अम्मी बनी सास 092

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"ज़रा सबर करो,अभी बताती हूँ मुन्ने के अब्बा ।" ज़ाहिद की बात का जवाब देते हुए शाज़िया ने अपने सर को ज़ाहिद के मुँह पर झुकाते हुए अपने होंठ अपने भाई के होंठो पर रखे ।

और अपने भाई शोहर ज़ाहिद के लिप्स के कोनों पर लगे अपने ही दूध को अपनी ज़ुबान से सॉफ कर दिया ।

"हां आप कह तो सही रहे हैं ।वाकई ही मेरे दूध का ज़ायक़ा बहुत स्वादिष्ट है भाईईईईईईईई ।" अपने ही मम्मो के दूध को अपनी ज़ुबान से पहली बार चाटते हुए शाज़िया सिसकारी ।

और फिर अपने हाथों से अपने मम्मे को पकड़ कर शाज़िया ने अपने मम्मे को वापिस अपने जानू शोहर के मुँह में रख दिया ।

शाज़िया का दूध भरा मम्मा एक बार फिर अपने मुँह में लेते ही ज़ाहिद ने अपने मुँह को पूरा खोल कर निपल के साथ अपनी बहन के मोटे मम्मे का काफ़ी सारा हिस्सा भी अपने मुँह में लिया । और मज़े ले ले कर अपनी बहन के ताज़ा दूध से तृप्त होने लगा ।

जब ज़ाहिद का दिल एक मम्मे को चूस चूस कर भर गया । तो उस ने अपनी बहन के दूसरे मम्मे को अपने मुँह से लगाया ।

और दबा दबा और निचोड़ निचोड़ कर अपनी बहन के मम्मो से दूध निकाल निकाल कर अपने मुँह के ज़रिए अपने हलक में उतारता गया ।

अपने दोनो बच्चो को अपना दूध पिलाने के बावजूद शाज़िया के फुल टॅंक साइज़ मम्मो में इतना दूध बाकी था । जिसे शाज़िया पूरी रात भी अपने भाई ज़ाहिद को पिलाती तो उस का दूध सुबह तक ख़तम नही हो पाता ।

इधर ज़ाहिद अपनी बहन के मोटे मम्मो से उस का दूध पीने में मसगूल था ।

तो दूसरी तरफ शाज़िया ने अपनी गोद में लेटे भाई ज़ाहिद की पॅंट की ज़िप को खोल कर अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को अपने हाथ में थाम लिया ।

"चलो भाई अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट जाओ ।मुझ से अब मज़ीद सबर नही हो रहा ।"शाज़िया ने अपने हाथ से अपने भाई के मोटे लंड की मूठ लगाते हुए अपनी भाई ज़ाहिद से इल्तिजा की ।

" हाईईईईईईईईई! में भी कब से इस मोके का मुंतीज़ार हूँ, कि कब में तुम्हारी इस प्यारी फुद्दि में अपना लंड डाल सकूँ मेरी ज़ोज़ा जानी ।" अपनी बहन की बात सुन कर ज़ाहिद जोश में आया । और अपने सारे कपड़े उतार कर दूसरे ही लम्हे बिस्तर पर बिल्कुल नंगा लेट गया ।

ज़ाहिद के कपड़े उतरने के दौरान शाज़िया भी अपनी शलवार उतार कर पूरी नंगी हो गई ।

ज्यों ही शाज़िया का नंगा वजूद एक भर फिर अपनी आब-ओ-ताब के साथ ज़ाहिद की भूकि आँखों के सामने नमूदार हुआ ।

तो अपनी बहन की सॉफ-ओ-शॅफॉफ चूत और शाज़िया के हाथों और पैरों पर लगी ताज़ा मेहन्दी का सुर्ख रंग देख कर ज़ाहिद समझ गया । कि सुहाग रात की तरह आज भी उस की बहन शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद के लिए खास तौर पर बनी सन्वरि है ।

अपनी बहन के उस का प्यार का ये अंदाज़ ज़ाहिद के दिल के साथ साथ उस के लंड को भी बहुत भाया । जिस वजह से उस का मोटा लंड आकर कर मज़ीद सख़्त हो गया ।

