीवी शाज़िया चिली से नहा कर पाक सॉफ हो गी । और वो पहले की तरह एक बार फिर जोश और जज़्बे के साथ अपनी बहन शाज़िया की चूत को अपने मोटे लंड से चोद सके गा ।

नीलोफर और शाज़िया की डेलिवरी के बाद रज़िया बीबी ने ना सिर्फ़ नीलोफर और शाज़िया के बच्चो की काफ़ी टेक केर की ।

बल्कि साथ ही साथ ज़ाहिद के मना करने के बावजूद हर रोज़ उन सब के लिए अपने हाथ से खाना वगेरा भी पकाती रही ।

रज़िया बीबी चूँकि ज़ाहिद और शाज़िया समेत इस से पहले भी 5 बच्चो की माँ बन चुकी थी ।

इसीलिए शाज़िया और नीलोफर के मुक़ाबले में रज़िया बीबी माँ बनने के मामले में अब एक एक्सपर्ट का दर्जा रखती थी ।

ये ही वजह थी ।कि खुद प्रेगेनेंट होने के बावजूद रज़िया बीबी ने नीलोफर और अपनी बेटी शाज़िया की घर वापसी के बाद काफ़ी तामिर दारी की ।

शाज़िया को माँ बनने अब एक महीने से कुछ ज़्यादा टाइम होने गया था । और इस दोरान उस के पेट पर लगने वाला डेलिवरी का कट भी ठीक हो चुका था ।

"आज क्यों न ज़ाहिद के घर वापिस आने से पहले ही में गुसल (शवर) कर के पाक हो जाऊ,और काम से लोटने पर अपने जानू को सर्प्राइज़ दूं ।" अपने बिस्तर पर लेट कर अपने बच्चो को अपने भारी मोटे मम्मो से अपना दूध पिलाने के बाद शाज़िया ने अपनी गरम चूत पर हाथ रखते हुए सोचा ।

ये सोच जेहन में आते ही शाज़िया ने अपनी अम्मी को आवाज़ दी "अम्मी आ कर मेरे हाथों और पैरों को थोड़ी मेहन्दी तो लगा दो प्लीज़ ।" ।

"क्यों ख़ैरियत तो है,आज मेहन्दी क्यों लगवा रही हो शाज़िया ।" रज़िया बीबी शाज़िया की आवाज़ पर उस के कमरे में आई । और हैरान हो कर अपनी बेटी की तरफ देखते हुआ पूछा ।

"कोई खास बात नही, वैसे आज एक अरसे के बाद फिर से अपने आप को सवारने का शौक चढ़ गया है मुझे ।" शाज़िया ने अपनी अम्मी को भी असल बात नही बताई ।

और फिर उधर ही बैठ कर अपनी अम्मी से अपने हाथों और पैरो पर मेहन्दी लगवाने लगी ।

अपनी अम्मी से मेहन्दी लगवाने की कुछ देर बाद शाज़िया बाथरूम में गई । और बाथरूम में अपनी फुद्दि को शेव करने के साथ साथ अच्छी तरह शोवर ले कर पाक हो गई ।

शोवर से फारिग हो कर शाज़िया ने अपने सजना के लिए सजना शुरू कर दिया । और अपने नई शलवार कमीज़ का सूट पहन कर अपने जानू के इस्तिक़्बाल के लिए रेडी हो गई ।

तैयार होने के बाद शाज़िया चाय बनाने के लिए किचन में गई । तो उसे अंदाज़ा हुआ कि उस की अम्मी रज़िया बीबी साथ वाले घर में नीलोफर के पास गई हुई थी ।

किचन में जा कर ज्यों ही शाज़िया ने चाय का बर्तन चूल्हे । पर रखा ।तो इस दोरान उसे अपने कमरे से अपने बच्चो के रोने की आवाज़ सुनाई दी ।

"लगता है बच्चो को फिर भूक लग गई है,मुझे चाहिए कि ज़ाहिद के आने से पहले में इन्हे अपना दूध पिला कर सुला दूं,ताक़ि फिर मुझे ज़ाहिद के साथ मज़ा लेने में कोई दुश्वारी ना हो ।" ये सोचते हुए शाज़िया ने चूल्हा बंद किया । और किचन से निकल कर अपने कमरे की तरफ चल पड़ी ।

