अंतरंग हमसफ़र - रंगरलिया 11

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स्वांगधारी अनूप का स्वागत​
2.2k words
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Part 11 of the 18 part series

Updated 11/08/2023
Created 02/20/2022
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मेरे अंतरंग हमसफ़र -

मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया

UPDATE 11

मास्टर अनूप का स्वागत​

रूबी.- "मुझे जल्दी करनी चाहिए, क्योंकि मास्टर अनूप का स्वागत करने में कुछ ज्यादा समय लगेगा। और मिस निशा मुझे लगता है कि मास्टर अनूप आपकी पिटाई का आनंद ले रहा है; उसके सन्टी के साथ बंधे हुए रिबन को उसकी उजागर योनि के नीचे, और उसकी ऊपरी जांघों की कोमल आंतरिक सतहों के बीच छूते हुए उसे एक बार घुमाया तो इसने निशा की कामुक संवेदनाओ को जगा दिया ।

अपनी महिला मित्र की सजा को देखकर अनूप का चेहरा उत्साह से भर गया, हर झटका उसे भी रोमांचित कर रहा था, और उसे ऐसी कामुक भावनाओ का एहसास हुआ जिन्हे उसने पहले कभी अनुभव नहीं किया था, उसका लिंग कठोर हो कड़ा होने लगा और ऊपर को और उठने लगा जिससे उसके स्वभाव की कामुकता सभी के सामने आ गयी और सब ने उत्सुकता से उस दृश्य को देखा।

रूबी ने सन्टी इतनी जोर से चलायी कि निशा के लगा ही उसे नितम्बो और जांघों पर जल्द ही खून बहने लगेगा । "आह! ओह! मैं बेहोश हो जाऊंगी । मैं मर जाऊंगी!" प्लीज सर! मुझे छोड़ दो! आप जो कहोगे मैं वो करुँगी! मैं सब नियम मानूंगी! मैं आपकी सब बाते मानूंगी! प्लीज सर अब ऐसी गलती फिर कभी नहीं होगी! वह निरंतर सुबक रही थी सिसकती, रिस रही थी और खूबसूरती से अपने टाँगे मरोड़ रही थी और इस दृश्य का तनु सबसे ज्यादा आन्नद ले रही थी क्योंकि उसकी चूत निशा की चीखे सुन कर बह रही थी ।

यहां अध्यक्ष महोदय अपनी सन्टी के साथ यह कहते हुए आगे हुए "मुझे लगता है कि मास्टर अनूप जिनकी अभी दाढ़ी मूंछ भी नहीं आयी है और बिलकुल चिकना है. और इसी चिकनेपण का फायदा उठा कर उसने अपनी प्रेमिका के साथ मिल कर हमे मूर्ख बनाने को कोशिश की है और उसकी मित्र जिस स्वाद का अनुभव कर रही है। वो खुद उस स्वाद के लिए तरस रहा है । नीरा आप उसकी स्कर्ट को यथासंभव शालीनता और सावधानी से पिन करें। मैं केवल उसका निचला और पिछला भाग देखना चाहता हूं, हम नहीं चाहते कि दूसरी चीज किसी के भी सामने पेश की जाए।"

अनूप निशा की पिटाई के खूबसूरत नजारे को देखने में इतना मग्न था कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी स्कर्ट को पिन किया गया था और जब उसके नितंब पर सन्टी के एक जबरदस्त झटके ने उसे सबसे जीवंत तरीके से उसकी अपनी दयनीय स्थिति के बारे में बताया। वो चीखने लगा और अपने होठों को काटने लगा, उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे, और उसके चेहरे पर एक अतिरिक्त लाल रंग तैर गया, और सब लोग उसे अकादमी के नियम तोड़ने का अंजाम बताने लगे । बार-बार रजनीकांत के वार पर सट सट की तेज आवाज आती थी जो पूरे कक्ष में गूँज रही थी। लेकिन जब तक अनूप के पिछवाड़े पर सात या आठ वार नहीं पड़े, तब तक रजनीकान्त को संतुष्टी नहीं हुई।

अध्यक्ष महोदय के आखिरी वार ने एक गहरी लाल रंग की लकीर खींच दी, "क्या आप क्षमा मांगते हो? क्या आप फिर कभी यहां एक लड़की के रूप में आकर हमारा अपमान करेंगे?"

