एक नौजवान के कारनामे 153

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रानी माँ ने एकांत प्रदान किया
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Part 153 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 17

रानी माँ ने एकांत प्रदान किया ​

जूही रानी ने अपने कपड़े साडी इत्यादि पहनी ली और राजमाता के साथ जाने लगी तो जूही खुद ही मेरे पास आ गई और मुझको कस के एक जफ़्फ़ी डाली और जाते हुए मेरे लंड को छूते हुए उनके साथ जाने लगी।

मैंने झट से जूही रानी का हाथ पकड़ा और उसको उठा कर अपने गले से लगा लिया और फिर उसके लबों पर एक गर्म चुम्बन दे डाला।

जूही रानी भी मुझ से अँधाधुंध लिपट गई और बड़ी ही मस्ती से उसने मुझको चूमना शुरू कर दिया।

रानी माँ यह सब देख रही थी। वास्तव में राजमाता ने ये उपाय सोचा था ताकि मैं और जूही एक साथ एकांत में कुछ दिन रह कर लगातार और बार-बार सम्भोग कर सके। परन्तु इसमें दो समस्याए थी। पहली गुरुदेव का आश्रम की राजकुमारी के पिताजी ने निवास और महल के समीप था और ऐसे में उनके पास न जाकर अन्यत्र जाना, उनके दर्शनों के लिए न जाना और अन्यत्र ठहरना उचित नहीं रहेगा। जूही के पिता महाराज के यहाँ ठहरने पर मुझे और जूही के एकांत नहीं मिलेगा। दूसरी की कुछ दिनों में ही मेरा भी विवाह होना था और विवाह की रस्मे शुरू हो गयी थी तो ऐसे में मेरा दूर जाना उचित नहीं रहेगा और फिर इसके लिए मेरे माता पिता की अनुमति भी आवश्यक थी और फिर अन्य रिश्तेदार भी आये हुए थे यदि किसी और ने गुरुदेव के दर्शन करने की इच्छा जाहिर की तो पूरा प्रयास बेकार हो सकता है।

उसके बाद जूही अलग हुई और फिर चलने लगी तो अब राज माता ने जूही का हाथ पकड़ लिया और बोली बहुरानी मैं सोच रही हूँ की आप को, महाराज और कुमार तीनो को गुरुदेव महर्षि के पास आशीर्वाद और दर्शन के लिए भेज दू।

राजमाता इसी सोच विचार में थी की क्या किया जाए और इसीलिए उन्होंने मेरी माता जी से विमर्श करने का विचार किया और बोली पुत्री तुम थोड़ी देर यही रुको। उसके बाद राजमाता मुस्कुराती हुई जूही को मेरे पास छोड़ कर माता जी के कक्ष की और चली गयी।

फिर मैंने जूही को एक बार फिर अपनी तरफ खींचा और उसे चूमते हुए जूही रानी की साड़ी पर हाथ डाला और धीरे से उसको उतारने लगा।

मैंने जल्दी से जूही रानी की साड़ी और ब्लाउज उतार दिया उसके मम्मे एक रेशमी ब्रा में कैद थे, ब्रा के उतारते ही वह बड़े अनारो के जैसे गोल और ठोस मेरे हाथ में आ गए और फिर उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया।

मैंने झट से एक को अपने मुंह में ले लिया और निप्पल चूस रहा था, दूसरे हाथ से उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच रहा था।

एक ही झटके में ही जूही भाभी का पेटीकोट उतर गया और उसकी सुंदर चूत जो चुदाई से सूजी हुई थी मेरे सामने आ गई।

मैं नीचे बैठ गया और अपना मुंह जूही भाभी की चूत में डाल दिया और उसकी खुशबू से भरी चूत का आनन्द लेने लगा।

जूही की आँखें बंद थी और वह इस मेरे उपक्रम का बहुत ही आनन्द ले रही थी।

मैंने उठ कर जूही को छाती से लगा लिया जहाँ उसके मम्मे एकदम मेरी सख्त छाती में दब गए।

रानी के होटों को चूमते हुए मैं उसको बेड की तरफ ले आया, वहाँ मैं थोड़ा रुक गया और उसको खड़ा करके मैं रोजी को भी अपनी तरफ ले आया और दोनों को एक साथ खड़ा करके उनका शारीरिक मिलान करने लगा।

दोनों ही बेहद खूबसूरत थीं, उनके शरीर संगेमरमर के बने हुए लग रहे थे और दोनों का कद और शरीर की गठन एक समान लग रही थी, यहाँ तक मम्मों और चूतड़ों का साइज भी एक समान लग रहा था।

मैंने रानी जूही की चूत में ऊँगली डाली तो वह बेहद गीली और रसीली हो चुकी थी। मैंने उसके लबों को चूमते हुए उसको लिटा दिया और खुद उसकी बिलोरी टांगों के बीच बैठ गया।

मेरा मस्त खड़ा लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया और उसकी खुली आँखों में देखता रहा कि वह इशारा करे तो मैं लंड को धक्का मारूं। उसने भी मेरी आँखों में आँखें डाल कर आँख-आँख से ही हामी भर दी और मैंने अपना लौड़ा पूरा ही उसकी चूत में डाल दिया।

वो एकदम से गर्म लोहे की छड़ी की तरह मेरे लंड के अंदर जाते ही जूही रानी बिदक गई, उसने अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए और तभी मैंने पूरा लौड़ा निकाल कर ज़ोर से फिर डाला उसकी चूत में!

