अंतरंग हमसफ़र - रंगरलिया 12

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निशा द्वारा अनूप का स्वागत​
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Part 12 of the 18 part series

Updated 11/08/2023
Created 02/20/2022
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मेरे अंतरंग हमसफ़र-

मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया

UPDATE 12

निशा द्वारा अनूप का स्वागत​

निशा को मैंने मलहम लग्गायी और कुछ दवा दी और जल्दी ही वह जगमगाती आँखों से उसने खुद के तैयार होने की घोषणा की । निशा की बहन अजंता ने झटपट उसे एक नयी सन्टी उसके हाथ में पकड़ा दी और जाहिर तौर पर निशा के दिमाग में कुछ था। "मैंने ये क्या सुना" उसने कहा, "आपने यह कहने की हिम्मत कैसे की कि मैंने आपको यहाँ आने के लिए लुभाया है?"

अनूप अब कांप रहा था। -"आह! आह! निशा, क्या तुम भी मेरी यातना को लम्बा खींचोगी, अब मैंने सब कुछ करने का वादा किया है।"

निशा, अपनी सन्टी को गंभीरता से नीचे लाते हुए, उसके निचले हिस्से की स्पर्श किया और फिर उसके नितम्बो पर प्रहार किया । अनूप की सफ़ेद नितम्ब की त्वचा उस स्ट्रोक के नीचे दब गयी, वह बोली ये आपकी जिद थी की आप यहाँ आना चाहते थे और जब तक आप उस जिद को छोड़ नहीं लेते, तब तक आपकी ये यातना चलेगी। "व्हिस्क-व्हिस्क-व्हिस्क, प्रत्येक प्रहार पहले की तुलना में तेज था और वह अधिक से अधिक उत्तेजित हो रहा था, क्योंकि खून उसकी नसों में और अधिक उबाल मार रहा था," क्या यह सच नहीं है अनूप कि आप मेरा मेरे साथ सेक्स करना चाहते थे,? ये महिलाएँ मेरे प्रति आपके लज्जाजनक आचरण के बारे में सब कुछ जानती हैं। "

अनूप, इस नए सिरे से यातना में तड़प उठा और हताश हो गया। -"आह! ओह! आह! अगर मैंने ये सब मान लिया तो मुझे फांसी पर लटका दिया जाएगा, तो आप क्यों मेरा-मेरा-आप जानती हो आपने उस दिन अपने हाथ में यानी आपके हाथ में से मेरा क्या मतलब है।"

निशा, गुस्से में। -"घृणित बातो का जिक्र मत करो," उसे कंधों पर सन्टी चलाते हुए वह बोली, "अपनी दुष्ट जीभ को लगाम दो, आप मेरे चरित्र को बदनाम करने जा रहे हैं," फिर से उसके चूतड़ पर उसकी सन्टी का प्रहर हुआ । क्या तुम मेरे साथ मेरे हॉस्टल में नहीं रहना चाहते थे । तुमने ही ये सब प्लान बनाया था।

अनूप अपना सर इधर उधर फेंक रहा था और अपने सिर को बहुत अधिक घुमाने से उसका विग उतर गया और अब वह, थोड़ा अधिक मर्दाना दिख रहा था, वह एक बहुत ही गोरा युवक था हालांकि उसके स्तन और नितम्ब लड़कियों जितने विकसित नहीं थे।

निशा, खुद उत्तेजक गर्मी को महसूस कर बोली। "देखो, देखो, ये इस हालात में भी कामुक महसूस कर रहा है और झूठ बोल रहा है" ये अपने उस घृणित भाग को छिपा भी नहीं पा रहा है और वह अनूप के नितंबों पर तेजी के कई प्रहार करने लगी जिससे उसकी शर्ट इतनी अव्यवस्थित हो गयी कि हमें उसके पेट के निचले भाग में घुंघराले हल्के बालों से छह या सात इंच की दूरी पर एक दुर्जेय दिखने वाले हथियार की झलक मिली।

युवा अनूप की आँखो में एक तरह का कामुक उन्माद नजर आया और सब लड़किया उस और देखने लगी, लेकिन दर्द और शर्म के हर विचार ने जाहिर तौर पर निशा की कामुक भावनाओं को दूर कर दिया था लेकिन अनूप सन्टी के हर प्रहार पर सबसे कामुक तरीके से अपने नितम्बो और

टांगो को मोड़ता और मरोड़ रहा था। उसके नितम्बो पर लाल निशान गहरे हो गए थे और कामुक भावना उसके रोष को और अधिक बढ़ा रहा थी। "आह!" वह कराह उठा, "ये न केवल मुझे अपने से भी बदतर बनाने की कोशिश कर रहा है, बल्कि देखिये वह हम सभी के सामने खुद को कितने अपमानजनक तरीके से उजागर कर रहा है!"

उसने अगला स्ट्रोक ऐसे मारा की वह उसके अपराधीअंग तक पहुँच सके। ऐसा वह बार-बार करती रही जिससे इतना तीव्र दर्द और उत्तेजना पैदा हुई की आखिर में वह बेचारा चिल्ला उठा, "ओह! हे भगवान! मैं फट जाऊंगा, मैं मर जाऊँगा । यह भयानक है, आह-आर-रे! आह-आरआर-रे! ओह! ओह!" और फिर ऐसा लगा कि वह भावनाओं की अधिकता में बेहोश ही गया।

निशा ने कुछ पल के लिए अपनी छड़ी के प्रहार रोक दिए और फिर उसके मुँह पर पानी मार कर अचानक उसे दो या तीन जबरदस्त प्रहार करके उसे फिर से जगाया है और चिल्लायी, "उठो, इतना कुछ हो गया, शायद अब आप अपने उस दुराग्रह को छोड़ दो, क्या तुमने मेरी उलझन का फायदा नहीं उठाया, जब मैं तुमसे बगीचे में मिली थी और उसने?" जब तक युवा अनूप पर सन्टी का एक और प्रहार कर दिया।