अनूप बड़ी बहादुरी से, इसे सहन करने की कोशिश कर रहा था, और उसे बहुत सारी लड़कियों के सामने रोने में शर्म आ रही थी। उसके नितम्ब दर्द से तड़प रहे थे, और वो तब तक चुपचाप अपने होठों को काटता रहा और अपने दर्द सहने की शक्ति का प्रदर्शन करता रहा।

अध्यक्ष महोदय- " वाह! लड़का हिम्मत वाला है, ये हमारे लिए और अधिक मजेदार है, तो महोदय, क्या आप क्षमा मांगेंगे, और अपने इस दुस्साहस के बारे में किसी को कभी नहीं बताने की कसम खाओगे?" रजनी कान्त अपनी पूरी ताकत से उसके सफेद नितम्बो पर तल पर सन्टी के एक जबरदस्त प्रहार रहा था, प्रत्येक प्रहार अनुपो के नितम्ब के मांस को कच्चा बना रहा था।

अनूप - "आह! मुझे फोन करना है, यह भयानक है। ओह! महिलाओं मेरी हत्या मत करवाओ । आह- अरे!" प्लीज कोई मेरी मदद करो!

अध्यक्ष महोदय।- "क्या तुम यहाँ फिर से आओगे? क्या आप अपने इस राज को गुप्त रखने की शपथ लेंते हो?" उसे उसके अच्छी तरह से सन्टी के स्ट्रोक से लगातार पीड़ा में रखते हुए रजनी कान्त उस पर सवाल दाग रहा था ।

अनूप अब तक रोने नहीं लगा था. पर वही निशा की सिसकियों के अलावा, दो अच्छी तरह से लाल हुई नितम्बो के नजारे ने सभी महिलाओं को काफी उत्साहित कर दिया मैंने अपने मित्र को सम्भोधित करते हुए कहा अध्यक्ष जी मेरा एक सुझाव है । मैंने हमेशा पेटीकोट या स्कर्ट, क़मीज़, मौजे, ऊँची एड़ी के जूते पहने लड़कियों का बहुत सम्म्मान किया है। क्योंकि मेरा विश्वास रहा है कि लड़को को अनुशासित रखने का सबसे अच्छा उपाय है स्मार्ट लड़की का संग।

मैंने हमारी मानव मनोविज्ञान-मानवशास्त्रीय कक्षाओं में पढ़ा एक किस्सा सुनाया। एक सम्भार्न्त परिवार का लड़का जिसकी कोई बहन नहीं थी और उसकी मॉडर्न माँ अपने सामाजिक कार्यो में व्यस्त थी, उसे इंग्लॅण्ड के एक स्कूल में भेजा गया था और अठारह महीने बाद उसे स्कूल से निष्कासित कर दिया गया था। वह इतना उदंड था कि उसे दूसरे स्कूलो में भेजना भी व्यर्थ गया और उसे वहाँ से कुछ समय बाद निकाला दिया गया। जब घर पर टीचर रखे गए तो कई प्राइवेट टीचर्स ने एक के बाद एक इस आधार पर इस्तीफा दे दिया कि उसका व्यवहार पूरी तरह से अक्षम्य था।

जब लगा की उसकी पढ़ाई अधूरी रह जायेगी तो, उसके अभिभावकों ने कई लोगों से पूछताछ की और उदंड और दुर्दम्य लड़कों के सुधार के लिए खुद को समर्पित करने का दावा करने वाले असंख्य विज्ञापन दाताओ के पास गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, अंत में, उनके परिवार के एक मित्र जिसे कुछ मानवशास्त्रीय अनुभव था, द्वारा यह सुझाव दिया गया था कि लड़के को एक महिला के द्वारा प्रशिक्षित करने पर वह सुधर सकता है। उसके अभिभावकों के ये विचार आश्चर्यजनक लगा! उन्हें लगा की उनका कम उम्र का उदंड लड़का, जिसने सभी स्कूलों और ट्यूटर्स के अनुशासन का उल्लंघन किया था, कभी भी एक महिला के सामने नहीं झुकेगा।

फिर उसने एक महिला टीचर के नाम का सुझाव दिया जो ऐसे मामलो में उम्मीदों से परे सफल साबित हुई थी। उस महिला से मुलाकात और लंबी चर्चा के बाद उस सुझाव को स्वीकार किया गया को उस उदंड लड़के को दो साल के लिए पूरी तरह से उस महिला टीचर के नियंत्रण में छोड़ दिया जाना चाहिए और फिर उस अवधि के अंत में वह और उल्लेखनीय बौद्धिक विकास और आत्म-कब्जे के साथ विनम्रता और आज्ञाकारिता, शिष्टाचार और शिष्टता का एक मॉडल बन गया, उसके अभिभावको ने और उनके दोस्तों ने आश्चर्यजनक रूप से उस महिला द्वारा उस उदंड लड़के के व्यवहार में किए गए अद्भुत परिवर्तन और सुधार को आश्चर्य और कृतज्ञता के साथ स्वीकार किया।