मुकमल नंगा होने के बाद शाज़िया बेड पर कमर के बल लेटे ज़ाहिद के जिस्म के उपर चढ़ी ।

और अपनी गरम फुद्दि को अपने भाई के पेट पर फेरते हुए साथ ही साथ ज़ाहिद के मोटे,खड़े लंड को अपने मेहन्दी वाले पैरो के दरमियाँ कस कर अपने पावं से भी अपने भाई के लंड को रगड़ने लगी ।

"आप पहले मेरी चूत में अपना लंड डालो गे, या फिर मेरी गान्ड की ठुकाई करो गे जानू ।" ज़ाहिद के होंठो को चूमते चूमते शाज़िया ने अपनी गान्ड को अपने मेंहदी वाले हाथ से खोलते हुए अपने शोहर ज़ाहिद से पूछा ।

" हाईईईईईईईईई! आज तो में चुदाई की शुरूवात अपनी बहन की फुद्दि से ही करूँगा मेरी जान ।" अपनी बहन की ज़ुबान से ज़ुबान लड़ाते ज़ाहिद ने सिसकी लेते हुए जवाब दिया ।

ज़ाहिद और शाज़िया के होंठ एक दूसरे के होंठो से एक चिपके हुए थे । जैसे आज के बाद दोनो एक दूसरे से कभी अलग नही होंगे ।

अपनी बहन शाज़िया के होंठो को उपर से चूमते हुए ज़ाहिद ने अपने जिस्म के उपर बैठी शाज़िया की कमर को अपने हाथ से पकड़ कर नीचे की तरफ खींचा ।

तो हवा में झूलता ज़ाहिद का मोटा बड़ा लंड नीचे उस की बहन शाज़िया की फुद्दि के होंठो को खोलता हुआ एक दम से शाज़िया की चूत में दाखिल हुआ ।

"थोड़ा आराम से, मेरी चूत का अन्द्रुनि हिस्सा अभी नाज़ुक है,आप का मोटा लंड मेरी बच्चे दानी को फाड़ ही ना दे कहीं ।" ज्यों ही ज़ाहिद का लंड तकरीबन दो महीने बाद शाज़िया की चूत की गहराई में गया ।तो मज़े और दर्द से सिसकती हुई शाज़िया बोल उठी ।

"फिकर ना करो,में बहुत प्यार से अपनी बीवी की चूत में अपना लंड डालूंगा ।मेरी जान ।" शाज़िया की बात का जवाब देते हुए ज़ाहिद ने नीचे से अपनी गान्ड को उपर उठा कर धक्का मारा । तो ज़ाहिद का लंड उस की बहन की गीली चूत में धँसता चला गया ।

" हाईईईईईईईईई! दो बच्चे इस चूत से पेदा करने के बावजूद तुम्हारी फुद्दि अभी तक काफ़ी तंग है मेरी जान ।" ज्यों ही ज़ाहिद के लंड का मोटा टोपा ज़ाहिद के धक्के की वजह से नीचे से स्लिप हो कर शाज़िया की फुद्दि में घुसा । तो अपनी बहन की चूत की गिरफ़्त को अपने लंड पर पा कर ज़ाहिद भी मज़े से सिसकार उठा ।

" हाईईईईईईईईई! में इस चूत से चाहे 10 बच्चे भी निकाल दूं, मगर फिर भी आप का लंड इतना मोटा है, कि आप का लौडा इस चूत में ऐसे ही फँस कर जाए गा भाईईईईईईईईईईईई ।" अपने भाई की बात का जवाब देते हुए ज़ाहिद के मोटे लंड पर बैठी शाज़िया आगे को झुकी ।

और ज़ाहिद की तरफ आगे को झुकने के दौरान शाज़िया ने अपने हाथ से अपनी गान्ड को खोलने की कोशिश की ।

ताकि किसी तरह उस की नाज़ुक फुद्दि में ज़ाहिद के लंड से होने वाला दर्द कुछ कम हो सके ।

दूसरी तरफ बिस्तर पर लेटा हुआ ज़ाहिद अब अपनी लंड को एक बार फिर अपनी बीवी बहन शाज़िया की फुद्दि में डालने के बाद । अब बिस्तर पर लेट कर नीचे से धक्के मारते हुए अपनी बहन शाज़िया की चूत को मज़े से चोदने में मसरूफ़ हो गया था ।