अपने कमरे के नज़दीक जाते जाते शाज़िया को महसूस हुआ कि उस के बच्चो ने भूक के मारे ज़्यादा रोना शुरू कर दिया है ।

इसीलिए शाज़िया ने अपने कमरे में दाखिल होने से पहले ही अपनी कमीज़ को अपने भारी मम्मो से उपर उठा कर अपने मोटे दूध भरे मम्मे ब्रेज़ियर से बाहर निकाल कर नंगे कर लिए ।

ताकि कमरे में जाते साथ ही वो अपने दोनो निपल्स को अपने दोनो बच्चों के मुँह में एक साथ घुसा दे ।

कमरे में आते ही शाज़िया ने अपने बेटा और बेटी को को एक साथ अपना दूध पिलाना शुरू कर दिया ।

शाज़िया के मोटे मम्मो के निपल्स बच्चो के मुँह में जैसे ही गये । तो अपनी माँ शाज़िया के दूध की धार अपने हलक में जाता महसूस कर के शाज़िया के बच्चो ने रोना बंद कर दिया ।

थोड़ी देर बाद शाज़िया की बच्ची तो दूध पीते पीते सो गई । जिसे बिस्तर पर लिटा कर शाज़िया ने अपनी कमीज़ भी उतार दी । और अपने बेटे को अपने आगोश में ले कर फिर से उसे अपना दूध पिलाना शुरू कर दिया ।

अभी शाज़िया अपने बेटे को अपने मम्मे से लगा कर अपने भारी मम्मे को हाथ से निचोड़ते हुए अपने बेटे को दूध पिलाने में मसरूफ़ हुई ही थी कि इतनी देर में ज़ाहिद अपने घर में दाखिल हुआ । और घर शाज़िया के कमरे के खड़े हो कर अपनी बीवी बहन को अपने बेटे को दूध पिलाने का ये नज़ारा देखने लगा ।

" हाईईईईईईईईई! मेरी बहन के ये मम्मे तो पहले ही बहुत खूबसूरत और भारी थे, जब कि अब उन में दूध भरा होने की वजह से ये तो पहले से भी काफ़ी बड़े बड़े हो गए हैं ।" ज्यों ही ज़ाहिद ने अपने बेटे को उस की माँ शाज़िया की भारी छाती से मुँह लगे उस का मोटा मम्मा चूस्ते देखा ।

तो अपनी बहन के दूध भरे उन मम्मो को आज इतने दिनो बाद अपने सामने ऐसे नंगा देख कर ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में खड़ा हो कर लोहे की तरह सख़्त हो गया ।

ज़ाहिद अभी अपनी बहन के दूध भरे नंगे मम्मो का बाहर खड़े खड़े नज़ारा ले रहा था । कि इतने में कमरे में मौजूद शाज़िया ने देखा कि उस का बेटा भी उस की गोद में सो चुका है ।

शाज़िया ने अपने बेटे को भी अपने बड़े पलंग पर उस की बहन के पहलू में लिटा दिया ।

ज्यों ही बच्चे को बिस्तर पर लिटा कर शाज़िया सीधी हुई । तो कमरे से बाहर खड़ा ज़ाहिद एक दम बच्चो की जगह अब अपनी बहन शाज़िया की गोद में लेट गया ।

"बच्चो को तो दूध पिला चुकी हो,अब बच्चो के बाप को कब अपने दूध के ज़ायक़े का स्वाद चखाओगी मेरी रानी ।" बिस्तर पर बैठी अपनी बहन की गोद में लेट कर ज़ाहिद ने बड़े प्यार से अपनी बहन के दूध भरे मोटे मम्मे को हाथ में ले के दबाया ।

तो ज़ाहिद के हाथ की उंगली लगने से शाज़िया के मम्मे से ताज़ा सफेद दूध की धार एक दम से निकली ।