स्वाभाविक रूप से, रजनीकांत यह जानने के लिए उत्सुक हो गया कि उस महिला ने यह चमत्कार किस जादू से किया है। मैंने उसे बताया कि जादू पूरी तरह से स्त्री संग और उसका उस लड़के पर प्रभाव था। उसने उसे सेक्स के सूक्ष्म और वश में करने वाले प्रभाव से प्रभावित किया, जिसके तहत उसे सदा लड़कियों के साथ रखा गया। जैसा कि रजनी ने अनुमान लगाया, उसने ट्यूटर नहीं बल्कि नौकरानियों को नियुक्त किया, जिन्होंने उसकी उम्र के बावजूद, उसे हर तरह से एक बच्चे के रूप में माना।

उस महिला सुधारक ने उस लड़के पर महिलाओं के कपड़ों का इस्तेमाल किया-पहले एक छोटी लड़की, फिर एक युवा महिला का-और फिर मर्दाना आदतों का इस्तेमाल किया, यहाँ तक कि किसी भी शैतानी की इच्छा को भी गहरा अपराध बना दिया। महिला सुधारक ने उस लड़के की कठोर पुरुष प्रवृत्तियों को नरम स्त्री प्रभाव के अधीन कर दिया, जि्सके कारण वह लड़का उनका आज्ञाकारी होने के लिए मजबूर हो गया। उसने छड़ी के साथ विद्रोह को सबसे अपमानजनक तरीके से दंडित किया; और एक तीक्ष्ण महिला टीचर का उपयोग उसकी बुद्धि को तेज करने, उसे उसका पाठ पढ़ाने और उसके उपदेशों को लागू करने के लिए किया।

उसे शर्म और अपमान मह्सूस करवाने के लिए, उसे कुछ सुंदर लड़कियों के साथ रखा गया और आमतौर पर उन लड़कियों के सामने दंडित किया जाता था। हंसती हुईऔर उसका मजाक उड़ाती हुई सुंदर लड़कियों के सामने सजा मिलने से वह सबसे ज्यादा डरने लगा और धीरे-धीरे उसकी हरकते सुधरने लगी। मात्र कथा सुनने से रजनीकान्त का खून खौल उठा था और ये सोच कर अनूप कांप उठा की अगर उसे उसकी प्रेमिका के सामने अगर इस तरह से दण्डित किआ जाए तो वह कभी भी उन लड़कियों के बीच जाने की हिम्मत नहीं जुटा पायेगा।

उस लड़के ने बाद में अपने लेखो में लिखा की जब उसे उन लड़कियों के सामने महिला टीचर से सजा मिलती थी तो उसने कैसे अपने कष्टों की सभी अभिव्यक्तियों को दबाने का प्रयास किया किन्तु उसे उस समय मानसिक यौर पर लड़कियों के सामबे सजा मिलने पर बहुत शर्म महसूस होती थी और ये देख कर उसकी मानसिक पीड़ा बढ़ जाती थी की जब उसे सजा मिलती थी तो लड़किया उसे देख कर आनन्दित होती थी और बाद में जो लड़किया वहाँ नहीं भी होती थी उन्हें बड़े मजे ले-ले कर उसे सजा मिलने का किस्सा सुनाती थी और गौरवान्वित महसूस करती थी । धीरे-धीरे उसका सजा मिलने पर दर्द के तनाव से उसका धैर्य गायब हो गया, जबकि युवाओं की चेतना और उसे उन लड़कियों के सामने मिलने वाली सजा ने उसे शर्म का एहसास करवाया आखिरकार, जब एक महिला के गोल हाथ के वार क्रूर नियमितता के साथ उसके बदन पर गिरते, तो वह खुद को पूरी तरह से और असहाय पाता था।

और फिर जब एक दिन उनमे से एक प्यारी-सी सड़की ने सजा मिलने के बाद उससे ये पुछा की आपको बहुत दर्द हो रहा है और आप ऐसा काम क्यों करते हो की आपको सजा मिले तो उसका पूरा धैर्य जवाब दे गया और वह फ़ूट-फ़ूट कर रोने लगा ।