ज़ाहिद के हर धक्के पर शाज़िया के मोटे दूध भरे मम्मे हवा में उच्छल उच्छल जाते थे ।

इस दौरान ज्यों ही शाज़िया पीछे से अपनी गान्ड को हाथ से खोलते हुए थोड़ा आगे को झुकी । तो शाज़िया के हवा में झूलते दूध से भरपूर मम्मे ज़ाहिद के मुँह के ऐन सामने आ गये ।

अपनी बहन के भारी मम्मो को हाथ में पकड़ कर ज़ाहिद ने एक दम मुँह में डाला । और जोश के साथ शाज़िया को चोदते हुए साथ साथ अपनी बहन के दूध का मज़ा भी फिर से लेने लग गया ।

काफ़ी देर तक अपने भाई ज़ाहिद से चुदवाने के बाद शाज़िया एक दम चीखी " हाईईईईईईईईई!ईईई मेरा पानी निकलने वाला है, हाईईईईईईईईई!ईईईई में गई ।"

ज्यों ही शाज़िया ने ज़ाहिद के लंड पर अपनी चूत का पानी छोड़ा । तो नीचे से ज़ाहिद ने भी एक भरपूर धक्का अपनी बहन की फुद्दि में मारा और बोला "लो मेरे लंड का पानी भी ले मेरी जान ।" ।

इस के साथ ही ज़ाहिद ने भी अपने लंड का गरम पानी अपनी बहन की चूत में गिरना शुरू कर दिया ।

ज़ाहिद चूँकि शाज़िया को आज अपने लंड पर भींच कर अपनी बहन की चूत को चोदने में मसरूफ़ था ।

इसीलिए शाज़िया की फुद्दि में अपने लौडे का पानी खारिज करने के बावजूद ज़ाहिद के लंड का सारा वीर्य शाज़िया की फुद्दि की दीवारों से लग कर नीचे लेटे ज़ाहिद के लंड और पेट पर गिर गया ।

जिस की वजह से ज़ाहिद के अपने पानी ने उस के पेट, लंड और आंडों को पूरा भिगो कर रख दिया ।

थोड़ी देर अपनी बहन की बाहों में आराम करने के बाद ज़ाहिद ने शवर लिया । और फिर किसी काम के सिलसिले में घर से निकल पड़ा ।

अपने बच्चो की पैदाइश और चिली की चुदाई के बाद ज़ाहिद और शाज़िया एक दूसरे के साथ वैसे तो बहुत खुस-ओ-खुराम ज़िंदगी बसर कर रहे थे ।

मगर इस के साथ साथ दोनो बहन भाई को अपनी अम्मी रज़िया बीबी की सेहत की फिकर सता रही थी ।

इस की वजह ये थी । कि शाज़िया और नीलोफर की डेलिवरी के बाद ज्यूँ ज्यूँ रज़िया बीबी की डेट करीब आ रही थी ।त्यु त्यु दिन-ब-दिन रज़िया बीबी की तबीयत खराब होने लगी थी ।

"अगर आप को किसी किस्म का मसला है तो, क्यों ना लेडी डॉक्टर से बात कर के में आप का अबॉर्षन करवा दूं अम्मी ।" अपनी अम्मी की गिरती सेहत देख कर ज़ाहिद बहुत परेशान हुआ । और उस ने अपनी अम्मी रज़िया बीबी को लेडी डॉक्टर से चेक अप भी करवाने की कॉसिश करते हुए कहा ।

मगर हर दफ़ा रज़िया बीबी ने "में ठीक हूँ, और में हर हाल में तुम्हारे बच्चे को जनम दे कर रहूंगी मेरे बच्चे ।" ये कहते और ज़िद करते हुए डॉक्टर के पास जाने से मना कर दिया ।

फिर आख़िर वो दिन आन पहुँचा जब रज़िया बीबी अपने ही बेटे के बच्चे की माँ बनने वाली थी ।

उस दिन रज़िया बीबी समित उस के सारे घर वाले बहुत ही खुश थे । और ज़ाहिद, शाज़िया,नीलोफर और जमशेद रज़िया बीबी को साथ ले कर हॉस्पिटल आ गये ।