जिस ने शाज़िया के अंगूर की साइज़ वाले मोटे निपल को पूरा भिगो दिया ।

"वो तो बच्चे हैं,और उन को अपना दूध पिलाना मेरा फ़र्ज़ है, जब कि आप अब बच्चे नही बल्कि बड़े हो गये हैं,इसीलिए मेरे मम्मो से दूध पीना आप के लिए मुनासिब बात नही ।" अपनी गोद में सर रख कर लेटे अपने भाई की फरमाइश सुन कर शाज़िया शरम से सिमट गई । और एक अदा के साथ अपने भाई की बात का जवाब देते हुए मुस्कुराइ ।

"चाहे कुछ भी ही आज में तुम्हारे इन दूध भरे मम्मो से तुम्हारा ताज़ा दूध पी कर ही रहूं गा मेरी जान, इसीलिए अब नखरे छोड़ो और अपने जानू को अपने गरम दूध का मज़ा दो जल्दी से ।" ज़ाहिद ने जब दूध पीने की अपनी फरमाइश पर अपनी बहन को यूँ शरमाते देखा । तो वो भी एक बच्चे की तरह अपनी ज़िद पर उतर आया ।अपनी अम्मी से मेहन्दी लगवाने की कुछ देर बाद शाज़िया बाथरूम में गई । और बाथरूम में अपनी फुद्दि को शेव करने के साथ साथ अच्छी तरह शोवर ले कर पाक हो गई ।

शोवर से फारिग हो कर शाज़िया ने अपने सजना के लिए सजना शुरू कर दिया । और अपने नई शलवार कमीज़ का सूट पहन कर अपने जानू के इस्तिक़्बाल के लिए रेडी हो गई ।

तैयार होने के बाद शाज़िया चाय बनाने के लिए किचन में गई । तो उसे अंदाज़ा हुआ कि उस की अम्मी रज़िया बीबी साथ वाले घर में नीलोफर के पास गई हुई थी ।

किचन में जा कर ज्यों ही शाज़िया ने चाय का बर्तन चूल्हे । पर रखा ।तो इस दोरान उसे अपने कमरे से अपने बच्चो के रोने की आवाज़ सुनाई दी ।

"लगता है बच्चो को फिर भूक लग गई है,मुझे चाहिए कि ज़ाहिद के आने से पहले में इन्हे अपना दूध पिला कर सुला दूं,ताक़ि फिर मुझे ज़ाहिद के साथ मज़ा लेने में कोई दुश्वारी ना हो ।" ये सोचते हुए शाज़िया ने चूल्हा बंद किया । और किचन से निकल कर अपने कमरे की तरफ चल पड़ी ।

अपने कमरे के नज़दीक जाते जाते शाज़िया को महसूस हुआ कि उस के बच्चो ने भूक के मारे ज़्यादा रोना शुरू कर दिया है ।

इसीलिए शाज़िया ने अपने कमरे में दाखिल होने से पहले ही अपनी कमीज़ को अपने भारी मम्मो से उपर उठा कर अपने मोटे दूध भरे मम्मे ब्रेज़ियर से बाहर निकाल कर नंगे कर लिए ।

ताकि कमरे में जाते साथ ही वो अपने दोनो निपल्स को अपने दोनो बच्चों के मुँह में एक साथ घुसा दे ।

कमरे में आते ही शाज़िया ने अपने बेटा और बेटी को को एक साथ अपना दूध पिलाना शुरू कर दिया ।

शाज़िया के मोटे मम्मो के निपल्स बच्चो के मुँह में जैसे ही गये । तो अपनी माँ शाज़िया के दूध की धार अपने हलक में जाता महसूस कर के शाज़िया के बच्चो ने रोना बंद कर दिया ।

थोड़ी देर बाद शाज़िया की बच्ची तो दूध पीते पीते सो गई । जिसे बिस्तर पर लिटा कर शाज़िया ने अपनी कमीज़ भी उतार दी । और अपने बेटे को अपने आगोश में ले कर फिर से उसे अपना दूध पिलाना शुरू कर दिया ।

अभी शाज़िया अपने बेटे को अपने मम्मे से लगा कर अपने भारी मम्मे को हाथ से निचोड़ते हुए अपने बेटे को दूध पिलाने में मसरूफ़ हुई ही थी ।