उसके मुंह से हल्की-सी हाय निकल गई।

अभी तक मैं बहुत ही धीरे चोद रहा था, अब मैंने चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी।

उधर देखा तो जूही रानी को रोजी ने पूरा संभाल रखा था, वह उसकी मुँह में मुंह डाल कर उसके ओंठ को चूस रही थी और जूही रानी एकदम आनन्द से उछल रही थी।

इधर जूही रानी की चूत में कुछ-कुछ होने लगा और मेरा लंड एकदम समझ गया और उसने धक्के फिर तेज़ शुरू कर दिए और तभी झूइ रानी की चूत से कंपकपाहट उठी और रानी की दोनों संगेमरमर जैसी जांघें मेरे चारों और लिपट गई और उसने मुझको जकड़ लिया।

मैं रुक गया और उसके गोल गुदाज़ मम्मों में सर डाल कर उनकी रेशमी जैसी चमड़ी से मुंह रगड़ने लगा, जूही रानी ने अपनी टांगें खोली तो मैंने एकदम उसको पलट दिया और घोड़ी बना दिया और फिर लंड को उसकी चूत में तेज़ और धीरे अंदर बाहर करने लगा, उसके गोल नितम्बों को दोनों हाथों में पकड़ कर ताबड़तोड़ लंड परेड चालू कर दी।

और जैसे कि मुझको उम्मीद थी वह बहुत जल्दी स्खलित हो गई, बिस्तर पर ढेर हो गई।

रोजी यह सब खेल देख रही थी, वह उठ कर आई और जूही रानी को सीधे लिटा दिया और मैं उसकी टांगों में बैठ कर हल्के-हल्के धक्के मारने लगा।

रानी जो छूटने के बाद ढीली पड़ गई थी, अब फिर फड़क उठी और चूत को उठा-उठा कर मेरे लंड का स्वागत करने लगी।

दस मिन्ट तेज़ और धीरे चुदाई को मिक्स करते हुए मैंने आखिर में फुल स्पीड से चोदना शुरू कर दिया।

रोजी इस चुदाई का आखिरी राउंड देख रही थी, रोजी जूही रानी के मम्मों को चूस रही थी और साथ-साथ हाथ से उसकी भगनासा को ऊँगली से शाला रही थी।

फिर जूही रानी एकदम से अपने चूतड़ ऊपर उठा कर मेरे पेट के साथ चिपक गई और फिर एक हल्की चीख मार कर छूट गई। उसकी चूत अपने आप खुल और बंद हो रही थी और मेरे लंड को निचोड़ने की कोशिश कर रही थी। मैंने फिर ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी और कुछ ही देर में मेरी पिचकारी पूरी गति से छूट गयी।

मैं थोड़ी देर लंड को अंदर डाले हुए ही जूही रानी के ऊपर लेटा रहा और फिर धीरे से लंड को निकाल लिया चूत से!

रोजी ने फ़ौरन ही रानी की टांगों को हवा में लहरा दिया और कमर के नीचे एक मोटा तकिया रख दिया।

फिर रानी एकदम से अपने चूतड़ ऊपर उठा कर मेरे पेट के साथ चिपक गई और फिर एक हल्की चीख मार कर छूट गई। उसकी चूत अपने आप खुल और बंद हो रही थी और मेरे लंड को निचोड़ने की कोशिश कर रही थी। मैंने फिर ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी और कुछ ही देर में मेरा फव्वारा पूरी फ़ोर्स से छूट गया।

मैं थोड़ी देर लंड को अंदर डाले हुए ही रानी के ऊपर लेटा रहा और फिर धीरे से लंड को निकाल लिया चूत से!

वहाँ से उठ कर मैंने जूही रानी को आलिंगन में ले लिया और उसके लबों पर एक जोशीली चुम्मी कर दी, होटों को होटों पर रख कर मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और उसको गोल-गोल घुमाने लगा। जूही रानी जी की जीभ मेरे मुंह के अंदर जा कर चूस रही थी और मेरा सारा रस चूस रही थी, मैं भी डबल जोश से जूही रानी के ओंठ चूसने लगा।

जूही रानी बोली-उफ्फ, क्या गरम लावा है तुम्हारा, मैं तो निहाल हो गई।

हम सब थक गए थे तो रोजी कपडे पहन कर गई और एक दूसरे को बड़ी ही गर्म नज़रों से देखते रहे।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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