रज़िया बीबी की उमर ज़्यादा होने की वजह से डेलिवरी में कॉंप्लिकेशन का डर था ।

इसीलिए ऑपरेशन रूम में जाने से पहले हॉस्पिटल वालों ने ज़ाहिद और रज़िया बीबी से कई किसम के पेपर्स पर साइन करवाए । और फिर रज़िया बीबी अपने बेटे और बेटी की आँखों के सामने ऑपरेशन थियेटर में चली गई ।

ज़ाहिद,शाज़िया,नीलोफर और जमशेद सब अपने बच्चो के साथ हॉस्पिटल के वेटिंग रूम में इंतिज़ार कर रहे थे । कि कब डॉक्टर आ कर उन को सब ठीक है की खबर सुनाए ।

मगर उन सब की किस्मत में कुछ और ही लिखा था ।

ऑपरेशन स्टार्ट होने के कुछ देर बाद एक डॉक्टर घबराई हुई हालत में वेटिंग रूम में बैठे ज़ाहिद के पास आया । और बहुत ही अफ़सोसजदा लहजे में बोला " आइ आम सो सॉरी वी कुड नोट सेव दा मदर आंड बेबी ।" ।

"व्हातत्तटटटटटटटटतत्त आंड हॉवववव ।" डॉक्टर के मुँह से ये आलम नाक खबर सुन कर ज़ाहिद और बाकी सब लोगो के मुँह से एक साथ ये इलफ़ाज़ एक दम निकल गये ।

डॉक्टर ने तफ़सील से बताया कि बड़ी उमर में प्रेगनेंट होने की वजह से प्रेग्नेन्सी के आखरी महीनों रज़िया बीबी के यूटरस (बच्चे दानी) में एक ट्यूमर बन चुका था । जो कि असल में कॅन्सर था ।

आज ऑपरेशन के दोरान वो ट्यूमर अचानक फॅट गया । जिस की वजह से रज़िया बीबी के साथ साथ उस के पेट में बने हुए ज़ाहिद के बच्चे की भी डेथ हो गई थी ।

ज़ाहिद और शाज़िया के साथ साथ जमशेद और नीलोफर की आँखों से आँसू जारी हो गये । और सब एक दूसरे से गले लग कर फूट फूट कर रोने लगी ।

ज़ाहिद और शाज़िया तो अपने दिल में कुछ और ही अरमान सजाए अपनी अम्मी को साथ ले कर हॉस्पिटल आए थे ।

मगर वो कहते हैं ना कि "होनी को कौन टाल सकता है" ।

बिल्कुल इस तरह एक ही लम्हे में ज़ाहिद का खुशी भरा माहौल गम की तस्वीर बन कर रह गया था ।

फिर हॉस्पिटल वालों ने अपने पेपर वर्क के बाद रज़िया बीबी और उस के पेट में मुर्दा जनम लेने वाले बच्चे की डेड बॉडी ज़ाहिद के सुपर्द कर दी ।

जिसे उसी दिन ज़ाहिद,शाज़िया,नीलोफर और जमशेद ने आहों और सिसकियों के शोर में कब्रिस्तान में दफ़ना दिया ।

ज़ाहिद और शाज़िया अपनी अम्मी की यूँ अचानक उन से बिचड जाने पर बहुत ही गम गीन थे ।

मगर सबर के अलावा उन के पास कोई चारा नही था ।

अपनी अम्मी के इस दुनिया से जाने का शोक मनाने के कुछ दिनो के बाद शाज़िया एक बार फिर अपने शोहर भाई ज़ाहिद के कमरे में शिफ्ट हो गई ।

और जमशेद और नीलोफर की तरह ये दोनो बहन भाई भी एक बार फिर सही मियाँ बीवी की हैसियत से दोनो बच्चो के साथ अपने शब-ओ-रोज़ गुज़ारने लगे ।

यूँ अल कौसेर होटेल दिना से जनम लेने वाले ज़ाहिद और शाज़िया दोनो बहन भाई के इस जिन्सी किस्से का कुआला लंपुर मॉलेसिया में समापन हो गया ।

दा एंड......

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