कि इतनी देर में ज़ाहिद अपने घर में दाखिल हुआ । और घर शाज़िया के कमरे के खड़े हो कर अपनी बीवी बहन को अपने बेटे को दूध पिलाने का ये नज़ारा देखने लगा ।

" हाईईईईईईईईई! मेरी बहन के ये मम्मे तो पहले ही बहुत खूबसूरत और भारी थे, जब कि अब उन में दूध भरा होने की वजह से ये तो पहले से भी काफ़ी बड़े बड़े हो गए हैं ।" ज्यों ही ज़ाहिद ने अपने बेटे को उस की माँ शाज़िया की भारी छाती से मुँह लगे उस का मोटा मम्मा चूस्ते देखा ।

तो अपनी बहन के दूध भरे उन मम्मो को आज इतने दिनो बाद अपने सामने ऐसे नंगा देख कर ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में खड़ा हो कर लोहे की तरह सख़्त हो गया ।

ज़ाहिद अभी अपनी बहन के दूध भरे नंगे मम्मो का बाहर खड़े खड़े नज़ारा ले रहा था । कि इतने में कमरे में मौजूद शाज़िया ने देखा कि उस का बेटा भी उस की गोद में सो चुका है ।

शाज़िया ने अपने बेटे को भी अपने बड़े पलंग पर उस की बहन के पहलू में लिटा दिया ।

ज्यों ही बच्चे को बिस्तर पर लिटा कर शाज़िया सीधी हुई । तो कमरे से बाहर खड़ा ज़ाहिद एक दम बच्चो की जगह अब अपनी बहन शाज़िया की गोद में लेट गया ।

"बच्चो को तो दूध पिला चुकी हो,अब बच्चो के बाप को कब अपने दूध के ज़ायक़े का स्वाद चखाओगी मेरी रानी ।" बिस्तर पर बैठी अपनी बहन की गोद में लेट कर ज़ाहिद ने बड़े प्यार से अपनी बहन के दूध भरे मोटे मम्मे को हाथ में ले के दबाया ।

तो ज़ाहिद के हाथ की उंगली लगने से शाज़िया के मम्मे से ताज़ा सफेद दूध की धार एक दम से निकली ।

जिस ने शाज़िया के अंगूर की साइज़ वाले मोटे निपल को पूरा भिगो दिया ।

"वो तो बच्चे हैं,और उन को अपना दूध पिलाना मेरा फ़र्ज़ है, जब कि आप अब बच्चे नही बल्कि बड़े हो गये हैं,इसीलिए मेरे मम्मो से दूध पीना आप के लिए मुनासिब बात नही ।" अपनी गोद में सर रख कर लेटे अपने भाई की फरमाइश सुन कर शाज़िया शरम से सिमट गई । और एक अदा के साथ अपने भाई की बात का जवाब देते हुए मुस्कुराइ ।

"चाहे कुछ भी ही आज में तुम्हारे इन दूध भरे मम्मो से तुम्हारा ताज़ा दूध पी कर ही रहूं गा मेरी जान, इसीलिए अब नखरे छोड़ो और अपने जानू को अपने गरम दूध का मज़ा दो जल्दी से ।" ज़ाहिद ने जब दूध पीने की अपनी फरमाइश पर अपनी बहन को यूँ शरमाते देखा । तो वो भी एक बच्चे की तरह अपनी ज़िद पर उतर आया ।

ज़ाहिद अब अपनी बहन की गोद में अपना सर रख कर लेटा हुआ था । जब कि शाज़िया के बड़े बड़े दूध से भरे हुए मम्मे ज़ाहिद के चेहरे के उपर लटक रहे थे ।

" हाईईईईईईईईई! अपने बच्चो की तरह तुम भी अपनी बहन बीवी का दूध पीना चाहते हो,तो चलो अपना मुँह खोलो, मेरे मुन्ने ।" ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बहन के मोटे मम्मो की छाँव में लेट कर अपनी बहन शाज़िया से ज़िद की ।