वह अब घोर अपमान की भावना का सामना नहीं कर सकता था, और वह अपनी टीचर के आगे झुक गया । उसने दृढ़ आत्मविश्वास और वीरतापूर्ण प्रकृति के बारे में अपने लेख में लिखा की जब उसे पुरुषो से लड़को के सामने सजा मिलती थी तो उसे अपनी बहादुरी पर गर्व होता था और उसने धीरे-धीरे दर्द पर पूरी तरह से महारत हासिल कर ली थी। लेकिन, जब एक महिला ने उसे अन्य महिलाओं के सामने पीटा तो इसने उसकी ताकत को छीन लिया, वह सजा की यातना नहीं थी, बल्कि लिंग के टोना-टोटका था। यह पेटीकोट की जीत थी। वह अंत में इस अथक विजेताओं के सामने जमीन पर गिर पड़ा और उनसे सांस लेने की अनुमति मांगी।

रजनीकांत ने भी बताया की उसका एक मित्र स्कूल में जब वह ऐसे स्कूल में जाता था जिसमे लड़के और लड़किया दोनों पढ़ते थे लेकिन लड़किया का सेक्शन अलग था और लड़कियों का सेक्शन अलग था और दोनों कक्षाओं में छात्र छात्राये खूब शोर मचाते थे और उन्हें दंड देने पर भी कोई ज्यादा सुधार नहीं होता था क्योंकि लड़किया मिल कर बाते बहुत करती थी और लड़के मिल कर शरारते बहुत करते थे ।

तभी उनके स्कूल में एक नयी अध्यापिका आयी और उसने कक्षाओं का मिश्रण कर दिया केवल लड़को वाले सक्शन के आधे लड़के लड़कियों के सेक्शन में और आधी लड़किया लड़को के सक्शन में स्थांतरित कर दी । उसके बाद ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ा । एक दो लड़को और लड़कियों के सजा या डांटे के बाद दोनों सेक्शन के छात्र शांत रहने लगे l क्योंकि लड़कियों के सामने लड़को को सजा मिलने की बात पूरे स्कूल की लड़कियों को पता चल जाती थी और लड़कियों को डांटना अपने आप में लड़कियों के लिए बहुत बड़ी सजा थी।

अब मेरी ये कहानी सुन कर हर एक महिला जो वहां मौजूद थी उन सब ने अपनी सन्टी उठा ली, और जैसे ही रजनी कान्त और मैडम रूबी ने सन्टी चलानी बंद की, वे उन दोनो पीड़ितों के पीछे के हिस्से पर सन्टी चला कर उन्हें राहत देने लगे।

जल्द ही निशा टूट गयी और लगभग बेहोश हो गयी वह दर्द से बेखबर हो गयी और मैं उस के मुँह पर पानी मार कर उसे होश में लाया, जबकि अनूप दया के लिए याचना कर रहा था, और फिर कुछ मिनटों बाद गोपनीयता की शपथ लेने की प्रार्थना कर रहा था । अंत में रजनी कान्त ने मेरी अनुशनसा पर उसे आवश्यक शपथ लेने की अनुमति दी, लेकिन जब उसने दयनीय रूप से रिहा होने और घर जाने की अनुमति मांगी तो सबने हँसी के साथ उसका स्वागत किया।

अध्यक्ष महोदय "हा! हा! अनूप आप सोच रहे है कि हम आपको ऐसे ही जाने देंगे, जब निशा ठीक हो जायेगी तो वो भी तो आपका थोड़ा स्वागत और सम्म्मान करेगी और आपको निशा के द्वारा इस सजा को समापत करने पर कोई आपत्ति तो नहीं ही है ।"

अनूप ।- "यह सब उसकी ही गलती थी, मुझे कभी नहीं आना चाहिए था, उसने मुझे मेरे गर्मजोशी से स्वागत होने का आश्वासन दिया था ।"

तनु : तो अनूप आप निशा पर इतना भरोसा करते है की वो अगर कुए में कूद जाने को कहेगी तो आप कूद जाएंगे?

अध्यक्ष महोदय, हंसते हुए।- "यह बिलकुल ठीक है, देवियों और अनूप! आप यह नहीं कह सकते कि हमने अनूप का अच्छा स्वागत नहीं किया, ठीक है न अनूप! लेकिन इससे पहले कि हम आपको जाने दें, चलिए आपका और गर्मजोशी से स्वागत करते हैं ।"

आपका दीपक

कहानी जारी रहेगी

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