अनूप, फिर से भयानक दर्द में और यह सोचकर शर्मिंदा हो गया कि उसे निशा ने कैसे फसा कर उसकी हरकतों को उजागर कर दिया है, अब उसकी कामुक उत्तेजना दूर हो गई थी। -"आह! आह! तुम ने मुझे कैसे फसा लिया है और दण्डित किया है । तुम्हारे उस स्नेह के प्यार भरे दुलार और दावे के बाद कौन सोच सकता है कि तुम मुझे ऐसे पिटवा और पीट सकती हो। आह! मिस तनु, मुझे इस बदमाश लड़की से बचाओ, दया करो देवियों!" शर्म के आंसू और तड़पता हुआ वैराग्य उसके लाल चेहरे पर बह रहा था।

निशा। -"अभी नहीं, बेशर्म लड़के, पहले मेरे बारे में अपने दावे वापस ले लो, या मैं तुम्हारे जाने से पहले सचमुच तुम्हारी खाल उतार दूँगी और फिर उसके बाद तुम्हे पुलिस में पकड़वा दूँगी।"

अनूप। -"ओह! ओह! निशा तुम कितनी क्रूर हो, मुझे झूठ बोलने के लिए मजबूर कर रही हो, मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ?" सन्टी के कुछ स्मार्ट स्ट्रोक की बौछार के बाद जाहिर तौर पर अनूप की कामुक भावनाओं की वापसी शुरू हो गयी थी।

निशा। -"तुम्हारी रोना बेकार है और मैं इससे पिघलने वाली नहीं हूँ और, यह जानकर भी कि हम एक-दूसरे से कैसे प्यार करते हैं। क्या-क्या आप अपने दुष्ट दावों को वापस लेने को त्यार हो? आपने इन महिलाओं के आगे मुझे कामुकता की देवी बना दिया है। सुना?" निशा ने अनूप के निचले नागो पर तेज प्रहर किये ताकि सन्टी की युक्तियाँ उसे सबसे कोमल और सबसे निजी भागों में डंक मार सकें।

अनूप। -"आह! ओह! निशा! तुम तो मुझे मार ही डालोगी," अचानक वह दर्दनाक दर्द से बेहोश होने वाला था।

निशा। -"तो आप मेरे द्वारा माँगी गई मांगो को न मानने की जिद क्यों कर रहे हो और कहते हैं कि मैं तुमसे झूठ बोल रही हूँ, मेरे दुष्ट साथी, मैं तुम्हें सन्टी से पीट-पीट कर मार डालूँगी यदि तुम अपने नीच जिद को वापस नहीं लेते हो," और उसने सन्टी से उसे हर जगह बुरी तरह से काटते हुए मारना जारी रखा।

अनूप, भयानक पीड़ा में। -"ओह! ओह! क्या-मुझे क्या कहना चाहिए-हमारे बारे में वे सभी कहानियाँ असत्य हैं, हमने कभी कुछ गलत नहीं किया,"।

निशा, एक उग्र प्रहार के साथ जो लगभग उसकी सांस लेती है। -"रुको, अब, आप दूसरी चरम पर चले गए हैं; मैं केवल यह चाहती हूँ कि आप स्वीकार करें कि आपने मेरा फायदा उठाया है, आपका दिमाग भ्रमित है, क्या अजीब है बात यह है कि इतने कोड़े मारने और खून बहाने के बाद भी तुम्हे कुछ भी समझ नहीं आया है।"

अनूप वैराग्य के साथ सिसकते हुए। -"वास्तव में-वास्तव में, मुझे अब याद है, कैसे मैंने आपके कपड़ों के नीचे अपना हाथ घुसाया था, जब आप मुझसे इतनी दूर थी कि आप मेरा विरोध नहीं कर सकी। आह! ओह! ओह! मुझे जाने दो, तुम्हें डर की कोई जरूरत नहीं है मैं अपने अपमान का रहस्य सबको खुद बताऊंगा!"

वह काफी टूटा चूका था, निशा ने अपनी घिसी-पिटी सन्टी को गिरा दिया क्योंकि अब उसकी बड़ी प्यारी आँखों में सहानुभूति के आँसू थे और वह चिल्लाती है, "ओह मेरे प्यारे प्रेमी अनूप, तुमने इतने जिद्दी क्यों हो?"

अध्यक्ष महोदय। -"उसे नीचे उतारो और उसे मेरे सामने घुटने पर बिठा दो और अनूप तुम अपमानजनक घोटाले के लिए क्षमा मांगो, मैं महसूस कर सकता हूँ और देख सकता हूँ तम्हारी पिटाई ने हर महिला के मन में कितनी दर्दनाक भावनाएँ पैदा की हैं।"

फिर उन्होंने उसे रिहा कर दिया गया औरअनूप ने, विनम्रतापूर्वक घुटने टेकते हुए, हमारीअकादमी में इतनी शर्मनाक घुसपैठ करने के लिए अपने दुख और खेद की घोषणा कर फिर से ईमानदारी से हमारे रहस्य को बनाए रखने का वादा करने लगा । मैं उसे अकादमी के छोटे से फर्स्ट ऐड कक्ष में ले गया और उसके जख्मो पर मलहम लगाई और उसे कुछ जरूरी दवाये दी और आंखों में आँसू के साथ उनकी दर्दनाक दीक्षा के बाद रजनी कात ने उसे जाने की अनुमति दी।

आपका दीपक

कहानी जारी रहेगी

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