तो अपनी गोद में लेटे अपने सोहर भाई की बचकाना ज़िद के आगे हार मानते हुए शाज़िया ने अपने मोटे भारी दूध भरे मम्मे को अपने हाथ में पकड़ कर दबाया ।

जिस की वजह से शाज़िया के मम्मे से दूध की एक तेज धार निकली । जो नीचे लेटे ज़ाहिद के होंठो और सारे मुँह को गीला कर गई ।

" हाईईईईईईईई! क्या मेटा स्वाद है मेरी बहन के मोटे मम्मो के इस दूध का,आज के बाद हो सके तो मुझे चाहिए भी अपने इस खालिस दूध से बना कर पिलाया करो मेरी जान ।" ज्यों ही शाज़िया के मम्मो का गरम दूध मुँह के रास्ते ज़ाहिद के हलक में उतरा ।

तो अपनी बहन के खालिस गरम दूध का ज़ायक़ा पहली बार चख कर ज़ाहिद मज़े से मचल उठा ।

"मेरे दूध से बनी चाय पीने से पहले,आप मेरे मम्मो का असली दूध ट्राइ करो मेरी जान ।" अपनी भाई की बात सुन कर शाज़िया भी गरम हो गई । और उस ने ज़ाहिद के बालों में अपना हाथ फेरते हुए अपने भारी मम्मे को ज़ाहिद के खुले मुँह पर झुका दिया ।

शाज़िया के मोटे भारी मम्मे का निपल अब शाज़िया की गोद में लेटे ज़ाहिद के होंठो को छू रहा था ।

ज्यों ही शाज़िया का लंबा निपल नीचे हो कर ज़ाहिद के मुँह से टच हुआ । तो नीचे लेटे ज़ाहिद ने अपने होंठ खोल कर शाज़िया के निपल को अपने मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया ।

अपनी बहन के मोटे दूध भरे मम्मे को अपना मुँह लगाने की देर थी । कि ज़ाहिद का मुँह एक ही लम्हे में अपनी बहन शाज़िया के मीठे दूध की धार से एक दम भर गया ।

अपनी बहन के ताज़ा गरम और खलास दूध को अपने मुँह में भरते ही ज़ाहिद ने हल्का सा साँस लिया ।और फिर एक ही घूँट में अपनी बहन का सारा दूध अपने गले से नीचे उतार दिया ।

"ऊऊहह हाआन्ं हाआनन्न ज़ोर से चूसो और ज़ोर से, मेरे निपल को दाँतों से दबाओ, मुझे पता होता कि अपने शोहर को अपने मम्मो का दूध पिलाने में इतना मज़ा मिलता है,तो अपने मम्मो में दूध आने के पहले ही दिन, में आप को अपना दूध पिला देती मेरी जान ।" ज़ाहिद के मुँह से मज़े से बे हाल होते हुए शाज़िया ने अपने भाई के बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगी । और साथ ही अपने मोटे मम्मे को ज़ोर से ज़ाहिद के मुँह पर दबा दिया ।

" हाईईईईईईईईई! आज अपनी ही बहन का दूध पीने के बाद,में भाई और शोहर के साथ साथ अपनी ही सग़ी बहन का बेटा भी बन गया हून्ंननननननणणन् ।" ज्यों ही शाज़िया ने अपने मम्मे को ज़ोर से अपने भाई ज़ाहिद के खुले मुँह में धँसाया । तो अपनी बहन के मम्मे से "शरप शारप ।" कर के शाज़िया का दूध पीता ज़ाहिद बोला ।

ज़ाहिद का मुँह अपनी बहन के दूध से अब इतना भर चुका था । कि दूध ज़ाहिद के मुँह से निकल कर अब उस के होंठो पर भी फैलने लगा था ।

जब शाज़िया ने अपने दूध को यूँ अपने भाई के मुँह से बाहर छलकते देखा । तो शाज़िया ने एक दम ज़ाहिद के मुँह से अपना मम्मा निकाल लिया ।

"क्या हुआ मेरी जान ।" ज़ाहिद ने जब शाज़िया को अपना मम्मा उस के मुँह से दूर करते देखा । तो एक दम बे चैन हो कर बोला ।

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